Rajasthan News अफसरों की मनमानी से अटकी सामाजिक सुरक्षा पेंशन राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। सरकारी कर्मचारी जहां रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन सुविधाओं के लिए वित्त विभाग के चक्कर काट रहे हैं, वहीं सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने वाले लोग भी पिछले चार महीनों से अपने भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के वित्त विभाग के अफसरों ने इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है। ऐसा कोई विभाग नहीं है जो भुगतान के लिए वित्त विभाग के पास न जा रहा हो। पहले बेरोजगारी भत्ते के लिए परेशान किया गया, और अब सामाजिक सुरक्षा पेंशन के भुगतान में भी देरी हो रही है।
बजट है, पर पेंशन नहीं मिल रही
सबसे चिंताजनक बात यह है कि सामाजिक न्याय विभाग के पास पेंशन देने के लिए बजट का प्रावधान तो है, लेकिन वित्त विभाग ने इस प्रक्रिया पर अपनी पकड़ बना रखी है। इससे पेंशनरों को भुगतान मिलने में देरी हो रही है, और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
लंबित पत्रावली और बढ़ती देरी
हाल ही में सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ाकर वाहवाही तो बटोरी, लेकिन पेंशनर अब भी महीनों से इस राशि के खातों में आने का इंतजार कर रहे हैं। मई 2024 से प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन का भुगतान रुका हुआ है, और इस संबंध में सामाजिक न्याय विभाग ने वित्त विभाग को पत्रावली भेजी थी, जो अब तक लंबित है।
केंद्र से पैसे का इंतजार
राज्य की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि पेंशन के भुगतान के लिए राज्य सरकार को केंद्र से धनराशि का इंतजार करना पड़ रहा है। वित्त विभाग ने कहा है कि इस सप्ताह केंद्र से करीब 10,000 करोड़ रुपये की राशि राज्य को ट्रांसफर होनी है, जिसके बाद पेंशन जारी करने का आश्वासन दिया गया है।
मई से सितंबर तक पेंशन बकाया
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के अनुसार, मई से अगस्त 2024 तक की पेंशन राशि 1979.25 करोड़ रुपये बकाया है। जब इसमें सितंबर 2024 की राशि भी जोड़ दी जाए, तो कुल 2970.70 करोड़ रुपये पेंशनरों को दिए जाने हैं।
पेंशनरों की परेशानियां बढ़ीं
पेंशन भुगतान में देरी के कारण प्रतिदिन लगभग 250 से 300 पेंशनर्स विभागीय मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं। इनमें से अधिकतर लोग विलंब से भुगतान की समस्या को लेकर शिकायत कर रहे हैं।
राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने वाले लोगों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस संकट का समाधान कब तक करती है।