Rajasthan बीजेपी में संगठनात्मक नियुक्तियों की देरी ने सियासी हलचल तेज कर दी है। पार्टी आलाकमान की नाराजगी और नियुक्तियों को लेकर खींचतान के बीच जयपुर से दिल्ली तक चर्चाओं का बाजार गर्म है। 1,058 मंडलों में अध्यक्षों की तैनाती का काम विवादों और विरोधों में उलझा हुआ है, जिससे जिलाध्यक्षों के चुनाव भी लटक गए हैं।
क्या है विवाद?
राजस्थान में 16 मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियों पर रोक और 5 नियुक्तियों को रद्द किया गया है।
विवादित मंडलों में जयपुर शहर का जलमहल और पौड्रिक मंडल, भरतपुर का सेवर और रूदावल, अलवर का मालाखेड़ा, और बीकानेर का जस्सुसर और नया शहर जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।
अनुशासन समिति ने हस्तक्षेप करते हुए कई चयन को गलत करार दिया, जिससे संगठन की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।
आलाकमान की नाराजगी
बीजेपी आलाकमान राजस्थान में संगठनात्मक नियुक्तियों में हो रही देरी से नाराज है।
बीएल संतोष, जो राष्ट्रीय संगठन महामंत्री हैं, ट्विटर पर अन्य राज्यों में प्रक्रिया पूरी होने की जानकारी साझा कर रहे हैं। राजस्थान में नियुक्तियों को लेकर इस सार्वजनिक दबाव से सियासी गहमागहमी और बढ़ गई है।
सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान बीजेपी की फाइलें अब आलाकमान की प्राथमिकता सूची में हैं।
सियासी बैठकों का दौर
बुधवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सिविल लाइंस स्थित उनके आवास पर मुलाकात की।
बैठक डेढ़ घंटे तक चली, जिसके बाद सियासी अटकलों का दौर तेज हो गया।
इसके साथ ही प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल भी दिल्ली से जयपुर पहुंचे और ताबड़तोड़ बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ।
वसुंधरा राजे की भूमिका और सरकार का विस्तार
हालिया मुलाकातों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि संगठनात्मक नियुक्तियों के साथ भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी चर्चा हो रही है। वसुंधरा खेमा इसमें अहम भूमिका निभा सकता है, जहां कुछ नामों को संभावित मंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया जा सकता है।
निष्कर्ष
राजस्थान बीजेपी में मंडल विवाद से जुड़ी देरी न केवल संगठन की आंतरिक एकता को चुनौती दे रही है, बल्कि आलाकमान के दबाव और आगामी चुनावों की रणनीतियों पर भी असर डाल रही है। फिलहाल, जयपुर से दिल्ली तक तेज होती सियासी गतिविधियां संगठनात्मक संकट को हल करने के लिए महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं।
