SDM slapping case- राजस्थान के जयपुर जिले के चाकसू में रविवार को सर्वसमाज की बैठक हुई, जिसमें समरावता गांव प्रकरण पर चर्चा की गई। बैठक में फैसला लिया गया कि सोमवार को नरेश मीणा की रिहाई और समरावता गांव में हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
पृष्ठभूमि
घटना की शुरुआत राजस्थान में हाल ही में हुए उपचुनाव के दौरान हुई। समरावता गांव में मतदान का बहिष्कार किया गया था। उस समय एसडीएम अमित चौधरी ने कुछ ग्रामीणों को वोट डालने के लिए कहा, जिसके विरोध में नरेश मीणा ने कथित तौर पर उन्हें थप्पड़ मार दिया। इस घटना ने गंभीर रूप ले लिया और मतदान वाली रात पुलिस व ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
हिंसा के दौरान 100 से अधिक वाहनों में आग लगा दी गई। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने महिलाओं और बच्चों के साथ भी मारपीट की, जिसमें एक छोटे बच्चे को चोटें आईं।
वर्तमान स्थिति
- गिरफ्तारी: नरेश मीणा ने गुरुवार को समरावता गांव पहुंचकर गिरफ्तारी दी। उनके खिलाफ 10 गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया और कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
- मेडिकल जांच: शनिवार रात नरेश मीणा का मेडिकल करवाया गया।
सर्वसमाज की बैठक में क्या हुआ?
चाकसू में आयोजित बैठक में सभी समाजों ने एकजुटता दिखाई। बैठक में यह निर्णय लिया गया:
- सोमवार को सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
- नरेश मीणा की तत्काल रिहाई और हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी।
विजय बैंसला की उपस्थिति
इस बैठक में देवली-उनियारा से 2023 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके विजय बैंसला ने भी भाग लिया। उन्होंने समरावता गांव जाकर हिंसा प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और घटना को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
प्रभाव और आगामी कदम
इस प्रकरण ने राजस्थान में राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर गंभीर बहस छेड़ दी है। नरेश मीणा समर्थक, सर्वसमाज की बैठक के बाद, सोमवार को कूच की तैयारी कर रहे हैं। इस मामले में पुलिस और प्रशासन पर निष्पक्ष जांच का दबाव बढ़ता जा रहा है।
निष्कर्ष
समरावता प्रकरण केवल एक घटना नहीं है; यह ग्रामीण लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर बड़े सवाल खड़े करता है। सर्वसमाज की एकता और जनभावनाओं को देखते हुए, इस मामले का समाधान जल्द और न्यायपूर्ण तरीके से होना अत्यावश्यक है।
