Author: UmaKant Joshi

Rajasthan News, Hindi News: ओजस्वी गुप्ता, जो इंदौर की रहने वाली और NIT Trichy में पढ़ने वाली एक मेधावी छात्रा थी, 17 दिनों से लापता है। उसने JEE परीक्षा में देश भर में 72वीं रैंक हासिल की थी और NIT Trichy में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थी। 15 सितंबर को आखिरी बार उसे कॉलेज परिसर से बाहर जाते हुए CCTV में देखा गया था, और तब से उसका कोई सुराग नहीं मिला है। ओजस्वी के लापता होने से पहले उसने चार पन्नों का एक नोट छोड़ा था, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें लिखी हैं। उसने इस नोट में मानसिक तनाव और क्लास रिप्रेजेंटेटिव (CR) बनने के बाद से कुछ लोगों द्वारा उसे टॉर्चर किए जाने का भी उल्लेख किया है। इसके बाद से ही ओजस्वी गायब है। परिवार की आखिरी बातचीत ओजस्वी के पिता नरेश गुप्ता ने बताया कि 14 सितंबर को उनकी बेटी से आखिरी बार बात हुई थी। उस समय ओजस्वी ने बताया था कि उसे क्लास रिप्रेजेंटेटिव बना दिया गया है और पढ़ाई का दबाव अधिक हो गया है, लेकिन उसने किसी गंभीर समस्या का जिक्र नहीं किया था। अगले दिन जब ओजस्वी से संपर्क नहीं हो पाया, तो परिवार को एनआईटी से कॉल आया कि वह लापता है। क्या कहता है आखिरी नोट? ओजस्वी के कमरे में मिले चार पन्नों के नोट में उसने अपने तनाव के बारे में विस्तार से लिखा है। उसने CR बनने के बाद से बढ़ते मानसिक दबाव और कुछ लोगों द्वारा उसे तंग करने का भी उल्लेख किया। हॉस्टल की अन्य लड़कियों ने बताया कि वह 15 सितंबर की रात तक उनके साथ पढ़ाई कर रही थी, लेकिन अगली सुबह जब वे जागे, तो वह कमरे में नहीं थी। उसके कमरे में मिले इस नोट से यह स्पष्ट होता है कि वह लंबे समय से मानसिक परेशानी का सामना कर रही थी। पुलिस और परिवार की तलाश जारी तमिलनाडु पुलिस और ओजस्वी के परिवार की ओर से उसे ढूंढने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। ओजस्वी के परिजनों ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से मदद की गुहार लगाई है। ओजस्वी के लापता होने के कारणों पर पुलिस जांच कर रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है। सवाल खड़े करती घटना ओजस्वी गुप्ता का लापता होना केवल एक छात्रा का गायब होना नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई के साथ मानसिक दबाव और प्रतियोगिता का तनाव छात्रों पर भारी पड़ता है। ओजस्वी जैसे होनहार छात्रों की मानसिक स्थिति को समझने और उनके साथ सहानुभूति से पेश आने की जरूरत है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को झारखंड के हजारीबाग में ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ का शुभारंभ किया। इस महत्वपूर्ण योजना का उद्देश्य आदिवासी समाज के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कुल 83,700 करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया, जो आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आदिवासियों को प्राथमिकता देना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के तहत देश के 549 जिलों में 79,150 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे 65,000 गांवों के पांच करोड़ से अधिक आदिवासी लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर पीएम मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की धरती से इस योजना की शुरुआत पर प्रसन्नता जाहिर की और कहा कि गांधी जी का भी यही सपना था कि आदिवासी समाज का विकास हो, तभी देश का समग्र विकास संभव है। 83,700 करोड़ रुपये की योजनाओं का शुभारंभ हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने 83,700 करोड़ रुपये की योजनाओं का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यह योजनाएं आदिवासी समाज को प्रगति के समान अवसर प्रदान करेंगी। पीएम मोदी ने इस अवसर पर यह भी बताया कि पिछले साल भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर शुरू की गई पीएम जन मन योजना के तहत झारखंड में 950 गांवों में हर घर में जल पहुंचाने का काम पूरा किया जा चुका है। आदिवासी समाज को प्राथमिकता प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “आदिवासी समाज का विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता है और यह योजना इसका जीवंत प्रमाण है।” मोदी ने इस अवसर पर कहा कि उनकी सरकार आदिवासी युवाओं को सशक्त बना रही है और उन्हें आगे बढ़ने के सभी अवसर प्रदान कर रही है। हेमंत सोरेन सरकार पर हमला पीएम मोदी ने हजारीबाग के गांधी मैदान में आयोजित भाजपा की परिवर्तन महारैली को संबोधित करते हुए राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने भ्रष्टाचार, जमीन की लूट, कोयला माफिया, ट्रांसफर उद्योग और आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर राज्य सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। महिला की पीएम से मिलने की कोशिश कार्यक्रम के दौरान एक दिलचस्प घटना हुई, जब कोडरमा की रहने वाली कुसुम साहू नामक महिला ने पीएम मोदी से मिलने की कोशिश की। महिला मंच के पास पहुंच गई थी और उसने साउंड बॉक्स पर चढ़कर अपनी मांगों को सामने रखने का प्रयास किया। पीएम मोदी ने तुरंत सुरक्षाकर्मियों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया और महिला को शांतिपूर्वक नीचे उतारने को कहा। बाद में, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि महिला पीएम को ज्ञापन सौंपना चाहती थी। निष्कर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झारखंड दौरा आदिवासी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित हुआ है। उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं यह दर्शाती हैं कि आदिवासी समाज को सशक्त बनाने और उन्हें प्रगति के समान अवसर प्रदान करने की दिशा में सरकार प्रतिबद्ध है। इस दौरे से यह भी स्पष्ट होता है कि झारखंड और देश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों का विकास उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। राजस्थान की राजनीति में भी चर्चा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आदिवासियों के विकास पर दिए गए जोर का असर केवल झारखंड तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राजस्थान जैसे राज्यों में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है। राजस्थान में भी आदिवासी समाज को प्राथमिकता दी जा रही है और सरकार की योजनाओं से उन्हें लाभ पहुंचाने की कोशिशें जारी हैं।

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हरियाणा विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है और आज यानी 3 अक्टूबर को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। इस चुनावी माहौल में जहां नेता और उम्मीदवार मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, वहीं कई दलबदलू नेताओं की जुबान फिसल रही है। दिलचस्प बात यह है कि ये नेता कभी अपनी पार्टी की नीतियों की आलोचना करते हुए विरोधी पार्टी की तारीफ करने लगते हैं, तो कभी अपनी पुरानी पार्टी के लिए वोट की अपील कर बैठते हैं। ऐसे नेता और उम्मीदवारों की सूची में अधिकतर नाम दलबदलुओं के हैं। आइए नजर डालते हैं उन घटनाओं पर जब उम्मीदवार और नेता प्रतिद्वंद्वी पार्टी के लिए वोट मांगते नजर आए। डॉक्टर एमएल रंगा का बयान रेवाड़ी की बावल सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार डॉक्टर एमएल रंगा पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने गलती से अपनी ही पार्टी की आलोचना कर दी। डॉक्टर रंगा ने कहा, “मुझे तो ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की दमनकारी नीतियों और कुरीतियों से पूरा विधानसभा क्षेत्र और प्रदेश परेशान है।” यह सुनकर उनके ही साथी ने उन्हें याद दिलाया कि वे खुद कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। इसके बाद रंगा ने अपनी गलती सुधारी और कहा कि कांग्रेस की नीतियां बेहतर हैं जबकि बीजेपी की नीतियां दमनकारी हैं। बलवान दौलतपुरिया की गलती फतेहाबाद सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बलवान दौलतपुरिया ने भी चुनाव प्रचार के दौरान कुछ ऐसा ही कर दिया। लंबे समय तक इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के साथ रहे बलवान एक जनसभा में भाषण देते वक्त भूलवश हाथ की जगह चश्मे के निशान पर बटन दबाने की अपील कर गए। INLD का चुनाव चिन्ह चश्मा है और बलवान दौलतपुरिया अपने पुराने सहयोगी दल के निशान का नाम ले बैठे। महावीर गुप्ता और निशान सिंह का बयान कुछ इसी तरह महावीर गुप्ता और निशान सिंह जैसे नेता भी चुनावी माहौल में अपनी पुरानी पार्टी की तारीफों में लग गए। बीजेपी से जुड़े महावीर गुप्ता ने एक जनसभा में अपने भाषण के दौरान कांग्रेस की नीतियों की प्रशंसा कर दी। वहीं, कांग्रेस के नेता निशान सिंह ने भी चुनावी रैली में गलती से बीजेपी की नीतियों को सराहनीय बता दिया। राजनीति में दलबदल और जुबान फिसलने की घटनाएं हरियाणा चुनाव में नेताओं की जुबान फिसलने के ऐसे कई किस्से सामने आ रहे हैं, जिनमें अधिकतर दलबदलू नेता हैं। राजनीति में दलबदल कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब नेता अपनी पुरानी पार्टी की नीतियों की तारीफ या नई पार्टी की आलोचना करते दिखते हैं, तो यह चुनावी मैदान में चर्चा का विषय बन जाता है। चुनावी महत्त्व और राजस्थान की राजनीति में भी चर्चा हरियाणा के चुनावी परिदृश्य में इस तरह की घटनाएं न केवल राज्य के भीतर बल्कि अन्य राज्यों जैसे राजस्थान की राजनीति में भी चर्चा का विषय बन रही हैं। दलबदल के चलते नेताओं की जुबान फिसलना दिखाता है कि राजनीति में दल बदलने के बाद नए दल की नीतियों को पूरी तरह से समझना और उसके अनुसार खुद को ढालना आसान नहीं होता। राजस्थान और हरियाणा की राजनीति में ऐसे कई दलबदलू नेताओं के उदाहरण हैं, जिन्होंने पहले एक पार्टी की नीतियों का समर्थन किया, लेकिन अब विरोधी दल में शामिल होने के बाद अपनी पुरानी पार्टी की आलोचना करना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि चुनाव के दौरान किसी भी नेता या उम्मीदवार की एक छोटी सी गलती चुनावी माहौल को बदल सकती है।

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आज का दिन उदयपुर के लिए खास है, क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू यहां मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षांत समारोह में भाग लेने आ रही हैं। यह महत्वपूर्ण आयोजन विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित होगा, जहां राष्ट्रपति के साथ-साथ राजस्थान के राज्यपाल हरीभाऊ किसनराव बागड़े भी उपस्थित रहेंगे। इस दीक्षांत समारोह में 85 मेधावी विद्यार्थियों को कुल 102 गोल्ड मेडल प्रदान किए जाएंगे। दीक्षांत समारोह का कार्यक्रम मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का यह दीक्षांत समारोह सुबह 11 बजे शुरू होगा। सभी उपस्थित विद्यार्थियों और आगंतुकों को 9:30 बजे तक कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। इस विशेष अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया, साथ ही उपमुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा भी अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। गोल्ड मेडल्स का वितरण इस दीक्षांत समारोह में 85 विद्यार्थियों को 102 गोल्ड मेडल प्रदान किए जाएंगे, जिनमें से 16 छात्र और 69 छात्राएं शामिल हैं। इनमें 8 चांसलर मेडल भी दिए जाएंगे, जिनमें से 2 छात्र और 6 छात्राएं होंगी। साथ ही, स्पॉन्सर गोल्ड मेडल भी प्रदान किए जाएंगे, जिनमें डॉ. सीबी मामोरिया, प्रो. विजय श्रीमाली, प्रो. आरके श्रीवास्तव, विजय सिंह देवपुरा, पीसी रांका और प्रो. ललित शंकर-पुष्पा देवी शर्मा की स्मृति में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल भी शामिल हैं। विशेष कार्यक्रम राष्ट्रपति मुर्मू इस अवसर पर भू-विज्ञान विभाग के संस्थापक केपी रोडे की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगी। यह उदयपुर और राजस्थान के शैक्षिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। निष्कर्ष उदयपुर में आयोजित यह दीक्षांत समारोह राजस्थान के शैक्षणिक क्षेत्र में एक प्रमुख आयोजन है। राष्ट्रपति की उपस्थिति इस कार्यक्रम को और भी गौरवमयी बना रही है, जिससे विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। राजस्थान की शिक्षा और आदिवासी समाज के विकास पर जोर देने वाली ये पहल राज्य में शिक्षा और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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आज, 2 अक्टूबर 2024 को, पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है। यह दिन हर भारतीय के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस अवसर पर देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें बापू की याद में श्रद्धांजलि दी जा रही है। राजघाट में श्रद्धांजलि का कार्यक्रम हर साल की तरह इस साल भी महात्मा गांधी की जयंती पर दिल्ली स्थित राजघाट में विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। राजघाट वही स्थान है, जहां महात्मा गांधी की समाधि स्थित है, और हर वर्ष उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने यहां आते हैं। आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने बापू के सिद्धांतों और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग को याद करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए गांधीजी की शिक्षाओं का पालन करने का संदेश भी दिया। इसके अलावा, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी राजघाट पहुंचे और उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने भी बापू की महानता को याद करते हुए कहा कि उनके विचार और सिद्धांत आज भी समाज और राजनीति में मार्गदर्शक बने हुए हैं। महात्मा गांधी के विचार और उनका महत्व महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, लेकिन वे पूरे देश और दुनिया भर में ‘महात्मा’ और ‘बापू’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने अद्वितीय नेतृत्व से एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने अहिंसा (नॉन-वॉयलेंस) और सत्याग्रह (सत्य के लिए संघर्ष) के माध्यम से ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी का मानना था कि हिंसा से कभी भी स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने हमेशा शांति, प्रेम और करुणा के मार्ग को अपनाया। उनके सिद्धांत सिर्फ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में अन्याय और हिंसा के खिलाफ संघर्ष करने वाले आंदोलनों के लिए प्रेरणा बने। गांधीजी का विचार था कि यदि हम दुनिया में बदलाव लाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा। उनके इस विचार को संपूर्ण विश्व में सराहा जाता है और आज भी लाखों लोग उनके आदर्शों को मानते हैं। अन्य नेताओं और गणमान्य लोगों की उपस्थिति महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि अर्पित की, बल्कि देशभर के कई अन्य नेता और गणमान्य लोग भी राजघाट पहुंचे। उपराष्ट्रपति, विभिन्न केंद्रीय मंत्री और अन्य प्रमुख नेताओं ने भी महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी ने गांधीजी के सिद्धांतों को याद करते हुए उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। राजघाट पर होने वाले इस कार्यक्रम में धार्मिक भजन और गांधीजी के पसंदीदा गीत जैसे ‘रघुपति राघव राजा राम’ का गायन हुआ, जो उनके जीवन और उनके सिद्धांतों को समर्पित है। इस अवसर पर देशभर के विद्यालयों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में भी महात्मा गांधी की याद में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। महात्मा गांधी की जयंती: एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व महात्मा गांधी की जयंती को सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया, ताकि दुनिया भर में गांधीजी के अहिंसा के संदेश को फैलाया जा सके। गांधीजी का मानना था कि अहिंसा सिर्फ शारीरिक हिंसा से बचने का तरीका नहीं है, बल्कि यह विचार और कार्यों में शांति और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू में अहिंसा का पालन किया, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो या राजनीतिक गतिविधियां। इसीलिए, उनकी जयंती का दिन दुनियाभर में शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाने के लिए समर्पित किया गया है। गांधीजी के विचारों की आज की प्रासंगिकता आज जब दुनिया कई तरह के संघर्षों और हिंसा से जूझ रही है, महात्मा गांधी के विचार पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं। चाहे वह पर्यावरण संरक्षण हो, सामाजिक न्याय, समानता, या जातिगत भेदभाव का मुद्दा, गांधीजी के सिद्धांत हर समस्या का समाधान पेश करते हैं। गांधीजी ने हमेशा सत्य और अहिंसा को जीवन का मूल सिद्धांत माना, और यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है। आज भी, यदि हम उनके आदर्शों का पालन करें, तो हम न केवल व्यक्तिगत रूप से बेहतर इंसान बन सकते हैं, बल्कि एक बेहतर समाज और दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।

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मध्यप्रदेश की राजनीति में हाल के दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिनमें से एक है सीताराम आदिवासी को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त करते हुए उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देना। यह निर्णय मोहन यादव की सरकार द्वारा लिया गया है, जिसने राजनीतिक माहौल को काफी प्रभावित किया है। सीताराम आदिवासी का राजनीतिक सफर सीताराम आदिवासी मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के एक प्रमुख आदिवासी नेता हैं, जो सहरिया समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उनका राजनीतिक कैरियर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से आगे बढ़ा है, और अब उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है, जो उनकी बढ़ती राजनीतिक हैसियत को दर्शाता है। उनकी नियुक्ति से पहले सीताराम ने यह घोषणा की थी कि वे विजयपुर विधानसभा से होने वाले उपचुनाव में भाग नहीं लेंगे। यह निर्णय उनके समर्थकों और पार्टी के लिए आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि वे अपनी राजनीतिक रणनीतियों को लेकर गंभीर हैं। विजयपुर विधानसभा उपचुनाव की तैयारी विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। हालाँकि, अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन भाजपा इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है। बीजेपी ने इस सीट से रामनिवास रावत, जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं, को चुनाव लड़ाने की योजना बनाई है। रामनिवास रावत का कांग्रेस से बाहर आना और बीजेपी में शामिल होना उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और यह उनकी लोकप्रियता को भी बढ़ाने में मदद करेगा। सीताराम आदिवासी की नियुक्ति का महत्व सीताराम आदिवासी को राज्यमंत्री का दर्जा मिलने से रामनिवास रावत के लिए राजनीतिक माहौल और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया था। सीताराम आदिवासी के पद ग्रहण से यह साफ हो गया था कि वह भाजपा के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बन सकते हैं। लेकिन अब, उनकी राज्यमंत्री की नियुक्ति के साथ, यह स्पष्ट होता है कि भाजपा ने अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस नियुक्ति से भाजपा ने न केवल विजयपुर विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार की स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि पार्टी के भीतर की एकता और सहयोग को भी बढ़ावा दिया है। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा आई है और उनकी रणनीति को और अधिक स्पष्टता मिली है। रामनिवास रावत की राह में आने वाली चुनौतियाँ रामनिवास रावत के लिए अब सीताराम आदिवासी का महत्व कम हो गया है, क्योंकि उनके न हटने की स्थिति में रामनिवास को एक संभावित प्रतियोगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, यह स्पष्ट है कि उन्हें अपने राजनीतिक कैरियर में कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। रामनिवास रावत को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने समर्थकों के बीच अपनी लोकप्रियता बनाए रखें और यह साबित करें कि वह भाजपा के लिए एक मजबूत उम्मीदवार हैं। इसके लिए उन्हें अपने पिछले कार्यकाल के अनुभव और भाजपा के विकास योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा। निष्कर्ष सीताराम आदिवासी की राज्यमंत्री के रूप में नियुक्ति और विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में रामनिवास रावत की संभावित उम्मीदवारी ने मध्यप्रदेश की राजनीति में एक नई दिशा दी है। भाजपा ने इस फैसले से न केवल अपने पदाधिकारियों के बीच एकता को मजबूत किया है, बल्कि विजयपुर विधानसभा में अपनी स्थिति को भी मजबूत किया है। इस बीच, राजनीति में चल रहे इस बदलाव को देखने के लिए सभी की नजरें चुनाव की तारीखों और प्रत्याशियों की घोषणा पर टिकी हुई हैं। कुल मिलाकर, मध्यप्रदेश की राजनीति में हो रहे ये बदलाव आने वाले दिनों में कई नई संभावनाओं और चुनौतियों का सामना करेंगे, और सभी राजनीतिक दलों को अपनी रणनीतियों को पुनर्विचार करने पर मजबूर करेंगे।

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राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जहां राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदन राठौड़ ने हाल ही में जोधपुर दौरे के दौरान कई बड़े एलान किए हैं। इस दौरे के दौरान, उन्होंने पूर्व विधायक सूर्यकान्ता व्यास को श्रद्धांजलि दी और मंदिर में दर्शन किए। इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए, उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और राज्य के विकास के लिए बीजेपी के प्रयासों को उजागर किया। कांग्रेस पर हमले की बौछार मदन राठौड़ ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा पर निशाना साधते हुए कहा कि वे चाहे जितना भी कुछ कहें, लेकिन सच्चाई सबके सामने है। उनका यह बयान इस बात को दर्शाता है कि बीजेपी राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आक्रामक रुख अपनाए हुए है। उन्होंने कहा कि भजनलाल कैबिनेट ने हाल ही में लगभग 90,000 नौकरियों की घोषणा की है, जो राज्य के युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। राठौड़ ने कहा, “हमारी सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा कर रहे हैं। हमने बजट में सड़कों के लिए 9 लाख करोड़ और बिजली के लिए 2.35 लाख करोड़ की घोषणा की है।” बिजली कटौती में राहत मदन राठौड़ ने यह भी घोषणा की कि घरेलू बिजली की कटौती को कल से बंद किया जा रहा है, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि, “पहले कांग्रेस सरकार में 1,000 मेगावाट बिजली लौटाई जा रही थी, लेकिन अब सब ठीक हो गया है।” यह निर्णय खासकर गर्मी के मौसम में लोगों के लिए राहत प्रदान करेगा। नियुक्तियों की समीक्षा और मनोनीत पार्षदों की सूची राठौड़ ने यह भी बताया कि सरकार नियुक्तियों की समीक्षा कर रही है और जल्द ही नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा, “मनोनीत पार्षदों की सूची एक-दो दिन में जारी की जाएगी, उसके बाद अन्य नियुक्तियां भी होंगी।” यह घोषणा यह स्पष्ट करती है कि बीजेपी राज्य की आम जनता को राहत देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। किरोड़ी लाल मीणा की भूमिका इस बीच, किरोड़ी लाल मीणा ने 29 सितंबर को कैबिनेट मीटिंग में भाग लिया, जो लोकसभा चुनाव के बाद उनकी पहली भागीदारी थी। हालांकि, उन्होंने 4 जुलाई को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। मदन राठौड़ ने कहा कि किरोड़ी लाल मीणा बीजेपी के सक्रिय सदस्य हैं और उन्हें कोई संदेह नहीं है कि वे मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। किरोड़ी लाल मीणा ने स्पष्ट किया है कि वे अब केवल विधायक हैं, और उन्होंने कैबिनेट बैठक में शामिल होने के लिए बीजेपी के प्रदेश मुखिया के निर्देश पर भाग लिया। निष्कर्ष राजस्थान में बीजेपी के नेतृत्व में हो रही ये गतिविधियाँ यह दर्शाती हैं कि पार्टी न केवल अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहती है, बल्कि युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही है। मदन राठौड़ के द्वारा दिए गए एलान और कांग्रेस पर किए गए हमले से यह साफ होता है कि बीजेपी आगामी चुनावों के लिए अपनी तैयारियों में जुटी हुई है।

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फिल्म ‘स्त्री 2’ का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन अभी भी शानदार जारी है, जो दर्शकों का दिल जीतने में सफल रही है। एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी, यह फिल्म सभी वर्गों के दर्शकों की पसंद बनी हुई है। अमर कौशिक द्वारा निर्देशित इस हॉरर-कॉमेडी फिल्म ने न केवल ऑडियंस बल्कि क्रिटिक्स से भी शानदार रिस्पॉन्स पाया है। बॉक्स ऑफिस कलेक्शन स्ट्री 2 ने अपने रिलीज के 48 दिन बाद भी बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त कमाई की है। मंगलवार को इसने 1.05 करोड़ रुपये की कमाई की, जो कि सोमवार के 85 लाख रुपये के कलेक्शन से अधिक है। इस फिल्म का कुल कलेक्शन अब 617.56 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जिससे यह हिंदी की सबसे अधिक कमाई करने वाली हॉरर-कॉमेडी फिल्म बन गई है। कहानी और आकर्षण ‘स्त्री 2’ की कहानी चंदेरी के लोगों पर सरकटे के आतंक को लेकर है। यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे सरकटा आधुनिक विचारों वाली लड़कियों को अपहरण करता है। फिल्म में न केवल कहानी का जादू है, बल्कि इसके गाने भी दर्शकों को बेहद पसंद आए हैं, खासकर तमन्ना भाटिया पर फिल्माया गया ‘आज की रात’ गाना। यह फिल्म मैडॉक सुपरनेचुरल यूनिवर्स का हिस्सा है और इसकी सफलता ने इसे बॉक्स ऑफिस पर एक खास स्थान दिलाया है। प्रतिस्पर्धा में आगे ‘स्त्री 2’ ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर ‘एनिमल’, ‘पठान’, और ‘गदर 2’ जैसी बड़ी फिल्मों को पीछे छोड़ दिया है। इसके चलते यह साबित होता है कि फिल्म दर्शकों के बीच एक मजबूत पकड़ बना चुकी है। जिस रफ्तार से यह फिल्म आगे बढ़ रही है, यह कहने में कोई संकोच नहीं कि यह जल्द ही 600 करोड़ क्लब में शामिल होने वाली है। निष्कर्ष ‘स्त्री 2’ की शानदार कमाई और सकारात्मक समीक्षा यह दर्शाती है कि यह फिल्म दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान बना चुकी है। हॉरर-कॉमेडी की इस अनोखी शैली ने न केवल फिल्म की कहानी को रोचक बनाया है, बल्कि इसके गाने और प्रदर्शन ने इसे और भी खास बना दिया है। दर्शकों की पसंद और फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर अद्भुत प्रदर्शन के साथ, यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘स्त्री 2’ ने भारतीय सिनेमा में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। आने वाले समय में यह फिल्म कितनी और सफलता हासिल करेगी, यह देखना रोचक होगा।

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स्टाइलिश दिखना अब सिर्फ महंगे ब्रांडेड कपड़े पहनने तक सीमित नहीं रह गया है। आजकल फैशन और स्टाइल के ट्रेंड्स बदल चुके हैं, और आप भी बिना अधिक खर्च किए अपने लुक को स्टाइलिश बना सकते हैं। दरअसल, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप अपने कपड़ों को किस तरह से कैरी करते हैं और किस तरह का फैब्रिक, कलर और एक्सेसरीज़ चुनते हैं। इन सभी छोटे-छोटे फैशन टिप्स से न सिर्फ आपका लुक निखरेगा, बल्कि लोग आपके स्टाइल से प्रभावित होकर आपसे फैशन टिप्स भी मांग सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ जरूरी फैशन टिप्स जो हर किसी को ध्यान में रखने चाहिए। 1. ब्रांड पर नहीं, स्टाइल पर ध्यान दें यह एक बड़ा मिथक है कि सिर्फ महंगे ब्रांड के कपड़े ही स्टाइलिश होते हैं। असल में, फैशन का असली मतलब है कि आप कैसे कपड़ों को स्टाइल करते हैं। ब्रांडेड कपड़े पहनना जरूरी नहीं है, बल्कि यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आपका आउटफिट आपके पर्सनालिटी और अवसर के अनुकूल हो। कपड़े चाहे किसी भी ब्रांड के हों, उन्हें सही तरीके से स्टाइल करने से ही आप एक क्लासी और फैशनेबल लुक पा सकते हैं। 2. सही रंगों का चयन करें रंगों का चयन आपकी पूरी पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। पहले के समय में चटक रंगों का चलन था, लेकिन आजकल हल्के, न्यूड और पेस्टल शेड्स का ट्रेंड है। खासकर सफेद, क्रीम, बेज, ब्लैक, ग्रे, पिंक, और कैमल ब्राउन जैसे न्यूट्रल रंग क्लासी और ट्रेंडी लुक देते हैं। 3. मौसम के हिसाब से चुनें फैब्रिक अक्सर लोग फैब्रिक का चयन करते समय गलती कर बैठते हैं, जिससे उनका पूरा लुक खराब हो सकता है। मौसम के अनुसार कपड़े का चयन करना जरूरी होता है, ताकि आप न केवल स्टाइलिश दिखें बल्कि आरामदायक भी महसूस करें। 4. एक्सेसरीज का सही चयन करें एक्सेसरीज आपके पूरे लुक में चार चांद लगा सकती हैं, लेकिन यह जरूरी है कि आप इन्हें सही तरीके से कैरी करें। खासतौर पर महिलाओं के बैग्स का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। आजकल बड़े बैग्स का ट्रेंड खत्म हो चुका है, और छोटे साइज के बैग्स ज्यादा स्टाइलिश माने जाते हैं। 5. मेकअप रखें हल्का आजकल हैवी मेकअप का चलन कम हो गया है। खासकर दिन के समय और साधारण आउटफिट्स के साथ न्यूड मेकअप या हल्का मेकअप ही अच्छा लगता है। 6. पुरुषों के लिए फैशन टिप्स पुरुषों के लिए भी स्टाइलिश दिखने के लिए कुछ छोटी-छोटी बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं। सबसे पहले तो, हमेशा साफ और प्रेस किए हुए कपड़े पहनें। इसके साथ एक अच्छी घड़ी पहनें, जो आपकी पर्सनालिटी को और भी निखार सकती है। 7. फिटिंग का रखें ध्यान कपड़ों की फिटिंग सबसे ज्यादा मायने रखती है। चाहे आप कितना ही महंगा या ब्रांडेड आउटफिट पहन लें, अगर उसकी फिटिंग सही नहीं है, तो वह आपके लुक को पूरी तरह खराब कर सकता है। 8. मिक्स एंड मैच करें कई बार आपको नए कपड़े खरीदने की जरूरत नहीं होती, बस अपने पुराने कपड़ों को नए तरीके से स्टाइल करना होता है। आप अपने वार्डरोब के कुछ बेसिक पीस को मिक्स एंड मैच कर सकते हैं, जिससे आपको नए आउटफिट्स बनाने में मदद मिलेगी। 9. आत्मविश्वास है असली फैशन आखिरकार, आपके पहनावे से ज्यादा महत्वपूर्ण आपका आत्मविश्वास होता है। यदि आप अपने आउटफिट को आत्मविश्वास के साथ कैरी करते हैं, तो आप कहीं भी स्टाइलिश और क्लासी दिख सकते हैं। हमेशा अपने आप में आत्मविश्वास रखें और अपनी पर्सनालिटी को अपने कपड़ों के जरिए सामने लाने की कोशिश करें। इन फैशन टिप्स को ध्यान में रखते हुए आप अपने लुक को एक नई दिशा दे सकते हैं। स्टाइलिश दिखने के लिए महंगे ब्रांड की जरूरत नहीं है, बस सही फैब्रिक, रंग और एक्सेसरीज के साथ अपना आत्मविश्वास बनाए रखें। ऐसा करने से लोग आपसे आपके स्टाइलिस्ट का पता जरूर पूछेंगे।

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नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति और धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह नौ दिनों का उत्सव देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का प्रतीक है, और हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि का पहला दिन देवी शैलपुत्री की पूजा से शुरू होता है, जिन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण यह नाम दिया गया है। शैलपुत्री को शक्ति का प्रथम स्वरूप माना जाता है, और उनकी पूजा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि के पहले दिन का महत्व नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जो पूरे उत्सव की शुभ शुरुआत मानी जाती है। इस दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा होती है, और उनका प्रिय रंग सफेद माना जाता है। सफेद रंग शांति, पवित्रता और नई शुरुआत का प्रतीक है, और इसलिए नवरात्रि के पहले दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनने का विशेष महत्व है। मां शैलपुत्री की पूजा और सफेद रंग का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां शैलपुत्री का पूजा-अर्चन करते समय अगर आप सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं, तो देवी की कृपा आपके ऊपर अधिक होती है। सफेद रंग का उपयोग न केवल शांति और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, बल्कि यह आंतरिक शुद्धि और ध्यान का भी प्रतीक है। इसलिए, मां शैलपुत्री की पूजा करते समय सफेद वस्त्र पहनना अत्यधिक शुभ माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन के लिए सफेद कपड़ों के विकल्प यदि आप नवरात्रि के पहले दिन सफेद रंग का पहनावा चुनने की सोच रहे हैं, तो यहां कुछ बेहतरीन विकल्प हैं: सफेद रंग के आभूषण और एक्सेसरीज़ सफेद कपड़े के साथ पारंपरिक आभूषण पहनना आपके लुक को और भी निखार सकता है। चांदी या हल्के सोने के आभूषण आपके सफेद पहनावे के साथ बेहद खूबसूरत लग सकते हैं। इसके अलावा, आप सफेद या मोती वाली ज्वेलरी का चयन कर सकती हैं, जो इस पावन पर्व के लिए बिलकुल सही विकल्प है। नवरात्रि की पूजा में सफेद रंग का महत्व सफेद रंग शुद्धता, शांति और आस्था का प्रतीक है। इस रंग को पहनकर नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करना न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके मन और आत्मा को शांति भी प्रदान करता है। सफेद रंग का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप सरल और सुसज्जित दिखें ताकि आपकी आस्था और पूजा में मन की एकाग्रता बनी रहे। नवरात्रि के अन्य दिनों के रंग और उनकी मान्यता नवरात्रि के प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग का महत्व होता है। हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, और उनके प्रिय रंग के अनुसार वस्त्र पहनने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जैसे कि पहले दिन सफेद रंग का महत्व होता है, वैसे ही बाकी आठ दिनों के लिए भी अलग-अलग रंग निर्धारित होते हैं, जो देवी के स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनकर देवी शैलपुत्री की आराधना करें और मां की असीम कृपा प्राप्त करें।

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