Author: UmaAbhi

20 देशों के शीर्ष नेता जी-20 की बैठक में शामिल होने के लिएभारत पहुंच रहे हैं। भारत सरकार इस सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है।अमेरिका के राष्ट्रपति जो वाईडेन, जापान के फुमियों किसीदा औरब्राजील के राष्ट्रपति लूला डॉक्टर सिल्वा ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनक सहित20 देश के राष्ट्र प्रमुख अथवा उनके प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेने केलिए भारत पहुंच रहे हैं। भारत सरकार द्वारा विदेशी मेहमानों के आवभगत,स्वागत सत्कार, खाने-पीने के विशेष इंतजाम किए हैं। सोने चांदीके बर्तनों में शाही खाना खिलाने की व्यवस्था की गई है। रूस के राष्ट्रपतिपुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बैठक में भाग लेने नहीं आ रहेहैं।इन दोनों देशों से भारत के व्यापारिक रिश्ते बहुत मजबूत हैं। दोनों देशोंके राष्ट्रपति के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध भी बहुतमजबूत हैं। भारत सरकार द्वारा पिछले । साल में इस सम्मेलन को लेकरकई बड़े आयोजन किए गए हैं। यह माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षापरिषद्‌ की स्थाई सदस्यता के लिए भारत का दावाइस सम्मेलन से मजबूतहोगा। सभी जी-20 के देश भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन करेंगे।विशेष रूप से चीन को लेकर भारत को आशा है, कि चीन इसका विरोध नहींकरेगा। चीन संयुक्त राष्ट्रसुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत कासमर्थन करेगा। पिछले एक दशक में चीन के साथ भारत का व्यापार बहुततेजी के साथ बढा है। चीन से बहुत आयात हो रहा है, उस तुलना में भारत सेनिर्यात कम हो रहा है। भारत का निर्यात और आयात संतुलन चीन के साथलगातार बढ़ने के बाद भी,भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथदोस्ती को कम नहीं होने दिया। जी 20 का सम्मेलन भारत में हो रहा है। भारतइसकी अध्यक्षता कर रहा है। ऐसी दशा में चीन की जिम्मेदारी यह बनती है, किवह भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता दिलाने के प्रस्ताव को समर्थनदे।रूस ओर चीन के राष्ट्रपति जी 20 के सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत नहींआ रहे हैं। इसके बाद भी यह आशा की जा रही है, भारत संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षापरिषद में स्थाई रूप से शामिल होगा , तो विश्व बंधुत्व की भावना विश्व और गुरु केरूप में भारत सारी दुनिया के देशों को एक नई दिशा देगा चीन के राष्ट्रपति के साथभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत अच्छे संबंध हैं। इसका दावा समय-समयपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते रहे हैं।जी 20 के इस सम्मेलन में उस दावे को रिश्तोकी कसौटी में परखा जाएगा। भारत को चीन औररूस से बड़ी आशा है। दोनों हीराष्ट्रपति जी-20 के सम्मेलन में नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं अमेरिका भारत कीमेजबानी को सफल बनाने के लिए पुरजोर समर्थन दे रहा है। यूरोपीय देशों कासमर्थन भारत कोअमेरिका के कारण हासिल है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिवएंटोनियो गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाएजाने केबड़े पैरोकार हैं। दुनिया के अन्य देश भी स्थाई सदस्यता के लिए भारतका समर्थन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर जो ख्यातिअर्जित की है। उसके बाद यह आशा की जा रही है, कि भारत को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता दिए जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति सेपास होगा। यदि ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओर जी 20 के शिखरसम्मेलन में भारत की राजनीति और कूटनीति सफलता होगी प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी का कद सारी दुनिया में बढ़ेगा ।

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अजमेर/संवाददाता। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने शुक्रवार को विभाग द्वारा संचालित उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए पेपरलेस आवेदन करने हेतु पोर्टल का वर्चुअल शुभारम्भ किया। उन्होंने बताया कि छात्रवृति हेतु पोर्टल पर शिक्षण संस्थानों द्वारा नवीन पंजीयन करवाने तथा पूर्व में पंजीकृत संस्थाओं की मान्यता एवं पाठयक्रमवार फीस स्ट्रक़्र अद्यतन 3 अक्टूबर तक किया जायेगा एवं विद्यार्थियों के द्वार ऑनलाइन पंजीयन एवं आवेदन दिनांक 5 सितम्बर से 07 नवम्बर तक किया जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि राजस्थान के मूल निवासियों के लिए अनुसूचित जाति/अनु -जनजाति/विशेष समूह योजना ;पूर्व में विशेष पिछड़ा वर्ग/अन्य पिछडा वर्ग/आर्थिक पिछडा वर्ग/विमुक्त, घुमन्तू एवं अर्द्ध घुमन्तृ/मीरासी एवं भिश्ती समुदाय/मुख्यमंत्री सर्वजन उच्च शिक्षा उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं में राज्य की राजकीय/निजी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं एवं राज्य के बाहर की राजकीय, राष्ट्रीय स्तर एवं मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रमों में प्रवेशित/अध्ययनरत शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों (कक्षा ] एवं 2 वीं के अतिरिक्त) द्वारा वेबसाईट लिंक कर पेपरलेस आवेदन पत्र ऑनलाइन पंजीकरण करने, आवेदन पत्र भरने के लिए ऑनलाईन पोर्टल प्रारम्भ कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि सत्र 2023-24 में पोर्टल पर विद्यार्थियों द्वारा आवेदन जनाधार के साथ ही फेस रिकग्निशन अथवा आधार बायोमैट्रिक के माध्यम से ही किये जा सकेंगे। इसमें विद्यार्थी द्वारा एक बार आवेदन करने के पश्चात संस्थान परिवर्तित नहीं होने जैसे कई नवीन प्रावधान भी किए गये हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने बताया कि सत्र 2023-24 से शिक्षण संस्थान जिस जिले में संचालित है उसमें अध्ययनरत विद्यार्थियों के छात्रवृति आवेदनों की जांच, सत्यापन व स्वीकृति का क्षेत्राधिकार उसी जिले के विभागीय जिलाधिकारी का होगा। किन्तु राज्य के बाहर संचालित शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत राज्य के मूल निवासी विद्यार्थियों के छात्रवृति आवेदनों के मामलों में क्षेत्राधिकार उस जिले के विभागीय जिलाधिकारी का होगा जिस जिले का विद्यार्थी मूल निवासी है।

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आजकल हर मां-बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा आसमां की बुलंदियों को छुए और यही ख्वाहिश अकूसर हर पेरेंट्स अपने मासूम बच्चों के कंधों पर लाद देते हैं ।ऐसे में वे यह भी जानने की जहमत नहीं उठाते कि आखिर उनका बच्चा क्या चाहता है? परीक्षा का दवाब और मां बाप की उम्मीदें इस हद तक बच्चों पर हावी हो रही है कि वो परीक्षा के इम्तिहान के डर से मौत को गले लगा लेते हैं। एक बच्चें की आखों में न जाने कितने मासूम सपने पल रहे होते हैं, लेकिन अकूसर घर-परिवार से जुड़े लोग बच्चों के सपनों को ताक पर रखकर सामाजिक पद-प्रतिष्ठा की लालच में उलझ जाते हैं। जिसका नतीजा अमूमन सिफर ही साबित होता है। इसे बिडम्बना कह लीजिए या आज के समाज की हकीकत कि हमारा समाज हर बच्चें को शीर्ष पर देखना चाहता है, लेकिन वास्तविकता तो यही है कि शीर्ष पर सिर्फ एक व्यक्ति ही काबिजु हो सकता है। फिर ऐसी आशा, अपेक्षा और आस आखिर किस काम की? जो कोटा जैसे शहर में एक साल के भीतर ही 24 बच्चों की जान ले ले । इन 24 बच्चों की आर्थिक-सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दशा की विवेचना करें, तो ये बात निकलकर आती है कि इनमें से आत्महत्या करने वाले १3 बच्चें नाबालिग हैं | वहीं 45 बच्चे गरीब या मध्यमवर्गीय परिवारों से ताल्ठक रखते थे । एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जान गंवाने वाले बच्चों में से कोई नाई का बेटा है, तो किसी के पिता गाड़ी धोने का काम करते हैं। ऐसे में सहज आंकलन किया जा सकता है कि कैसे पढ़ाई, प्रतिस्पर्धा और प्रदर्शन के दबाव में जानदेने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर बच्चा अपने आप में यूनिक होता है। मान्यताओं के अनुसार हर बच्चें के भीतर कोई न कोई ऐसा गुण अवश्य समाहित जाता है। जो उसे औरों से अलग बनाता है, लेकिन भेड़चाल की ऐसी परिपाटी हमारे समाज में अनवरत जारी है। जिसके नकारात्मक प्रभाव हम सभी के सामने हैं। इसके बावजूद हम सबब सीखने को तैयार नहीं | एक बच्चा भी अस्वाभाविक मौत मरता है, तो यह एक राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। लेकिन न रहनुमाई व्यवस्था को इस बात की फिक्र है और न ही पालकों को । परिजन की ख्वाहिश सिर्फ इतनी होती है कि फलाने का लड़की या लड़का अगर डॉक्टर-इंजीनियर बन सकता है, तो हमारा सिक्का खोटा क्‍यों रहें? भले ही फिर बच्चें की रुचि खेल या किसी अन्य गतिविधियों में क्यों न हो ? उसकी परवाह तक करना परिजन छोड़ देते हैं। परीक्षा जीवन का एक हिस्सा होती है पर परीक्षा को ही जीवन मान लेना ये कहाँ की समझदारी है? दुनिया में ऐसा कोई रिपोर्ट कार्ड नहीं बना ।जो किसी के भविष्य को तय कर सके। पर वर्तमान दौर में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अपने भविष्य निर्माण की तैयारी कर रहे छात्रों के बढ़ते मौत के आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि कैसे भविष्य निर्माण के दवाब में बच्चे मौत को गले लगा रहे हैं। वैसे तो हमारे देश में नई शिक्षा नीति को लेकर बड़ी बड़ी बातें की गई थी । कहा तो ये तक गया था कि नई शिक्षा नीति रोजगार देने वाली होगी। पाठ्यक्रम बदला, नीतियां बदली पर नौनिहालों के जीवन का संकट, भविष्य संवारने की लालसा अभी तक पूरी न हो सकी। देश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से प्रतियोगी हो चली है। बच्चे स्कूल में दाखिल होते भी नहीं और उनके लिए ट्यूशन मास्टर रख दिए जाते हैं। भविष्य गढ़ने की चिंता में बच्चे का बचपन तक दांव पर लगाने से माता पिता पीछे नहीं हटते है। अभी चंद दिनों पहले ही चेन्नई से एक दर्दनाक खबर सामने आई थी। यहां एक पिता अपने जवान बेटे की मौत के दर्द को सहन नहीं कर पाया और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली । सेल्वासेकर नाम का ये व्यक्ति पेशे से एक फोटोग्राफर था पर कैमरे के लेंस से अपने बेटे के दर्द पर फोकस नहीं कर पाया। उनका बेटा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था पर परीक्षा में असफल हो गया और मौत को गले लगा लिया | इस घटना ने पिता को अंदर तक आहत कर दिया। पिता ने भी बेटे की मौत के गम में आत्महत्या कर ली पर आत्महत्या करने से पहले छात्र के पिता ने अपने मित्र से कहा कि, वो अपने बेटे में एक डॉक्टर को देख रहा था, लेकिन काश वो अपने बेटे में सिर्फ अपने बेटे को ही देख पाते । उसका मन पढ़ पाते तो आज उनका बेटा जिंदा होता। ये एक मात्र उदाहरण नहीं, ऐसी दास्ताँ समाज में अनेक मिल जाएगी, लेकिन वर्तमान दौर में कौन किस मनोदशा से गुजर रहा । यह जानने समझने का समय किसी के पास नहीं ! सभी अपने जीवन में इस कदर व्यस्त हो गए है कि सामने वाला व्यक्ति किस दर्द, किस परेशानी में है, इससे किसी का वास्ता नहीं रहा । पिछले साल नोएडा में ही एक 20 साल के छात्र ने भी खुदकुशी कर ली थी। इस हादसे ने डॉक्टर माँ और इंजीनियर पिता की जिंदगी में कभी न भरने वाला दर्द दे दिया। उनका बेटा आईआईटी एंट्रेंस की तैयारी कर रहा था। बेटा अपना बैंड बनाना चाहता था। उसे संगीत का बहुत शौक था, पर पिता के दवाब ने उसे आईआईटी की तैयारी में लगा दिया। बेटे न म्यूजिक पढ़ने की इच्छा जताई तो पिता ने गुस्से में उसका गिटार तोड़ दिया। पिता को लगता है कि उनका बेटा कमजोर है, पर मां जानती है कि उनका बेटा हारा नहीं बल्कि उनके स्टेटस टैग ने उसे हारने पर मजबूर कर दिया था। आज भी हमारे आसपास ऐसी कितनी कहानियां और कितना दर्द भरा हुआ है। कितने मां-बाप अपने जवान बेटे की मौत का मातम मना रहे हैं । राजस्थान के कोटा शहर की ही बात करे तो ये शहर सुसाइड हब बना चुका है। ऐसे में अब जरूरत है अपने बच्चों को बचाने की, न कि स्टेटस सिंबल और अपनी महत्वाकांक्षाओं के नाम पर उन्हें मौत के मुह में ढ़केलने की ।

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देश में हिमाचल का बहुचर्चित अमन काचरु रैगिगं कांड के बाद भी विश्वविद्यालयों व कालेजों में रैगिंग का संक्रमण बढता जा रहा हैं । माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने रैगिंग पर पूर्ण प्रतिबंध का कानून लागू किया है मगर देश में रैगिग के बढते मामलों से यह कानून मजाक बनता जा रहा है। ताजा घटनाक्रम में हिमाचल के आईआईटी मंडी मे रैगिंग की घटना सामने आई है द्य आईआईटी प्रबंधन ने आरोपी 0 छात्रों को छः: महीने के लिए निष्कासित कर दिया है तथा 72छात्रों पर 5 से 25हजार रूपये तक का जुर्माना लगाया गया है। यह मामला बीते 3] अगस्त 2023 का है द्य आईआईटी मंडी मे घटित यह बहुत ही संगीन मामला है इस मामले पर प्रशासन को कड़ा संज्ञान लेना चाहिएद्य देश में रैगिंग के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं द्य रैगिंग के कारण प्रताड़ित छात्र आत्महत्या तक कर रहे हैं पिछले दिनों एम्स बिलासपुर मे भी एक मामला हो चूका है वहाँ भी एक छात्रा ने आत्महत्या की कोशिश की थी मगर बच गई थी दय यूजीसी के आकड़ों के मुताबिक 2020 में देश में रैगिंग के 29 मामले सामने आये थे द्य 2027 में रैगिंग के 547मामले हुए थे द्य 2049 में उतर प्रदेश के इटावा में सैफई मैडिकल विश्वविद्यालय में रैगिंग का मामला घटित हुआ था । जहां सीनियर छात्रों ने 50 छात्रों के सिर मुंडवा दिए थे यह एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के छात्र थे । ताकि अपराधियों को सजा मिल सके रैगिग के मामलों में वृद्दि खतरनाक साबित हो रही है। वर्ष 208में ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के भोपाल में घटित हुआ था जहां रैगिंग से तंग आकर बीफार्मा की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी ,छात्रा के सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने चार लड़कियों व एक अध्यापिका को गिरफतार कर लिया था । रैगिग का यह कोई मामला पहीं हे इस से पहले कई जघन्य वारदातें हो चुकी है। इतनी वारदातें होने के बाद भी इन घटनाओं पर रोक नहीं लग रही है।रैगिग छात्रों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। रैगिग की इन वारदातों से छात्र खौफजदा होते जा रहे हैं।अगर यही हाल रहा तों छात्रों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा सकतें है क्योकि इन बारदातों से अभिभावक भी अपने बच्चों को असुरक्षित समझ रहे है। रैगिग का साधरण सा अर्थ एक दूसरे का परिचय जानना होता था मगर अब इसका स्वरुप बदलता जा रहा है। रैगिगं अब यातना बन गई है छात्रों को मानसिक रुप से प्रताडित किया जाता है ,मारपीट की जाती है।आज तक पता नहीं कितने छात्र-छात्राएं रैगिग के कारण असमय मौत के मुह में जा चुके है उतरप्रदेश के इटावा में घटित इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया है। देश के शिक्षण संस्थानों में प्रतिबन्ध के बाद भी यह मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। में 49 की मौत हो गई थी । देश में 2023 में भी यह मामले थमते नहीं आ रहे है। एक समय था कि कालेजो में रैगिग का नाम तक नहीं था मगर पिछले कुछ सालों से रैगिग के आकडों में अप्रत्याशित बढोतरी होती जा रही है। कालेज के कुछ बिगडैल किस्म के छात्र -छात्राएं कालेज का माहौल बिगाडनें में मशगुल रहते है, ऐसे मुठठी भर लोग छात्रों को अनावश्यक रुप से तंग कर रहे है ऐसे उद्ड लोगों को कानून के मुताबिक सजा देनी चाहिए ।आज यह रैगिगं भयानक होती जा रही है। बीते सालों में हिमाचल के बीते हादसों से न तो प्रशासन ने सबक सीखा और न ही छात्रों ने सीख ली। यदि कडे कदम उठाए होते तो आज यह हादसा न होता। यह एक यक्ष प्रशन बनता जा रहा है रैगिग की यह बीमारी विश्वविद्यालयों कालेजों के बाद अब स्कूलों में भी अपने पांव पसार चुकी है यदि इस पर समय रहतें रोक न लगाई तो आने वाले समय में घातक परिणाम भुगतने पडेगें। देंश में समय- पर ऐसे दुखद हादसे होते रहते है मगर यह रुकनें के बजाए निर्बाध रुप से बढतें ही जा रहे हैं। समाचार पत्रों की खबरों के अनुसार मई में मुम्बई के ठाणें में रैगिग से तंग आकर एक छात्र ने ट्रेन के आगे कटकर आत्महत्या कर ली [दिल्ली के स्कूल आफ प्लानिगं एंड आकिटिक्वर का एक होनहार छात्र रैगिगं के चलतें अपाहिज हो गया आरोप है कि प्रथम वर्ष के छात्र नवीन कुजुर को उसके सीनियर ने ऐसी यातनाएं दी कि वह चलने फिरने के काबिल नहीं रहा। आन्श्रप्रदेश में एक कालेज में सीनियर छात्राओं ने जूनियर छात्रा की रैगिग ली उनकी यातना से उस छात्रा ने अपनी आवाज खो दी थी एक अन्य घटना में छात्र को क्लास में लडकी कहा जाता था छात्रों की इस हरकत से तंग आकर उस छात्र ने खुद को आग लगा दी थी। मुम्बई में एक कालेज में सीनियर छात्राओं ने एक जूनियर छात्रा को मिर्ची खिलाई और उठक बैठक करवाई कोलकाता में एक कालेज में सीनियर जूनियर को ड्रग्स लेने के लिए मजबूर करते है और पिटाई करते हैं उतर प्रदेश में सरकार ने रैगिग के खिलाफ अभियान छेडा है तथा रैगिग करने वाले छात्रों को पांच साल तक दाखिला न देने को कडा फैसला लिया है।साल 2040 में एक साल में 64 केसों सुन्दरनगर के पौलिटैक्निक कालेज में भी रैगिगं की वारदात प्रकाश में आई थी जिसमें सिरमौर का एक छात्र रैगिग का शिकार हुआ था हालांकि कालेज प्रशासन ने उन सीनियर लडकों को कालेज से निकाल दिया है पर कालेज से निकालना इसका समाधान नहीं है। केन्द सरकार व विश्वविद्यालय अनुदान आयेग को इन मामलों पर संज्ञान लेना चाहिए क्योकि यदि समय रहते कारगर कदम नहीं उठाए तो हालात बेकाबू हो जाएगें छात्र -छात्राएं रैगिग के डर से प्रवेश नही लेगें |कालेजों में अराजकता पैदा करने वाले तत्वों पर कार्रवाई करनी चाहिए इनके कारण कई प्रतिभाएं खत्म हो रही है। ऐसे लोगों को सजा दी जाए तथा जुर्माना लगाया जाए। ऐसी भी रैगिग की छात्र पढाई तक छोड देते हैं ।आज तक हजारों छात्र इस बीमारी का शिकार हो चुके है।फिर भी यह प्रवृति रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। जनमानस को एकजुट होकर इसका खात्मा करना होगा ताकि छात्रछात्राएं निर्भिक होकर अपनी पढाई कर सके । रैगिंग के…

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हरे साल विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस किसी विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस 2023 की थीम डिजिटल दुनिया में प्राथमिक चिकित्सा है। यह थीम प्राथमिक चिकित्सा ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बनाने के हमारे लक्ष्य तक पहुंचने के लिए डिजिटल नवाचारों से संबंधित है।लोगों को अधिक से है ।एक तरह से अमेरिका ओर यूरोपीय देशों का दबाव भारत में देखने को मिल रहा है। चीन और रूस के राष्ट्रपति शिखर सम्मेलन में नहीं आ रहे हैं भारत के प्रधानमंत्री और जी-20 के शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वह ताकत नहीं मिल पा रही है। जो इस सम्मेलन के लिए उन्हें मिलने थी। फिर भी जिस तरह से भारत जी-20 के शिखर सम्मेलन में सभी देशों के बीच में समन्वय बनाने की जो कोशिश भारत द्वारा की जा रही है। उसकी प्रशंसा ही की जा सकती है। जी-20 के शिखर सम्मेलन को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी तीब्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जिस तरह के हालात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बने हुए हैं। उसको देखते हुए यह शिखर सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। भारत की भूमिका को लेकर सभी आसान्वित है। अधिक प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जागरूक होना चाहिए बच्चों से लेकर बड़ों को प्राथमिक उपचार के प्रति जागरूक होना चाहिए। समय के साथ सेहत के लिए जरूरी इन चीजों को लोग भूल जाते हैं। लेकिन लोगों को इसके बारे में जानने की जरूरत है ताकि प्राथमिक उपचार के माध्यम से दुर्घटना आदि की स्थिति में घायल व्यक्ति की जान बचाई जा सके । इसलिए प्राथमिक उपचार के बारे में जानना सभी के लिए बहुत जरूरी है। किसी रोग के होने या चोट लगने पर किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा जो सीमित उपचार किया जाता है उसे प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं। इसका उद्देश्य कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोट लगे व्यक्ति को समय पर इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो । वर्लड फर्सट एड डे हर साल मनाया जाता है, सितंबर माह के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है। इस वर्ष 40 सितंबर को वर्लड फर्सट एड डे मनाया जायेगा। इस दिन को मनाने की शुरूआत इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेट क्रिसेंट सोसाइटी ने 2000 में की थी। इसके बाद से हर साल यह दिवस मनाया जा रहा है । इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है लोगों को अधिक से अधिक प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जागरूक करना। ताकि आए दिन होने वाले हादसे, सड़क दुर्घटना या अन्य हादसे में गंभीर चोट लगने, अधिक खून बहने पर लोगों की मदद की जा सके । घर और गाड़ी में अपने साथ हमेशा प्राथमिक उपचार किट रखें। डूबने, जलने , हृदयघात, सड़क दुर्घटना और आत्मघात में प्राथमिक उपचार से जान बचाई जा सकती है। घायल इंसान को तुरंत उपचार मिलना चाहिए। प्राथमिक उपचार कोई भी कर सकता है इसके लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं | किसी रोग के होने या चोट लगने पर किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा जो सीमित उपचार किया जाता है उसे प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं। इसका उद्देय कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोट लगे व्यक्ति को समय पर इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो | प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षित या अप्रशिक्षित व्यक्तिओं द्वारा कम से कम साधनों में किया गया सरल उपचार है। कभी-कभी यह जीवन रक्षक भी सिद्ध होता है।

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रविवार से जी-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हो चुकी है। साझा घोषणा पत्र जारी करने पर आम सहमति बनाने का प्रयास अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा किया जा रहा है इस मामले में यूरोपियन यूनियन का कहना है, कि यूक्रेन को छोड़कर वह सभी मामले में जो प्रस्ताव जी-20 की बैठक में प्रस्तुत किए जाएंगे। उनका वह समर्थन करेंगे। शनिवार से विदेशी मेहमानों का नई दिल्ली आना आना शुरू हो गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति जो वाईडेन भारत पहुंच चुके हैं। इसके साथ ही तुरकियों के राष्ट्रपति, ओमान के उप प्रधानमंत्री, कनाडा के प्रधानमंत्री ,झूटली की प्रधाममंत्री, अफीका के राष्ट्रति, चीन के प्रधानमंत्री और रूस के विदेश मंत्री जी-20 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंच चुके हैं रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नहीं आने से जी-20 के शिखर सम्मेलन में अमेरिका और यूरोपीय यूनियन का दबदबा बना रहेगा इस आशय के संकेत यूरोपियन यूनियन ने जी-20 बैठक का जो एजेंडा तैयार किया जा रहा है। उसे पर अपनी प्रक्रिया व्यक्त कर दी है यूक्रेन मुद्दे पर यूरोपियन यूनियन और अमेरिका पुक़ेत को छोड़कर जी-20 के सभी प्रताव एर ईयू का समर्थत अपने रुख पर कायम है। जिसके कारण शिखर सम्मेलन में रूस और चीन के साथ जी-20 के शिखर सम्मेलन में समन्वय को लेकर कोई बात होना संभव नहीं है।अमेरिका और यूरोपीय देशों चीन तथा रूस के बीच में आम सहमति बनाकर साझा घोषणा पत्र जारी हो इसके लिए भारत निरंतर इसके लिए प्रयासरत है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की निंदा करने के प्रस्ताव को लेकर भी तल्खी बनी हुई है। रूस और चीन, यूक्रेन के मुद्दे को शामिल करने के पक्ष में नहीं है। वहीं यूरोपीय यूनियन के सभी देश इस मामले पर। अड़े हुए हैं। जी 20 के शिखर सम्मेलन में अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बनाया है। रूस और यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर । जी 20 के शिखर सम्मेलन में चर्चा की जाए और इसमें साझा प्रस्ताव जारी किया जाए।चीन और रूस लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। जी 20 के शिखर सम्मेलन पर एक पृथ्वी एक परिवार के मुख्य मुद्दे को आधार बनाकर सभी देश के बीच आपसी समन्वय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर पूरे विश्व की जो चिंता है उनका हल निकालने के लिए प्रस्ताव पर चर्चा कर आम सहमति बनाकर निर्णय लिए जाने थे उन पर निर्णय लिए जाने थे । जी-20 के शिखर सम्मेलन में रूस, चीन और अमेरिका के बीच जो तल्खी दिखने को मिल रही है। उसके कारण जी-20 के शिखर सम्मेलन में जिस तरह की आशा की जा रही थी।उसमें यह तीनों महाशक्ति चीन- रूस और अमेरिका के भंवर जाल में भारत भी फसता हुआ दिख रहा विश्व प्राथमिक विकित्मा दिवस हरे साल विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस किसी विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस 2023 की थीम डिजिटल दुनिया में प्राथमिक चिकित्सा है। यह थीम प्राथमिक चिकित्सा ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बनाने के हमारे लक्ष्य तक पहुंचने के लिए डिजिटल नवाचारों से संबंधित है।लोगों को अधिक से है ।एक तरह से अमेरिका ओर यूरोपीय देशों का दबाव भारत में देखने को मिल रहा है। चीन और रूस के राष्ट्रपति शिखर सम्मेलन में नहीं आ रहे हैं भारत के प्रधानमंत्री और जी-20 के शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वह ताकत नहीं मिल पा रही है। जो इस सम्मेलन के लिए उन्हें मिलने थी। फिर भी जिस तरह से भारत जी-20 के शिखर सम्मेलन में सभी देशों के बीच में समन्वय बनाने की जो कोशिश भारत द्वारा की जा रही है। उसकी प्रशंसा ही की जा सकती है। जी-20 के शिखर सम्मेलन को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी तीब्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जिस तरह के हालात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बने हुए हैं। उसको देखते हुए यह शिखर सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। भारत की भूमिका को लेकर सभी आसान्वित है।

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मनुष्य मन, बुद्धि के कारण अपने आपको श्रेष्ठ मानता हैं। आज मनुष्य धर्म या मूल आदर्शों को भूलकर भौतिकवादी बनने के कारण अत्यंत सम्पन्न होने के कारण हताशा का सामना कर रहा हैं और कोई आभाव के कारण दुखी रहता हैं। जबकि इस क्षण भंगुर संसार में कोई स्थायी नहीं हैं और न कोई अपने साथ धन सम्पत्ति ले जा सकता हैं, जीवन में उतार चढ़ाव अनिवार्यता हैं, और इसी क्षण हमें अपने आपको संतुलित रखकर या रहकर प्रतिकूल समय को ईश्वर के सम्मुख समर्पित कर आत्मबल बढ़ाना चाहिए। आत्महत्या कायरों का काम होता हैं। मन के हारे, हार हैं, मन के जीते, जीत-भारत समेत पूरी दुनिया में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में 700000 लोग सुसाइड (आत्महत्या) करते हैं। आत्महत्या तब मानी जाती है, जब कोई व्यक्ति अपना जीवन समाप्त करने के उद्देश्य खुद को नुकसान पहुंचाता है और परिणाम स्वरूप उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जबकि आत्महत्या का प्रयास ऐसा कृत्य है, जिसमें व्यक्ति खुद का जीवन समाप्त करने के उद्देश्य कोई गलत कदम उठाता है मगर सहयोग से उसकी मृत्यु नहीं होती है। अगर भारत में आत्महत्या के आंकड़ों की बात करें तो वह काफी डरावने हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में कुल 4,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। एनसीआरबी ने आत्महत्या को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर यह दिखाने की कोशिश की है कि देश में किस वर्ग के लोग ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं। इनमें दिहाड़ी मजदूर, घरेलू महिलाएं, बेरोजगार, छात्र और किसान समेत अलग-अलग वर्ग के लोगों ने किसी न किसी कारण से आत्महत्या की। आत्महत्या के आंकड़े साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में आत्महत्या के कारणों के समझना बहुत जरूरी है। साथ ही हमें यह भी देखना होगा कि आत्महत्या के आंकड़ों को कैसे कम किया जा सकता है? जब व्यक्ति आत्महत्या करने के बारे में सोचता है तो उसे मुक्ति पाने का यही एक आखिरी विकल्प दिखता है. किसी की जिंदगी बचाना सबसे बड़ा कर्म होता है। व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन कौ उठापटक में इंसान खुद को ढालने की कोशिश तो करता है लेकिन जब उसे लगता है कि अब चीजें उसके हाथ से जा रही हैं तो वह धीरे-धीरे मानसिक रोगों की ओर बढ़ता जाता है। जब व्यक्ति अपने दिमाग में कुछ चीजों या किसी विषय पर सोचता रहता है और किसी से उस बारे में जिक्र नहीं करता तो वह सबसे पहले एंग्जाइटी का शिकार होता है जो उसे आगे चलकर डिप्रेशन का शिकार बना देती है। जब व्यक्ति पूरी तरह से डिप्रेशन में चला जाता है तो उसके सोचने-समझने का तरीका बहुत अलग हो जाता है। वह जहां खुद को पूरी इतिहास रिश्तों में कड़वाहट नौकरी का छूटना आत्मसम्मान को ठेस पहुंचना असहनीय भावनात्मक या शारीरिक पीड़ा बचाव करना अतिआवश्यक हैं —- इलाज के लिए प्रोत्साहित करें यदि आत्महत्या के बारे में सोचने वाला व्यक्ति किसी बीमारी से जूझ रहा है तो उसे इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि उस व्यक्ति को कोई शारीरिक बीमारी नहीं बल्कि मानसिक रोग है तो उसे किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से मिलने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि ऐसा तरह से अकेला, असहाय और कमजोर समझने लगता है वहीं उसके दिमाग में आत्महत्या के ख्याल भी आने लगते हैं। जब व्यक्ति आत्महत्या करने के बारे में सोचता है तो उसे मुक्ति पाने का यही एक आखिरी विकल्प दिखता है । इसलिए कहते हैं कि कभी भी अंदर ही अंदर घुटने के बजाय किसी भरोसेमंद व्यक्ति, दोस्त या काउंसलर से खुलकर बात करनी चाहिए। किसी की जिंदगी बचाना सबसे बड़ा कर्म होता है। कुछ प्रमुख कारण कुछ मानसिक रोग जैसे-अवसाद बाइपोलर डिसऑर्डर सिजोफेनिया आदि मूड डिसऑर्डर शामिल है। मादक द्रव्यों का अत्यधिक सेवन आत्महत्या का पारिवारिक व्यक्ति किसी डॉक्टर या एक्सपर्ट से नहीं मिलना चाहता है तो उसे किसी सपोर्ट ग्रुप, किसी भरोसेमंद कम्युनिटी या एनजीओ से संपर्क कराने में मदद करें। उसकी समस्या का बहुत छोटा दिखाएं-यदि आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति बात करने के लिए आया है जो आत्महत्या के बारे में सोच रहा है या सोच सकता है तो उसे एकदम नॉर्मल सामान्य और आरामदायक स्थिति में लाये. उसे इस बात का एहसास कराएं कि जिस चीज को लेकर वह आत्महत्या जैसा और यह एहसास हो कि उसकी समस्या वाकई बहुत छोटी है और यह जिंदगी में चलता रहता है। उसे एहसास कराएं कि आप उसके साथ हैं-इंसान आत्महत्या जैसी चीज के बारे में तभी सोचता है जब उसे लगने लगता है कि वह जिंदगी में पूरी तरह से अकेला पड़ गया है और कोई उसके साथ नहीं है। ऐसे लोगों को अपने अंदर हजार तरह की कमियां और बुराईयां दिखने लगती हैं। यदि आप किसी ऐसे इंसान से टकराते हैं तो उसे यह एहसास दिलाएं कि आप हर घड़ी में उसके साथ हैं | उसे दिन या रात कभी भी जरूरत पड़ी तो आप उसके एक बार कहने पर हाजिर हो जाएंगे। इससे उस व्यक्ति को यह लगेगा कि अभी उसकी जिंदगी में लोगों का साथ और प्यार है। अभी भी ऐसे लोग हैं जिन्हें उसकी फिक्र है। यकीन मानिए आपके कुछ शब्द या वाकया किसी की जिंदगी बचा सकते हैं । चिन्हित होने पर उसे अकेला न छोड़े और पीड़ित व्यक्ति कुछ रचनात्मक कार्यों में अपना समय बिताये और हमेशा विचार अपने अंदर ला रहा है वह असल में बहुत छोटी बात है। ऐसे व्यक्ति को अपनी या किसी और की जिंदगी के ऐसे अनुभव बताएं जिससे उसे प्रेरणा मिले सकारात्मक, रचनात्मक, ऊर्जावान बातों पर अपना ध्यान केंद्रित करे। जिंदगी जिंदादिली का नाम हैं, मुर्दा दिल खाक जिया करते हैं।

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अजमेर/संवाददाता। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि राज्यपाल पद पर रहते हुए उनके पिछले चार वर्ष संविधान संस्कृति की उज्जल राहों को समर्पित रहे हैं | उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद होने के नाते राज्यपाल पद की अपनी मर्यादा है और इस पद पर रहते हुए भारतीय संविधान की मौलिक दृष्टि का अधिकाधिक प्रसार करने के लिए उन्होंने कार्य किया है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों को मूर्त रूप देने के लिए बहुत सारे नवाचार इन चार वर्ष में किए गए हैं। राज्यपाल श्री मिश्र ने शनिवार को राजभवन में अपने कार्यकाल के चार वर्ष की प्राथमिकताओं और आगामी वर्ष की कार्य योजना के बारे में पत्रकारों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण और लागू होने की ऐतिहासिक यात्रा की अमिट छवि लोगों के मन में प्रभावी रूप से बनेए इसका जो संकल्प उन्होंने लिया था वह इस वर्ष राजभवन में देश के पहले संविधान पार्क के निर्माण के रूप में पूर्ण हुआ है। उन्होंने कहा कि राजभवन स्थित संविधान पार्क में संविधान से जुड़ी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक यात्रा से जुड़े मूल तथ्यों को संजोया गया है। संविधान की मूल प्रति में शांति निकेतन के प्रख्यात कलाकार नंदलाल बोस और उनके सहयोगियों की बनाई कृतियों को भी यहां जीवंत किया गया है। मिश्र ने आगे कहा कि संविधान की बात तो होती है परन्तु उसकी उद्देशिका और मौलिक कर्तव्यों के बारे में अभी भी बहुत अधिक जानकारी नहीं है। ऐसे में उनके स्तर पर सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों से पहले संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों के वाचन की शुरूआत की गई ताकि संविधान के प्रति जन आस्था और मजबूत हो सके। इसी क्रम मेंए राजस्थान विधानसभा में अभिभाषण से पूर्व सदन के सदस्यों को भी इस पहल से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी संवैधानिक अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों के निर्वहन के लिए भी सजग रहे, इस उद्देश्य से विश्वविद्यालयों में संविधान वाटिकाओं का निर्माणकरने की शुरूआत की गई। विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू करने में अग्रणी राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि देश में नई शिक्षा नीति लागू किये जाने के बाद राजस्थान ने ही सबसे पहले इसे विश्वविद्यालयों में विधिवत लागू करने की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने के साथ ही नई शिक्षा नीति के अंतर्गत रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की शुरूआत बीते चार वर्षो में की गई।उन्होंने कहा कि प्रदेश विश्वविद्यालयों के में “च्वाईंस बेस्ड सिस्टम’ लागू करने और सर्वश्रेष्ठ विष्वविद्यालय को “कुलाधिपति पुरस्कार’ प्रदान करने की पहल की गई ताकि विश्वविद्यालयों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे। शैक्षिक नवाचारों से बड़े स्तर पर लाभान्वित हुए विद्यार्थी राज्यपाल ने कहा कि स्टेट यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने के अलावा मासिक प्रतिवेदन के आधार पर विश्वविद्यालयों का नियमित मूल्यांकन भी राजभवन स्तर पर सुनिश्चित किया गया है। मौलिक शोध को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों में “साहित्यिक चोरी रोधी सॉफ्टवेयर’ के निर्माण के निर्देश दिए गए हैं। सभी विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा बनतन->्ब-्ब—न६६«नन—]—- ——-*—-_—_ 3… लेटर, पाठ्यक्रम अद्यतन आदि कार्य समयबद्ध सुनिश्चित किए। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोहों को प्रति वर्ष आयोजित कर समय पर विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान करने की ऐतिहासिक पहल सहित इन सभी कार्यों से विद्यार्थी बड़ेस्तरपर लाभान्वित हुए हैं। राज्यपाल ने कहा कि चार वर्ष में 22 राज्य वित पोषित विश्वविद्यालयों द्वारा तीन चरणों में कुल 76गांव गोद लेकर उनके विकास की पहल की गयीए इनमें अनुसूचित क्षेत्र के 3 गांव भी सम्मिलित हैं। जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास और वहां शिक्षा के प्रभावी प्रसार आदि की नियमित मॉनिटरिंग भी राजभवन स्तर पर आदिवासी एवं जनजातीय एकक केमाध्यम से की जाती है। राज्यपाल राहत कोष का डिजीटलाईजेशन मिश्र ने कहा कि राज्यपाल राहत कोष का पूरी तरह से डिजीटलाईजेशन कर इसके बैंक खाते में ऑन-लाईन दान राशि जमा करवाने की सुविधा सॉफ्टवेयर बना कर उपलब्ध करवाई गयी है। ऑन लाईन दान राशि जमा करवाने पर वसूल किए जा रहे बैंक चार्जेज को बैंक उच्च के प्रबन्धन से वार्ता करबन्द करवाया गया है ।राहत कोष को पुनर्गठित कर उसके दायरे को बढ़ाते हुएहरजरूरतमंद तक मदद को सुनिश्चित किया गया है उन्होंने कहा सैनिक कि कल्याण विभाग के अंतर्गत प्रदेश में संचालित समस्त “युद्ध विधवा छात्रावास एवं पुनर्वास केन्द्रों! का नाम परिवर्तन कर “वीरांगना छात्रावास एवं पुनर्वास केन्द्र! करने के साथ ही “वीरांगना पहचान पत्र’ की तर्ज पर शहीद की माता को “वबीरमाता पहचान पत्र ‘ तथा शहीद के पिता को ष्ववीर पिता पहचान पत्रष्यू जारी करने का महत्वपूर्ण निर्णय भी राजभवन की पहल पर किया गया।

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. डॉ. भारती दीक्षित एवं । पुलिस जिला बेछ॥ अधीक्षक चूनाराम जाट ने पुष्कर में सेण्ड आर्ट के माध्यम से मतदान का संदेश देती कलाकृति का अवलोकन किया गया। उपखण्ड अधिकारी निखिल कुमार ने बताया कि पुष्कर के सेण्ड आर्टिस्ट श्री आयोग की स्वीप गतिविधियों के अन्तर्गत मतदान जागरूकता के लिए यहां कलाकृतियों का निर्माण किया जा रहा है। जिला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित एवं पुलिस अधीक्षक श्री चूनाराम जाट ने छोड़ो अपने सारे काम, पहले चला करें मतदान की थीम पर बनी कलाकृति का छोड़ो अपने अप सारेारे काम, काम, पहले पहलचलो चो करें मतदान मतदान _ सेण्ड आर्ट से दिया मतदान का संदेग, जिला कलक्ह ने किया अवलोकन अजय रावत के द्वारा नेशनल सेण्ड आर्ट 2. च पार्क स्थापित किया गया है। निर्वाचन | अवलोकन किया गया। साथ ही ईवीएम एवं वीवीपेट मशीन की सृजनाधीन कलाकृति के निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी ली। भविष्य में मतदान जागरूकता से संबंधित अन्य कलाकृतियां भी बनाई जाएगी। इस कला श्रंंखला के माध्यम से पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों में मतदान के प्रति जागरूकता पैदा होगी ।

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भारत के राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों को यह महसूस होने लगा है कि भारत की राजनीति के लिए अगले 6महीने काफी परिवर्तनशील व ऐतिहासिक सिद्ध होंगे और इसकी शुरुआत इंडिया में भारत के दबे पांव या गुपचुप प्रवेश कराने से हो गई है, पिछले कुछ दिनों से इंडिया और भारत राजनीति में विवाद व चर्चा का विषय बना हुआ है, यद्यपि हमारे संविधान में इन दोनों ही नामों से हमारे देश की पहचान कराई गई है, किंतु अब यह दोनों नाम भावी राजनीतिक उठापटक के संकेत माने जाने लगे हैं और अगले 6महीने की भावी राजनीति उठापटक के घोतक भी । इसी बीच प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी की सरकार ने दो दिन बाद दिल्ली में होने वाले जी20 के आयोजन के जो निमंत्रण भेजे हैं, उनमें प्रेषक के तौर पर प्रेसिडेंट ऑफ भारत तथा प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत लिखा गया है, अर्थात हमारे देश की सरकार ने गुपचुप तरीके से इंडिया में भारत का प्रवेश करवा दिया है, यह निमंत्रण-पत्र इस बात का संकेत है कि भारतीय संविधान से अंग्रेजी नाम इंडिया को हटाने की पूरी तैयारी कर ली गई है तथा इसे संवैधानिक रूप देकर सत्तारूढ़ भाजपा अगले चुनावों में इसे चुनावी उपलब्धि के तौर पर प्रस्तुत करने वाली है, इसी तरह के और भी कुछ महत्वपूर्ण कदम मोदी सरकार अगले लोकसभा चुनावों के पूर्व उठाने जा रही है, जिसके लिए संसद का इसी महा 8से 22 तारीख तक आहुत विशेष संसद सत्र काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, इसी सत्र के दौरान मोदी अपने अगले राजनीतिक पत्ते उजागर करने वाली है, मतलब यह की मौजूदा संसद के कार्यकाल का संभवत: यह आखिरी लघु सत्र न सिर्फ राजनीतिक बल्कि हर दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण सिद्ध होने वाला होगा। शायद इसीलिए विशेष सत्र की घोषणा के साथ इसके एजेंडे का उजागर नहीं किया गया, जिस पर प्रतिपक्षी दलों के नेता आश्वर्य व्यक्त कर रहे हैं, अब कहां जा रहा है कि जी-20 समागम के बाद इस विशेष सत्र का एजेंडा उजागर किया जाएगा और तब प्रतिपक्षी दलों को अपनी रणनीति तैयार करने का पर्याप्त समय भी नहीं मिल पाएगा और सरकार आनन-फानन में सत्र निपटाने में सफलता प्राप्त कर लेगी, यही फिलहाल सरकार की रणनीति सामने आ रही है। इसके साथ ही सरकार सूत्र निर्धारित समय से पूर्व पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों के साथ ही लोकसभा के भी चुनाव कराने के संकेत प्रकट कर रहे हैं, साथ ही एक देश-एक चुनाव का नारा भी उछाला जा रहा है, जिसके तहत कहा जा रहा है कि पूरे देश में पंचायत से लेकर संसद तक के सभी चुनाव एक साथ करवाए जाएं, जिससे की बार-बार चुनाव पर खर्च होने वाले करोड़ों रूपों की बचत के साथ चुनी हुई सरकारों को काम करने का प्रयास वैधानिक समय हासिल हो सके, अब सरकार अपनी प्राथमिकताओं में एक देशएक चुनाव का मुद्दा किस स्थान पर रखे हुए हैं? फिलहाल यह तो स्पष्ट नहीं है किंतु मोदी जी अपने शासन के अवसान के पहले अपनी यह राजनीतिक मनसा भी पूरी जरूर करना चाहते हैं और देश के राजनीतिक इतिहास में अपना नाम सुर्खियों के साथ दर्ज भी करना चाहते हैं। मोदी जी की इसी मानसा के अनुरूप भारतीय चुनाव आयोग ने हाल ही में संविधान की धाराओं का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि देश में निर्धारित समय से 6महीने पूर्व चुनाव कराए जा सकते हैं, साथ ही यह भी कहा कि सभी चुनाव एक साथ कराए जाने से चुनाव आयोग का मौजूदा खर्च अवश्य बढ़ेगा, लेकिन देश के बजट की काफी बचत होगी। चुनाव आयोग ने हिसाब लगाकर सरकार को यह अंदाजा दिया था कि अगर 2024 में लोकसभा के साथ देश के सारे चुनाव भी कराए जाते हैं तो 40,75,00 बैलेट यूनिट, 33,63,300 कंट्रोल यूनिट और 36,62,600 वीवी पैड की आवश्यकता होगी, साथ ही मतदान केंद्र भी ।0.36लाख से बढ़कर .08लाख हो जाएंगे, साथ ही चुनावी बजट में भी काफी वृद्धि हो जाएगी | चुनाव आयोग ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। अब यह आर्थिक बजट वृद्धि सत्तारूढ़ दल व उनके नेताओं के मंसूबों पर कितना असर डालती है, यह तो कुछ दिनों बाद इस मसले पर अंतिम फैसला आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा | इस प्रकार फिलहाल यही कहा जा सकता है कि देश की राजनीति की दृष्टि से अगले 6महीने काफी अहम सिद्ध होंगे।

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