Rajasthan की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीरें वसुंधरा राजे ने सोशल मीडिया पर साझा कीं। इसे उन्होंने शिष्टाचार मुलाकात बताया, लेकिन इसके निहितार्थ राजस्थान की राजनीति में गहराई से देखे जा रहे हैं।
राजे-मोदी की मुलाकात: अहम संकेत
बीते वर्षों की दूरी:
वसुंधरा राजे का राजस्थान बीजेपी में लंबे समय तक वर्चस्व रहा, लेकिन हाल के वर्षों में उनकी राजनीतिक सक्रियता और प्रभाव में कमी आई।
सियासी संकेत:
मोदी और राजे के बीच यह मुलाकात वर्षों बाद वन-टू-वन बातचीत के तौर पर हुई। यह तस्वीर संकेत देती है कि बीजेपी नेतृत्व राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की भूमिका पर पुनर्विचार कर रहा है।
क्या वसुंधरा राजे भैरोंसिंह शेखावत की राह पर हैं?
भाजपा का नया चेहरा:
वसुंधरा राजे के स्थान पर बीजेपी ने युवा नेतृत्व को प्राथमिकता देते हुए भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाया।
संभव भविष्य:
विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा राजे को भैरोंसिंह शेखावत की तरह राष्ट्रीय स्तर पर समायोजित किया जा सकता है। 2027 में उपराष्ट्रपति पद के लिए वसुंधरा राजे एक संभावित उम्मीदवार मानी जा रही हैं।
दुष्यंत राजे का करियर दांव पर
पुत्र के भविष्य की चिंता:
वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत सिंह के राजनीतिक करियर को लेकर चिंतित हैं। झालावाड़-बारां से सांसद दुष्यंत केंद्र में मंत्री पद के दावेदार हैं, लेकिन राजे और केंद्रीय नेतृत्व के तनाव का असर उनके अवसरों पर पड़ा है।
दिल्ली-राजे समीकरण:
दिल्ली और राजे के बीच दूरियां घटने से दुष्यंत को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना बढ़ सकती है।
मोदी की मंच पर तारीफ और संकेत
ददिया की सभा:
हाल ही में जयपुर में ददिया की सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने वसुंधरा राजे की धरोहर का जिक्र किया। यह वसुंधरा राजे के लिए एक सियासी संदेश था कि राजस्थान में उनका स्थान प्रतीकात्मक रहेगा।
भजनलाल का ज़िक्र:
मोदी के भाषण में भजनलाल की तारीफ ने यह स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी की प्राथमिकता अब नई पीढ़ी के नेता हैं।
निष्कर्ष
वसुंधरा राजे और पीएम मोदी की मुलाकात ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह केवल एक शिष्टाचार मुलाकात नहीं बल्कि सियासी समीकरणों का इशारा है। राजे के लिए राजस्थान से दिल्ली तक का सफर उनके भविष्य को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है। साथ ही, यह मुलाकात उनके बेटे दुष्यंत के लिए भी नए अवसरों के द्वार खोल सकती है।
