Rajasthan High Court: राजस्थान उच्च न्यायालय ने सिरोही जिले के आबूरोड उपखंड स्थित मीन तलेटी में रिसोर्ट निर्माण को लेकर दायर की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया है और याचिकाकर्ता कांतिलाल उपाध्याय को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर जनहित याचिका का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए भविष्य में इस प्रकार की याचिकाएं दायर न करने के लिए भी चेतावनी दी।
यह मामला 2022 में सामने आया था, जब कांतिलाल उपाध्याय ने मीन तलेटी में एक रिसोर्ट के निर्माण को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। न्यायालय की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति रेखा बोराणा और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर शामिल थे, ने इस याचिका को ‘जनहित याचिका का दुरुपयोग’ करार देते हुए इसे खारिज कर दिया।
न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका में किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा नहीं किया। यह याचिका प्रतिशोध लेने और तथ्यों को छिपाने के उद्देश्यों से दायर की गई थी। अदालत ने कांतिलाल उपाध्याय को यह चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी याचिकाएं दायर करने से पहले वह पूरी जिम्मेदारी से तथ्यों का खुलासा करें और न्यायालय से कोई जानकारी छिपाने का प्रयास न करें।
न्यायालय की सख्त टिप्पणी
न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई यह याचिका, जो कि न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास प्रतीत होती है, ‘अनुकरणीय जुर्माना’ के साथ खारिज की जानी चाहिए। हालांकि, न्यायालय ने संयम रखते हुए इस मामले में केवल जुर्माने का आदेश दिया और कांतिलाल उपाध्याय को भविष्य में इस प्रकार की जनहित याचिकाओं की पुनरावृत्ति न करने की चेतावनी दी।
न्यायालय ने कांतिलाल उपाध्याय को 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कोष में जमा किया जाएगा। यह भी आदेश दिया गया कि यदि याचिकाकर्ता अगले 30 दिनों में जुर्माना राशि जमा नहीं करता है, तो उसे भविष्य में जनहित याचिकाएं दायर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
याचिकाकर्ता का इतिहास
यह पहला मामला नहीं है जब कांतिलाल उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर की हो। इसके पहले, उन्होंने 17 जनहित याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें से कई मामलों में न्यायालय ने उनकी याचिकाओं को खारिज किया है। न्यायालय का यह स्पष्ट संदेश था कि जनहित याचिका का दुरुपयोग करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान उच्च न्यायालय जनहित याचिकाओं का सही उद्देश्य से उपयोग न करने वालों पर कड़ी नजर रखेगा और ऐसी याचिकाओं को दायर करने वालों को सख्त सजा दी जाएगी।