राजनीतिक परिवार और बागी छवि
Naresh Meena Profile- राजस्थान के टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट के निर्दलीय प्रत्याशी और कांग्रेस के बागी नेता नरेश मीणा ने हाल ही में एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारकर सुर्खियां बटोरीं। राजनीतिक माहौल में लंबे समय से सक्रिय नरेश का पूरा परिवार राजनीति से जुड़ा है। उनके पिता कल्याण सिंह मीणा ने 30 वर्षों तक अपने गांव का सरपंच पद संभाला, और वर्तमान में उनकी मां सरपंच हैं। उनकी पत्नी सुनीता जिला परिषद की सदस्य हैं, जबकि छोटे भाई की पत्नी पंचायत समिति में हैं। छात्र जीवन में नरेश राजस्थान विश्वविद्यालय के महासचिव रह चुके हैं।
राजनीतिक सफर और बगावत का इतिहास
नरेश मीणा कांग्रेस नेता सचिन पायलट के समर्थक माने जाते हैं और उन्हीं के नक्शे-कदम पर चलते हुए बड़े नेता बनने की ख्वाहिश रखते हैं। लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद भी जब उन्हें टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। 2023 में उन्होंने बारां जिले की छबड़ा छीपाबड़ौद सीट से टिकट मांगा था, पर टिकट न मिलने के कारण वे निर्दलीय मैदान में उतरे, हालांकि, उन्हें 44 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
विवादास्पद घटनाएं और गिरफ्तारी
13 नवंबर को मतदान के दौरान देवली-उनियारा क्षेत्र में किसी मुद्दे पर उनकी एसडीएम अमित चौधरी से बहस हो गई, जिसके बाद उन्होंने थप्पड़ मार दिया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया, उनके समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया और कई वाहनों में आग लगा दी। इस मामले में पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार किया है, उनके खिलाफ 23 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें से सात मामलों में उनकी गिरफ्तारी होनी बाकी है।
पार्टी से निष्कासन और पुनर्वापसी
कांग्रेस से कई बार बगावत करने के बावजूद, नरेश ने पार्टी में वापसी की कोशिशें जारी रखीं। पार्टी अनुशासन समिति के अध्यक्ष उदयलाल आंजना के प्रस्ताव पर उनकी वापसी हुई, लेकिन टिकट फिर भी नहीं मिला। जब राजस्थान उपचुनाव 2024 में देवली-उनियारा से टिकट मांगा, तो कांग्रेस ने फिर अनदेखी की। परिणामस्वरूप, नरेश ने एक बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
क्या है जनता की राय?
नरेश मीणा के कृत्य ने क्षेत्र में उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच एक रेखा खींच दी है। उनके समर्थक उनकी गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं और इसे उनके प्रति अन्याय बता रहे हैं। दूसरी ओर, आम जनता और ग्रामीणों में हिंसा और आगजनी से भय का माहौल है। पुलिस की कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों में असंतोष है, वहीं, प्रशासन स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सतर्क है।
निष्कर्ष
नरेश मीणा का यह विवादास्पद चेहरा उनकी राजनीतिक यात्रा का नया मोड़ साबित हो सकता है। कांग्रेस में वापसी की कोशिशों के बावजूद टिकट न मिलना, बार-बार बगावत और बेतरतीब कदम उनके भविष्य पर सवालिया निशान लगाते हैं। वहीं, देवली-उनियारा क्षेत्र में बढ़ती अशांति और हिंसा से स्थिति गंभीर बनी हुई है।