Waqf संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सामाजिक-आर्थिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से उन लोगों को विशेष रूप से मदद मिलेगी, जो दशकों से हाशिये पर रहे हैं और जिन्हें आवाज और अवसर दोनों से वंचित रखा गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वक्फ प्रणाली लंबे समय से पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी का प्रतीक रही है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम महिलाओं, गरीब मुसलमानों और पसमांदा तबकों को हुआ है। संसद से पारित नया कानून इस स्थिति को बदलने का प्रयास है, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देगा और लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह विधेयक एक ऐसे युग की शुरुआत करेगा जिसमें प्रशासनिक ढांचा आधुनिक, उत्तरदायी और सामाजिक न्याय के प्रति संवेदनशील होगा। उनका कहना था कि यह कदम भारत को एक मजबूत, समावेशी और दयालु राष्ट्र बनाने में मदद करेगा, जहां हर नागरिक की गरिमा को प्राथमिकता दी जाएगी।
राज्यसभा में 13 घंटे चली चर्चा, सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज
राज्यसभा में 3 अप्रैल को ‘वक्फ संशोधन विधेयक 2025’ और ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024’ पर करीब 13 घंटे लंबी बहस चली। बहस के बाद हुए मतदान में 128 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में और 95 सांसदों ने विरोध में वोट डाला। सभी विपक्षी संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज कर दिए गए।
लोकसभा से भी मिल चुकी है मंजूरी
इससे पहले लोकसभा ने 2 अप्रैल की रात वक्फ संशोधन विधेयक को पारित कर दिया था। लोकसभा में इस पर 12 घंटे से अधिक चर्चा हुई और मतदान में 288 सांसदों ने पक्ष में जबकि 232 ने विरोध में मत दिया।
अब यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अधिसूचित होकर कानून का रूप ले लेगा। सरकार का दावा है कि यह विधेयक पारदर्शिता लाने के साथ-साथ वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।