Rajasthan आरएएस अफसरों के लगातार तबादले एक बड़ा मुद्दा बनते जा रहे हैं। पिछले एक महीने में राज्य सरकार ने तीसरी बार आरएएस (Rajasthan Administrative Service) अधिकारियों की ट्रांसफर लिस्ट जारी की है, जिसमें 83 अधिकारियों का नाम शामिल है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कई अफसरों का पिछले 10 महीनों में 5 से 6 बार तबादला हो चुका है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार इन अधिकारियों की सही तैनाती नहीं कर पा रही या अफसर सरकार के अनुकूल नहीं हैं।

कुर्सी संभालते ही ट्रांसफर: क्या हो रही है प्रशासनिक अस्थिरता?
ताजा ट्रांसफर लिस्ट ने राज्य में प्रशासनिक अस्थिरता की ओर इशारा किया है। आरएएस अधिकारी अनूप सिंह और अमिता माना का पिछले 10 महीनों में छठी बार तबादला किया गया है। हाल ही में, अनूप सिंह को सवाई माधोपुर के उपखंड अधिकारी के रूप में तैनात किया गया था, लेकिन अब उन्हें बसेड़ी भेज दिया गया है। अमिता माना को भी विराटनगर से रूपनगढ़ (अजमेर) में उपखंड अधिकारी के पद पर ट्रांसफर कर दिया गया है।
लगातार तबादलों से प्रभावित हो रही प्रशासनिक कार्यक्षमता
राजस्थान में कई अधिकारियों का 10 महीनों में कई बार ट्रांसफर होना राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:
- आरएएस रामरतन सौंकरिया, बंशीधर योगी और अशोक कुमार शर्मा का पिछले 10 महीनों में पांचवीं बार तबादला हो चुका है।
- उदयभानु चारण का चौथी बार तबादला किया गया है।
यह लगातार हो रहे तबादले राज्य की प्रशासनिक स्थिरता को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे अधिकारियों को अपने नए कार्यक्षेत्रों में समायोजन करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है। इससे न केवल प्रशासनिक कार्य में रुकावट आ रही है, बल्कि स्थानीय विकास कार्यों पर भी इसका असर पड़ रहा है।
पिछली सूची में भी हुआ था तबादला
सिर्फ यही नहीं, बीते महीने 183 आरएएस अधिकारियों का तबादला किया गया था, जिनमें से आधे अफसरों का 17 दिनों के भीतर फिर से तबादला कर दिया गया। इसका एक उदाहरण आरएएस मुकेश चौधरी हैं, जिन्हें जैसलमेर जिला परिषद के सीईओ के पद पर तैनात किया गया था, लेकिन उसी दिन उन्हें पाली जिला परिषद का सीईओ बनाकर स्थानांतरित कर दिया गया। चौधरी ने जैसलमेर में अपनी नई पोस्टिंग का कार्यभार संभालते ही तबादले का आदेश प्राप्त कर लिया, जिससे उनके प्रशासनिक कार्य में रुकावट पैदा हो गई।
Rajasthan आरएएस अफसरों के लगातार तबादले सरकार के फैसलों पर उठ रहे सवाल
लगातार हो रहे तबादलों से यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकार यह तय नहीं कर पा रही है कि किन अधिकारियों को किस पद पर तैनात करना है। आरएएस अफसरों के लिए यह स्थिति न केवल अस्थिरता पैदा कर रही है, बल्कि उनके कार्य पर भी प्रतिकूल असर डाल रही है। राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों का लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर तबादला करने से उनके कार्यक्षेत्र में विकास कार्यों में भी देरी हो रही है।
इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या सरकार की रणनीति में कोई कमी है या फिर राज्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ किसी राजनीतिक समीकरण को साधने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रशासनिक अस्थिरता का असर
लगातार हो रहे तबादलों का सीधा असर प्रशासनिक कार्यों पर पड़ रहा है। जब अधिकारी अपने पद पर स्थिर नहीं रह पाते हैं, तो उनका कार्यक्षेत्र और जिम्मेदारियां बार-बार बदलने के कारण विकास कार्यों में ठहराव आ जाता है। इससे जनता के लिए संचालित योजनाओं और नीतियों का प्रभाव भी कम हो जाता है।
निष्कर्ष: एक स्थायी समाधान की जरूरत
राजस्थान में लगातार हो रहे आरएएस अधिकारियों के तबादले से स्पष्ट है कि राज्य सरकार को एक स्थिर और संतुलित प्रशासनिक नीति की जरूरत है। यह केवल अधिकारियों के हित में नहीं, बल्कि राज्य के विकास और जनता के कल्याण के लिए भी आवश्यक है। लगातार स्थानांतरण से न केवल अधिकारियों के काम पर नकारात्मक असर पड़ता है, बल्कि राज्य की विकास प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है।

