Author: UmaAbhi

अजमेर“संवाददाता। राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री धर्मेंद्र राठाड ने कहा कि जनप्रतिनिधि महंगाई राहत शिविर में सक्रिय भूमिका निभाएं। आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने सोमवार को अजमेर नगर निगम द्वार आयोजित शिविरों का अवलोकन किया | उन्होंने वार्ड 80 के लिए महात्मा गांधी विद्यालय वैशाली नगर में लगाए गए अस्थाई शिविर तथा नगर निगम परिसर में स्थापित स्थाई शिविर में लाभार्थियों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि राजस्थान मॉडल स्टेट के रूप में उभर रहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आमजन को महंगाई से राहत पहुंचाने के लिए सतत प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ समाजसेवी और स्वय सेवी संस्थाओं को समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को राहत प्रदान करने के लिए आगे आना चाहिए। जनप्रतिनिधि इस महंगाई राहत शिविर में अपनी सक्रिय भूमिका निभाए। उन्हें अपने क्षेत्रा के प्रत्येक व्यक्ति को लाभान्वित करने का संकल्प लेना चाहिए। इससे मिलने वाले पुण्य कार्य से सभी खुशहाल होंगे। महगांई राहत कैम्प बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 500 रूपए में गैस सिलेंडर, चिरंजीवी योजना, दुर्घटना बीमा, 00 युनिट घरेलु मुफ्त बिजली, किसानों को दो हजार यूनिट बिजली योजना, फूड पैकेट, कामधेनु योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं मनरेगा में 25 दिन रोजगार के लिए महंगाई राहत कैम्प में पंजीकरण अवश्य करवाएं। अपने साथ-साथ जान पहचान वालों का भी पंजीयन सुनिश्चित होना चाहिए। नगर निगम के उपमहापौर नीरज जैन ने कहा कि नगर निगम द्वारा शहरी क्षेत्रा में कैम्प लगाकर आमजन को लाभ पहुंचाया जा रहा है। समाज के गरीब वर्ग को राहत दिलाने के लिए समस्त जनप्रतिनिधि आपसी समन्वय के साथ कार्य कर रहे है। इस अवसर पर नगर निगम की महापौर ब्रजलता हाडा, आयुक्त सुशील कुमार, उपायुक्त सीता वर्मा, महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के संयोजक एवं पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल, महेंद्र सिंह रलावता, नेता प्रतिपक्ष द्रोपदी, निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन, महासचिव शिव कुमार बंसल, शैलेंद्र अग्रवाल, वाहिद खान, निर्मल बेरवाल, पवन ओड, अजय कृष्ण तेनगौर, नोरत गुर्जर, सर्वेश पारीक, कपिल सारस्वत, हेमंत जोधा, लक्ष्मी बुंदेल, मुबारक अली, एडवोकेट सम्राट, मुन्नचर खान, हमीद चीता, अलखनन्दा गणपति नगर विकास समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार शर्मा सहित बड़ी संख्या में पार्षद गण एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे । कडैल ग्राम पंचायत में आयोजित प्रशासन गांवों के संग अभियान तथा महंगाई राहत के कैंप में आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने कहा कि गरीब का जीवन स्तर सुधारने में इन कैम्पों की विशेष भूमिका रहेगी। राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने अजमेर जिले में विभिन्न स्थानों पर आयोजित महंगाई राहत कैम्पों का शुभारम्भ एवं अवलोकन किया। कडैल ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में उन्होंने योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने का आव्हान किया। इसके अतिरिक्त कैम्प के साथ ही प्रशासन गांवों के संग शिविरों का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें भी विभिन्न विभागों की सेवाएं मिल रही हैं। प्रत्येक व्यक्ति को इन योजनाओं का लाभ लेना चाहिए। सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं जागरूक नागरिकों को अपने क्षेत्रा के व्यक्तियों को योजनाओं से लाभान्वित करवाना चाहिए। समस्त परिवारों को लाभान्वित करने का लक्ष्य लेकर कार्य करें| इससे गरीब व्यक्ति को राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान का विकास गरीब व्यक्ति के विकास पर निर्भर है। इसी को केन्द्र में रखकर सरकार ने ये योजनाएं बनाई है। उनका लाभ पात्रा व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए महंगाई राहत शिविर आयोजित किए जा रहे है। गरीब को महंगाई से राहत देना सरकार की प्राथमिकता है। महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के संयोजक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने कहा कि सरकार ने गरीब व्यक्ति को केन्द्र में रखकर कार्य किया है। लाभार्थियों को अन्य व्यक्तियों का पंजीयन करवाने का भी प्रयास करना चाहिए। शत प्रतिशत पंजीयन होने से शिविर अधिक फलदायक होंगे। इस अवसर पर पूर्व सरपंच घनश्याम सिंह राठौड़, उपखण्ड अधिकारी निखिल कुमार, तहसीलदार संदीप कुमार, विकास अधिकारी विजय सिंह सहित विभागीय अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। जीया देवी के ज्ञान को किया सम्मानित कड़ेल ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धमेन्द्र राठौड़ ने अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से विभिन्न सरकारी योजनाओं से सम्बन्धित प्रश्न पूछे। स्थानीय निवासी जीया देवी ने समस्त योजनाओं के बारे में सटिक जानकारी प्रदान की। इस पर राठौड़ ने जीया देवी को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया।

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जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों और विषय गणित की शाखाओं में अविस्मरणीय योगदान दिया और जिनके प्रयासों तथा योगदान ने गणित को एक नया अर्थ दिया। उनके द्वारा की गई खोज “रामानुजन थीटा’ तथा “*रामानुजन प्राइम ‘ ने इस विषय पर आगे के शोध और विकास के लिए दुनियाभर के शोधकर्ताओं को प्रेरित किया करीब एक दशक पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में रामानुजन की 25वीं जयंती समारोह में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि ऐसे प्रतिभावान तथा गूढ़ ज्ञान वाले पुरूषों और महिलाओं का जन्म कभी-कभार ही होता है।महान्‌ गणितज्ञ रामानुजन की गणना आधुनिक भारत के उन व्यक्तित्वों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नए ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की । मद्रास से करीब चार सौ किलोमीटर दूर तमिलनाडु के ईरोड शहर में 22 दिसम्बर 887 को जन्मे श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का बचपन कठिनाइयों और निर्धनता के दौर में बीता था। तीन वर्ष की आयु तक वह बोलना भी नहीं सीख पाए. थे और तब परिवार के लोगों को चिंता होने लगी थी कि कहीं वह गूंगे न हों लेकिन कौन जानता था कि यही बालक गणित के क्षेत्र में इतना महान्‌ कार्य करेगा कि सदियों तक दुनिया उन्हें आदर-सम्मान के साथ याद रखेगी । उन्हें गणित में इतनी दिलचस्पी थी कि गणित में उन्हें प्रायः सौ फीसदी अंक मिलते थे लेकिन बाकी विषयों में बामुश्किल ही परीक्षा उत्तीर्ण कर पाते थे क्योंकि गणित के अलावा उनका मन दूसरे विषयों में नहीं लगता था। उन्होंने कभी गणित में किसी तरह का प्रशिक्षण नहीं लिया था। गणित में अतुलनीय योगदान के लिए श्रीनिवास रामानुजन को के. रंगनाथ राव पुरस्कार भी दिया गया था। उनका गणित प्रेम इतना बढ़ गया था कि उन्होंने दूसरे विषयों पर ध्यान देना ही छोड़ दिया था। दूसरे विषयों की कक्षाओं में भी वे गणित के ही प्रश्नों को हल किया करते थे। नतीजा यह हुआ कि ॥7वीं कक्षा की परीक्षा में वे गणित के अलावा दूसरे सभी विषयों में अनुत्तीर्ण हो गए और इस कारण उन्हें मिलने वाली छात्रवृत्ति बंद हो गई। परिवार की आर्थिक हालत पहले ही ठीक नहीं थी, इसलिए परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए उन्होंने गणितज्ञ रामास्वामी अय्यर के सहयोग से मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क की नौकरी करनी शुरू की । नौकरी के दौरान भी वे समय मिलते ही खाली पन्नों पर गणित के प्रश्नों को हल करने लग जाया करते थे एक दिन एक ब्रिटिश की नजर उनके द्वारा हल किए गए गणित के प्रश्नों पर पड़ी तो वह उनकी प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुआ। उसी अंग्रेज के माध्यम से रामानुजन का सम्पर्क जाने-माने ब्रिटिश गणितज्ञ और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी एच हार्डी से हुआ। हार्डी ने उनकी विलक्षण प्रतिभा को भांपकर उन्हें अपनी प्रतिभा को साकार करने के लिए लंदन बुला लिया और उनके लिए कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में व्यवस्था की, जिसके बाद उनकी ख्याति दुनियाभर में फैल गई। जी. एस. हार्डी ने रामानुजन को यूलर, गोस, आर्किमिडीज, आईजैक न्यूटन जैसे दिग्गजों के समकक्ष श्रेणी में रखा था। 97 में उन्हें ‘लंदन मैथेमेटिकल सोसायटी ‘ का सदस्य चुना गया और अगले ही वर्ष इंग्लैंड की प्रतिष्ठित संस्था ‘ रॉयल सोसायटी ‘ ने उन्हें अपना फैलो बनाकर सम्मान दिया। रामानुजन ने करीब पांच साल कैम्ब्रिज में बिताए और उस दौरान गणित से संबंधित कई शोधपत्र लिखे इंग्लैंड में उन पांच वर्षों के दौरान उन्होंने मुख्यतः संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में कार्य किया। प्रोफेसर जी एच हार्डी के साथ मिलकर रामानुजन ने कई शोधपत्र प्रकाशित किए और उन्हीं में से एक विशेष शोध के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने रामानुजन को बी.ए. की उपाधि भी प्रदान दी। महान्‌ गणितज्ञ रामानुजन की गणना आधुनिक भारत के उन व्यक्तित्वों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नए ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की । भारतीय गणित की महान्‌ परम्परा के वाहक श्रीनिवास रामानुजन को “गणिततज्ञों का गणितज्ञ’ और संख्या सिद्धांत पर अद्भुत कार्य के लिए ‘संख्याओं का जादूगर ‘ भी कहा जाता है, जिन्होंने खुद से गणित सीखा और जीवनभर में गणित के 3884 प्रमेयों (थ्योरम्स) का संकलन किया, जिनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किए जा चुके हैं। रामानुजन ने गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत तथा निरंतर भिन्न अंशों के लिए आश्चर्यजनक योगदान दिया और अनेक समीकरण व सूत्र भी पेश किए। वे ऐसे विश्वविख्यात गणितज्ञ थे, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों और विषय गणित की शाखाओं में अविस्मरणीय योगदान दिया और जिनके प्रयासों तथा योगदान ने गणित को एक नया अर्थ दिया । उनके द्वारा की गई खोज ‘ रामानुजन थीटा ‘ तथा ‘रामानुजन प्राइम ‘ ने इस विषय पर आगे के शोध और विकास के लिए दुनियाभर के शोधकर्ताओं को प्रेरित किया। सम्

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._ । चिकित्सा एवं कोटा जिला प्रभारी मंत्री परसादी लाल मीना ने कहा कि इन्दिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने वाला राजस्थान देश का एकमात्र राज्य हैए यह योजना शहरी क्षेत्र के जरूरतमंद नागरिकों को रोजगार एवं विकास कार्यों के लिए जीवन दायिनी साबित होगी। जिला प्रभारी मंत्री इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गांरटी योजना के शुभारम्भ अवसर पर वार्ड नम्बर 33 रंगपुर पुलिया के नीचे आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के नागरिकों को रोजगार की गारंटी देने वाला राजस्थान पहला राज्य है। इसमें घर बैठे जरूरतमंद नागरिकों को काम मांगने पर नजदीकी स्थान पर रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की बदौलत गांवों में हर जरूरतमंद को रोजगार उपलब्ध कराया जाता हैए इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में भी रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना में बजट की कमी नहीं रहेगी तथा शहरी क्षेत्र में निकायों को आवश्यक कार्य के लिए संशाधनों की कमी नहीं रहेगी। पर्यावरण, जल सरंक्षण से लेकर स्वच्छता, सम्पत्ति निरूपण हेरीटेज सरंक्षण व सेवा संबधी कार्य समय पर पूरे कराये जा सकेंगे। जिला प्रभारी मंत्री ने कहा कि यह योजना शहरी क्षेत्र की महिलाओं के लिए जीवनदायिनी साबित होगी हर साल परिवार को 00 दिवस का रोजगार प्रदान किया जायेगा। इंदिरा गांधी ग़ह्मी गेजगार गांएही योजना का गुभाराम समारोह आयोजित ग़ह्ी क्षेत्र मे रोजगार की गारही देने वाला ग़जगधान बना पहला राज्य इसके लिए महिलाओं को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पडेगा, स्थानीय स्तर पर कार्य उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वार्ड में 8से 60 आयुवर्ग के नागरिक रोजगार की मांग कर सकेंगे, निकायों द्वारा उन्हें निर्धारित समय में रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा । उन्होंने सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि देशभर में निशुल्क दवाए निशुल्क जांच एवं चिरंजीवी योजना लागू करने वाला राजस्थान अन्य प्रदेशों के लिए अनुकरणीय है। जिला कलक्टर ओपी बुनकर ने कहा कि जिले में सरकार की मंशा के अनुरूप जरूरतमंद नागरिकों को समय पर रोजगार के अवसर दिये जायेंगे। प्रत्येक वार्ड में कार्य शुरू किये जाकर आधरभूत सुविधाओं को प्राथमिकता से विकसित किया जायेगा। उन्होंने योजना का लाभ लेने के लिए प्रत्येक परिवार को जनआधार बनवाने, पंजीयन करवाने तथा रोजगार की मांग करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कोटा जिले में योजना के तहत अबतक ॥5 हजार 500 नागरिकों का जॉबकार्ड जारी किये जा चुके हैं। ज्ञॉब कार्डो एवं औजजारों का वित्तरण – शुभारम्भ समारोह में जिला प्रभारी मंत्री एवं अतिथियों ने नागरिकों को जॉब कार्ड एवं नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराये गये नवीन औजारों की पूजा अर्चना कर श्रमिकों को प्रदान किये। निगम द्वारा फावडा, गैंती, परात, करनी आदि आवश्यक औजार पंजीयन करा चुके नागरिकों को प्रदान कर कार्य का शुभारम्भ किया।

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अजमेर/( लीना शवेकानी )। राज्य के माइंस विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में अगस्त माह तक 2588करोड़ 93 लाख रुपए का रेकार्ड राजस्व अर्जित किया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि यह पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 64 करोड़ 63 लाख रुपए से भी अधिक हैं वहीं सामान्य वर्ष 209-20 की तुलना में भी 968करोड़ रु. अधिक राजस्व अर्जित किया गया है। 2020-2 में कोरोना काल के कारण समूचे देश में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने से राजस्व कम रहा था इसलिए उससे विभाग द्वारा तुलना भी नहीं की जा रही है। एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और माइंस व गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया कि राज्य में अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण के विरुद्ध जीरो टोलरेंस नीति का ही परिणाम है कि गत डेढ माह से प्रदेश में माइंस, पुलिस, प्रशासन व वन विभाग द्वारा संयुक्त कार्यवाही करते हुए बड़ी मशीनों की जब्ती, एफआईआर, गिरफ्तारी जैसे सख्त कदम लगातार जारी है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में अगस्त माह में 598करोड़ 26लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया गया है जबकि इससे पहले के साल अगस्त 2 में 446करोड़ 9 लाख रुपए का राजस्व जमा हुआ था। इसी तरह से इस वित्तीय वर्ष के अगस्त माह में 2588करोड़ 93 लाख का राजस्व प्राप्त हो चुका है जबकि गत वर्ष इसी अवधि में 974 करोड़ 79 लाख रु. का ही राजस्व अर्जित हुआ था। उन्होंने – शाजस्यच चसूली में बीकानेर, राजसमंद, भीलवाड़ा और जयपुर वचृत आगे – साम्ूचे प्रदेश में टोंक कार्यालय में लक्ष्यों के विरुद्ध सर्वाघिक १97 प्रतिशत वसूल बताया कि गत वित्तीय वष की तुलना में 3॥ प्रतिशत विकास दर के साथ राजस्व वसूली में बढ़ोतरी हुई है। एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि गत वित्तीय वर्ष में माइंस विभाग द्वारा रेकार्ड 6395 करोड़ का राजस्व वसूली के चलते राज्य सरकार के वित विभाग ने इस साल माइंस डिपार्टमेंट का राजस्व लक्ष्य में बहुत अधिक बढ़ोतरी करते हुए 8हजार करोड़ का लक्ष्य तय किया है। विभाग द्वारा 8हजार करोड़ की राजस्व वसूली के लक्ष्य को चुनौती पूर्ण रखते हुए अगस्त माह तक 32 प्रतिशत राजस्व अर्जन के लक्ष्य विभागीय अधिकारियों को दिए थे। उन्होंने बताया कि लक्ष्यों के विरुद्ध सर्वाधिक 497.35 प्रतिशत वसूली के साथ एएमई टोंक संजय शर्मा रहे है। एमई मकराना महेश पुरोहित ने 80.34 प्रतिशत, एमई जैसलमेर भगवान सिंह ने 59.05, एमई बीकानेर राजेन्द्र बलारा, ने 457 .44, एएमई सवाईमाधोपुर गौरव मीणा ने ॥40.35, एमई बिजौलिया प्रकाश माली ने 30.79, एमई करौली सुनील शर्मा ने 24.67 , एमई सीकर रामलाल चौधरी ने 22 .28 प्रतिशत व एमई बूंदी देवी लाल बंशीवाल ने १20.22 प्रतिशत उपलब्धि अर्जित की है। ठसी तरह से एसएमई वृत कार्यालयों में एसएमई बीकानेर भीमसिंह ने १35.05 प्रतिशत, एसएमई राजसमंद ओपी काबरा ने 404.65 प्रतिशत, एसएमई भीलवाड़ा कमलेश बारेगामा ने १03 .56प्रतिशत और एसएमई जयपुर प्रताप मीणा ने राजस्व वसूली में सौ प्रतिशत से अधिक उपलब्धि अर्जित की है। ब्यावर और सलूंबर में 50 प्रतिशत अग्रवाल ने बताया कि विभाग द्वारा छीजत रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए समन्वित प्रयास, विभागीय मोनेटरिंग व्यवस्था को मजबूत करने और नियमित मोनेटरिंग से राजस्व बढ़ाने में उल्लेखनीय सफलता अर्जित हुई है। योजनाबद्ध तरीके से अवैध खनन व परिवहन गतिविधियों पर कार्यवाही में तेजी लाई गई है वहीं वैध खनन को बढ़ावा देने के लिए नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है। निदेशक माइंस केबी पण्ड्या ने बताया कि समन्वित व समग्र प्रयासों से खान विभाग द्वारा राजस्व वसूली के प्रयासों में तेजी लाई गई है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा अवैध खनन व परिवहन गतिविधियों पर सख्त कार्यवाही की जा रही है जिसके सकारात्मक प्रभाव लगातार सामने आ रहे हैं।

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कांग्रेस के साथ अजीब विडंबना है। एक तरफराहुल गांधी भारत जोड़ो अभियान चला रहे हैं दूसरी तरफअपने घर यानी पार्टी को बिखरने से खुद नहीं बचा पा रहे हैं। कांग्रेस ऐसे विषय पर भाजपा बनना चाहती है। लेकिन वह न भाजपा बन पा रही न कांग्रेस | कांग्रेस को छोड़ने का गुलाम नबी को मलाल भी है। कांग्रेस की नीतियों से फिर इस तरह की राजनीति का क्या मतलब निकलता है। कांग्रेस को जितनी उठाने की कोशिश की जा रही है वह दिन-ब-दिन उतनी कमजोर होती जा रही है। पार्टी स्वयं में अपना अर्थ खोती दिखती है। गुलाम नबी आजाद और दूसरे राजनेताओं का कांग्रेस के साथ न रहना साफ-साफबताता है कि पार्टी में सामंजस्य की स्थित नहीं है। स्थिति यह भी इशारा करती है कि पार्टी में सोनिया गांधी की नहीं चल रही है। राहुल गांधी तानाशाह जैसे फैसले ले रहे हैं? राहुल गांधी एक तरफखुद पार्टी की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते दूसरी तरफपर्द के पीछे से पार्टी चलाना चाहते हैं । गुलाम नबी आजाद जैसे अनुभवी राजनेता का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है। कांग्रेस का जहाज डूब रहा है इसका मलाल गांधी परिवार को भले न होए लेकिन देश यह सब देख रहा है। लेकिन कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आंखों पर पट्टी बांध रखा है। गुलाम नबी आजाद कांग्रेस की टॉप लीडरशिप से आते हैं। ऐसा राजनेता जो पार्टी के लिए अपनी पूरी उम्र खपा दिया और सियासी कैरियर के अंतिम पड़ाव में उसे बेआबरू होकर पार्टी को अलविदा कहना पड़ा। नाराज होकर पार्टी में जी-23 के लोग लामबंद हो गए तब भी नाराज राजनेताओं को पार्टी मना नहीं पायी। गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, जितीन प्रसाद जैसे अनगिनत दिग्गज पार्टी से किनारा करते गए। कांग्रेस की कमान जब तक सोनिया गांधी के हाथों में थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे। उस दौरान बुरे आर्थिक हालात में भी कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था। जिसका उल्लेख आजाद ने अपने त्यागपत्र में भी किया है। उस दौर में देश की अर्थव्यवस्था को हालत बेहद नाजुक थीं लेकिन आर्थिक सुधारों बेहद मजबूती मिली सोनिया गांधी के त्याग को लेकर देश में चर्चाएं थीं । उस दौरान कांग्रेस में जी-23 जैसी कोई बात नहीं थी। लेकिन पार्टी की कमान राहुल गांधी के हाथों में आते ही अनुभवी राजनेताओं को हाशिए पर रखा जाने लगा। नई सोच के युवाओं को आगे लाने की कोशिश में कांग्रेस डूबती चली गयी । निश्चित रूप से इन सारी विफलताओं के पीछे कहीं न कहीं राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। आप घर नहीं संभाल पा रहे हैं फिर देश का विश्वास कैसे जीत पाएंगे। भाजपा का विकल्प कांग्रेस आज भी है, लेकिन इस हालात में जनता उस पर कैसे भरोसा करे। गुलाम नबी आजाद कांग्रेस से आजाद हो गए। फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस से आजाद होने का उनका फैसला कितना उचित है। लेकिन पार्टी के पास जम्म कश्मीर से बड़ा चेहरा गायब हो गया। कांग्रेस गुलाम नबी को राज्यसभा न भेजकर बड़ी गलती की । सदन में आजाद की मौजूदगी में कांग्रेस कहीं न कहीं से मजबूत बनती। कम से कम बंगाल के अधीर रंजन चौधरी से तो लाख गुने आजाद भले थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर गलत बयानी देकर कांग्रेस की जो दुर्गति उन्होंने करायी उससे तो वह बच जाती। राहुल गांधी के फैसलों से गुलाम नबी आजाद जैसे कई राजनेता नाराज चल रहे थे। इसका दर्द उनकी पांच पन्नों की चिट्टी कहती हैए जिसे उन्होंने सोनिया गांधी को लिखा है। उन्होंने साफसाफलिखा है कि कांग्रेस की दुर्गति के लिए राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। कांग्रेस को राहुल गांधी और उनकी चाटुकार मंडली चला रही हैं। जिनके पास न कोई अनुभव है और न ही राजनीति का ज्ञान । कांग्रेस छोड़ने वाले राजनेताओं में अभी तक किसी ने राहुल गांधी पर सीधे इस तरह का हमला नहीं किया था। आजाद ने अपने पत्र में कई गंभीर मुद्दे और अहम सवाल भी उठाएं हैं। इसकी वजह भी साफ दिखती है कि इस पर कांग्रेस को गंभीर चिंतन करना चाहिए, लेकिन लगता है कि गांधी परिवार अपने वफादारों से घिरा है। उसे जितनी चिंता अपने वफादारों की है उतनी कांग्रेस और उसके भविष्य की नहीं है। जिसका मूल कारण है कि पार्टी बिखर रही है। संगठन में भी अनुभवी नेताओं को दरकिनार किया गया है। आजाद ने सरकारी अध्यादेश को फाड़ने के लिए भी राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा किया है। गुलाम नबी ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि पार्टी के अहम फैसले सिक्‍योरिटी गार्ड और राहुल गांधी के पीए ले रहे हैं। लेकिन गुलाम नबी आजाद कांग्रेस में रहते हुए इस तरह के आरोप क्‍यों नहीं लगाए। चुप क्‍यों बैठे रहे। यह गलत परम्परा है। पार्टी में रहते हुए लोग मुंह नहीं खोलते बाहर आते है। वाकयुद्ध पर उतर आते हैं। गुलाम नबी के आरोपों में दम है तो निश्चित रूप से इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। उन्होंने यहां तक कहा कि साल 2044 में चुनावी जंग के दौरान जो निर्णय लिए गए थे वह आज भी कांग्रेस के स्टोर रूम में बंद है, उन्हें कभी खोला नहीं गया। पार्टी में अगर ऐसे हालात हैं जहां संगठन की नहीं सुनी जाती उस दशा में कांग्रेस का जिंदा रह पाना मुश्किल है। कांग्रेस साल 204 से 2022 के बीच दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है। जहाँ छह राज्यों में गठबंधन के साथ उसकी सरकार थीं आज वह दो राज्यों तक सिमट गयी है। साफजाहिर है कि पार्टी में संगठन नहीं व्यक्तिवाद हावी है। कांग्रेस पूरी तरह से रिमोट कंट्रोल आधारित पार्टी हो चली है। संगठन के फैसलों में पार्टी के राजनेताओं का कोई मतलब नहीं रह गया। राहुल गांधी के सामने खुद सोनिया गांधी की नहीं चल रही है। जिसकी वजह से कांग्रेस पतन की तरफबढ़ रही है। सोनिया गांधी की अगर चलती तो कांग्रेस की ऐसी दुर्गति नहीं होती। वरिष्ठ राजनेताओं का सम्मान और उनके दिए गए सुझावों पर अमल किया जाता | यह बात आजाद ने भी कहा है। उन्होंने सोनिया गाँधी की तारीफ भी की है साथ ही गांधी परिवार का देश के लिए किए गए योगदान की भी सराहना की है। लेकिन राहुल गांधी से खासे नाराज हैं। अब सवाल उठता है कि कांग्रेस से…

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भारत पर्व-उत्सवों का देश है और गणेश चतुर्थी उन्हीं उत्सव में से एक है। गणेशोत्सव को 0 दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को गणेशोत्सव या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के इस उत्सव को उनके भक्त बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी नए काम को प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने के बाद प्रारंभ होने वाला कार्य हर हाल में पूरा होगा। भगवान शिव व माता पार्वती के पुत्र गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। मान्यता है कि मनुष्य जब भी किसी संकट में फंसता है और सच्चे मन से भगवान गणेश को याद करता है तो उसका संकट टल जाता है। गणेश शब्द का अर्थ होता है जो समस्त जीव जाति के ईश अर्थात्‌ स्वामी हो। गणेश जी को विनायक भी कहते हैं विनायक । शब्द का अर्थ है विशिष्ट नायक। वैदिक मत में सभी कार्य के आरम्भ जिस देवता का पूजन से होता है वही विनायक है। गणेश चतुर्थी के पर्व का आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्तृव है। मान्यता है कि भगवान गणेश विघ्नो के नाश करने और मंगलमय वातावरण बनाने वाले हैं। गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु सहित पूरे भारत में काफी जोश के साथ मनाया जाता है। किन्तु महाराष्ट्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी-बड़ी प्रतिमायें स्थापित की जाती है। इन प्रतिमाओं का नो दिन तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में लोग गणेश प्रतिमाओं का दर्शन करने पहुंचते है। नो दिन बाद गणेश प्रतिमाओं को समुद्र, नदी, तालाब में विसर्जित किया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार आने से इस त्यौहार के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं जिनमें से उनके माता.पिता माता पार्वती और भगवान शिव के साथ जुडी कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। शिवपुराण में रुद्रसंहिता के चतुर्थ खण्ड में वर्णन है कि माता पार्वती ने सत्रान करने से पूर्व अपने मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया था। भगवान शिव ने जब भवन में प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया । इस पर भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे पार्वती नाराज हो उठीं। भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर दो-तीन महीने पहले ही कारीगर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं। गणेशोत्सव के दौरान बाजारों में भगवान गणेश की अलग-अलग मुद्रा में बेहद ही सुंदर मूर्तियां मिल जाती है। गणेश चतुर्थी वाले दिन लोग इन मूर्तियों को अपने घर लाते हैं। कई जगहों पर १0 दिनों तक पंडाल सजे हुए दिखाई देते हैं जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित होती हैं। प्रत्येक पंडाल में एक पुजारी होता है जो इस दौरान चार विधियों के साथ पूजा करते हैं। सबसे पहले मूर्ति स्थापना करने से पहले प्राणप्रतिष्ठा की जाती है। उन्हें कई तरह की मिठाईयां प्रसाद में चढ़ाई जाती हैं। गणेश जी को मोदक काफी पंसद थे। जिन्हें चावल के आटेए गुड़ और नारियल से बनाया जाता है। इस पूजा में गणपति को लडुओं का भोग लगाया जाता है। जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। भगवान शिवजी के निर्देश पर विष्णुजी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए। हैशष्छीयता कि भावना जगाता गष्णोगोन्तत बनाकर कहीं प्रदर्शन कर सकते थे। महान क्रांतिकारी बंकिम चंद्र चटर्जी ने 882 मे वन्देमातरम नामक एक गीत लिखा था। जिस पर भी अंग्रेजों ने प्रतिबंध लगा कर गीत गाने वालों को जेल में डालने का फरमान जारी कर दिया था। इन दोनों बातों से लोगो मे अंग्रेजो के प्रति बहुत नाराजगी व्याप्त हो गयी थी। लोगो मे अंग्रेजों के प्रति भय को खत्म करने और इस कानून का विरोध करने के लिए महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने गणपति उत्सव की स्थापना की और सबसे पहले पुणे के शनिवारवाड़ा मे गणपति उत्सव का आयोजन किया गया। 894 से पहले लोग अपने अपने घरो मे गणपति उत्सव मनाते थे। लेकिन १894 के बाद इसे सामूहिक तौर पर मनाने लगे। पुणे के शनिवारवडा के गणपति मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमख बालक को अपने हृदय से लगा लिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्र पूज्य होने का वरदान दिया। देश की आजादी के आन्दोलन में गणेश उत्सव ने बहुत महत्वपूण भूमिका निभायी थी। 894 मे अंग्रेजो ने भारत में एक कानून बना दिया था जिसे धारा 44 कहते हैं जो आजादी के इतने वर्षो बाद आज भी लागू है। इस कानून मे किसी भी स्थान पर 5 से अधिक व्यक्ति इकट्ठे नहीं हो सकते थे। और ना ही समूह उत्सव मे हजारो लोगो की भीड़ उमड़ी। लोकमान्य तिलक ने अंग्रेजो को चेतावनी दी कि हम गणपति उत्सव मनाएगे अंग्रेज पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके दिखाये। कानून के मुताबिक अंग्रेज पुलिस लेकर दिन किसी बड़े नेता को आमंत्रित करते। 895 मे पुणे के शनिवारवाड़ा मे 4॥ गणपति स्थापित किए गए। उसके अगले साल 3 और अगले साल ये संख्या 400 को पार कर गई। फिर धीर-धीरे महाराष्ट्र के अन्य बड़े शहरों अहमदनगर ,, मुंबई , नागपुर, थाणे तक गणपति उत्सव फैलता गया। गणपति उत्सव में हर वर्ष हजारो लोग एकत्रित होते और बड़े नेता उसको राष्ट्रीयता का रंग देने का कार्य करते थे। इस तरह लोगो का गणपति उत्सव के प्रति उत्साह बढ़ता गया और राष्ट्र के प्रति किसी राजनीतिक कार्यक्रम मे एकत्रित भीड़ को ही गिरफ्तार कर सकती थी। लेकिन किसी धार्मिक समारोह मे उमड़ी भीड़ को नहीं । 20 अक्टूबर 894 से 30 अक्टूबर 894 तक पहली बार 0 दिनो तक पुणे के शनिवारवाड़ा मे गणपति उत्सव मनाया गया। लोक मान्य तिलक वहां भाषण के लिए हर चेतना बढ़ती गई। 904 में लोकमान्य तिलक ने लोगो से कहा कि गणपति…

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अजमेर“संवाददाता । इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत अजमेर जिला प्रभारी मंत्री महेन्द्र जीत सिंह मालवीया एवं आरटीडीसी चैयरमेन धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ ने शनिवार को अजमेर स्थित कांजी हाउस में आयोजित कार्यक्रम में जॉबकार्ड वितरित किए । जॉबकार्ड वितरण कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री महेन्द्र जीत सिंह मालवीया ने कहा कि गरीब वर्ग को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी नरेगा योजना आरंभ की गई । कोरोना काल में इस योजना के द्वारा अर्थव्यवस्था में दिए योगदान को ध्यान में रखते हुए शहरी क्षेत्रों में भी ऐसी ही योजना इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी के नाम से आरंभ की गई। योजना के माध्यम से गरीब वर्ग की जेब में पैसा पहुंचेगा। आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि शहरी क्षेत्र के वर्ग के लिए संजीवनी का कार्य करेगी। प्रभारी मंत्री मालवीया एवं आरटीडीसी अध्यक्ष राठौड़ा ने श्रमिकों के मध्य बैठकर जॉब कार्ड वितरित किए इस अवसर पर जिला कलक्टर अंश दीप, पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट, अतिरिक्त जिला कलक्टर भावना गर्ग सहित अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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अजमेर“संवाददाता । इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के नए कार्यो का शुभारम्भ शनिवार को सार्वजनिक निर्माण एवं सवाईमाधोपुर जिला प्रभारी मंत्री भजन लाल जाटव ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय साहूनगर मैदान में किया। जिला प्रभारी मंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहरों के हर जरूरतमंद परिवारों विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोरए असहाय एवं बेरोजगार परिवारों को 00 दिन का गारन्टीसुदा रोजगार अपने ही नगरीय क्षेत्र में उपलब्ध करवा रही है। इस योजना के अन्तर्गत सम्पूर्ण राज्य में 800 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है जिसमें 8से 60 वर्ष की आयु के लोग आवेदन के पात्र है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत आवेदन के 5 दिन के भीतर रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इस योजना के तहत एक परिवार को एक वर्ष में 25 हजार रूपये तक का आर्थिक सम्बल मिलेगा। इसके लिए सवाई माधोपुर जिले की नगरीय निकयों को सालाना ॥6करोड़ रूपये का बजट दिया गया है। जिनमें सवाई माधोपुर नगरीय निकाय के लिए 6करोड़, गंगापुर सिटी के लिए 6करोड़, बामनवास के लिए 2 करोड़ एवं बौंली के लिए 2 करोड़ रूपये का बजट जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि सवाई माधोपुर जिले में 5 हजार १22 जॉब कार्ड बनाये गए हैं। वहीं नगर परिषद्‌ सवाई माधोपुर में नियोजित श्रमिकों की संख्या 330, कवर किए गए. वार्ड 60, कार्यो की संख्या 4] एवं जॉब कार्ड की संख्या । हजार 965 है। उन्होंने कहा कि कोई भी जनाधार कार्डधारी आईआरजीवाई-अरबन एमआईएस पोर्टल पर तथा नगरीय निकाय में जाकर ऑनलाईन आवेदन कर सकता है | संबंधी कार्यो में अवैध हॉर्डिंग्स एवं पोस्टर्स की सफाई, कन्वर्जेन्स कार्यो में पीएमएवाई के अन्तर्गत केन्द्र व राज्य सरकार की अन्य संचालित निर्माण कार्यो में कन्वर्जेन्स कार्य, सेवा कार्यो में गौशालाओं में श्रम, मल्टीटॉस्क कार्य किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक स्थलों की फेन्सिंग, पार्क प्रबंधन, आवारा पशु पकड़ना व अन्य अनुमत कार्य किए जाएंगे। जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला ने कहा कि इन्दिरा गांधी शहरी रोजगार गारन्टी योजना में नगरीय क्षेत्र प्रभारी मंत्री ने बताया कि इन्दिरा गांधी शहरी रोजगार गारन्टी योजना के तहत पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, सवाई माधोपुर को 6करोड़ रूपये का बजट आवंटन हुआ है। उन्होंने शहर के अधिक से अधिक बेरोजगारों को इस स्वच्छता, सम्पति विरूपण रोकने, कन्वर्जन्स कार्य, सेवा कार्य एवं हेरिटेज संरक्षण संबंधी कार्य किए जाएंगे। जिनमें पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्य में वृक्षारोपण, पौधों को पानी पिलाना, नर्सरी में पौधे तैयार करना इत्यादी है। जल संरक्षण संबंधी कार्य में टांके, बावड़ी आदि की सफाई, सुधार, जल स्त्रोतों का पुनरूद्धार आदि, स्वच्छता संबंधी कार्य में ठोस कचरा प्रबंधन, शौचालय और मूत्रालय की सफाई, नाला सफाई, झाड़ी कटाई आदि, सम्पति विरूपण रोकने योजना से जुड़ने के लिए ई-मित्र पर जाकर जन आधार के माध्यम से ऑनलाईन पंजीयन करवाकर जॉब कार्ड बनवाने की अपील की है।इस दौरान उप सभापति अली मोहम्मद, अतिरिक्त जिला कलेक्टर डॉ. सूरज सिंह नेगी, एसडीएम सवाई माधोपुर कपिल शर्मा, पुलिस उपाधीक्षक राजीर सिंह चम्पावत, नगर परिषद आयुक्त नवीन भारद्वाज, पूर्व प्रधान तोताराम गुर्जर, स्वास्थ्य निरीक्षक गजेन्द्र सिंह सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी एवं श्रमिक उपस्थित रहे ।

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पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचारियों और रिश्वरखोरों के लिए मानहानि कानूनए ब्रह्मास्त्र की तरह उन्हें सुरक्षित बना रहा है। विशेष रूप से राजनेताओं को मानहानि कानून का जो कवच मिला है। उससे वह पूरी तरह सुरक्षित हो गए हैं। मानहानि के प्रकरण दायर कर अथवा मानहानि का नोटिस भेजकर अपने खिलाफ उठ रही आवाजों को बंद कराने मैं मानहानि कानून बड़ा सहायक हो गया है। जिस राजनीतिक दल और संगठन के देशभर में कार्यकर्ता और समर्थक हैं। उनके लिए तो यह कानून अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शस्त्र बन गया है। करोड़ों रुपए का मानहानि का प्रकरण दायर कर दो | न्यायालय में इसके लिए कोई फीस नहीं लगती है। न्यायालय में जिसके खिलाफप्रकरण दर्ज होता है। उसे उपस्थित होकर सबसे पहले जमानत करानी पड़ती है। उसके बाद हर पेशी में उपस्थित रहना, उसकी बाध्यता होती है। हर माह पेशियां पड़ती हैं। राजनेताओं , अभिनेताओं , बड़े बड़े अधिकारी के भ्रष्टाचार और रिश्ररखोरी के खिलाफबोलना, अब सबसे बड़ा अपराध हो गया है। हर कोई अपनी सफई देने के स्थान पर मानहानि का नोटिस भेजकर अपने आरोपों को दबाने का काम करता है। उल्टे उसे धमकाना शुरू कर देता है। न्यायालय से जमानत पर आरोपी को अपराधी और मुलजिमो की तरह पेश किया जाता है। पिछले वर्षो में एक ही आरोप पर देश के कई राज्यों की कई न्यायालयों में मानहानि का मुकदमा दर्ज हो जाता है। जिस व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा होता है। न्यायालय में जो पेशी पड़ती है, उसमें उपस्थित हो पाना उसके लिए संभव ही नहीं होता है। जिसके कारण गिरफ्तारी वारंट निकलते हैं। अपनी बात बोलने की इतनी बड़ी सजा आरोप लगाने वालों को मिल जाती है। जिससे वह मामले का फैसला आने का इंतजार भी नहीं कर पाते हैं। प्रताड॒ति होकर माफी मांगने के लिए विवश हो जाते हैं। सत्तारूढ़ दल के राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफतत9थ्यों के होते हुए भी इस कानून के कारण अब आम आदमी बोलने से डरने लगा है। जिसके कारण भ्रष्टाचार अथवा रिश्ववखोरी के काम में बिना किसी भय के और भ्रष्टाचार करते पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच में तुम डाल-डाल, हम पात-पात की तर्ज पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना के खिलाफ नोटबंदी के दौरान 400 करोड़ रुपए बदलने का आरोप लगाया है। आम आदमी पार्टी के नेता ईडी और सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब घोटाले का आरोप लगाया है। जिसकी सीबीआई जांच कर रही है। हाल ही में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात कही है। उन्होंने आरोपों के संबंध में कोई सफई नहीं दी है। केन्द्र सरकार ने आम आदमी पार्टी की मांग अनसुनी कर दी है। वहीं आम आदमी पार्टी ने सीबीआई से जाँच करने की मांग को लेकर सीबीआई मुख्यालय पर धरना दे दिया। मानहानि का मुकदमा दायर करने के पश्चात जिसके खिलाफमुकदमा दायर हुआ है। उसे हर पेसी में न्यायालय में उपस्थित होना अनिवार्य होता है। एक भी पेशी में उपस्थित नहीं होने पर उसके खिलाफवारंट निकल जाता है। एक ही व्यक्ति के खिलाफएक ही मामले में कई स्थानों पर मानहानि के मुकदमे दायर हो जाते हैं। वकील की नियुक्ति करनी पड़ती है। सैकड़ों और हजारों किलोमीटर की यात्रा करके न्यायालय में उपस्थित होना पड़ता है। कई मामलों में संगठन के कार्यकर्ता मानहानि की पेशी में शामिल होने वाले व्यक्ति के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, धमकी देते हैं। ऐसी स्थिति में अब आम आदमी अथवा कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार एवं रिश्ववखोरी के खिलाफअपनी बात कहने से डरता है। कई मामलों में न्यायालयों ने सरकारी कार्यालयों में उपलब्ध रिकॉर्ड को आरोपी को बचाब में पेश करने के लिए अनुमति नहीं दी। जिसके कारण उसे अपनी बात प्रमाणित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मानहानि कानून अब भ्रष्टाचारियों और रिश्वरखोरी के लिए सुरक्षा कवच बन के सामने आया है। आरोप प्रमाणित हो भी जाए तो आरोपी के खिलाफमुकदमा खारिज हो जाता है। आरोपी के खिलाफकोई कार्यवाही नहीं होती है।

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अजमेर“संवाददाता। गनाहेड़ा पुष्कर के नवसंचालित इन्दिरा रसोई में प्रथम दिवस जिला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित एवं पुलिस अधीक्षक ने भोजन का स्वाद चखा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इन्दिरा रसोई योजना ग्रामीण का शुभारम्भ राज्य स्तर पर किया गया। इसके अन्तर्गत जिला स्तरीय कार्यक्रम गनाहेड़ा में आयोजित हुआ। जिला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित ने फीता काटा। यहां शुभारम्भ के अवसर पर जिला कलक्टर के साथ जिला पुलिस अधीक्षक श्री चूनाराम जाट ने भोजन का स्वाद चखा। भोजन की गुणवत्ता की सराहना की । स्थानीय सरपंच श्रीमती लीला देवी ने अधिकारियों का स्वागत किया। इस रसोई का संचालन राजीविका की महिलाओं द्वारा किया जाएगा। जिले में इन्दिरा रसोई ग्रामीण के लिए 32 स्थलों का चयन किया गया है। इनमें ब्लॉक अजमेर ग्रामीण में 6, मसूदा में 4, किशनगढ़ में 4, श्रीनगर में 4, सरवाड़ में एक, भिनाय में 2, केकड़ी में 3, सावर में एक, अंराई में एक, जवाजा में एक तथा पीसांगन में 5 ग्राम शामिल है। इस अवसर पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ललित गोयल, अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेन्द्र सिंह, उपखण्ड अधिकारी निखिल कुमार, तहसीलदार संदीप कुमार, डीओआईटी के संयुक्त निदेशक महेन्द्र सिंह शक्तावत, राजीविका की जिला परियोजना प्रबन्धक दिशी शर्मा सहित अधिकारी , जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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