Medicity: जयपुर में मेडिकल टूरिज्म के लिए हो रही बड़ी योजना, जानें नई मेडिसिटी कैसे बनेगी और इसकी जरूरत क्यों है राजधानी जयपुर में एक नया शहर विकसित करने की योजना बनाई जा रही है, जिसे “मेडिसिटी” नाम दिया गया है। यह शहर मेडिकल सुविधाओं के लिए विशेष रूप से समर्पित होगा, और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के अनुसार, राज्य सरकार इस क्षेत्र में नीतिगत निर्णयों के माध्यम से संभावनाओं को और विस्तारित करना चाहती है।मेडिसिटी की योजना:जयपुर के प्रताप नगर में मेडिसिटी बनाने के लिए चिकित्सा विभाग संभावनाओं का पता लगा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री खींवसर ने बताया कि मेडिसिटी स्थापित करने से प्रदेश में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा।जरूरत और संभावनाएं:जयपुर की भौगोलिक स्थिति, जो दिल्ली के करीब है, और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के निकटता के चलते, चिकित्सा क्षेत्र में संभावनाएं विकसित करना आसान होगा। खींवसर ने कहा कि राजस्थान को मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में एक अग्रणी स्थान पर लाने के लिए निरंतर नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं।मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा:राजस्थान सरकार पिछले लंबे समय से मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। इस साल के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अब तक का सर्वाधिक 8.26 प्रतिशत प्रावधान किया गया है। खींवसर ने कहा कि मेडिसिटी के निर्माण से बड़े अस्पताल एक ही क्षेत्र में स्थापित होंगे, जिससे मरीजों को अलग-अलग स्थानों पर नहीं भटकना पड़ेगा और सभी सुविधाएं एक ही जगह पर उपलब्ध होंगी।भविष्य की दिशा:मंत्री ने विश्वास जताया कि आने वाले समय में जयपुर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक प्रमुख शहर बन जाएगा। “राइजिंग राजस्थान” के लिए “हील इन राजस्थान” का नारा देते हुए उन्होंने बताया कि प्राइवेट मेडिकल सेक्टर भी इस योजना में रुचि दिखा रहे हैं।इस प्रकार, मेडिसिटी का विकास न केवल स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करेगा, बल्कि राजस्थान को मेडिकल टूरिज्म के हब के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
RSMSSB: संयुक्त पात्रता परीक्षा का पाठ्यक्रम जारी, जानें परीक्षा पैटर्न और अन्य जानकारी राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) ने संयुक्त पात्रता परीक्षा (CET) के लिए पाठ्यक्रम जारी कर दिया है। यह परीक्षा उन उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है जो सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करना चाहते हैं। यहाँ हम परीक्षा के पाठ्यक्रम, पैटर्न और अन्य आवश्यक जानकारी पर चर्चा करेंगे।पाठ्यक्रम की प्रमुख बातें: परीक्षा पैटर्न: महत्वपूर्ण तिथियाँ: कैसे करें आवेदन:उम्मीदवार RSMSSB की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ सही जानकारी भरें और आवेदन शुल्क का भुगतान करें।निष्कर्ष:RSMSSB की संयुक्त पात्रता परीक्षा राजस्थान में सरकारी नौकरियों की ओर बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीदवारों को पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न की जानकारी को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी शुरू करनी चाहिए। अधिक जानकारी के लिए RSMSSB की वेबसाइट पर नियमित रूप से जांच करते रहें।
राजस्थान की गरासिया जनजाति की अनोखी प्रथा: शादी के लिए मां बनना जरूरी, लिव-इन में रह सकते हैं ‘पति’ को बदलने का अधिकार देश के कई बड़े शहरों में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जहां प्रेमी जोड़े एक-दूसरे को बेहतर समझने के लिए साथ रहते हैं। हालांकि, राजस्थान की गरासिया जनजाति इस परंपरा को सदियों से निभाती आ रही है, और उनकी प्रथा इस मामले में और भी खास है। यहां शादी के लिए सबसे बड़ी शर्त यह है कि लड़की मां बने। गरासिया समाज की लड़कियां खुद अपने लिए पार्टनर चुनती हैं और उनके साथ लिव-इन में रहती हैं। इसके दौरान अगर लड़की मां नहीं बनती, तो उसे अपना पार्टनर बदलने का अधिकार होता है। इस अनोखी प्रथा के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।गरासिया जनजाति: सदियों पुरानी लिव-इन परंपराराजस्थान के सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, और पाली जिलों के पहाड़ी इलाकों में गरासिया जनजाति निवास करती है। यहां महिलाओं को अपने जीवन के निर्णय खुद लेने का अधिकार है, खासकर जब बात अपने जीवनसाथी को चुनने की हो। परिवार या समाज इसमें हस्तक्षेप नहीं करता है। इस जनजाति में शादी तब ही होती है जब लड़की मां बन जाती है। इसके पहले, लड़की अपनी मर्जी से पार्टनर बदल सकती है।पार्टनर चुनने की अनोखी प्रक्रियाहर साल गरासिया समाज में ‘गौर मेला’ आयोजित होता है, जिसमें युवा लड़के-लड़कियां एक-दूसरे को चुनते हैं और साथ रहने का फैसला करते हैं। मेले से लौटने के बाद लड़के के परिजन लड़की के परिवार को कुछ रुपये देते हैं, जो इस परंपरा का हिस्सा है। अगर दोनों साथ रहना चाहते हैं, तो वे लिव-इन में रहते हैं। अगर लड़की मां बन जाती है, तो उनकी शादी करा दी जाती है। अगर नहीं, तो लड़की अगली बार मेला आने तक अपना पार्टनर बदल सकती है।शादी के लिए मां बनना जरूरीगरासिया जनजाति की प्रथा के अनुसार, शादी के लिए लड़की का मां बनना अनिवार्य है। अगर वह मां नहीं बनती, तो उसे अपने साथी को बदलने का पूरा हक होता है। समाज की इस अनोखी प्रथा ने गरासिया जनजाति को अन्य जनजातियों से अलग और उन्नत माना जाता है, क्योंकि यहां महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता और अधिकार मिले हुए हैं।यह प्रथा न केवल हमारी आधुनिक सोच को चुनौती देती है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करती है, जहां जीवनसाथी चुनने और शादी करने की प्रक्रिया पूरी तरह से लड़की की इच्छा पर आधारित होती है।
राजस्थान: जोधपुर की वरिष्ठ नेता सूर्यकांता व्यास का निधन, 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस जोधपुर की राजनीति की प्रमुख हस्ती और ‘जीजी’ के नाम से प्रसिद्ध सूर्यकांता व्यास का बुधवार सुबह निधन हो गया। 86 वर्षीय भाजपा नेता ने जोधपुर के सूरसागर से छह बार विधायक के रूप में कार्य किया। उनका लंबे समय से स्वास्थ्य ठीक नहीं था, और बुधवार को अचानक तबियत बिगड़ने पर उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल (एमजीएच) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन से जोधपुर में शोक की लहर दौड़ गई है।लंबा राजनीतिक करियरसूर्यकांता व्यास ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पार्षद के रूप में की थी और 1990 में पहली बार जोधपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं। परिसीमन से पहले उन्होंने तीन बार जोधपुर शहर से जीत दर्ज की और बाद में सूरसागर विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक बनीं। वे छह बार विधानसभा पहुंचीं और जनता के बीच बेहद लोकप्रिय नेता बनी रहीं।स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहीं थींपिछले दस महीनों से सूर्यकांता व्यास गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। उनका डायलिसिस चल रहा था और उनका इलाज एमडीएम अस्पताल में हो रहा था, बाद में स्थिति बिगड़ने पर उन्हें एम्स, जोधपुर रेफर किया गया था।2023 के चुनाव में टिकट नहीं मिला2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सूरसागर सीट से नए उम्मीदवार देवेंद्र जोशी को टिकट दिया था, जबकि व्यास को टिकट नहीं मिला था। बावजूद इसके, वे भाजपा और जोधपुर के लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ गईं।नेताओं ने जताया शोकमुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत समेत कई बड़े नेताओं ने सूर्यकांता व्यास के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। सीएम गहलोत ने कहा कि उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन सदैव मिलेगा, जबकि शेखावत ने इसे जोधपुर के राजनीतिक और सामाजिक जीवन की अपूरणीय क्षति बताया।सूर्यकांता व्यास का निधन न केवल भाजपा के लिए बल्कि जोधपुर के लोगों के लिए भी एक बड़ी क्षति है। ‘जीजी’ के रूप में लोकप्रिय यह नेता अपनी सेवा और समर्पण के लिए हमेशा याद की जाएंगी।
नागौर में बीते आठ सालों से निर्माणाधीन ओवरब्रिज का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है, और पिछले आठ महीनों से बीकानेर रेलवे फाटक बंद पड़ा है। इस वजह से शहरवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान करने वाला कोई नहीं दिख रहा। इस रेलवे फाटक के बंद होने से शहर के कई जरूरी स्थान, जैसे मोक्षधाम, मुख्य थाना कोतवाली, कृषि उपज मंडी, और अन्य बड़े सरकारी कार्यालयों तक पहुंचने में लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर शहर के 12 समाजों के मोक्षधाम इस फाटक के दूसरी ओर स्थित हैं, जिससे शव यात्रा के दौरान लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई बार सड़क पर घंटों तक शवों के साथ खड़े रहना पड़ता है, क्योंकि फाटक बंद होने के कारण रास्ता बाधित हो जाता है। शहरवासियों की नाराजगीपिछले दिनों शहरवासियों ने जिला कलेक्टर अरुण कुमार पुरोहित को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें फाटक को तुरंत खोलने की मांग की गई। स्थानीय नागरिक रूपसिंह पंवार ने बताया कि पिछले आठ महीने से जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। उन्होंने कहा कि अब शहरवासी और इंतजार नहीं करेंगे। आंदोलन की चेतावनीशहरवासियों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि 25 सितंबर तक फाटक नहीं खोला गया, तो वे रेल रोको आंदोलन करेंगे। इसके तहत स्थानीय लोगों ने तेजाजी महाराज का जागरण और सुंदरकांड का पाठ आयोजित करने की योजना बनाई है, जिससे प्रशासन जागे और उनकी समस्याओं का समाधान करे। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब आठ महीने पहले ओवरब्रिज के निर्माण के चलते रेलवे फाटक बंद कर दिया गया था। अब तक ना तो ओवरब्रिज का काम पूरा हुआ और ना ही फाटक खोला गया, जिससे शहरवासी त्रस्त हो गए हैं।
जयपुर में दर्दनाक हादसा: तीन साल के मासूम अकरम की कार से कुचलकर मौत जयपुर के सांगानेर थाना क्षेत्र के सीताबाड़ी इलाके में एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसमें तीन साल का मासूम अकरम खेलते समय एक कार की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठा। यह घटना रविवार दोपहर करीब एक बजे ड्रीम होम कॉलोनी में हुई।अकरम अपने घर के बाहर सड़क पर खेल रहा था, तभी एक तेज रफ्तार नेक्सन कार अचानक मोड़ से आई और बच्चे को कुचल दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार चालक ने तुरंत गाड़ी रोकी, लेकिन तब तक अकरम की मौत हो चुकी थी।हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने कार चालक को रोका और बच्चे को उसी कार से जयपुरिया हॉस्पिटल ले गए, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।पुलिस ने घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। सांगानेर थाने के SHO किशन लाल ने बताया कि मृतक बच्चा बिहार निवासी अकरम था, जिसके पिता मोहम्मद निसार एक दर्जी हैं और मां शहजादी घरेलू कामकाज करती हैं। परिवार विष्णु गार्डन कॉलोनी में किराए पर रह रहा था।पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस हादसे ने पूरे इलाके में शोक की लहर फैला दी है, और अकरम के परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा के लिए लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है।
MP: क्या PM मोदी की गारंटी होगी फेल? रानी दुर्गावती की प्रतिमा का कद 52 फीट से कम करने की तैयारी वीरांगना रानी दुर्गावती स्मारक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2023 में जबलपुर में वीरांगना रानी दुर्गावती स्मारक और उद्यान का भूमिपूजन किया था। इस परियोजना की लागत 100 करोड़ रुपये है और इसे 31 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। इसमें रानी दुर्गावती की 52 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा भी स्थापित की जानी है, लेकिन अब इस मामले में कुछ अनिश्चितताएं आ गई हैं। प्रतिमा की ऊंचाई कम करने का प्रस्ताव: मध्य प्रदेश सरकार ने रानी दुर्गावती की प्रतिमा की ऊंचाई कम करने की तैयारी कर ली है। हाल ही में मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने यह सुझाव दिया है। जबलपुर नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि 52 फीट ऊंची प्रतिमा की सफाई और रखरखाव में कठिनाई हो सकती है, इसलिए इसकी ऊंचाई घटाने पर जोर दिया जा रहा है। नगर निगम की चिंताएं: नगर निगम के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष तर्क दिया कि उनके पास आवश्यक संसाधन नहीं हैं, जिससे इतनी ऊंची प्रतिमा का रखरखाव किया जा सके। इस वजह से पर्यटन विभाग ने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा की है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दोनों विकल्पों पर विचार करें और प्रस्ताव तैयार करें। प्रधानमंत्री का भूमिपूजन: पीएम मोदी ने जबलपुर में रानी दुर्गावती स्मारक का भूमिपूजन किया था, जिसमें 52 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा की स्थापना की बात कही गई थी। यह प्रतिमा रानी दुर्गावती के बलिदान और उनके शौर्य को दर्शाएगी, जिन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। रानी दुर्गावती का इतिहास: रानी दुर्गावती भारतीय इतिहास की एक महान योद्धा थीं, जिनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 को चंदेल राजवंश में हुआ था। उन्होंने अपने राज्य गोंडवाना की रक्षा के लिए मुगलों से मुकाबला किया और युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुईं। उनकी वीरता और शौर्य के कारण वे भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ चुकी हैं। अधिकारियों का बयान: पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि प्रतिमा की ऊंचाई को लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि डीपीआर का निर्माण होना बाकी है और नगर निगम को प्रतिमा का रखरखाव करना होगा, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि जबलपुर में रानी दुर्गावती की प्रतिमा की ऊंचाई को लेकर चल रही चर्चाओं ने इस स्मारक के निर्माण में अनिश्चितता को जन्म दिया है।
बूंदी: एयरपोर्ट का नाम राजा सूरजमल हाड़ा के नाम पर रखने की मांग, श्री राजपूत करणी सेना ने सरकार को घेरा राजस्थान के बूंदी जिले में राजा सूरजमल हाड़ा की 600 वर्ष पुरानी छतरी के ध्वस्तीकरण के बाद राजपूत समाज से जुड़े लोगों ने कलेक्ट्रेट पर धरना देकर विरोध जताया। इस घटना के विरोध में श्री राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने राजस्थान सरकार पर तीखे आरोप लगाए।मकराना ने कहा कि राजपूत समाज के पूर्वजों की छतरी को असंवैधानिक तरीके से तोड़ा गया है, जिसे समाज के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार राजपूत समाज के इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रही है और समाज के लोगों से आह्वान किया कि यदि सरकार छतरी का पुनर्निर्माण नहीं करती, तो वे खुद घर-घर से ईंटें लेकर राव राजा की छतरी का निर्माण करेंगे।सोमवार को राजपूत समाज और करणी सेना से जुड़े सदस्यों ने बहादुर सिंह सर्कल से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली। कलेक्ट्रेट पहुंचने पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हो गई, जिससे गुस्साई भीड़ ने सड़क जाम कर दी। यह गतिरोध करीब आधे घंटे तक जारी रहा। अंत में, उपखंड अधिकारी एचडी सिंह ने प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचकर ज्ञापन लिया।करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप सिंह खिजुरी ने बताया कि राजपूत समाज में इस घटना को लेकर भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने दो प्रमुख मांगें उठाईं: पहला, एयरपोर्ट का नाम राव सूरजमल हाड़ा के नाम पर रखा जाए, और दूसरा, एयरपोर्ट के मुख्य प्रवेश द्वार पर राव सूरजमल हाड़ा की आदमकद प्रतिमा स्थापित की जाए।धरने के दौरान नरेंद्र सिंह आमली, गजानंद सिंह शेखावत, महिपाल सिंह रिशंदा, बलराज सिंह, बुदेल सिंह राठौड़ और तूफान सिंह ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि केडीए द्वारा छतरी को गिराना बेहद घटिया मानसिकता का परिचय है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि राव राजा के नाम पर एयरपोर्ट का नामकरण नहीं किया गया, तो वे एयरपोर्ट के निर्माण में भी बाधा डालेंगे।
राजस्थान में प्रशासनिक फेरबदल: 186 RAS अधिकारियों के तबादले, कंफ्यूजन की स्थिति राजस्थान में सोमवार रात एक बार फिर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया गया, जिसमें 186 RAS अधिकारियों के तबादले किए गए। यह ध्यान देने योग्य है कि 6 सितंबर को भी 386 RAS अधिकारियों के तबादले हुए थे, लेकिन नई सूची में उनमें से कई के ट्रांसफर निरस्त कर दिए गए, जबकि कुछ अधिकारियों की फिर से तबादला प्रक्रिया की गई।इससे पहले, रविवार रात जारी IAS तबादला सूची में भी ऐसा ही देखने को मिला था, जहां 22 IAS अधिकारियों के ट्रांसफर एक महीने के भीतर ही फिर से किए गए। इस स्थिति ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि भजनलाल सरकार पहले तबादलों पर न करने के लिए आलोचना का सामना कर रही थी, और अब कंफ्यूजन के कारण स्थिति और भी जटिल हो गई है।IAS अधिकारियों की पहली ट्रांसफर लिस्ट 5 सितंबर को जारी की गई थी, जिसमें 108 अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया। फिर, 22 सितंबर को इसी लिस्ट में 22 IAS अधिकारियों को दोबारा बदला गया, जिसमें कुछ के ट्रांसफर को निरस्त भी किया गया। इस लिस्ट में भवानी सिंह देथा, हरिमोहन मीणा, पीयुष सामरिया, राजेंद्र कुमार, शुभम चौधरी, आशीष मोदी, अरुण कुमार हसीजा, और अतुल प्रकाश शामिल हैं।RAS अधिकारियों के लिए यह दूसरी बार तबादला किया गया है, जिसमें कई अधिकारियों को पुनः बदल दिया गया है। जैसलमेर जिला परिषद के सीईओ मुकेश चौधरी, जिन्हें हाल ही में डूंगरपुर से ट्रांसफर कर जैसलमेर का सीईओ बनाया गया था, का अब फिर से ट्रांसफर कर पाली जिला परिषद का सीईओ बना दिया गया है।मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में भी दो बड़े बदलाव हुए हैं। संयुक्त सचिव जसवंत सिंह का ट्रांसफर कर उन्हें बीकानेर के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया है। वहीं, मोहन दान रत्नू और राम सिंह गुर्जर के ट्रांसफर भी निरस्त कर दिए गए हैं।इस फेरबदल में पीएचईडी मंत्री कन्हैया लाल चौधरी के विशेष सहायक लोकेश कुमार सहल को पीएचईडी के संयुक्त सचिव के पद पर लगाया गया है, जबकि उप सचिव शंकरलाल सैनी को कन्हैया लाल चौधरी का नया विशेष सहायक बना दिया गया है। इसके अलावा, वन मंत्री संजय शर्मा के पीएस डॉ. भास्कर बिश्नोई का भी तबादला किया गया है।इन तबादलों ने राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था में अराजकता की स्थिति उत्पन्न कर दी है, और यह देखने की बात होगी कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है।
दौसा: एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त 1150 किलो अवैध मादक पदार्थों का निस्तारण, बाजार मूल्य 80 करोड़ रुपये दौसा जिले में एनडीपीएस एक्ट के तहत की गई कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप जब्त किए गए मादक पदार्थों का सफल निस्तारण किया गया है। पुलिस ने लगभग 1150 किलो अवैध मादक पदार्थों को जलाकर नष्ट किया, जो विभिन्न पुलिस थानों द्वारा की गई करीब 80 कार्रवाइयों के दौरान जब्त किए गए थे।दौसा जिला पुलिस अधीक्षक रंजीता शर्मा ने बताया कि 2017 से अब तक की गई कार्रवाइयों में कुल 1150 किलो मादक पदार्थ जब्त किया गया था। इन पदार्थों का निस्तारण धारा 52ए (2) एनडीपीएस एक्ट के तहत, जिला औषधि व्ययन समिति के सदस्यों की उपस्थिति में दौसा रिजर्व पुलिस लाइन में किया गया।इस प्रक्रिया के दौरान दौसा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल और पुलिस अपराध सहायक सोहनलाल भी मौजूद थे। निस्तारण के समय, मादक पदार्थों का वजन जिला औषधि व्ययन समिति के सदस्यों के सामने करवाया गया और इसकी फोटोग्राफी तथा वीडियोग्राफी की गई, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।जलाए गए मादक पदार्थों की बाजार मूल्य लगभग 80 करोड़ रुपये बताई जा रही है, जो इस अभियान की गंभीरता और प्रभाव को दर्शाती है। पुलिस की यह कार्रवाई न केवल कानून के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि समाज में मादक पदार्थों के खिलाफ चल रही लड़ाई को भी मजबूत बनाती है।
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