प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को जयपुर में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) का उद्घाटन करेंगे। इस परियोजना का उद्देश्य राजस्थान को जल-अधिशेष राज्य में बदलना है, जिसमें 11 नदियों को जोड़ा जाएगा।
ईआरसीपी का महत्व:
- यह परियोजना जलसंकट से जूझ रहे पूर्वी राजस्थान के जिलों में राहत लाएगी।
- परियोजना के तहत चंबल नदी और उसकी सहायक नदियां—पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी, और मेज—को जोड़ा जाएगा।
- इस योजना से राजस्थान और मध्यप्रदेश के 30 से अधिक जिलों को लाभ होगा।
प्रमुख लाभार्थी जिले:
राजस्थान में:
झालावाड़, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, गंगापुर, दौसा, करौली, भरतपुर, और अलवर।
मध्यप्रदेश में:
गुना, शिवपुरी, श्योपुर, सीहोर, शाजापुर, राजगढ़, उज्जैन, मंदसौर, मुरैना, रतलाम, और ग्वालियर।
परियोजना की प्रगति:
- पहला बांध:
- कालीसिंध नदी पर राजस्थान के कोटा जिले में नोनेरा एबरा बांध तैयार हो चुका है।
- 8 से 12 सितंबर तक गेटों की टेस्टिंग के बाद बांध का संचालन शुरू कर दिया गया।
- जल वितरण का मॉडल:
- 170 किमी तक पानी ले जाने के लिए पंपिंग, ग्रेविटी चैनल, एस्कैप, कैनाल, सुरंग, और पुलिया बनाई जाएंगी।
- यह मॉडल पेयजल और सिंचाई दोनों उद्देश्यों को पूरा करेगा।
इतिहास और वर्तमान प्रगति:
- जनवरी 2024 में इस परियोजना का नाम बदलकर पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी) किया गया।
- इस प्रोजेक्ट पर काम भजनलाल सरकार और पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था।
निष्कर्ष:
ईआरसीपी परियोजना राजस्थान में जल समस्या का स्थायी समाधान प्रदान करने वाली पहल साबित होगी। यह 21 जिलों में जीवन स्तर सुधारने के साथ-साथ कृषि और पेयजल सुविधाओं में बड़ा बदलाव लाएगी। प्रधानमंत्री मोदी के उद्घाटन के साथ यह परियोजना नदियों के सतत उपयोग का एक आदर्श मॉडल बनेगी।