Author: UmaKant Joshi

भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच को 7 विकेट से जीतकर दो टेस्ट मैचों की सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली है। पांचवें दिन, बांग्लादेश ने भारतीय टीम को जीत के लिए केवल 95 रनों का लक्ष्य दिया था, जिसे भारत ने 3 विकेट खोकर हासिल कर लिया। इस शानदार जीत के साथ भारतीय टीम ने बांग्लादेश के खिलाफ अपने वर्चस्व को और मजबूत किया। अंतिम दिन की शुरुआत मैच के अंतिम दिन, बांग्लादेश ने चौथे दिन के खेल में 6 विकेट खोकर 195 रन बनाए थे। बांग्लादेश की टीम को भारत ने 231 रनों पर ऑलआउट कर दिया, जिससे भारत को जीत के लिए 95 रनों का आसान लक्ष्य मिला। बांग्लादेश के लिए लिटन दास और शाकिब अल हसन ने कुछ संघर्ष दिखाया, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने उन्हें ज्यादा देर तक टिकने नहीं दिया। बांग्लादेश की दूसरी पारी में अहम योगदान: भारत के लिए रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल ने शानदार गेंदबाजी की। अश्विन ने 4 विकेट लिए, जबकि अक्षर पटेल ने 3 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया। इनके अलावा मोहम्मद सिराज और उमेश यादव ने भी एक-एक विकेट लिया। भारत की दूसरी पारी 95 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम की शुरुआत थोड़ी लड़खड़ा गई, लेकिन अंत में उन्होंने इसे आसानी से हासिल कर लिया। इसके बाद, चेतेश्वर पुजारा (नाबाद 38) और श्रेयस अय्यर (नाबाद 24) ने संयम से खेलते हुए भारत को जीत दिलाई। दोनों ने मिलकर भारतीय पारी को संभाला और अपनी टीम को 7 विकेट से जीत दिलाई। भारत का प्रदर्शन इस सीरीज में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। पहले टेस्ट मैच में भारत ने बांग्लादेश को चेन्नई में 280 रनों से हराया था, और कानपुर में भी शानदार जीत दर्ज की। दोनों टेस्ट मैचों में भारतीय टीम के गेंदबाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, खासकर स्पिनरों ने बांग्लादेशी बल्लेबाजों को काफी परेशान किया। बांग्लादेश का प्रदर्शन बांग्लादेश की टीम ने पहले टेस्ट में भारत के सामने संघर्ष किया था, लेकिन कानपुर टेस्ट में उन्होंने कुछ हद तक अच्छा खेल दिखाया। खासकर उनकी दूसरी पारी में लिटन दास और शाकिब अल हसन ने टीम को एक सम्मानजनक स्थिति तक पहुंचाया, लेकिन उनकी कोशिशें भारत के खिलाफ नाकाफी साबित हुईं। बांग्लादेश के गेंदबाजों ने भी भारतीय बल्लेबाजों को शुरुआती झटके दिए, लेकिन उनका गेंदबाजी आक्रमण भारतीय बल्लेबाजों को दबाव में नहीं रख पाया। मेहदी हसन मिराज ने दूसरी पारी में 2 विकेट लेकर कुछ हद तक भारत के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन वह भारतीय बल्लेबाजी क्रम को रोकने में सफल नहीं रहे। सीरीज जीत का महत्व भारत की इस जीत से टीम का आत्मविश्वास और मजबूत हुआ है। कप्तान रोहित शर्मा की नेतृत्व क्षमता और युवा खिलाड़ियों का प्रदर्शन टीम इंडिया के भविष्य के लिए बेहद सकारात्मक संकेत है। दूसरी तरफ, बांग्लादेश को अपनी गलतियों से सीखने की जरूरत है, खासकर टेस्ट क्रिकेट में वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं। भारत की यह जीत न सिर्फ सीरीज के लिहाज से महत्वपूर्ण थी, बल्कि आने वाले महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों के लिए भी भारतीय टीम का आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है। भारत का प्रदर्शन (मुख्य खिलाड़ी): बांग्लादेश का प्रदर्शन (मुख्य खिलाड़ी): निष्कर्ष भारत की यह जीत उनके लिए एक और ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो भारतीय टीम के निरंतर बेहतरीन प्रदर्शन को दर्शाती है। बांग्लादेश के खिलाफ यह 2-0 से क्लीन स्वीप भारतीय क्रिकेट के मजबूत घरेलू प्रदर्शन की पहचान है।

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राजस्थान के उदयपुर जिले के गोगुंदा क्षेत्र में आदमखोर तेंदुए का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 12 दिनों में तेंदुए ने अब तक 7 लोगों को अपनी भेंट चढ़ा दिया है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल व्याप्त है। वन विभाग के अधिकारियों के लिए यह स्थिति एक गंभीर चुनौती बन गई है, क्योंकि 100 से अधिक कर्मचारी और 125 जवान तेंदुए को पकड़ने के लिए तैनात हैं, लेकिन अब तक उनकी कोशिशें सफल नहीं हो पाई हैं। हालिया हमले की घटना ताजा जानकारी के अनुसार, मंगलवार को गोगुंदा के केलवा के खेड़ा गांव में तेंदुए ने एक महिला, कमला कुंवर राजपूत, पर हमला किया। महिला सुबह घर के पास स्थित अपने बाड़े में पशुओं को चारा डाल रही थी, तभी तेंदुए ने अचानक उस पर हमला कर दिया। बाद में महिला का क्षत-विक्षत शव बाड़े के पास मिला। यह घटना क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर चिंताओं को और बढ़ा रही है। इसके अलावा, इसी गांव के पास स्थित चल मंदिर के बाहर सो रहे एक पुजारी को भी तेंदुए ने उठाया था। यह घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि तेंदुआ अब आबादी के करीब आ चुका है, जिससे ग्रामीणों में भय और असुरक्षा का वातावरण बन गया है। वन विभाग की स्थिति वन विभाग के कर्मचारी तेंदुए की तलाश में जुटे हुए हैं, लेकिन उनके प्रयासों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है। तेंदुए के आतंक के कारण ग्रामीण अब अपने दैनिक कार्यों में भी हिचकिचा रहे हैं। इससे पहले की घटनाओं में तेंदुए ने एक अन्य युवक और कई मवेशियों को भी अपना शिकार बनाया था, जिससे इलाके में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सुरक्षा उपायों की कमी इस संकट को ध्यान में रखते हुए, वन विभाग ने सुरक्षा उपायों को बढ़ाने का निर्णय लिया है। कई गांवों में चौकसी बढ़ाई गई है, और ग्रामीणों को तेंदुए की गतिविधियों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसके बावजूद, ग्रामीणों में बढ़ती असुरक्षा की भावना को कम करने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है। वन विभाग को चाहिए कि वे तकनीकी संसाधनों का इस्तेमाल करें, जैसे कि ट्रैप कैमरे और ड्रोन की मदद से तेंदुए की निगरानी करें। निष्कर्ष उदयपुर के गोगुंदा क्षेत्र में आदमखोर तेंदुए का आतंक न केवल वन्यजीवों के संरक्षण के लिए चुनौती है, बल्कि यह स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। वन विभाग को चाहिए कि वे त्वरित कार्रवाई करें और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही, लोगों को तेंदुए से बचने के उपायों के बारे में भी जागरूक करना चाहिए, ताकि इस संकट को प्रभावी ढंग से सुलझाया जा सके।

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टीकमगढ़ जिले के भगतपुरा गांव में तंत्र क्रिया की घटनाओं के बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हाल ही में इस गांव में तंत्र क्रिया के चलते दो लोगों की मृत्यु हुई थी, जिसके बाद स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष कैंप आयोजित करने का निर्णय लिया है। मलेरिया अधिकारी ने गांव में पहुंचकर लार्वा का परीक्षण किया और ग्रामीणों के सैंपल लिए, जिनमें कुछ लोग डेंगू से संक्रमित पाए गए हैं। तंत्र क्रिया से फैलती दहशत भगतपुरा गांव में तंत्र क्रिया के आरोपों के चलते ग्रामीणों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। गांव में शाम होते ही सन्नाटा छा जाता है, और लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन की टीम ने हाल ही में गांव का दौरा किया, जहां अधिकारियों ने मृतकों के मेडिकल दस्तावेज पेश करते हुए बताया कि एक व्यक्ति की मौत डेंगू से और दूसरे की हड्डी बुखार से हुई है। हालांकि, ग्रामीण अब भी प्रशासन की बात पर विश्वास नहीं कर रहे हैं और मौतों को तंत्र क्रिया से जोड़कर देख रहे हैं। स्वास्थ्य टीम की पहल मलेरिया अधिकारी हरिमोहन रावत ने बताया कि उनकी टीम ने भगतपुरा गांव में आठ लोगों के सैंपल लिए, जिनमें से चार लोग डेंगू से संक्रमित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अंधविश्वास के कारण कई लोग सैंपल देने के लिए तैयार नहीं थे। जिन चार लोगों में डेंगू के लक्षण पाए गए, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई, लेकिन ग्रामीण अभी भी इस बात पर यकीन नहीं कर रहे हैं कि उनके बीमार होने का कारण तंत्र क्रिया है। लार्वा का परीक्षण हरिमोहन रावत ने जानकारी दी कि गांव के 60 घरों में लार्वा परीक्षण किया गया, जिसमें 26 घरों में डेंगू के लार्वा पाए गए। मृतकों के घरों की पानी की टंकियों में भी डेंगू के लार्वा की मौजूदगी मिली। इसके अलावा, पलेरा ब्लॉक के बीसीएम कुणाल चतुर्वेदी और आशा सुपरवाइजर रानी पटेरिया को लार्वा टेस्ट और लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वे अपने कार्य में लापरवाह रहे हैं। पुलिस की रात्रि गश्त पलेरा पुलिस थाने के प्रभारी मनीष मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने गांव में जागरूकता बढ़ाने और दहशत कम करने के लिए रात्रि गश्त का आयोजन किया है। पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों को समझाया कि उन्हें अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए और उनकी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए। निष्कर्ष इस घटना ने न केवल भगतपुरा गांव में स्वास्थ्य मुद्दों को उजागर किया है, बल्कि अंधविश्वास के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता भी सामने रखी है। स्वास्थ्य और प्रशासनिक टीमों की कोशिशें इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं, लेकिन ग्रामीणों को सुरक्षित रखने और उनकी मानसिकता में बदलाव लाने के लिए लगातार प्रयास की आवश्यकता है।

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आज जहाजपुर में हिन्दू संगठनों द्वारा आयोजित महापड़ाव के कारण पूरा कस्बा बंद है। प्रशासन ने इस आयोजन के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है, जिसमें 400 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। महापड़ाव के लिए लोगों का पहुंचना शुरू हो गया है, और स्थानीय नागरिकों का समर्थन व्यापक रूप से मिल रहा है। जलझूलनी एकादशी पर पथराव का विरोध यह महापड़ाव जलझूलनी एकादशी पर भगवान पीतांबर राय के बेवाण पर हुए पथराव की घटना के विरोध में आयोजित किया गया है। जानकारी के अनुसार, बेवाण के जुलूस के दौरान जामा मस्जिद से पत्थरबाजी की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ 12 सूत्रीय मांगों के साथ महापड़ाव का आह्वान किया है। इन संगठनों ने इस हमले को सुनियोजित षड्यंत्र बताते हुए अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सुरक्षा व्यवस्थाएं और आयोजन की तैयारियां महापड़ाव को सफल बनाने के लिए स्थानीय विधायक गोपीचंद मीणा और हिन्दू संगठनों ने पिछले एक सप्ताह से प्रयास किए हैं। पुलिस प्रशासन ने कस्बे में सभी प्रवेश मार्गों पर बैरिकेड्स लगाए हैं और बड़े वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। महापड़ाव के दौरान एक विशाल पंडाल भी बस स्टैंड पर तैयार किया गया है, जहां संतों की उपस्थिति रहेगी। श्रद्धालुओं की विशेष सेवाएं महापड़ाव में शामिल होने के लिए शाहपुरा जिले भर से हजारों लोगों के आने की संभावना है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भोजन के पैकेट प्रदान किए जाएंगे। आयोजन का नेतृत्व संतों द्वारा किया जाएगा, जिससे कार्यक्रम की महत्ता और बढ़ गई है। प्रशासन की निष्क्रियता पर नाराजगी बेवाण पर पथराव की घटना के बाद समग्र हिन्दू समाज ने जिला प्रशासन को 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिसमें अवैध अतिक्रमण हटाने और पत्थरबाजों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी। हालांकि, प्रशासन ने तीन दिनों के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन समय बीतने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसके चलते समग्र हिन्दू समाज ने प्रशासन की निष्क्रियता और मुस्लिम समाज के कथित दबाव के चलते उचित कार्रवाई न होने पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। निष्कर्ष जहाजपुर में आज का महापड़ाव न केवल धार्मिक संवेदनाओं को दर्शाता है, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था के प्रति लोगों की चिंताओं को भी उजागर करता है। कार्यक्रम की सफलता और शांतिपूर्ण संचालन के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से पूरी तैयारी की गई है। सभी की निगाहें आज के इस महापड़ाव पर टिकी हुई हैं, जिससे यह स्पष्ट होगा कि स्थानीय समुदाय की आवाज कितनी प्रभावशाली होती है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत 2 अक्टूबर से 5 दिनों के लिए राजस्थान के दौरे पर रहेंगे। इस यात्रा के दौरान उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन संघ के पदाधिकारियों के साथ उनकी बैठकें महत्वपूर्ण रहेंगी। यात्रा का कार्यक्रम डॉ. भागवत 2 अक्टूबर की शाम को कोटा पहुंचेंगे और 6 अक्टूबर तक बारां में रहेंगे। अपने इस पांच दिवसीय दौरे में, वह संघ के कामकाज की समीक्षा के लिए आरएसएस के प्रांत प्रचारकों और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठकें करेंगे। बैठकें राजस्थान और चित्तौड़ प्रांत के आरएसएस पदाधिकारियों के साथ आयोजित की जाएंगी, जहां संघ के कार्यों और भविष्य की योजनाओं पर मंथन किया जाएगा। शताब्दी वर्ष की तैयारी डॉ. भागवत का यह दौरा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष की तैयारियों से संबंधित है। आरएसएस की स्थापना अप्रैल 1925 में हुई थी, और 2025 में यह शताब्दी वर्ष पूरा होगा। इस अवसर पर संघ विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बना रहा है, और डॉ. भागवत पूरे राजस्थान क्षेत्र तथा चित्तौड़ प्रांत की कार्ययोजना की समीक्षा करेंगे। सुरक्षा और व्यवस्थाएं भागवत के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा व्यवस्था, ठहरने और बैठकों में भाग लेने वाले पदाधिकारियों के लिए सभी आवश्यक इंतजाम भी आरएसएस द्वारा किए जा रहे हैं। संघ इस दौरे को लेकर पूरी तरह से तैयार है, ताकि डॉ. भागवत के कार्यों को सुचारू रूप से अंजाम दिया जा सके। निष्कर्ष डॉ. मोहन भागवत का यह प्रवास न केवल संघ के कार्यों की समीक्षा का एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि यह शताब्दी वर्ष की तैयारी के संदर्भ में संघ के भविष्य की दिशा तय करने में भी सहायक होगा। आरएसएस के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिए यह दौरा मंथन और रणनीतिक विचार-विमर्श का एक अनूठा मौका प्रदान करेगा।

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मध्य प्रदेश में सितंबर महीने में मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म की वारदात लगातार सामने आईं है। राजधानी भोपाल, हरदा और रतलाम में बच्चियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटनाओं ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी। रतलाम के एक प्राइवेट स्कूल में पांच साल की बच्ची से हुए रेप के मामले में बीते दिन अभिभावकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। यूकेजी की बच्ची के साथ हुए यौन शोषण के मामले की जांच के लिए रतलाम एसपी अमित कुमार ने एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) का गठन कर दिया है। वहीं, पांच दिन के लिए स्कूल को सील कर दिया गया है। इस बीच स्कूल को सुरक्षा के सभी इंतजाम पूरे करने होंगे। जांच के बाद ही स्कूल दोबारा खोला जा सकेगा। वहीं, एसआईटी मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। इस घटना को चिन्हित और सनसनी खेज केस में लिया गया है।   सबसे पहले जानिए क्या है मामला? रतलाम शहर के औद्योगिक थाना क्षेत्र में संचालित एक निजी स्कूल में यूकेजी में पढ़ने वाली पांच साल की बच्ची को तीन दिन तेज बुखार आ रहा था, उसे टॉयलेट करने में भी तकलीफ हो रही थी। 27 सितंबर की रात बच्ची टॉयलेट के लिए उठी तो उसने अपनी मौसी को बताया कि उसे प्राइवेट पार्ट पर जलन हो रही है। बच्ची की मौसी ने उसकी  मां को इसकी जानकारी दी। मां ने बच्ची से पूछा तो उससे बताया कि स्कूल में एक लड़का गंदी काम करता है। आधी रात को यह सुनकर मां के होश उड़ गए। उन्होंने बच्ची को संभाला और सुबह होते ही बच्ची के पिता और भाई को इसकी जानकरी दी। परिजन बच्ची को लेकर स्कूल गए, जहां वह उन्हें स्कूल की तीसरी मंजिल पर बने कमरे में ले गई, जहां उसके साथ गलत हरकत की गई थी। इस दौरान बच्ची ने स्कूल में मौजूद बाल अपचारी को भी पहचान लिया और इशारा कर बताया कि उसी ने कपड़े उतारकर मेरे साथ गंदा काम किया था। यह बाल अपचारी स्कूल के कर्मचारी का बेटा है, जो उसी स्कूल में कक्षा 10वीं का छात्र है। आरोपी ने स्कूल की तीसरी मंजिल पर बने अपने कमरे में बच्ची के साथ यौन शौषण किया था। जिससे बच्ची को तेज बुखार रहा और टॉयलेट करने में भी तकलीफ हो रही थी। मां ने पुलिस को दी शिकातय में बताया है कि 24 सितंबर को स्कूल के समय में बाल अपचारी ने उसकी बेटी के साथ यौन शोषण किया था। इसके बाद पुलिस ने आरोपी बाल अपचारी को बाल संप्रेषण गृह भेज दिया। विरोध कर परिजनों ने डायरेक्टर और प्रिंसिपल से पूछे ये सवाल?इधर, सोमवार को मामले की जांच में लापरवाही और स्कूल में सुरक्षा के इंतजाम करने की मांग को लेकर बीते सोमवार को बच्ची के परिजनों और अन्य अभिभावकों ने स्कूल का घेराव कर लिया। सोमवार सुबह मासूम बच्ची के परिजनों के साथ बड़ी संख्या में अन्य अभिभावक भी स्कूल पहुंच गए। जहां, उन्होंने स्कूल प्रबंधन से बच्चे बच्चियों की सुरक्षा को लेकर परिजनों ने सवाल जवाब किए, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा संतुष्टिपूर्वक जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद परिजनों और अभिभावकों का आक्रोश बढ़ गया। यहां अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया और स्कूल के सामने सड़क पर धरने पर बैठ गए। हंगामे की सूचना पर एसडीएम अनिल भाना, तहसीलदार ऋषभ ठाकुर, सीएसपी अभिनव वारंगे, आईए थाना प्रभारी वीडी जोशी बल के साथ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने अभिभावकों से चर्चा की, लेकिन अभिभावक स्कूल डायरेक्टर राकेश देसाई, प्रिंसिपल श्वेता विंचुरकर और क्लास टीचर के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। इस बीच कुछ पेरेंट्स स्कूल के ऑफिस में घुस गए और स्कूल डायरेक्टर राकेश देसाई, प्रिंसिपल श्वेता विंचुरकर को घेर लिया। पेरेंट्स पूछने लगे कि बच्चियां स्कूल आएंगी, तो स्कूल में क्या सुरक्षा दी जाएगी? आप गारंटी लेते हो? स्कूल में ऊपरी मंजिल पर सीसीटीवी क्यों नहीं है। पेरेंट्स की मांग है कि पूरे स्कूल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। हमें भी उसकी आईडी दी जाए, ताकि हम समय समय पर बच्चों को देख सकें। अब तक क्या कार्रवाई हुई?

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मुरैना नगर निगम की महापौर शारदा सोलंकी, जिन्होंने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर महापौर पद संभाला था, अब एक विवाद में फंस गई हैं। उनकी 10वीं कक्षा की मार्कशीट को फर्जी घोषित करते हुए जिला कोर्ट ने पुलिस को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। चुनावी पृष्ठभूमि शारदा सोलंकी ने 2020 के नगर निगम चुनावों में भाजपा प्रत्याशी मीना जाटव को हराकर महापौर का पद प्राप्त किया। इसके बाद वे लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के साथ भाजपा में शामिल हो गई थीं। उनके भाजपा में शामिल होने के समय, मीना जाटव ने उनके खिलाफ 10वीं की मार्कशीट और जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताने का आरोप लगाया था, जिसके लिए उन्होंने कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। कोर्ट की सुनवाई हालांकि, मीना जाटव अपने आरोप के तहत शारदा सोलंकी का जाति प्रमाण पत्र गलत साबित करने में असफल रहीं, लेकिन कोर्ट ने 10वीं की अंकसूची में गड़बड़ी को साबित कर दिया। शारदा सोलंकी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में धारा 420, 67 और 68 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया है। फर्जी मार्कशीट की जानकारी शारदा सोलंकी ने जिस स्कूल से 1986 में 10वीं पास करने का दावा किया है, उस स्कूल प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि उस वर्ष इस नाम का कोई भी विद्यार्थी उनके विद्यालय में नहीं था। आईटीआई के तहत मिली जानकारी में सामने आया कि उनकी मार्कशीट पर जो रोल नंबर दिया गया है, वह किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर है। उस व्यक्ति ने किसी परीक्षा में भाग नहीं लिया था। इसके तहत पाया गया कि शारदा सोलंकी को इस छात्र के रोल नंबर पर स्वाध्यायी छात्र बताकर पास घोषित किया गया है। स्कूल और शिक्षा बोर्ड की स्थिति याचिकाकर्ता के वकील किशोरीलाल गुप्ता ने बताया कि जिस स्कूल से महापौर की अंकसूची बनी है, उसने भी इस अंकसूची को गलत ठहराया है। उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने भी यह स्पष्ट किया है कि उक्त रोल नंबर किसी नरोत्तम नाम के युवक का है, जो सभी विषयों में फेल है। राजनीतिक प्रभाव शारदा सोलंकी का यह विवाद न केवल उनकी राजनीतिक छवि पर असर डाल रहा है, बल्कि भाजपा में उनके समर्पण और वफादारी पर भी सवाल खड़े कर रहा है। जब उन्होंने कांग्रेस से भाजपा में कदम रखा था, तब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि राजनीतिक गठबंधनों और आरोपों के बीच सचाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। निष्कर्ष महापौर शारदा सोलंकी का मामला एक महत्वपूर्ण राजनीतिक विवाद बन चुका है, जो उनकी भविष्य की राजनीतिक यात्रा को प्रभावित कर सकता है। इस समय मुरैना में यह मामला चर्चा का केंद्र बना हुआ है, और सभी की निगाहें कोर्ट के अगले आदेशों पर हैं। इस घटनाक्रम ने यह दर्शाया है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और व्यक्तिगत प्रमाण पत्रों की सत्यता कितनी महत्वपूर्ण होती है।

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सागर जिले के मालथौन थाना पुलिस ने नेशनल हाईवे 44 पर एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए मवेशियों से भरे एक कंटेनर को पकड़ा। इस कंटेनर में 69 मवेशियों को ठूंस-ठूंस कर भरकर यूपी के इटावा से केरल ले जाया जा रहा था। पुलिस को मिली गुप्त सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की गई, जिसमें मौके से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। घटना का विवरण थाना प्रभारी योगेंद्र सिंह दांगी ने बताया कि मालथौन पुलिस को सूचना मिली थी कि एक कंटेनर में बड़ी संख्या में मवेशियों को अवैध रूप से केरल भेजा जा रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए नेशनल हाईवे 44 पर घेराबंदी की। जैसे ही कंटेनर (क्रमांक RJ 44 GA 2885) वहां से गुजरा, पुलिस ने उसे रोक लिया। तलाशी लेने पर उसमें 69 मवेशियों को ठूंस-ठूंस कर भरा पाया गया। आरोपी और उनकी गिरफ्तारी पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के इटावा से केरल के लिए मवेशियों को ले जा रहे थे। पकड़े गए आरोपियों की पहचान ट्रक ड्राइवर सूफयान (पिता फजलू रहमान कुरैशी, निवासी केतीपुरा, वार्ड नंबर 19, थाना वागपत, जिला बागपत), वकील (पिता इलयास, निवासी ग्राम रनियाला पाठकपुर, जिला नूह मेवात, हरियाणा), इरसाद (पिता जमाल, निवासी बाजिदपुर, जिला नूह मेवात, हरियाणा), दाऊद (पिता मेहरवान अली, निवासी वार्ड नंबर 6, शामली, जिला शामली, उत्तर प्रदेश), और रासिद (पिता हाजीशहीद कुरैशी, निवासी बरनामा, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश) के रूप में की गई। पुलिस ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है ताकि इस अवैध व्यापार के पीछे के अन्य लोगों का पता लगाया जा सके। मवेशियों की सुरक्षा मवेशियों को पुलिस ने खिमलासा स्थित दयोदय पशु सेवा केंद्र में रखा, जहां उनकी देखभाल की जा रही है। बजरंग दल और गौ सेवा समिति के सदस्यों ने पुलिस की इस अभियान में मदद की और मवेशियों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का कार्य किया। मौके पर पशु चिकित्सक संदीप बाथरी, रामकिशन सेन, प्रदुमन यादव, रामरतन यादव, अंशुल कुशवाहा, और वीरेंद्र यादव भी उपस्थित रहे। अवैध मवेशी तस्करी का बढ़ता खतरा यह घटना मवेशी तस्करी के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। यूपी से केरल तक मवेशियों की अवैध रूप से तस्करी करने का मामला कई बार सामने आया है, लेकिन इस बार सागर पुलिस की सतर्कता और तत्पर कार्रवाई के चलते यह बड़ा गिरोह पकड़ा गया। मवेशियों को अक्सर खराब हालात में और बिना उचित देखभाल के लाया जाता है, जिससे उनकी जान को खतरा होता है। पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और इस गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। निष्कर्ष मालथौन पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई ने न केवल अवैध मवेशी तस्करी को रोका है, बल्कि एक बड़े आपराधिक गिरोह को बेनकाब किया है। सागर जिले में यह एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जो अवैध मवेशी तस्करी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत है।

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नागौर जिले के डीडवाना में एक गंभीर घटना सामने आई है, जिसमें नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोपी को पकड़ने पहुंची पुलिस पर उसके परिजनों ने हमला कर दिया। पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट की गई, और उनकी निजी गाड़ी पर पथराव कर शीशे तोड़ दिए गए। इस हमले में पुलिसकर्मी मामूली रूप से घायल हुए हैं। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पॉक्सो एक्ट के तहत वांछित व्यक्ति भी शामिल है। घटना का विवरण यह घटना मारोठ थाना क्षेत्र के दौलतपुरा गांव के पास मालियों की ढाणी में हुई। मारोठ थाना पुलिस सिविल ड्रेस और निजी गाड़ी में नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोप में वांछित आरोपी को पकड़ने गई थी। जैसे ही पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश की, उसके परिजनों ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया। परिजनों ने न केवल पुलिसकर्मियों को बंधक बनाया, बल्कि उनके साथ मारपीट भी की। इसके अलावा, पुलिस की निजी गाड़ी पर पथराव कर उसकी खिड़कियों और शीशों को क्षतिग्रस्त कर दिया। डीडवाना पुलिस की त्वरित कार्रवाई घटना की जानकारी मिलते ही डीडवाना थाना पुलिस तत्काल जाप्ते के साथ मौके पर पहुंची। पुलिस ने मौके से न केवल बंधक बनाए गए पुलिसकर्मियों को सुरक्षित निकाला, बल्कि 5 लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में वह व्यक्ति भी शामिल है, जो पॉक्सो एक्ट के तहत फरार था। प्रशासन का बयान जिला पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद मीणा ने बताया कि पुलिसकर्मियों से मारपीट करने और उन्हें बंधक बनाने के आरोप में आरोपियों पर “राजकार्य में बाधा” का मामला दर्ज किया गया है। इस प्रकार की घटनाएं कानून व्यवस्था को चुनौती देती हैं, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिसकर्मियों पर हमला: एक गंभीर अपराध पुलिसकर्मियों पर हमला और उन्हें बंधक बनाने की घटना ने स्थानीय कानून व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। पुलिस का कहना है कि इस तरह की घटनाएं कानून के प्रति आम जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं। पुलिस की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाया जाएगा और आरोपियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। निष्कर्ष इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून का उल्लंघन करने वाले चाहे जो भी हों, पुलिस उन्हें कानून के दायरे में लाने के लिए पूरी तरह से तत्पर है। नागौर में हुई इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन का सख्त रुख और त्वरित कार्रवाई से यह संदेश गया है कि कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

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जहाजपुर: जलझूलनी एकादशी पर पीतांबर श्याम भगवान के बेवाण पर हुए पथराव के मामले में प्रशासन के ढीले रवैये के खिलाफ समग्र हिंदू समाज ने एक अक्टूबर को महापड़ाव की चेतावनी दी है। जहाजपुर कस्बे में इस घटना के बाद से हिंदू संगठनों में नाराजगी बनी हुई है, क्योंकि प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पथराव की घटना जलझूलनी एकादशी के दिन, जब पीतांबर श्याम भगवान का बेवाण किले के मंदिर से निकला, तब उस पर पथराव किया गया। इस घटना ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया और हिंदू समाज ने तीन दिनों तक धरना दिया। प्रशासन से वार्ता के बाद आश्वासन दिया गया था कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। महापड़ाव का ऐलान हिंदू संगठनों ने अब एक बड़ी बैठक की और एक अक्टूबर को जहाजपुर बस स्टैंड पर महापड़ाव आयोजित करने का निर्णय लिया। इस महापड़ाव में लगभग एक लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो मेवाड़ क्षेत्र में बंद का आह्वान किया जाएगा। प्रशासन पर आरोप प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद प्रमुख हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रशासन पर असहयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि घटना के 14 दिन बीतने के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने स्पष्ट किया कि महापड़ाव एक शांतिपूर्ण आंदोलन होगा, लेकिन यदि प्रशासन ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, तो आंदोलन को उग्र किया जाएगा। बैठक और रणनीति महापड़ाव की तैयारियों के तहत कल्याणजी मंदिर में हिंदू संगठनों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में महापड़ाव के लिए रणनीति बनाई गई और यह तय किया गया कि हजारों लोग शांतिपूर्ण तरीके से अपने मांगों को प्रशासन के सामने रखेंगे। निष्कर्ष यह घटना न केवल जहाजपुर बल्कि समूचे मेवाड़ क्षेत्र में धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम कर रही है। हिंदू समाज ने अपनी एकता और संगठित प्रयासों से प्रशासन पर दबाव बनाने का निर्णय लिया है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस स्थिति का समाधान कैसे करता है।

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