Jaipur Foundation Day- जयपुर, जिसे “गुलाबी नगर” के नाम से जाना जाता है, 18 नवंबर 2024 को अपनी स्थापना के 297 वर्ष पूरे कर चुका है। अपनी खूबसूरत वास्तुकला, सुव्यवस्थित योजना, और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए विश्व प्रसिद्ध इस शहर का निर्माण 1727 में आमेर के कछवाहा राजपूत शासक सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। यह शहर वास्तु और तंत्र शास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर डिजाइन किया गया था और इसे आधुनिक भारत के पहले नियोजित शहरों में से एक माना जाता है।
जयपुर की स्थापना और प्रारंभिक योजना
जयपुर को बंगाल के ब्राह्मण विद्वान और वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य द्वारा डिज़ाइन किया गया था। इसे नौ ब्लॉकों में विभाजित किया गया था, जिनमें से दो ब्लॉक राजकीय भवनों और महलों के लिए थे, जबकि सात ब्लॉक आम जनता के आवास के लिए बनाए गए थे। शहर को चारों ओर से विशाल दीवारों और सात मजबूत द्वारों से घेरा गया था ताकि इसे बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित रखा जा सके।
स्थापना के समय, जल महल के पास एक अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसे शहर के शुभारंभ के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस यज्ञ के दौरान बड़े-बड़े पत्थरों के दीपक बनाए गए थे।
गुलाबी रंग का इतिहास
1878 में, प्रिंस ऑफ वेल्स की यात्रा के दौरान, पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगा गया था। तब से, जयपुर को “गुलाबी नगर” के नाम से जाना जाता है। यह रंग न केवल इसकी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है, बल्कि यहां के लोगों के मेहमाननवाजी और उत्साह का प्रतीक भी बन गया है।
जयपुर के ऐतिहासिक स्थल
जयपुर अपने महलों, किलों और ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध है, जो इसकी सांस्कृतिक और स्थापत्य संपदा को दर्शाते हैं।
- आमेर किला:
आमेर किला, जयपुर की स्थापना से पहले का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। इसका निर्माण 967 ईस्वी में राजा मान सिंह ने शुरू किया था और इसे 150 वर्षों तक विस्तारित किया गया। यह किला आमेर की राजकुमारी जोधाबाई का जन्मस्थान भी है। - नाहरगढ़ किला:
1734 में सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित इस किले का शाब्दिक अर्थ “बाघों का निवास” है। पहले इसे एकांतवास के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में यह महत्वपूर्ण संधियों और 1857 के विद्रोह के दौरान सुरक्षा स्थल के रूप में भी उपयोग हुआ। - जयगढ़ किला:
1726 में सवाई जय सिंह ने आमेर किले की सुरक्षा के लिए इस किले का निर्माण किया। यह किला दुनिया की सबसे बड़ी तोप, जयवाना, का घर है। इसके अलावा, यहां की विशाल पानी की टंकी और खजाना छुपाने के लिए बने कक्ष इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। - जल महल:
सागर झील के बीच स्थित यह महल, महाराजाओं के शिकारगाह के रूप में कार्य करता था। इसकी पांच मंजिलों में से चार पानी के भीतर हैं। रात के समय इसका नजारा अत्यंत आकर्षक लगता है। - जंतर मंतर:
यह 18वीं सदी की सबसे बड़ी खगोलीय वेधशाला है, जिसमें 19 खगोलीय उपकरण शामिल हैं। यहां की विशाल सूर्य घड़ी, सम्राट यंत्र, का उपयोग मौसम और ग्रहों की चाल का अध्ययन करने के लिए किया जाता था।
संस्कृति और वास्तुकला
जयपुर की वास्तुकला इंडो-सरसेनिक और मुगल शैली का मिश्रण है। यहां के महल, बावड़ियां, और चौड़ी सड़कों ने इसे अपनी स्थापना के समय से ही एक व्यवस्थित और भव्य शहर बना दिया।
जयपुर का 297वां स्थापना दिवस
जयपुर के 297वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक महीने तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें सांस्कृतिक प्रदर्शन, ऐतिहासिक स्थलों की सजावट और युवाओं के लिए चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। यह आयोजन न केवल शहर की धरोहर को प्रदर्शित करेगा, बल्कि युवाओं को इसकी गौरवशाली विरासत से जोड़ने का एक प्रयास भी है।
निष्कर्ष
जयपुर अपनी स्थापना के 297 वर्षों बाद भी अपने सांस्कृतिक उत्साह और स्थापत्य वैभव को संजोए हुए है। इसकी ऐतिहासिक संरचनाएं और नियोजित शहरीकरण इसे भारत के सबसे अनोखे शहरों में से एक बनाते हैं। जयपुर केवल एक शहर नहीं है; यह भारतीय संस्कृति, कला, और इतिहास की जीवंत प्रदर्शनी है।