Author: UmaKant Joshi

राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों को वेतन देने का किया फैसला राजस्थान की भजनलाल सरकार ने इस महीने सरकारी कर्मचारियों को 30 अक्तूबर को मासिक वेतन देने का फैसला किया है। हालांकि, यह फैसला कर्मचारियों के लिए खुशी की बात है, परंतु कई कर्मचारी इसको लेकर चिंता में हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि धनतेरस, जो 28 अक्तूबर को है, उससे पहले वेतन नहीं मिलने के कारण परंपरागत खरीदारी का मौका निकल जाएगा। राजस्थान में धनतेरस पर विशेष खरीदारी की परंपरा है, लेकिन इस बार वेतन धनतेरस के बाद आ रहा है, जिससे कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। धनतेरस से पहले वेतन क्यों नहीं? कर्मचारियों के बीच चर्चा है कि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश ने अपने कर्मचारियों के लिए 28 अक्तूबर को ही वेतन जारी करने का निर्णय लिया है ताकि वे धनतेरस पर अपनी जरूरतों के अनुसार खरीदारी कर सकें। लेकिन राजस्थान सरकार का वेतन 30 अक्तूबर को जारी करने का निर्णय इस बात को लेकर सवाल खड़े कर रहा है कि धनतेरस के बाद वेतन का क्या लाभ होगा, जब परंपरागत खरीदारी का समय निकल चुका होगा। बोनस और डीए अपडेट इस बीच, भजनलाल सरकार ने कर्मचारियों के लिए बोनस के आदेश पहले ही जारी कर दिए हैं। हालांकि, बोनस की पूरी राशि नकद में देने के बजाय 25 प्रतिशत राशि कर्मचारियों के जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) खाते में जमा की जा रही है। इसके अलावा, महंगाई भत्ते (डीए) को लेकर भी जल्द ही आदेश जारी होने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक, सातवें वेतनमान के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों का डीए 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 53 प्रतिशत किया जा सकता है। हालांकि, इसे नकद में दिया जाएगा या जीपीएफ में जमा किया जाएगा, इसको लेकर अभी असमंजस की स्थिति है। कर्मचारियों की टेंशन का कारण कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि वेतन और बोनस जैसी सुविधाएं तो मिल रही हैं, लेकिन वे धनतेरस पर अपनी परंपरागत खरीदारी से चूक जाएंगे। यह समय राजस्थान में विशेष महत्व रखता है और अधिकांश लोग इस मौके पर नए सामान और उपहार खरीदते हैं। सरकार का 30 अक्तूबर को वेतन देने का निर्णय इसलिए कई कर्मचारियों के लिए थोड़ी निराशा लेकर आया है। सरकार का नजरिया सरकार की ओर से यह कदम एक सामान्य प्रक्रिया के तहत लिया गया है, क्योंकि हर महीने वेतन और पेंशन की राशि महीने के आखिरी दिन जारी की जाती है। लेकिन धनतेरस जैसे महत्वपूर्ण त्योहार को ध्यान में रखते हुए, कर्मचारियों की अपेक्षा थी कि इस महीने वेतन थोड़ा पहले जारी किया जाए। सरकार ने बोनस की राशि और डीए में बढ़ोतरी की तैयारी भी की है, जो आने वाले समय में कर्मचारियों के लिए राहत का कारण बनेगी। अंततः, यह देखना होगा कि सरकार कर्मचारियों की इन चिंताओं पर क्या कदम उठाती है, और क्या डीए की बढ़ोतरी और अन्य लाभ समय पर मिलेंगे या नहीं।

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राजस्थान न्यूज लॉरेंस बिश्नोई के एनकाउंटर पर 1 करोड़ का इनाम गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के एनकाउंटर को लेकर क्षत्रिय करणी सेना ने एक बड़ा ऐलान किया है। संगठन के अध्यक्ष राज शेखावत ने एक वीडियो जारी कर बताया कि लॉरेंस बिश्नोई के एनकाउंटर करने वाले पुलिस अधिकारी को 1,11,11,111 रुपये का इनाम दिया जाएगा। यह घोषणा तब की गई जब बिश्नोई का नाम हाल ही में हुई एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या में सामने आया था। इनाम की घोषणा का वीडियो वीडियो में राज शेखावत ने स्पष्ट किया कि एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मी के परिवार की सुरक्षा और संपूर्ण व्यवस्थाओं का दायित्व भी उनकी संस्था उठाएगी। उन्होंने कहा, “लॉरेंस बिश्नोई हमारे अनमोल रत्न और अमर शहीद सुखदेव सिंह गोगामेड़ी जी का हत्यारा है,” यह बताते हुए कि बिश्नोई देश के लिए एक खतरा है। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या गौरतलब है कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की 5 दिसंबर 2023 को जयपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कुछ घंटों बाद, लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली थी। वर्तमान में, बिश्नोई ड्रग तस्करी के एक मामले में गुजरात की साबरमती जेल में बंद है। बिश्नोई का आपराधिक इतिहास लॉरेंस बिश्नोई का नाम कई अन्य आपराधिक मामलों में भी आया है, जिनमें अप्रैल में मुंबई में सलमान खान के घर के बाहर गोलीबारी और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या शामिल हैं। सोशल मीडिया पर चर्चा क्षत्रिय करणी सेना का यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है, और इसने लोगों के बीच सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर चिंताओं को भी जन्म दिया है। इस घोषणा के बाद, अब यह देखना होगा कि पुलिस प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है और बिश्नोई के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।

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दौसा उपचुनाव प्रत्याशी के चयन में उलझी कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस में प्रत्याशी के नाम की घोषणा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। भाजपा द्वारा जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद कांग्रेस के समीकरण गड़बड़ाने लगे हैं। भाजपा ने पूर्वी राजस्थान के कद्दावर नेता किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिया है, जिससे इस सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। भाजपा का प्रत्याशी घोषित, कांग्रेस में कश्मकश भाजपा द्वारा जगमोहन मीणा का नाम सामने आते ही कांग्रेस को अपने प्रत्याशी की घोषणा में मुश्किलें पेश आ रही हैं। इस सीट पर कांग्रेस सांसद मुरारीलाल मीणा के करीबी हरिकेश मीणा, जो राजस्थान सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग में मुख्य अभियंता के पद से वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने की मंशा जता चुके हैं, टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि, भाजपा द्वारा एसटी कैंडिडेट घोषित किए जाने से कांग्रेस पर दबाव है कि वह या तो सामान्य वर्ग से उम्मीदवार उतारे या एससी वर्ग से। कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार कांग्रेस के भीतर चल रही चर्चाओं के अनुसार, यदि पार्टी सामान्य वर्ग से उम्मीदवार उतारती है, तो महेश शर्मा या समृद्धि शर्मा का नाम सामने आ सकता है। वहीं, एससी वर्ग से उम्मीदवार तय करने पर डीसी बैरवा एक प्रमुख दावेदार के रूप में उभर रहे हैं। कांग्रेस की असमंजस इस कारण और बढ़ गई है कि यदि ब्राह्मण या एससी उम्मीदवार को टिकट दिया जाता है, तो यह भाजपा के एसटी उम्मीदवार से मुकाबला करने के लिए एक नई रणनीति की मांग करेगा। त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना दौसा उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को लेकर बनी इस अनिश्चितता के बीच, माना जा रहा है कि यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ सकती है। हरिकेश मीणा ने वीआरएस लेकर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन यदि कांग्रेस किसी और को टिकट देती है, तो पार्टी के भीतर और बाहर अलग-अलग समीकरण देखने को मिल सकते हैं। कांग्रेस के लिए चुनौती कांग्रेस के पास इस समय दौसा उपचुनाव में भाजपा के एसटी उम्मीदवार का मुकाबला करने के लिए एक सटीक रणनीति बनाने की चुनौती है। पार्टी की देरी से प्रत्याशी की घोषणा और सही उम्मीदवार का चयन करने में हो रही कश्मकश से यह साफ है कि मुकाबला काफी कठिन और रोमांचक होने वाला है। कांग्रेस अब हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है ताकि आगामी उपचुनाव में भाजपा को चुनौती दी जा सके। इस तरह, दौसा उपचुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है, जहां भाजपा ने पहले ही बढ़त बना ली है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस कैसे अपने उम्मीदवार की घोषणा करती है और किस तरह से इस सीट पर मुकाबला करती है।

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राजस्थान उपचुनाव 23 अक्टूबर तक आ सकती है कांग्रेस की सूची राजस्थान में विधानसभा उपचुनावों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। भाजपा ने अपनी छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन कांग्रेस की ओर से अभी प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं हुए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने टिकट दावेदारों का बायोडाटा इकट्ठा कर लिया है और नामों का अंतिम फैसला दिल्ली में होना है। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पैनल के साथ सोमवार को दिल्ली रवाना हो गए हैं, जहां पार्टी हाईकमान के साथ बैठक के बाद कांग्रेस की सूची जारी होगी। उम्मीद है कि 23 अक्टूबर तक कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी। कांग्रेस की सूची में कौन हो सकते हैं प्रमुख दावेदार? कांग्रेस की सूची में अधिकतर टिकट परिवार से जुड़े उम्मीदवारों को मिलने की संभावना है। कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना है कि परिवारवाद से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। ऐसी सीटें जहां टिकट परिवार के किसी सदस्य को मिल सकता है, उनमें प्रमुख रूप से रामगढ़, झुंझुनू, और देवली उनियारा सीटें शामिल हैं। दौसा में मुरारीलाल मीणा पहले ही कह चुके हैं कि उनके परिवार से कोई दावेदारी नहीं करेगा। इस सीट पर कांग्रेस किसी एससी चेहरे को मौका दे सकती है। खींवसर सीट पर कांग्रेस और आरएलपी के बीच गठबंधन की चर्चा हालांकि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सभी सात सीटों पर प्रत्याशी उतारने और बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, लेकिन खींवसर सीट को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के बीच अंदरखाने बातचीत जारी है। अगर यह गठबंधन नहीं होता है, तो आरएलपी एक से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है, जिससे कांग्रेस पर सीधा असर पड़ेगा। बीएपी का दावा चौरासी और सलूंबर सीटों पर लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की सहयोगी रही भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने उपचुनावों के लिए चौरासी और सलूंबर सीटों पर अपना दावा ठोंक दिया है। पार्टी ने इन सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जो कांग्रेस के लिए चुनौती साबित हो सकता है। नतीजे कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण इन उपचुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले यह एक अहम परीक्षा होगी। कांग्रेस अपने संगठन और रणनीति के दम पर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश करना चाहती है। कांग्रेस की सूची पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह तय करेगी कि पार्टी आगामी चुनावों में किस प्रकार से प्रदर्शन करेगी। इस प्रकार, 23 अक्टूबर को कांग्रेस की सूची जारी होने के साथ ही राजस्थान में उपचुनाव की सियासी तस्वीर और स्पष्ट हो जाएगी।

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अजमेर फ्लैट में मिली खून से सनी युवती की लाश किशनगढ़ में हरमाड़ा चौराहे के पास स्थित एसआरएस टॉवर में सोमवार देर शाम एक फ्लैट में युवती की खून से सनी लाश मिलने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। पुलिस को संदेह है कि यह मामला प्रेम प्रसंग का हो सकता है। घटना के बाद से फ्लैट में रहने वाला कैलाशचंद सैनी लापता है, और उसकी तलाश की जा रही है। घटना की जानकारी किशनगढ़ के एसआरएस टॉवर में स्थित फ्लैट नंबर 15E में युवती की लाश सोमवार शाम को मिली। बताया जा रहा है कि लाश लगभग एक दिन पुरानी थी और युवती के सिर पर गंभीर चोटें थीं, जिसके चलते उसकी मौत हुई। फ्लैट में खून बिखरा हुआ था, और युवती की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। आरोपी कैलाशचंद सैनी लापता पुलिस के अनुसार, फ्लैट में रहने वाला कैलाशचंद सैनी (उर्फ प्रिन्स) घटना के बाद से गायब है। कैलाशचंद मूल रूप से उदयपुरवाटी, झुंझुनू का रहने वाला है और एसआरएस टॉवर में स्थित एक कंपनी में काम करता था। घटना के दिन उसने ऑफिस में देर से आने की बात कही थी, लेकिन जब वह काफी देर तक नहीं पहुंचा, तो कंपनी के लोगों ने उसे फोन किया। उसके फोन का स्विच ऑफ मिलने पर कंपनी के कर्मचारियों ने उसके पिता को सूचित किया। फ्लैट में मिली लाश जब शाम तक कैलाशचंद का कोई पता नहीं चला, तो कंपनी के कुछ कर्मचारी उसके फ्लैट पर पहुंचे। दरवाजा खोलते ही उन्होंने फ्लैट के अंदर खून से सनी युवती की लाश देखी। तुरंत टॉवर के मैनेजर और अन्य कर्मचारियों ने गांधीनगर थाना पुलिस को सूचना दी। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैब) की टीम को भी बुलाया गया। पुलिस ने युवती की पहचान के लिए उसकी फोटो जारी की है, ताकि उसके परिवार का पता लगाया जा सके। प्रेम प्रसंग की आशंका पुलिस का मानना है कि यह मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हो सकता है। कैलाशचंद शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं, लेकिन उसका परिवार किशनगढ़ में नहीं रहता। ऐसे में फ्लैट में मिली महिला कौन है, इसका पता लगाया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, कैलाश संभवत: कोटा से किसी महिला के साथ आया था, और घटना के बाद से लापता है। पुलिस अब कैलाशचंद की तलाश में जुटी है और मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। निष्कर्ष फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। युवती की पहचान और कैलाशचंद की तलाश के बाद ही इस घटना की सच्चाई का पता चलेगा। पुलिस का कहना है कि जल्द ही मामले में नई जानकारी सामने आ सकती है।

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जयपुर शादी के चार दिन बाद लुटेरी दुल्हन गहने लेकर फरार राजधानी जयपुर के एयरपोर्ट थाना क्षेत्र में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां शादी के महज चार दिन बाद लुटेरी दुल्हन ससुराल से सोने-चांदी के गहने लेकर फरार हो गई। दूल्हे के परिवार ने इस घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई है। जानकारी के अनुसार, जगतपुरा निवासी एक महिला ने पुलिस को बताया कि उसके भाई का मकान प्रताप नगर में है और वह अक्सर भाई से मिलने आती-जाती रहती थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात कौशल जैन से हुई, जिसने उसे बताया कि वह शादी के लिए एक गरीब परिवार की लड़की की फोटो दिखा सकता है। बातचीत के दौरान, महिला ने कौशल से अपने भाई के लिए शादी की तलाश करने की बात की। कौशल ने उसे बिहार के एक गरीब परिवार की लड़की की फोटो दिखाई और दोनों के बीच शादी की बात तय हो गई। शादी के खर्च के लिए तीन लाख रुपये का समझौता हुआ था, और दिसंबर 2023 में शादी की तारीख तय की गई थी। इसके बाद, दूल्हा अपनी नई पत्नी को लेकर घर आया। शादी के चार दिन बाद, दुल्हन ने दूल्हे को बताया कि उसे पैसों का लालच देकर शादी के लिए तैयार किया गया था। उसने कहा कि उसके माता-पिता के बारे में जो जानकारी दी गई थी, वह भी झूठी थी। दुल्हन ने दूल्हे को बताया कि शादी की डील के लिए तीन लाख रुपये लिए गए, लेकिन उसे एक भी रुपया नहीं मिला। इसके बाद, दुल्हन ने शादी के दिन पहनने के लिए दिए गए गहने पहनकर ससुराल से भागने की योजना बनाई और अगली सुबह घर से निकल गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और लुटेरी दुल्हन और उसके सहयोगियों की तलाश शुरू कर दी है। इस घटना ने दूल्हे के परिवार में हड़कंप मचा दिया है, और सभी मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

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राजस्थान भव्य कार्यक्रम में भाजपा को निमंत्रण नहीं की राजधानी जयपुर में हाल ही में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को मुख्य अतिथि बनाया गया, जबकि भाजपा और सरकार के नेताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। इस आयोजन ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। कार्यक्रम जयपुर हलवाई कैटरर्स कल्याण समिति द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें 10,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। इस आयोजन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और आदर्श नगर के विधायक रफीक खान को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। भाजपा नेताओं को नहीं दिया गया निमंत्रण कार्यक्रम की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भाजपा के किसी भी नेता या मंत्री को इस आयोजन में निमंत्रण नहीं दिया गया। जयपुर में भाजपा का प्रदेश मुख्यालय स्थित है, और भाजपा के कई प्रमुख नेता इस क्षेत्र से जुड़े हैं, फिर भी उन्हें कार्यक्रम से दूर रखा गया। आयोजन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और अन्य प्रमुख भाजपा विधायकों को आमंत्रित न किए जाने से भाजपा समर्थकों के बीच असंतोष बढ़ता नजर आ रहा है। कांग्रेस नेताओं का रहा दबदबा इस कार्यक्रम में कांग्रेस के नेताओं का दबदबा देखने को मिला। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया, जबकि गोविंद सिंह डोटासरा और रफीक खान जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी विशिष्ट अतिथि रहे। इसके अलावा, कार्यक्रम में पूर्व खाद्य मंत्री बाबूलाल नागर को भी अतिथि के रूप में बुलाया गया था। इस आयोजन की भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 10,000 से अधिक मेहमानों के लिए 500 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के भोजन परोसे गए थे। भाजपा की उपेक्षा से व्यापारियों में नाराजगी कार्यक्रम में भाजपा के नेताओं को नजरअंदाज करने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एक ओर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ‘राइजिंग राजस्थान’ कार्यक्रम के तहत राज्य में निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जयपुर में व्यापारियों के बीच सरकार के प्रति असंतोष उभरता दिख रहा है। माना जा रहा है कि मात्र 10 महीने पुरानी सरकार से व्यापारियों का मोहभंग हो रहा है। राजनीतिक संकेत इस आयोजन को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा नेताओं को कार्यक्रम से दूर रखने का निर्णय एक बड़ा राजनीतिक संदेश हो सकता है। भाजपा का मुख्यालय जयपुर में होने के बावजूद, पार्टी के नेताओं को निमंत्रण न देना राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जो आगामी चुनावों में असर डाल सकता है। निष्कर्ष जयपुर में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम ने राज्य की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेताओं का दबदबा और भाजपा नेताओं को निमंत्रण न दिया जाना यह दर्शाता है कि राज्य की राजनीति में किस तरह की चालें चली जा रही हैं। आने वाले चुनावों में इस घटना का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच की यह लड़ाई गहराती जा रही है।

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महाराष्ट्र की जिम्मेदारी राजस्थान उपचुनाव से दूर रहेंगे गहलोत और पायलट राजस्थान में आगामी उपचुनावों के ऐलान के बाद कांग्रेस ने अपने दो प्रमुख नेताओं, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंप दी है। इसके चलते दोनों दिग्गज नेता प्रदेश के उपचुनावों में सक्रिय भूमिका निभाते नजर नहीं आएंगे। गहलोत और पायलट को महाराष्ट्र में अहम जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। अशोक गहलोत को डॉ. जी. परमेश्वर के साथ मुंबई और कोंकण क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि सचिन पायलट को उत्तम कुमार रेड्डी के साथ मराठवाड़ा क्षेत्र की कमान दी गई है। इन नेताओं को सिर्फ चुनावी दौरे नहीं करने बल्कि पूरे चुनाव प्रबंधन का सूक्ष्म स्तर पर ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है। उपचुनाव और महाराष्ट्र चुनाव की तारीखें राजस्थान में 13 नवंबर को सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव होने हैं, जबकि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होगा। हालांकि दोनों राज्यों के चुनाव की तारीखें अलग हैं, लेकिन कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया है कि गहलोत और पायलट महाराष्ट्र चुनाव में पूरी तरह से सक्रिय रहें। इस निर्णय को पार्टी की ओर से एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, जहां हरियाणा चुनावों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए पार्टी नेतृत्व ने माइक्रो मैनेजमेंट पर जोर दिया है। उपचुनावों से दूरी का राजनीतिक नजरिया राजस्थान की जिन सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से कुछ सीटें सीधे तौर पर पायलट गुट से जुड़ी मानी जाती हैं। खासकर झुंझुनू, देवली-उनियारा और दौसा सीटों पर सचिन पायलट की मजबूत पकड़ है। वहीं, अशोक गहलोत पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनकी मौजूदगी इन उपचुनावों में महत्वपूर्ण हो सकती थी। लेकिन महाराष्ट्र चुनावों में उनकी जिम्मेदारी के कारण, दोनों नेता राजस्थान के उपचुनावों से दूर रहेंगे। डोटासरा और टीकाराम जूली को मिलेगा नेतृत्व का मौका गहलोत और पायलट की अनुपस्थिति में राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को उपचुनावों में अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने का पूरा मौका मिलेगा। डोटासरा ने इस बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि गहलोत और पायलट की भूमिका उपचुनावों में भी महत्वपूर्ण होगी, भले ही वे शारीरिक रूप से मौजूद न हों। सीटवार प्रभारी नियुक्त कांग्रेस ने उपचुनावों के लिए सातों विधानसभा सीटों पर प्रभारी सचिवों को भी नियुक्त कर दिया है। चिंरजीवी राव को झुंझुनू, खींवसर और रामगढ़ विधानसभा सीट, ऋत्विक मकवाना को सलूंबर और चौरासी सीट, जबकि पूनम पासवान को दौसा और देवली-उनियारा विधानसभा सीट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन प्रभारियों को चुनावी रणनीति और प्रबंधन का कार्यभार सौंपा गया है ताकि पार्टी की जीत सुनिश्चित की जा सके। इस प्रकार, राजस्थान के उपचुनावों में भले ही गहलोत और पायलट मौजूद न हों, लेकिन कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया है कि पार्टी की चुनावी तैयारियों में कोई कमी न आए।

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दमोह ट्रैक्टर की टक्कर से बाइक सवार चचेरे भाईयों में एक की मौत दमोह जिले के हटा थाना क्षेत्र में एक दुखद सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने बाइक सवार दो चचेरे भाइयों को टक्कर मार दी। हादसे में एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने अज्ञात ट्रैक्टर चालक के खिलाफ केस दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है। यह हादसा मंगलवार रात लुहारी गांव के पास हुआ। जानकारी के अनुसार, 27 वर्षीय आकाश पुत्र काशीराम पटेल और 25 वर्षीय भूपत पुत्र निरपत पटेल हटा से खाद लेकर अपने गांव लौट रहे थे। जब वे लुहारी के पास पहुंचे, तभी अज्ञात ट्रैक्टर चालक ने उन्हें टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गया। टक्कर के बाद दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना की सूचना मिलने पर परिजनों ने उन्हें 108 एम्बुलेंस की सहायता से जिला अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में डॉक्टरों ने आकाश पटेल को मृत घोषित कर दिया, जबकि भूपत की हालत गंभीर बनी हुई है और उसका इलाज चल रहा है। पुलिस ने बुधवार सुबह आकाश के शव का पोस्टमार्टम करवाकर उसे परिजनों को सौंप दिया और मामले की जांच शुरू कर दी है। ट्रैक्टर चालक की तलाश जारी है। दूसरी दुर्घटना में भी दो घायल इसी क्षेत्र के मुस्की बाबा के समीप एक अन्य हादसा हुआ, जिसमें वाशु पटेल अपने रिश्तेदार बेनी प्रसाद पटेल (65 वर्ष) को बाइक से लेकर जा रहे थे। अचानक पानी की टंकी के पास एक अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में भी दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बेनी प्रसाद की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें जबलपुर रेफर किया गया, जबकि वाशु का इलाज दमोह जिला अस्पताल में चल रहा है। पुलिस ने इस मामले में भी अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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केकड़ी प्रदेश के सभी 557 कॉलेजों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की तैयारी राजस्थान सरकार ने राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। प्रदेश भर के सभी 557 सरकारी अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कॉलेजों में रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है। इसके तहत 48 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो हर कॉलेज में सौर ऊर्जा की वर्तमान स्थिति की जानकारी एकत्र करेंगे और सौर संयंत्रों की स्थापना के लिए आवश्यक निर्देश देंगे। सौर ऊर्जा को लेकर राज्य की पहल राज्य सरकार पहले से ही सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे कुसुम योजना और पीएम सूर्योदय योजना। इन योजनाओं के जरिए न केवल सरकारी संस्थान बल्कि आम उपभोक्ता भी अपने घर और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं। इसके अंतर्गत, प्रदेश के सभी राजकीय कॉलेज अब सौर ऊर्जा से संचालित होंगे, जिससे परंपरागत हाइड्रो और थर्मल बिजली की निर्भरता कम होगी और सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा। 20 प्रतिशत कॉलेजों में पहले से सौर ऊर्जा फिलहाल, राज्य के केवल 20 प्रतिशत कॉलेजों में रूफटॉप सौर पैनल स्थापित हैं। शेष 80 प्रतिशत कॉलेज जयपुर, जोधपुर, और अजमेर डिस्कॉम से बिजली प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन अब, राज्य सरकार ने इन सभी कॉलेजों में सौर पैनल लगाने की घोषणा की है, जिससे आने वाले समय में सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि होगी और पर्यावरण को भी फायदा होगा। 48 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ. विजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि 48 नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, जो विभिन्न कॉलेजों में सौर ऊर्जा संयंत्र की लोड क्षमता और स्थापना की आवश्यकताओं की जानकारी देंगे। इन अधिकारियों का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि कॉलेजों में सौर पैनलों की स्थापना सुचारू रूप से हो सके और सभी कॉलेज सौर ऊर्जा का लाभ उठा सकें। सरवाड़ और टांटोटी कॉलेज में सौर संयंत्र की स्थापना केकड़ी जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य चेतनलाल रैगर ने बताया कि केकड़ी कॉलेज में पहले से ही सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित है। इसके अलावा, जिले के सावर, सरवाड़ गर्ल्स कॉलेज, टांटोटी, और कादेड़ा कॉलेज भी इस परियोजना के तहत आते हैं। सरवाड़ और टांटोटी कॉलेजों की अपनी बिल्डिंग होने के कारण यहां सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, कादेड़ा और सावर कॉलेज की अपनी बिल्डिंग नहीं होने के कारण वहां फिलहाल संयंत्र स्थापित नहीं किया जा सकेगा। पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगी, बल्कि इससे बिजली खर्च में भी बड़ी कटौती की जा सकेगी। सौर ऊर्जा न केवल हरित ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि इसके उपयोग से बिजली की लागत में भी कमी आएगी। यह परियोजना राज्य के सभी कॉलेजों को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रकार, राजस्थान सरकार की यह पहल न केवल शिक्षा संस्थानों को ऊर्जा सक्षम बनाएगी बल्कि पर्यावरण की रक्षा और आर्थिक बचत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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