HMPV: भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। अब असम में 10 महीने के बच्चे में इस वायरस की पुष्टि हुई है। बच्चा डिब्रूगढ़ के असम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एएमसीएच) में भर्ती है, और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
एचएमपीवी का भारत में प्रभाव:
एचएमपीवी संक्रमण के मामले कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में पहले ही सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संक्रमण मौसमी है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।
डॉ. ध्रुबज्योति भुइंया (एएमसीएच अधीक्षक) ने बताया कि यह संक्रमण नियमित जांच में सामने आया। उन्होंने कहा कि इन्फ्लूएंजा और फ्लू जैसे लक्षणों वाले मामलों के नमूने अक्सर ICMR को भेजे जाते हैं।
एचएमपीवी: एक परिचय
एचएमपीवी पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है, जिसकी पहली पहचान 2001 में नीदरलैंड में हुई थी। यह मुख्य रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को प्रभावित करता है।
लक्षण और असर:
सामान्य लक्षण:सर्दी, खांसी, बुखार
गले और श्वांस नली में कफ
गंभीर लक्षण:ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में सूजन)
निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना)
श्वसन पथ में गंभीर संक्रमण
संक्रमण का फैलाव और बचाव:
एचएमपीवी संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने से फैलता है। इसके लक्षण कोरोनावायरस और आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, जिससे इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है।
बचाव के उपाय:
मास्क पहनना नियमित रूप से हाथ धोना
प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना
दुनिया भर में एचएमपीवी के मामले:
2023 में यह संक्रमण नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, और चीन में देखा गया।
विशेषज्ञों की राय:
लाहोवाल के ICMR-आरएमआरसी के वैज्ञानिक डॉ. बिस्वजीत बोर्काकोटी ने बताया कि डिब्रूगढ़ जिले में 2014 से अब तक 110 मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, यह इस साल का पहला मामला है।
निष्कर्ष:
एचएमपीवी एक सामान्य मौसमी संक्रमण है और घबराने की आवश्यकता नहीं है। समय पर डॉक्टर से परामर्श और उचित देखभाल से इसे आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। जागरूकता और बचाव के उपाय अपनाकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है।