Author: UmaAbhi

अजमेर/संवाददाता। अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद ने जैसलमेर याफ्ता, 2 लाख बच्चों के लिए सरकार की ओर से बीमा करवाया गया ताकि किसी जिले के दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने जैसलमेर सहित विभिन्न ग्रामीण अंचलों में आयोजित जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने कहा कि इस्लाम के आखिरी पैगंबर हुजूर मोहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने शांति, अमन, भाईचारा, आपसी सौहार्द एवं इंसानियत की खिदमत करने का संदेश दिया । मोहम्मद साहब ने कहा था कि दहशतगर्दी का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है। वहीं शिक्षा के महत्व के बारे में उन्होंने उस समय बता दिया था कि तुम्हें इल्म हासिल करने के लिए चीन तक क्‍यों न जाना पड़े, लेकिन जाओ और पड़ो । मंत्री शाले मोहम्मद ने कहा कि यहां की जनता ने उन्हें मजबूत बनाया वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें इल्म से जुड़ा हुआ डिपार्टमेंट दिया । अल्पसंख्यकों की बेदारी एवं शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर करने के लिए अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास, राजकीय अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय, शिक्षा की ओर प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति, मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना, डीबीटी वाउचर योजना, मदरसों में तालीम अनहोनी में परिवार को संबल मिल सके | मुख्यमंत्री मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए भवनों का निर्माण, खेलकूद सामग्री, पाठ्य सामग्री एवं लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। जहां अब महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, एपीजे अब्दुल कलाम, मौलाना अबुल कलाम आलाद सहित विभिन्न महापुरुषों की जीवनी पढ़ने को मिल सकेगी। जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मुबारक मौके पर झाबरा, जवान्ध जूनी, सोजिया की ढ़ाणी, जैसलमेर, मोहनगढ़, ढिबा पाड़ा सहित विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रम में मंत्री शाले मोहम्मद ने शिरकत कर आमजन से मुलाकात की तथा ईद मिलादुन्नबी के मौके की मुबारकबाद दी | जैसलमेर शहर के विभिन्न मोहल्लों में जश्ने ईद मिलादुन्नबी की रैली निकली जिस पर हिन्दू भाइयों ने पुष्प वर्षा कर जगह-जगह स्वागत किया । मंत्री ने बताया कि यह पश्चिमी राजस्थान एवं जैसलमेर की खूबी है। यहां सभी वर्ग, धर्म एवं मजहब का सम्मान किया जाता है । यहां के लोग हर व्यक्ति के सुख दु:ख में साथ खड़े रहते हैं।

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अजमेर /( यतीश चन्‍द)»)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सामाजिक असमानता मिटाने के लिए अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। भारत के प्रथम कानून मंत्री डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा रचित संविधान के द्वारा देश में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं। समाज में समानता व समरसता सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने अखिल भारतीय रैगर महासभा के तत्वाधान में आयोजित उवें राष्ट्रीय रैगर महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रैगर समाज का लोकतांत्रिक संस्थाओं में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा। श्री गहलोत ने कहा कि इससे पहले पूर्व 4 टैगट श्षमान की बालिकाओं के लिए में बनेगा छात्रावाल, 2. लॉविधान प्रदत्त आरक्षण की श्क्षाकेलिएहरकाश्ग्रविबद्ध, ३. पूरे देशमें लागु हे शजल्थान मॉडल ।॥ बडी वेचितों एवं दलितों का उधान प्रकार की प्रायमिकता-मुख्यमंत्री हू | है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने संविधान संशोधन के माध्यम से स्थानीय व ग्रामीण निकायों में एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया था। प्रदेश धर्मशाला का निर्माण कार्य पूर्व कार्यकाल में किया गया। उन्होंने रैगर समाज की बालिकाओं हेतु जयपुर में छात्रावास बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बगरू क्षेत्र में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। संवैधानिक मूल्यों पर आधारित सरकार की नीतियां मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की संविधान में अटूट आस्था है। वर्तमान में देश में निर्मित वातावरण असंवैधानिक सोच को बढ़ावा देने वाला है। संविधान के नीति-निदेशक तत्वों के अनुसार सरकार को राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक न्याय सुनिश्चि करना चाहिए एवं सामाजिक असामनता का उन्मूलन करना चाहिए। राज्य सरकार संविधान प्रदत्त आरक्षण की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय रेगयय सरकार ने राजकीय सेवाओं में पदोन्नति में महासम्मेलन में भाग लिया था जहां उन्होंने. आरक्षण को बरकरार रखा है ताकि समाज के हित में विभिन्न योजनाओं की एससी .एसटी वर्ग के कर्मचारी लाभान्वित घोषणा की थी। हो सकें। इसके साथ ही डॉ. भीमराव मुख्यमंत्री ने कहा कि रैगर समाज अम्बेडकर दलित, आदिवासी उद्यम एक मेहनतकश समाज है। राज्य सरकार प्रोत्साहन योजना के माध्यम से दलित समाज के हितों की रक्षा करने के लिए उद्यमियों को आर्थिक रूप से संबल देने का संकल्पित होकर कार्य कर रही है। उन्होंने. कार्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। कहा कि इसी क्रम में समाज के बालकों के राजस्थान मॉडल को पूरे देश में लिए जयपुर में छात्रावास तथा रामदेवरा में लागू करे केन्द्र सरकार मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, उपलब्ध करवाने के लिए निरंतर निर्णय ले रही है। राज्य सरकार द्वारा युवाओं को तीन लाख से अधिक सरकारी नौकरियां देने का कार्य किया जा रहा है। शहरों में रोजगार के संकट को दूर करने के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना चलाई जा रही है। राज्य में मनरेगा में 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार दिया जा रहा है। बड़े पैमाने पर निवेश राजस्थान में लाया जा रहा है ताकि निजी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक मॉडल स्टेट बन कर उभरा है। सरकार की योजनाओं से आमजन को मिली राहत मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के लिए अलग से बजट प्रस्तुत करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसान मित्र ऊर्जा योजना के माध्यम से लाखों किसानों का बिजली बिल शून्य हो गया है। इसी प्रकार 50 यूनिट सृजित हों। पर्यटन के क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार सृजित करने के लिए पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। चिरंजीवी योजना से आमजन को मिल रहा निःशुल्क उपचार मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सड़क, रोजगार जैसे क्षेत्रों में राज्य सरकार की नीतियों से राजस्थान एक मॉडल स्टेट बन चुका है। उन्होंने कहा कि युवाओं, महिलाओं , विद्यार्थियों, वृद्धजनों , दिव्यांगों से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक सभी को सामाजिक सुरक्षा देने का कार्य राज्य सरकार कर रही है। जनकेन्द्रित नीतियों के माध्यम से आमजन को ज्यादा से ज्यादा राहत पहुंचाना रेवड़ियां बांटना न होकर एक लोकतान्त्रिक सरकार का कर्तव्य है। आज देश में महंगाई और बेरोजगारी का एक बड़ा संकट है। आमजन को राहत देने के लिए केन्द्र सरकार को राजस्थान मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहिए। प्रदेश सरकार दे रही युवाओं को रोजगार मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार ने आमजन को महंगे उपचार से मुक्ति दिलाने के लिए चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की है। इसके माध्यम से आमजन को ॥0 लाख रूपए तक का निःशुल्क उपचार मिल रहा है। किडनी, हार्ट, लीवर ट्रांसप्लांट जैसे महंगे इलाज में 0 लाख की सीमा समाप्त कर दी गई है। साथ ही, 5 लाख रूपए तक का दुर्घटना बीमा भी दिया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में 384 दुर्घटना पीड़ितों के परिवारों को 5 लाख का दुर्घटना बीमा दिया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा आईपीडी, ओपीडी में सभी प्रकार के उपचार निःशुल्क कर दिए गए हैं। प्रदेश में आमजन की सीटी स्केन, एम.आर.आई. स्केन जैसी महंगी जांचें निःशुल्क की जा रही हैं। इन ऐतिहासिक निर्णयों से राज्य निःशुल्क किए जाने के फैसले से करीब 44 लाख घरेलू उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य हो गया है। प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांग, वृद्धजन, महिलाओं सहित ॥ करोड़ से अधिक लोगों को पेंशन दी जा रही है। वंचित तबके के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अनुप्रति योजना के अंतर्गत निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है। 200 बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सरकार के खर्चे पर विदेश भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के प्रति आमजन को अधिक से अधिक जागरूक किया जाना चाहिए ताकि कोई पात्र व्यक्ति इनके लाभ से वंचित न रहे। राजस्थान में हुआ शानदार कोरोना प्रबंधन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना महामारी के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिए ” भीलवाड़ा मॉडल ” की पूरी दुनिया में सराहना हुई | कोरोनाकाल में बेहतरीन चिकित्सा प्रबंधन के जरिए राजस्थान पूरे देश में अग्रणी रहा। प्रदेश के हर चिकित्सालय में ऑक्सीजन आवश्यक दवाईयों और बेड्स की अतिरिक्त व्यवस्था की गई। इसी का परिणाम रहा है कि अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में मृत्यु दर काफी कम रही। मुख्यमंत्री ने…

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नर्सिंग काउंसिल और नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता संबंधी कार्यों में जो अनियमितता और भ्रष्टाचार किया गया है। हाईकोर्ट ने मप्र मेडीकल साइंस विवि.म.प. नर्सेस रिजस्ट्रेशन काउंसिल और इंडियन नर्सिंग काउंसिल के रिकार्ड की जांच कर 3 माह के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिये हैं। हाईकोर्ट के आदेश से सीबीआई जांच करेगी | कई माहों तक यह मामला जांच में लंबित रहेगा। हजारों छात्रछात्राओं का भविष्य अंधकार मय होगा । सीबीआई की रिपोर्ट आने के बाद हाईकोर्ट फिर मामले की सुनवाई करेगी। जिम्मेदार। भ्रष्ट अधिकारी नियम कानून और एक दूसरे के ऊपर ठीकरा फोड़कर अपने आप को बचाने का प्रयास करेंगे। इसी तरीके से भ्रष्टाचार होता रहेगा। व्यापम घोटाले की जांच भी सीबीआई ने की थी। इतने वर्षों बाद क्‍या हुआ, यह सभी जानते हैं। जो जिम्मेदार अधिकारी थेए वह आज भी खुले घूम रहे हैं। जो भी गाज गिरी, वह परीक्षार्थियों और उनके परिवार जनों पर गिरी जिनकी कोई गलती नहीं थी। वह भ्रष्ट व्यवस्था और सरकार की लाख फीताशाही के शिकार हुए थे। ग्वालियर खंडपीठ ने 36नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के संबंध में नर्सिंग काउंसिल की भूमिका, सरकार की भूमिका, डीएमई की भूमिका और मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की भूमिका पर आश्चर्य व्यक्त किया। संस्थाओं की कार्यवाही को देखने के बाद हाईकोर्ट को जिन जिम्मेदार अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करके हाईकोर्ट को मैसेज देना था। नर्सिंग क्या होगा सीबीआई की जांच से तारीख पर तारीख ? काउंसिल एक चपरासी के भरोसे चल रही है। सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है। जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद करके गांधीजी के तीन बंदरों की तरह बैठे हुए हैं। हजारों छात्रों का भविष्यए जिन्होंने नर्सिंग कॉलेज की मान्यता देखकर एडमिशन लिया था। अब वह यहां से वहां चक्कर काट रहे हैं। आर्थिक और मानसिक रूप से तो उन्हें नुकसान हुआ ही है। इसके साथ-साथ कीमती वर्ष भी बर्बाद हो गया है। उनके डॉक्यूमेंट नर्सिंग कॉलेजों में जमा है। जब तक सीबीआई की जांच चलती रहेगी, सब कुछ ठहरा हुआ होगा। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान छात्र-छात्राओं का हो रहा है। सीबीआई जांच हो, इससे कोई इंकार नहीं है। लेकिन छात्र छात्राओं को भी न्याय मिले। आगे इस तरह की कोई गड़बड़ी ना हो। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। तब लोगों का भरोसा न्यायपालिका के ऊपर पुख्ता होगा। सीबीआई की जांच से अब छात्र-छात्राओं और जिम्मेदार लोगों को भी डर लगने लगा है। कई वर्षों तक चलने वाली इस जांच में जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही नहीं होती है। सबसे ज्यादा खामियाजा सबसे कमजोर पक्ष जिन्हें न्याय की आस होती है। उन्हें ही नुकसान उठाना पड़ता है। हजारों छात्र-छात्रायें वि.वि. में पंजीयन और परीक्षा के लिये भटक रहे हैं। जिन छात्रों के बेहतर भविष्य और बेहतर शिक्षा के लिये जिन संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई है। यदि वह अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाये । ऐसी स्थिति में कोर्ट को इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। आनलाईन हाने से धंधा बौठ गया।

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राजस्थान में मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर छिड़ी आपसी लड़ाई के बीच राज्य में कांग्रेस के भविष्य के सामने एक बड़ा प्रश्नचिन्ह उपस्थित हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने नेतृत्व पर राजनीतिक दबाव बनाने का जो खेल खेला है, उसका राजनीतिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाए तो यही प्रमाणित करता है कि यह अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा है। इससे ‘यह भी संदेश जा रहा है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने को लेकर जिस प्रकार से गहलोत समर्थक विधायकों ने अपने त्याग पत्र दिए हैं, उससे प्रथम दूष्टया ‘यही लगता है कि ये विधायक कांग्रेस के ‘कम गहलोत के ज्यादा हैं । विधायकों का ‘यह नाटक निश्चित ही गहलोत के संकेत पर ही चल रहा होगा | इसके अलावा केन्द्र की ओर से भेजे गए दो पर्यवेक्षक भी राजस्थान में उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट को दूर करने में असमर्थ ही रहे। हालांकि पार्टी अनुशासन को ध्यान में रखते हुए यही कहा जा सकता है कि किसी भी स्थिति में गहलोत समर्थक विधायकों को त्याग पत्र नहीं देना चाहिए था। जब संभावित राष्ट्रीय अध्यक्ष के समर्थक ही विवाद की स्थिति बनाने का प्रयास कर रहे हों, तब अन्य से क्या अपेक्षा की जा सकती है। इस विवाद की जड़ यही है कि गहलोत अपना मुख्यमंत्री बनाना चाह रहे हैं, कांग्रेस का नहीं। अगर कांग्रेस के हाथ में सत्ता रखना है तो फिर सचिन पायलट तो जन्मजात कांग्रेसी हैं। उनको सत्ता की बागडोर देने में कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए। भारत में कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी के नेतृत्व में एक तरफ भारत जोड़ो यात्रा निकाली जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में कांग्रेस में बिखराव की ओर (कदम बढ़ाती दिख रही है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि राजस्थान की लड़ाई के दी पीक्षक भी राजाधात भें गन हए राजगीतिक सके? की तो कोने मे अगर् मुख्य सूत्रधार के रूप में जो नेता सामने आए हैंए उसी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने की कवायद की जा रही है। अशोक गहलोत समर्थक विधायकों का यह कदम कांग्रेस पार्टी में एक और बिखराब की घटना को जन्मित कर सकता है। सिद्धांत की बात यह है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के बाद कांग्रेस के सबसे प्रभावी नेता सचिन पायलट ही हैं, इसके आधार पर लोकतांत्रिक तरीका यही कहता है कि पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि अशोक गहलोत का पूरा सोच लोकतांत्रिक न होकर पूर्वाग्रह से ग्रसित है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि मैं किसी गद्दार के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ सकता। इतना ही नहीं इससे पूर्व अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ना ही नहीं चाह रहे थे, लेकिन जब राहुल गांधी ने एक पद, एक व्यक्ति के सिद्धांत को प्रतिपादित किया, तब अशोक गहलोत ने इस सिद्धांत को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन उनकी नजर मुख्यमंत्री के पद से अलग नहीं हो पा रही है। वे अपने किसी समर्थक को ही मुख्यमंत्री बनाना चाह रहे हैं। हालांकि स्वतंत्र भारत में कांग्रेस के अंदर चौथी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा हैए लेकिन जिस प्रकार के दृश्य दिखाई दे रहे हैं, वह चुनाव के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का काम करेंगे, इसमें संशय है। अभी से यह कहा जाने लगा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी जिसे चाहेंगे, वही कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा। इस दृष्टि से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव महज एक दिखावा ही कहा जाएगा, क्योंकि गांधी परिवार की दृष्टि में अध्यक्ष तय हो चुका है। यहां सवाल यह भी पैदा होता है कि जब अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे, तब क्‍या सचिन पायलट को कांग्रेस नेता के रूप में उम्मा सांवचाद पेज-3 स्वीकार कर पाएंगे। अब राजस्थान में कांग्रेस के अंदर संभावित स्थिति यह बनती दिखाई दे रही है कि या तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर वे कांग्रेस को अलविदा कर सकते हैं। दोनों ही स्थितियां अशोक गहलोत की राह में अवरोधक की स्थिति पैदा कर सकती हैं, क्‍योंकि ऐसी स्थिति में राजस्थान का रण जीतना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बनेगी। ऐसे में प्रश्न यह भी आता है कि जो कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है, क्या उसे अब कांग्रेस जोडने के लिए प्रयास नहीं करने चाहिए। क्‍योंकि जब कांग्रेस में ही एकता नहीं है तो फिर इस प्रकार की यात्राएं निकालने का कोई अर्थ भी नहीं है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने वर्तमान कार्यकाल में सचिन पायलट को हमेशा किनारे करने का प्रयास ही किया है, वे अब भी पायलट की राह में रोड़ा बन रहे हैं। वे अब भी वैसा ही कर रहे हैं। उन्होंने अपनी भूमिका लेकर संशय भी उपस्थित कर दिया है कि वह अपनी राजनीति किस प्रकार से करेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावनाओं के चलते अब अशोक गहलोत को अपनी सोच को विस्तार देने का प्रयास करना चाहिए। अब उन्हें झगड़ा बढ़ाने की नहीं, बल्कि झगड़ा सुलझाने की राजनीति करने की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए नहीं तो वे वैचारिक रूप से राजस्थान तक ही सीमित रह जाएंगे और फिर कांग्रेस के अंदर अनियंत्रण की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसके कारण शेष राज्यों के नेता भी ऐसी ही राजनीति करने की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। जिससे यह संभावना भी बन सकती है कि कांग्रेस एक बड़े बिखराव की ओर कदम बढ़ाएगी। जिसे संभालना कांग्रेस नेताओं के लिए टेड़ी खीर ही साबित होगी ।

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किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में उस देश की आधारिक संरचना के विकसित होने का बहुत प्रभाव पड़ता है। कच्चे माल एवं निर्मित वस्तुओं को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने एवं वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात करने के उद्देश्य से इन्हें विनिर्माण इकाई से देश के बंदरगाह तक ले जाने हेतु आधारिक संरचना का विकसित होना बहुत जरूरी है। भारत में भी हाल ही के समय में इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। देश में न केवल सड़क मार्ग का मजबूत तंत्र खड़ा कर लिया गया है अपितु अब देश में रेलवे एवं बंदरगाहों का भी एक तरह से कायाकल्प किया जा रहा है। केंद्र सरकार भारत के विभिन्न रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए माडल स्टेशन योजना, मार्डन स्टेशन योजना के साथ आदर्श स्टेशन योजना चला रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत देश के कई छोटे-बड़े स्टेशनों का उन्नतिकरण एवं आधुनिकोकरण का काम संचालित हो रहा है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण आदर्श स्टेशन योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा विकास के लिए कुल १,253 रेलवे स्टेशनों को चयनित किया गया है और अभी तक कुल १,245 रेलवे स्टेशन विकसित किये जा चुके हैं । शेष बचे हुए 3४रेल्वे स्टेशनों के विकास के लिए भी कार्य तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। विकसित एक अन्य योजना के अंतर्गत भारत में ट्रेन की रफ्तार को बढ़ाने के उद्देश्य से आगामी 3 वर्षों में देश में 400 वंदे भारत ट्रेन का निर्माण किए जाने की योजना बनाई गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बनाए गए आम बजट में इसके लिए 4.4 लाख करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई है। 46कोच वाली एक वंदे भारत ट्रेन पर 20 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वर्तमान में चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में 75 ट्रेनों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी जो अगस्त 2023 तक समाप्त हो जाने की सम्भावना है। वर्ष 209 में सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत हुई थी । वर्तमान में देश में 2 वंदे भारत ट्रेन दिल्ली से वाराणसी और दिल्ली से कटरा के बीच संचालित हो रही हैं जिनकी चलने की गति 60 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो कि देश में अभी तक की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली ट्रेन की श्रेणी में शामिल है। इसी क्रम में, यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक जल्दी पहुंचाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे एक और योजना पर भी कार्य कर रहा है। जिसके अंतर्गत भारतीय रेलवे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के उन्नतिकृत दूसरे वर्जन की 2 ट्रेनों को लाने जा रहा है। इसमें पहली ट्रेन की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा होगीए जबकि दूसरी ट्रेन की गति 220 किलोमीटर प्रति घंटा होगी । भारतीय रेलवे आत्मनिर्भरता हासिल सित कर आएं करने के उद्देश्य से भी तेजी से कार्य कर रहा है। अभी हाल ही में भारतीय रेलवे ने रेल के पहियों का भारत में ही निर्माण करने के उद्देश्य से एक विनिर्माण इकाई को भारत में लगाने के लिए एक टेंडर जारी किया है। इस विनिर्माण इकाई में प्रत्येक वर्ष कम से कम 80,000 पहियों का निर्माण किया जाएगा | साथ ही रेल के पहियों का निर्यात करने की योजना भी तैयार कर ली गई है। भारतीय रेलवे ने पहली बार निजी कंपनियों को रेल पहिए के निर्माण हेतु विनिर्माण इकाई स्थापित किए जाने हेतु आमंत्रित किया है। इस (मेक इन इंडिया) रैक विकास को दिए रही है। केंद्रीय बजट में सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को .99 लाख करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गई है। विशेष रूप से दिल्ली-मुंबई के बीच बन रहे आठ लेन के ग्रीन एक्सप्रेस-वे के पूर्ण हो जाने के बाद कम्पनियों की लॉजिस्टिक की लागत में बहुत कमी आएगी क्‍योंकि पहिले दिल्ली मुम्बई के बीच एक ट्रिप में जहां 54 घंटे का समय लगता था वहां अब इस नई परियोजना के पूर्ण होने के उपरांत केवल १8से 20 घंटे का समय ही लगेगा। इस प्रकार इससे न केवल परिवहन लागत में भारी कमी आएगी प्लांट में हाई स्पीड ट्रेनों और यात्री डिब्बों के पहियों का निर्माण किया जाएगा एवं जिसकी खरीदी रेलवे विभाग द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही इस प्लांट में निर्मित किए गए रेल पहियों का यूरोपीय बाजार में निर्यात भी किया जाएगा। भारतीय रेलवे द्वारा विभिन क्षेत्रों में लगातार बढ़ाई जा रही गतिविधियों के चलते देश में रोजगार के भी लाखों अवसर निर्मित हो रहे हैं। वैसे भी देश में नागरिकों को रोजगार देने में भारतीय रेलवे का बड़ा योगदान रहा है। भारतीय रेलवे ने 8वर्षों के दौरान लगभग 3.5 लाख नागरिकों को नौकरी प्रदान की हैं और लगभग १.40 लाख रोजगार के अवसरों की भर्ती प्रक्रिया जारी है, जिन्हें जल्द ही पूरा करलिया जाएगा। रेलवे मार्ग के आधुनिकीकरण के साथ ही सड़क मार्ग को भी मजबूती प्रदान की जा बल्कि शहर उत्सर्जन में भी बहुत बड़ी मात्रा में कमी होगी। भारत में भारतमाला परियोजना को भी तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके प्रथम चरण के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले 34,800 किलोमीटर सड़क मार्ग में से अभी तक राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के तहत 6,8,686करोड़ रुपये की लागत का 20,4 किलोमीटर लम्बे सड़क मार्ग का कार्य आबंटित किया गया है, जिसमें से अब तक 8,34 किलोमीटर सड़क के विकास का काम पूरा हो गया है। इस परियोजना के तहत गलियारों, फीडर सड़कों, सीमा, अंतर्राष्ट्रीय संपर्क सड़कों, तटीय और बंदरगाहों से जुड़ी सड़कों, एक्सप्रेस-वे और एनएचडीपी कौ बकाया ॥0 हजार किलोमीटर की सड़कों पर भी काम शीघ्र ही दिए जा रहे है पंरव प्रारम्भ किया जाएगा। इसी प्रकार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) भी देश में 4.47 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण कर रहा है। एनएचएआई 22 हरित राजमार्ग भी बना रहा है और 2024 के अंत तक भारत के सड़क ढांचे को अमेरिकी सड़कों के बराबर विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है। भारत में बेहतर डिजाइन और निर्माण से सड़क दुर्घटनाओं में 28 .28प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है । रेलवे एवं सड़क मार्ग को विकसित किए जाने के साथ ही भारतीय बंदरगाहों का विस्तार कार्य भी तेज गति से जारी है। विशेष रूप से पिछले 8वर्षों में भारत सरकार ने समुद्री क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूते हुए व्यापार और…

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क्या संघ करता है मुसलमानों पर भरोसा-मुस्लिम प्रेम दिखावा या हकीकत पॉपुलर फ्रंट ऑफइंडिया यानि पीएफआई के तकरीबन सैकड़ा भर ठिकानों पर छापे, हिजाब विवाद, भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद साहब पर की गई टिप्पणी, ज्ञानवापी मस्जिद मसले, गौ हत्या और मॉब लिचिंग, लव जिहाद, धर्मान्तरण, हिन्दु राष्ट्र की अवधारणा और उसके लिए माहौल तैयार करना, उत्तरप्रदेश में मदरसो के सर्वे, अन्य कुछेक मस्जिदों और एतिहासिक इमारतों की खुदाई की मांग आदि मसलों के बीच आरएसएस चीफ मोहन भागवत की अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात ने सियासी पारा चरम पर पहुंचा दिया है। चूंकि, अखिल भारतीय इमाम संगठन का कार्यालय मस्जिद परिसर में है लिहाजा दिल्ली की मस्जिद में आएसएस प्रमुख का पहुंचना अपने आप में ही बड़ी बात है। इमाम उमर इलियासी के पिता जमील इलियासी की मजार पर भी संघ प्रमुख पहुंचे, साथ ही इमाम के परिजनों से भी मुलाकात की। इसके बाद दिल्ली के ही आजाद मार्केट के एक मदरसे का दौरा किया और यहां बच्चों से मुलाकात की। इसके बाद उमर अहमद इलियासी ने मीडिया से बात करते हुए मोहन भागवत को राष्ट्रपिता और राष्ट्रकषि बता दिया। अब, पूरे देश में इसके अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। भागवत के मस्जिद और मदरसे पहुंचने के पीछे जितने मुंह उतनी बातें वाली बात चरितार्थ हो रही है। कुछेक का तर्क है कि आरएसएस यूनिफॉर्म सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए माहौल तैयार कर रहा है। कुछ का कहना है कि अगले लोकसभा चुनाव के पहले संघ, मुसलमानों की नाराजगी को कम करने की कोशिश कर रहा है। जानकारों का ये भी मानना है कि कोविड के बाद से पूरे देश का व्यापार प्रभावित हुआ और इसके बाद जब पूरी व्यवस्था पटरी पर वापस आने को तैयार है तो ऐसे में देश में साम्प्रदायिक विवाद से फिर विकास की गति धीमी हो सकती है। इसके अलावा भारत की छबि को भी अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंच सकता है। अब जब कि देश तेजी से आगे बढ़ रहा है तो ऐसे में जरूरी है कि देश के भीतर सुकुन का माहौल हो। भागवत से पहले संघ के पांचवें सरसंघचालक कुप्पाहली सीतारमयया सुदर्शन भी इलियासी के परिजनों से मिलते रहे हैं लेकिन तब इतनी चर्चा नहीं हुई। भागवत इससे पहले भी मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात कर चुके हैं। वे जम्मू कश्मीर के मुस्लिम नेताओं से मिलने वाले हैं। संघ प्रमुख के इमाम से मिलने और मदरसे के दौरे से किसी को कोई एतराज नहीं है। इलियासी ने भी यही कहा कि वो पहली दफा किसी मस्जिद में आए हैं। धर्म अलग हो सकते हैं, पूजा के तरीके और परम्परा, अलग हो सकती है लेकिन सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है। हम सब भारतीय है और सभी मिलकर भारत को मजबूत करें। भागवत ने भी मदरसे के बच्चों से बात करते हुए यही कहा कि सभी धर्मो का सम्मान करना चाहिए इन दोनों ने जो कहा वो कोई नई बात नहीं है, बल्कि सवाल ये है कि पिछले कुछ सालों में देश की फिजा में जो जहर घुला उसके पीछे जिम्मेदार कौन है। जब तक राजनीति और धर्म अलग-अलग थे तब तक सब कुछ ठीक-ठाक था लेकिन जब से राजनीति और धर्म के बीच घालमेल हुआ तब से चीजों को देखने का नजरिया बदल गया किसने…..क्या कहा एआईएमआईएम प्रमुख असुददीन ओवैसी का कहना है कि आरएसएस की विचारधारा क्‍या है ये सब जानते हैं। आवैसी का कहना है कि मुस्लिम समाज का बड़ा तबका अपने हक के लिए लड़ता है तो वह बुरा हो जाता है, उस पर शक किया जाता है। उन्होंने इस मुलाकात को कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का असर बताया। इसी तरह कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी पवन खेड़ा ने कहा कि ये भारत जोड़ो यात्रा का ही असर है कि संघ प्रमुख इमामों से मिलने पहुंच गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने तो भागवत को आमंत्रित करते हुए कहा कि वे राहुल गांधी की यात्रा में शामिल हों सबसे | तीखी प्रतिक्रिया बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की आई । मायावती ने कहा कि मस्जिद और मदरसे जाकर उलेमाओं से मिलने, फिर खुद को राष्ट्रपिता और राष्ट््रषि कहलवाने के बाद क्‍या भाजपा मस्जिद और मदरसों के प्रति अपने नकारात्मक रूख में बदलाव लाएगी। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने निशाना साधते हुए कहा कि मोहन भागवत जी अब आप अखलाक और बिलकिस बानों के परिवार से भी मिलें। बिलकिस बानों को न्याय दिलाएं। बलात्कारियों का सम्मान करने वालों के खिलाफबयान दें जहां जहां निर्दोष मुसलमानों को आपके कार्यकर्ताओं ने सताया है उनसे माफी मांगें अन्यथा आपका मस्जिद मदरसा जाना केवल दिखावा होगा। यूपी की तर्ज पर अन्य राज्यों में हो सकता है मदरसों का सर्वे देश की कुछे मस्जिदों और एतिहासिक इमारतों की खुदाई की मांग के बीच उत्तरप्रदेश सरकार ने मदरसों का सर्वे शुरू करा दिया है। यूपी सरकार का तर्क है कि वो मदरसे के छात्रों और शिक्षकों को शिक्षा के आधुनिक तरीकों से जोड़ने की कवायद कर रही है। सर्वे में मदरसों की फंडिंग, पाठयक्रम, मदरसों का नियंत्रण, मदरसे चलाने वाली संस्था, फर्नीचर-पेयजल आदि की सुविधा, आमदनी का जरिया जैसे सवालों के जवाब देने होंगे। दूसरी तरफ, इस सर्वे का विरोध शुरू हो गया है। एआईएमआईएम के सांसद असददुनी ओवैसी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना सैयद अरशद मदनी ने मदरसों के सर्वे पर सवाल उठाते हुए आरएसएस के संगठन विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिरों के सर्वे कराने की मांग भी की है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी सर्वे पर भारतीय है ओर सभी मिलकर भारत को मजबूँ सवालिया निशान लगाए हैं। हालांकि, तमाम विरोधों के बावजूद भी मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। यहां ये बताना लाजमी होगा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सन 2077 में मदरसों के आधुनिकौकरण के तहत पोर्टल बनाकर उन्हें पंजीयन कराने की सुविधा दी थी। योगी सरकार ने मदरसों के सिलेबस में एनसीईआटी की किताबों को शामिल किया, यहां पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए लर्निंग एप भी लांच किया। इसके साथ ही मदरसों में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान और हिन्दी आदि विषयों को अनिवार्य रूप से शामिल करने का निर्णय लिया गया…

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अजमेर/संवाददाता। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने अलवर ग्रामीण क्षेत्र के गांव ठेकडा में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत होने पर फीता काटकर उद्घाटन किया। मंत्री जूली ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है। बडी संख्या में सरकारी स्कूलों को क्रमोन्नत किया हैं। अब गरीब तबके के लोगों के बच्चे भी महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में निःशुल्क अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि 24 से अधिक सरकारी कॉलेज खोले गए है, नए शिक्षकों की भर्ती की गई है, अन्य भर्ती प्रक्रियाधीन है। महाविद्यालयों में बालिकाओं को निःशुल्क उच्च शिक्षा प्रदान की जा रही है। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। मंत्री जूली ने अलवर ग्रामीण क्षेत्र के गांव हाजीपुर में भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को लोकतांत्रिक व्यवस्था का दर्पण बताते हुए कहा कि उनके बताये मार्ग का अनुसरण करने से सामाजिक समस्सता के साथ राष्ट्र का विकास होगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहिब ने शिक्षा का महत्व समझकर ‘ शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो ‘ का मूल मंत्र प्रदान किया था। उन्होंने दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान हमें प्रदान किया। साथ ही शिक्षा की नींव रख देश में उन्नति की अलख जगाने वाले बाबा साहेब ने देश के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर युवाओं को अपना लक्ष्य निर्धारण करना चाहिए। मंत्री ने शोभायात्रा में भाग लिया:-सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकारम जूली ने बहादुरपुर में वाल्मिकी जयन्ती पर आयोजित शोभायात्रा केकार्यक्रम में भाग लिया | उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के जीवन से हमें प्रेम, सौहार्द व आपसी भाईचारे के साथ जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि रामायण के प्रसिद्ध रचयिता महर्षि वाल्मिकी आदि कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए है। उनकी रचना रामायण महाकाव्य हमें जीवन के सत्य व कर्तव्य से परिचित करवाता है। इसके बाद मंत्री टीकाराम जूली ने डेहरा में पहुंचकर स्व. ओमप्रकाश के निधन पर शोक व्यक्त किया तथा शोक संतृप्त परिवार को सांत्वना देकर ढाढस बंधाया | इसके पश्चात दाउदपुर में नेक कमाई समूह की ओर से रामलीला में किरदार निभाने वाले बच्चों के सम्मान समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधान दौलतराम जाटव, वीरमति देवी, पूर्व प्रधान शिव लाल गुर्जर, पूर्व चेयरमैन रामफल गुर्जर सहित प्रबुद्ध व्यक्ति एवं आमजन उपस्थित रहे।

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अजमेर /( यतीश चनन्‍्द)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर स्थित किशनबाग सैंड ड्यून पार्क का अवलोकन किया। गहलोत ने किशनबाग में स्थित विविध मरूस्थलीय वनस्पतियों, पुरातन चट्टानों, मरूस्थलीय टीलों तथा राजस्थानी पद्धति से बने मचानों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने पार्क के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पार्क के रेतीले क्षेत्र में उगाई गई स्वदेशी वनस्पति, प्रदेश के अलग-अलग जिलों से लाई गई पहाड़ी तथा भूमिगत चट्टानोंए जीवाश्म एवं उनके माध्यम से राज्य के प्राकृतिक इतिहास के वर्णन की सराहना की। श्री गहलोत ने पार्क में रेगिस्तानी रोई प्रकार की झाड़ियों तथा अन्य वनस्पतियों को देखा। उन्होंने कहा कि पार्क का भ्रमण करने पर पर्यटकों को पता चलता है कि राजस्थान की धरती बंजर न होकर विभिन्न प्रकार की झाड़ियां, घास व जैव-विविधता लिए हुए है तथा सैंकड़ों प्रजाति के पक्षी व जानवर इसके द्वारा पोषित होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किशनबाग पर्यटकों के साथ.साथ विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं एवं भूगोलवेत्ताओं के लिए भी एक अद्भुत स्थल है। यहां आमजन अपने परिवार के साथ आकर सुकून भरा समय बिता सकते हैं। पार्क में आमजन को प्रकृति से जुड़ी विभिन्न प्रकार की रोचक जानकारी भी मिलती है। उन्होंने कहा कि किशनबाग को निर्माताओं के द्वारा एक रचनात्मक ढंग से बनाया गया है। यहां प्रबंधन का शानदार कार्य किया गया है। साथ ही गाइड्स की जानकारी भी उत्कृष्ट स्तर की है। इस दौरान उन्होंने किशनबाग में घूमने आए आमजन से मुलाकात की तथा उनके अनुभव को जाना। गहलोत ने कहा कि किशनबाग हमें रेगिस्तानी वनस्पति के संरक्षण की प्रेरणा देता है। इस दौरान उद्योग मंत्री शकुंतला रावत, खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास एवं उप मुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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आजकल हमारे समाज में बुजुर्ग/सयाने लोगों की बहुत दयनीय स्थिति हैं, विशेष रूप से जो वृद्ध जिनकी आमदनी का कोई जरिया नहीं रहता हैं। इसके अलावा जिन बच्चों को पढ़ाया-लिखाया वक्त के साथ उनके’ व्यवहार/नजरिये में अंतर आ जाता हैं। जो पेंशन भोगी हैं वे कुछ सीमा तक सुरक्षित कह सकते हैं पर उम्र का तकाजा पराधीनता को मजबूर कर देती हैं। वृद्धकाले य॒त्ता भार्या बन्धुहस्ते गत धर्न॑। भोजन च पराधी न तित्र- पुसां विडम्बना ।। वृद्धावस्था में पत्नी का देहांत हो जाना, अपने धन का भाई बंधुओं के हाथ में चला जाना और भोजन के लिए दूसरों का मुंह ताकना-ये तीनों बातें मनुष्यों के लिए मृत्यु के समान दुःख देने वाली हैं। अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस हर साल । अक्टूबर को मनाया जाता है।यह दिन हमारे समाज में वरिष्ठ नागरिकों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और उनके योगदान की सराहना करने के लिए मनाया जाता है। वरिष्ठ नागरिक समाज के नेताओं के रूप में अपने कंधों पर बहुत सारी जिम्मेदारी लेते हैं। वे समाज की परंपराओं , संस्कृति को भी आगे बढ़ाते हैं और ज्ञान को युवा पीढ़ी तक पहुंचाते हैं। हालाँकि, वृद्ध लोग भी अत्यधिक असुरक्षित होते हैं, जिनमें कई लोग गरीबी में पड़ जाते हैं, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या भेदभाव का सामना करते हैं। उन्हें कभी-कभी दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ता है, जिसका उन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह दिन अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए वृद्ध लोगों के प्रति दुनिया की जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की जनसंख्या 962 मिलियन से बढ़कर .4 बिलियन हो जाएगी, विश्व स्तर पर 46प्रतिशत की वृद्धि, 207 और 2030 के बीच | विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में, उनकी जनसंख्या 600 मिलियन है। यह 2025 तक दोगुना और 2050 तक 2 बिलियन को छूने की ओर अग्रसर है। उनकी आबादी युवाओं के साथ-साथ १0 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से भी अधिक होगी । विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बुजुर्गों की आबादी में वृद्धि सबसे तेजी से होगी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जनसंख्या बुढ़ापा 2वीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन होगा। दवाओं और अन्य प्रौद्योगिकियों में प्रगति, पिछले कुछ वर्षों में जीवन प्रत्याशा में तेजी से वृद्धि हुई है। शिक्षा, अर्थशास्त्र, स्वच्छता, चिकित्सा विज्ञान और स्वास्थ्य देखभाल में सुधार ने भी जीवन प्रत्याशा में वृद्धि में बहुत योगदान दिया है। भारत में बुजुर्ग:-संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की 209 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या .36बिलियन थी और जनसंख्या का 6 प्रतिशत 65 और उससे अधिक था। भारत की जीवन प्रत्याशा भी 969 में 47 वर्ष से बढ़कर 209 में 69 वर्ष हो गई है। भारत सरकार विभिन्न योजनाएं चलाती है और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को निवारक, पुनर्वास सेवाएं प्रदान करती है। सरकार बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल का राष्ट्रीय कार्यक्रम भी चलाती है जो वरिष्ठ नागरिकों को विशेष उपचार प्रदान करती है। बुजुर्गों के प्रति संतानों का व्यवहार समुचित होना चाहिए कारण संताने भी भविष्य के बुजुर्ग हैं । जैसा व्यवहार करोगे वैसा प्रतिफल अवश्य मिलेगा । मैं केवल फरियाद लिखता, तफतीश साहब के आदेश मिलन पर…. !

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अजमेर/संवाददाता। इण्डिया ऑनलाईन द्वारा नेशनल टैक्सेशन अवार्ड-2022 की घोषणा करते हुये राज्य सरकार को कर प्रबंधन में सबसे अधिक सुधारवादी राज्य एवं एसजीएसटी/बैट कैटेगरी श्रेणियों में “गोल्ड अवार्ड’ प्रदान किया गया। दिल्ली में आयोजित समारोह में हरियाणा राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला एवं राज्य सभा सदस्य सुशील मोदी द्वारा दिये गये इस अवार्ड को राज्य सरकार की ओर से वित्त विभाग की संयुक्त शासन सचिव, वित्त (कर) द्वारा ग्रहण किया गया। उड़ीसा राज्य को इस श्रेणी में रजत तथा हरियाणा, तमिलनाडु तथा बिहार को जूरी अवार्ड प्रदान किया गया। राजस्थान सरकार को स्टेट वैट श्रेणी में भी प्रथम स्थान आने पर गोल्ड़ अवार्ड प्रदान किया गया है। उड़ीसा राज्य को इस श्रेणी में रजत तथा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ को जूरी अवार्ड प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा आई .एफ.एम.एस. प्लेटफॉर्म पर नवाचार करते हुये इसमें व्यवहारिक परिवर्तन किये है, प्रक्रियाओं का मानकौकरण एवं मानवीय हस्तक्षेप में कमी करने से इसे और अधिक जन उपयोगी बनाया गया, जिससे भुगतान एवं राजस्व एकत्र करने में मदद मिली है। इसी प्रकार राज्य कर विभाग द्वारा जीएसटी कानून के करों की प्रभावी वसूली की गई, जिससे गत वर्ष की तुलना में 26प्रतिशत अधिक राजस्व एकत्रित हुआ है। राज्य सरकार द्वारा वर्षों से लम्बित बकाया राशि के निष्पादन के लिये एमनेस्टी योजना-202व एवं 2022 की घोषणा कर लगभग 8.00 लाख रूपये से अधिक प्रविष्टियां समाप्त कर व्यवहारियों को राहत दी है।इसी क्रम में वर्ष 2022-23 के बजट में व्यवहारी सुविधा केन्द्र की स्थापना तथा जीएसटी कानून के तहत ई.वे बिल की सीमा एक लाख रूपये तक बढाकर व्यवहारियों को राहत प्रदान की है। टैक्स इण्डिया ऑनलाईन नॉलेज ‘फाउण्डेशन द्वारा यह अवार्ड कर प्रबंधन में सुधार करने वाले तथा कर दाताओं के योगदान को स्वीकार करने वाले राज्यों और कर कानूनों की पालना करने वाले कर दाताओं, प्रौद्योगिक सेवा प्रदाताओं, कर दाता हितैषी आयुक्तों एवं कर प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले नीति निर्माताओं इत्यादि सहित नौ श्रेणियों में दिया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत जज, भारत सरकार के सेवानिवृत उच्च पदाधिकारी तथा केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड के सेवानिवृत सदस्य पुरस्कारों की जूरी में सदस्य के रूप में शामिल है। टैक्स इण्डिया ऑनलाईन की स्थापना वर्ष 2000 में की गई और ऑनलाईन मीडिया के रूप में यह प्रमुख स्टार्ट-अप कम्पनी के रूप में स्थापित है। टैक्स इण्डिया ऑनलाईन द्वारा वर्ष 2020 में इन पुरस्कारों की शुरूआत की गई थी।

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