Rajasthan विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पेपर लीक का मुद्दा प्रमुखता से उठा। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने अपने अभिभाषण में इस मामले को उठाते हुए पिछली सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि मौजूदा सरकार ने 100 से अधिक एफआईआर दर्ज की हैं और 260 लोगों को गिरफ्तार किया है। बावजूद इसके, बड़े सरगनाओं पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे युवाओं में नाराजगी बढ़ रही है।
हर साल लीक हो रहे पेपर, प्रभावित हो रहे लाखों छात्र
राजस्थान में 2019 के बाद से हर साल औसतन तीन पेपर लीक हो रहे हैं, जिससे करीब 40 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं। जांच में खुलासा हुआ कि ये लीक हुए प्रश्न पत्र 5 से 15 लाख रुपये में बेचे गए। यहां तक कि एक स्कूल शिक्षक को 40 लाख रुपये देकर पेपर खरीदा गया, जिसे बाद में प्रति छात्र 5 लाख रुपये में बेचा गया।
कौन हैं पेपर लीक माफिया?
पेपर लीक के मामलों में कई बड़े नाम सामने आए हैं। अनिल कुमार मीणा उर्फ शेर सिंह मीणा ने आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा से एक करोड़ रुपये में पेपर खरीदा था। सुरेश ढाका नामक व्यक्ति, जो एक कोचिंग सेंटर का मालिक था, ने भी पेपर लीक किया। रामकृपाल मीणा, जो रीट परीक्षा के पेपर लीक का मास्टरमाइंड था, उसे सरकारी शिक्षा संकुल के स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा, अशोक नाथावत, भूपेंद्र सारण, गमाराम खिलेरी, हर्षवर्धन मीणा, और जगदीश मीणा जैसे नाम पेपर लीक माफिया के रूप में सामने आए हैं।
सरकार की कार्रवाई और राजनीतिक घमासान
विधानसभा में विपक्षी नेता सचिन पायलट और किरोड़ीलाल मीणा ने पेपर लीक की निष्पक्ष जांच की मांग की। किरोड़ीलाल मीणा ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बड़े नामों को अब तक नहीं पकड़ा गया है। वहीं, एसआई भर्ती 2021 के चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण भी हाईकोर्ट के आदेश पर रोक दिया गया है।
पेपर लीक के कारण रद्द हुई परीक्षाएं
.REET लेवल-2 (2021) – परीक्षा रद्द, फिर दोबारा आयोजित
.राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती (2018, 2022) – दो बार लीक, दोबारा परीक्षा
.हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती (2022) – पेपर लीक के चलते रद्द
.जेईएन सिविल डिग्री (2018) – परीक्षा लीक, फिर रद्द
.द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती (2022) – सामान्य ज्ञान पेपर लीक होने से परीक्षा रद्द
युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कब रुकेगा?
राजस्थान में बार-बार होने वाले पेपर लीक ने लाखों युवाओं की मेहनत पर पानी फेर दिया है। सरकार ने भले ही 100 एफआईआर दर्ज की हों, लेकिन जब तक बड़े मास्टरमाइंड पकड़े नहीं जाते, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। अब देखना यह है कि सरकार युवाओं के हक में क्या ठोस कदम उठाती है या यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक बहस बनकर रह जाता है।

