चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम रहा है जो अपनी सादगीईमानदारी और किसानों के मसीहा के रूप में जाना गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से उठकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचना वह भी एक मामूली किसान के लिए कोई कम बड़ी बात नही है। हालांकि वे बहुत कम समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे लेकिन जब तक रहे सिद्धांत के साथ थे । गाजियाबाद में जब वह वकालत करते थे तो एंबेसडर कार में चलाकर कचहरी जाते थे। वह जहाज़ पर उड़ने के खलाफ़ थे और प्रधानमंत्री होने के बावजूद लखनऊ रेल से ही आया जाया करते थे। उनके सामने घर में अगर कोई अनावश्यक बल्ब जलता हुआ मिलता तो वह डांटते थे कि इसे तुरंत बंद करो । चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति के ऐसे विराट व्यक्तित्व थे जिन्होंने देश से न्यूनतम लिया और देश को अधिकतम दिया। चौधरी चरण सिंह का जन्म सन902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने सन १923 में बीएससी की और आगरा विश्वविद्यालय से सन 4925 में एमएससी की उपाधि प्राप्त की । इसके बाद एलएलबी की और गाजियाबाद से वकालत की शुरुआत की। बाद में वे मेरठ आ गये और कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने अपना राजनीतिक सफ को शुरू किया। सन 937 छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए वह पहली बार चुने गए। इसके बाद सन 946सन 952 सन १962 एवं सन।967 में उन्होंने विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे सन 946में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य न्याय सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून सन 95 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और न्याय तथा सूचना विभाग प्रभार दिया गया। बाद में सन १952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल सन 959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था। मुख्यमंत्री सी.बी. गुप्ता के शासनकाल में वे गृह एवं कृषि मंत्री थे।सुचेता कृपलानी की सरकार में वे कृषि एवं वन मंत्री रहे। उन्होंने सन 965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं सन 4966में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया। कांग्रेस विभाजन के बाद ‘फरवरी सन 970 में वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। गया था। चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सेवा की। उनकी ख्याति एक कड़क व ईमानदार नेता के रूप में हो गई थी । प्रशासन में अक्षमता भाई भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को वे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है | ग्रामीण देनदारों को राहत प्रदान करने वाला विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक 939 को तैयार करने एवं इसे अंतिम रूप देने में उनकी महत्तवपूर्ण भूमिका थी। उनके द्वारा की गई पहल का ही परिणाम था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के वेतन एवं उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों को काफी कम कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम 960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह अधिनियम खेती की जमीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करने के उद्देश्य से लाया गया था ताकि राज्य भर में इसे एक समान बनाया जा सके । देश में कुछही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की। एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले चौधरी चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच हालांकि बाद में राज्य में 2 अक्टूबर सन १970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से कापी बल
दिल्ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी को पत्र लिखकर मांग की है कि वह सरकारी खजाने में 97 करोड़ रुण्जमा करवाए | यह वह पैसा है जो दिल्ली की आप सरकार ने विज्ञापनों पर खर्च कर दिया है। आप पार्टी ने उप-राज्यपाल को कह दिया है कि उन्हें इस तरह की मांग करने का कोई अधिकार ही नहीं है। और यदि आम आदमी पार्टी को 97 करोड़ रु. जमा करवाने हैं तो भाजपा को 22 हजार करोड़ रु. जमा करने होंगे क्योंकि उसकी राज्य सरकारों ने विज्ञापनों की झड़ी लगा रखी है । उप-राज्यपाल ने आपत्ति प्रकट की है कि दिल्ली सरकार बाहरी प्रांतों में अपने विज्ञापन क्यों छपवा रही है। इस पर आप पार्टी ने आंकड़े इकट्ठे करके बताया है कि भाजपा सरकारों ने उक्त मोटी राशि प्रांत-बाहर विज्ञापनों पर ही खर्च की है। आप पार्टी ने इसे मुख्यमंत्री को उप-राज्यपाल का प्रेम-पत्र कहा है। वास्तव में सरकारी विज्ञापनों पप आजकल सभी सत्तारुढ़ पार्टियां बड़ी बेशर्मी से पैसा बहाती हैं । यह जनता के टैक्स से वसूला गया पैसा है इन विज्ञापनों के जरिए जनता को शासन के अच्छे कार्यों से परिचित करवाने की भावना तो अच्छी है लेकिन यह काम टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए होता ही है। लेकिन विज्ञापनों के जरिए हर नेता अपनी बांसुरी बजाना चाहता है। अपने ढोल और नगाड़े पिटवाना चाहता है। इन विज्ञापनों में बढ़.चढ़कर दावे किए जाते हैं जो लोगों को गुमराह भी करते हैं और उनमें गलतफहमी भी फैलाते हैं। इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी विचार किया था। उसने केवल उन विज्ञापनों पर रोक लगाई है जो पार्टी-प्रचार करते हैं । उसने सरकारी विज्ञापनों पर रोक नहीं लगाई है। आप पार्टी को इस मामले में पहले दोषी भी पाया गया था । लेकिन बेहतर तो यह है कि सरकारी विज्ञापनों के जरिए सरकारें टीवी चैनलों और अखबारों पर भयंकर दबाव बना देती हैं। लालच के मारे उनकी बोलती बंद हो जाती है | वास्तव में विज्ञापन भी रेवड़ी ही होते हैं ।चुनाव के दिनों में जनता को रेवडायां बाटी जाती हैं और सादे दिनों में पूरी खबरपालिका को विज्ञापन की रेवडयां खिलाकर खरीद लिया जाता है [जनता को बांटी गई रेवडयों का परिणाम अनिश्चित होता है लेकिन खबरपालिका की रेवडायां तो दूसरे दिन ही साफ़ साफ दिखाई पड़ती हैं।
-तीन साल तक होगा एक्सप्लोरेशन, आवश्यकता होने पर 9 माह का मिलेगा अतिरिक्त पीरियड .देश मेंऑनलैंड क्षे में खनिज तेल उत्पादन में राजस्थान पहले स्थान पर-निवेश, रोजगार वराजस् में होगी बढ़ोतरी अजमेर/संवाददाता। राज्य में नया साल 2023 पेट्रोलियम क्षेत्र में नई आशा लेकर आ रहा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइन्स एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि बाड़मेर-जैसलमेर के 486.39 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस का एक्सप्लोरेशन भारत सरकार के उपक्रम गैल इंडिया द्वारा किया जाएगा | इसके लिए गैल इंडिया को 3 साल प्लस 9 माह के लिए ब्लॉक आवंटित किया गया है। केन्द्र सरकार के पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय की अनुशंषा ‘पर यह पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लाइसेंस जारी किया है। उन्होंने बताया कि गैल इंडिया को ऑपन एक्रेज लाइसेंसिंग ‘पालिसी के तहत सप्तम चक्र में यह ब्लॉक आवंटित किया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समय समय पर खनिज खोज व खनन कार्य को गति देने पर जोर देते रहे है। वहीं खान व गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि 2022 जाते जाते प्रदेश के लिए. अवसर लाया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 2023 में एक्सप्लोरेशन सें नई खुशी मिलेगी । डॉ. अग्रवाल ने बताया कि गैल इंडिया द्वारा इस क्षेत्र में खनिज तेल और प्राकृतिक गैस की खोज की जाएगी | देश में ऑनलैंड क्षेत्र में खनिज तेल उत्पादन में राजस्थान पहले स्थान पर है। इस समय प्रदेश में ओएनजीसी व ऑयल इंडिया द्वारा बाड़मेर और जैसलमेर क्षेत्र में पेट्रोलियम व गैस का उत्पादन किया जा रहा है। इसके लिए ओएनजीसी को 9 व ऑयल इंडिया को 2 लाइसेंस दिए हुए है। इसी तरह से राज्य में ॥6पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लाइसेंस जारी कर एक्सप्लोरेशन कार्य किया जा रहा है जिसमें वेदांता को 9 लाइसेंस, ऑयल इंडिया को 5, ओएनजीसी और गैल इंडिया को – पीईएल जारी है। उन्होंने बताया कि एक्सप्लोरेशन का कार्य बाड़मेर, जैसलमेर के साथ ही बीकानेर और श्रीगंगानगर क्षेत्र में हो रहा है। एसीएस माइन्स एवं पेट्रोलियम डॉ. अग्रवाल ने बताया कि गैल गैस को बाड़मेर व जैसलमेर में आरजे- ओएनएचपी-202/ ब्लॉक का आवंटन किया गया है। इस क्षेत्र में गैल इंडिया द्वारा खनिज क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस, कोल बेड मिथेन सीबीएम और शैल गैस की खोज व उत्पादन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गैल द्वारा प्रति छह माह ओपरेशन, बोरिंग व प्रोडक्शन की जानकारी आवश्यक रुप से दी जाएगी। इसी तरह से एक्सप्लोरेशन के दौरान अन्य खनिज मिलता है तो उससे भी तत्काल अवगत कराएगी। गैल द्वारा एक्सप्लोरेशन के दौरान आर्मी से जुड़े क्षेत्र में एक्सप्लोरेशन, सर्वे और डिगिंग गतिविधियां नहीं की जा सकेगी । डॉ. अग्रवाल ने बताया कि खनिजतेल और गैस की उत्पादकता बढ़ने से लाभदायकता बढ़ने के साथ ही प्रदेश में निवेश, रोजगार व राजस्व की भी बढ़ोतरी होगी। इस समय प्रदेश में लगभग एक लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल व करीब 4] से 44 लाख घनमीटर गैस का उत्पादन हो रहा है।
जीवन जीविका के जंग में जुझते जुझते आधुनिक ईसान इतना अस्त व्यस्त हो गया है कि वे अपने मानव जीवन जीने का तरीका व सलिका भुल गया है। खास कर आज के नगरीय व पश्चिमी सभ्यता के पक्षधर लोग। मै भी अपने आप को इससे अछूता नही हूँ। दिल्ली के शहरी सभ्यता व एकाकी जीवन जीने के अभ्यथ दैनिक दिनचर्या में मैअपने आप का ही गुनागार मानता हूँ। खैर मै अपने आप से इस संदर्भ में कभी अन्य लेख मे चर्चा करूँगा। आज मेरी सप्ताहिक अवकाश होती है। श्याद आप की होगी | इसलिए छुट्टी के दिनो प्लानलिंग करते है मै भी इस छुट्टी का सदुपयोग करने की सोच रहा था कि आज रविवार है। वातावरण में आज प्रात: से भगवान भुवन भास्कर बादल के ओट में आँख मिचौनी का खेल खेल रहा है वही सर्द हवाएं भी अपनी उपस्थिति करा दी है। हो भी क्यो नही जो उहरा मौसम सर्दी का है। इसलिए गर्म कपड़े के लिए मै आज सुबह सवेरे कपड़े की अलमारी खोली। चूँकि मैं एक पत्रकारलेखक के संग एक भावानात्मक कवि भी हूँ। जिसके कारण आज अपने एक कमरे मे रखे आलमारी से मेरे कानो मे कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी कि टोपी बहन आज शायद तेरा या मेरा नंबर लग जाए बाहर के वातावरण मे सर्दी बढ़ गई है शायद आज हमारी जरूरत पड़ जाए….. ये गर्म जुराबो की आवाज़ थी । उस के सुर में सुर मिलाते पिछले सालों के रखे सभी गर्म कपडे अपनी अपनी बात कहने को उतावले होने लगे…मान्यवर आप ने कितने शौक से हमे खरीदा था अपने रंग व अपनी पसंद के डिजायन-चुन कर सभी स्वेटर जर्सीयाशॉल कोटपेन्टसभी मानो विरोध के स्वर थे। सभी एक स्वर मे बोल पडे श्री मान हम आपके लिए पसंद ओर फैशन हो सकते हैं परंतु पहनोंगे तब न! अलमारी में रखे रखे हमारा अब दम घुट रहा है। ना जाने कितने लोग दिल्ली/एन सी .आर. व देश के महानगरो मे हाड कपाने वाले इस सर्दी से ठिठुर रहे हैं जिसने अपनी आशियाना सडको के किनारे-चौक चौराहे पर खुले नीले आसमान के नीचे अपनी सर्दे भरी राते गुजरा रहे है। जिन्हें अभी हमारी शक्तजरूरत है। हर साल नए नए कपड़े लाकर हमारे ऊपर रख देते हैं आप हमारी जरूरत हमारा उपयोग सब कुछ व्यर्थ है। में तैयार होकर मुझे निकलने की जल्दी थी । क्योकि आलमारी मे तीन कोट पेन्ट के कपड़े पिछले बर्षो से पडे थे । जिन्हे मुझे सिलाई करवाने के लिए टेलर को देना था । ऐसे मे स्वेटर, जैकेट, दस्ताने, मफलर, जुराब सबकी मन की बात समझ आ रही थी…. क्योकि मैं एक पत्रकार होने के साथ लेखक समीक्षक स्तम्भकार के साथ एक आम जिन्मेदार नागरिक हुँ । बस एक-दो दिन की मोहलत मांग वहां से निकलने की कवायद की । सच मानिए….कभी सोचिए उन नीचे दबे ठंडे गर्म कपड़ों के बारे में जिन्होंने केवल हमारी अलमारी का वजन बढ़ा रखा है। मौका बे मौके भी उनकी तरफदेखते नहीं । अगले रविवार को यही काम करना है….जो नहीं पहनने उसे निकालकर जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगे। कपड़ों की घुटन भी कम होगी …और ठंड से व्याकुल लोगों की ठिठुरन भी । लेकिन इससे पहले आपकी अलमारी से बगावत के स्वर उठने लगे कपड़ो के साथ कल पुराने बिस्तर भी आ मिलेंगे आप भी इस काम को निपटा लें…सबका भला । अलमारी भी हल्कीमन भी हल्का और हाँ सेलीफिन में अच्छे से सिंगल पैकिंग करके दीजिएगा । आप भी अपने लिए खरीदे गये कपडे जिन्हे आप ने प्रेम पुर्वक खरीददारी की है। उनकी भावना का कद्र करे। अपने आस पास जरूरत मंदो मे अलमारियो पड़े गर्म कपड़े बाँटेअपने कपड़े की हसरते को पुरी करे । जरूरत मंद के चेहरे की खुसिया विखरेस्वयं मुस्कारते रहे । श्याद इसी का नाम जिन्दगी है।
अजमेर /संवाददाता। जल जीवन मिशन एवं अन्य पेयजल परियोजनाओं में लापरवाही बरतते हुए तय समयावतधि में प्रोजेक्ट पूरे नहीं करने वाली कॉन्ट्रेक्टर फर्मो की रेड लिस्ट बनेगी । इस लिस्ट में शामिल फर्मों से न केवल वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट वापस लिए जाएंगे बल्कि उन्हें आगामी परियोजनाओं की निविदाओं से भी एक से तीन वर्ष तक के लिए डिबार किया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई विभाग की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए गए। बैठक में विभिन्न वृहद परियोजनाओं पर कार्यरत कॉन्ट्रेक्टर फर्मो के प्रतिनिधि भी वीसी के माध्यम से शामिल हुए। समीक्षा बैठक में एसीएस पीएचईडी ने वृहद एवं लघु पेयजल परियोजनाओं की लक्ष्य के मुकाबले प्रगति की जानकारी ली। डॉ. अग्रवाल ने सबसे कम प्रगति वाली परियोजनाओं की सूची बनाने एवं विभिन्न स्पान पूरे करने में फर्मो द्वारा लिए गए समय के बारे में भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। रिपोर्ट में उन कारणों का भी जिक्र होगा जिनकी वजह से परियोजनाओं में देरी हुई। प्रोजेक्ट में देरी होने के ठोस एवं उचित कारण होने पर फर्मों को और मौका दिया जाएगा लेकिन जिन फर्मो ने बिना किसी ठोस कारणों के लापरवाहीपूर्वक परियोजनाओं में देरी की है उन फर्मो को नई परियोजनाओं की निविदाओं से डिबार किया जाएगा। उन्होंने संबंधित जिलों के अधीक्षण अभियंताओं को ऐसी फर्मो से प्रोजेक्ट वापस लेने के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर भिजवाने के भी निर्देश दिए । डॉ. अग्रवाल ने कहा कि मुख्य अभियंता ._ अतिरिक्ति मुख्य सचिव पीएचईड़ी की समीक्षा बैठक परियोजनाएं पूरी करने में लापरवाही बरतने वाली फर्मो की बनेगी रेड लिस्ट आगामी परियोजनाओं की निविदाओं परे किया जाएगा डिबार (तकनीकी ) की अध्यक्षता में बनने वाली ह कमेटी विभिन्न परियोजनाओं की धीमी प्रगति एवं समयावधि निकलने के कारणों की जांच करेगी। इस कमेटी की जांच के आधार पर सबसे निचले पायदान पर रही फर्मों का नाम रेड लिस्ट में डाल दिया जाएगा। ये फर्में आगे आने वाली परियोजनाओं की टेण्डर प्रक्रिया में एक से तीन साल तक के लिए भागीदारी नहीं कर पाएंगी। जेजेएम में लघु परियोजनाओं (ओटीएमपी) एवं वृहद परियोजनाओं में सबसे कम एफएचटीसी करने वाले पांच जिलों में बांसवाड़ा (4 प्रतिशत) पहले स्थान पर है। इसके बाद जैसलमेर (4 प्रतिशत) डूंगरपुर (7 प्रतिशत) प्रतापगढ़ (१8प्रतिशत) और बाड़मेर (24 प्रतिशत) की प्रगति भी कम है। टॉप पांच जिलों में हनुमानगढ़ (59 प्रतिशत) पहले, श्रीगंगानगर (59 प्रतिशत) दूसरे, भीलवाड़ा (57 प्रतिशत) तीसरे, राजसमन्द (55 प्रतिशत) चौथे एवं नागौर (55 प्रतिशत) पांचवे स्थान पर है। ओटीएमपी में उपलब्ध कार्यादेशों के विरूद्ध जयपुर द्वितीय (3व प्रतिशत) में सबसे कम प्रगति हुई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एसीई (जयपुर द्वितीय) को कार्य में गति लाने के राजस्शाज सरकार जन स्वास्थ्य आंधियात्रिकी विभाग निर्देश दिए। पूर्ण नहरबंदी में पांच दिन कम करने से होगी भरपाई मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीएचईडी डॉ. सुबोध अग्रवाल के आग्रह पर 24 अप्रेल को पंजाब के मुख्य सचिव से बात की थी | इसके बाद पंजाब ने आंशिक नहरबंदी को पांच दिन बढ़ाकर 29 अप्रेल तक कर दिया है और पूर्ण नहरबंदी में पांच दिन कम कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि 26मार्च से 8अप्रेल तक सरहिन्द फीडर क्षतिग्रस्त होने के कारण राजस्थान को 3 दिन तक पेयजल जरूरतों के लिए 8500 क्यूसेक पानी नहीं मिल पाया था। मुख्य अभियंता जोधपुर ने बताया कि आंशिक नहरबंदी के दौरान 26मार्च से मुख्य नहर को बंद कर सरहिन्द फीडर से 2000 क्यूसेक (500 करोड़ लीटर) प्रतिदिन पानी इंदिरा गांधी नहर में प्रवाहित कर पेयजल व्यवस्था जारी रखी जानी थी लेकिन 26मार्च को सरहिन्द फीडर क्षतिग्रस्त हो गई और इस दौरान 26मार्च से 8अप्रेल तक 3 दिन पेयजल योजनाओं हेतु प्रतिदिन 2000 क्यूसेक पानी नहीं मिलने से इंदिरा गांधी मुख्य नहर एवं वितरिकाओं में की गई पोंडिंग का पानी उपयोग में लेना पड़ा। इससे पो्डिंग में १0 से 80 प्रतिशत की कमी हो गई और गंगानगर, बीकानेर एवं जैसलमेर की वितरिकाओं में सर्वाधिक कमी रही। विभागीय डिग्गियों के भंडारण में भी 0 से 20 प्रतिशत की कमी आई। पंजाब सरकार द्वारा आंशिक नहरबंदी बढ़ाने (26मार्च से 29 अप्रेल) एवं पूर्ण नहरबंदी में पांच दिन कम करने (30 अप्रेल से 24 मई ) से उसकी भरपाई हो जाएगी। साथ ही, वितरिकाओं एवं विभागीय डिग्गियों में पोंडिंग की कमी पूरी हो सकेगी। बैठक में एमडी जल जीवन मिशन अविचल चतुर्वेदी, संयुक्त सचिव राम प्रकाश, मुख्य अभियंता (जल जीवन मिशन) आर. के. मीना, मुख्य अभियंता (तकनीकी ) दलीप गौड, मुख्य अभियंता (विशेष परियोजना) दिनेश गोयल, मुख्य अभियंता (प्रशासन) राकेश लुहाड़िया मुख्य अभियंता (जोधपुर) नीरज माथुर, अतिरिक्त मुख्य अभियंता (शहरी ) अमिताभ शर्मा सहित प्रदेश भर के पीएचईडी रीजन एवं प्रोजेक्स्स से जुड़े अतिरिक्त मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशाषी अभियंता शामिल हुए।
अजमेर“संवाददाता। राज्य के अलवर एवं भरतपुर जिलों में शत प्रतिशत राज्य मद से प्रवर्तित मेवात क्षेत्रीय विकास योजना की बैठक मंगलवार को मण्डल के अध्यक्ष श्री जुबेर खान की अध्यक्षता में यहां शासन सचिवालय में सम्पन्न हुईं। बैठक में गत बैठक के कार्यवाही विवरण का अनुमोदन किया गया एवं योजना की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति पर चर्चा की गई। साथ ही वित्तीय वर्ष 2023-24 की वार्षिक योजना के अनुमोदन के सम्बन्ध में चर्चा की गई | बैठक में भरतपुर जिले से प्राप्त प्रस्तावों पर चर्चा कर अनुमोदन किया गया एवं अलवर जिले से शीघ्र ही प्रस्ताव प्राप्त करने के अधिकारियों को निर्देश दिए गए। बोर्ड के अध्यक्ष जुबेर खान ने बताया कि प्राथमिकता एवं क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार भरतपुर से प्राप्त शिक्षा, मेडिकल, कनेक्टिविटी, श्मशान एवं कब्रिस्तान की चारदीवारी निर्माण आदि के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। बोर्ड का प्रयास है कि योजनान्तर्गत उपलब्ध बजट के पेटे विकास कार्य जल्द स्वीकृत होकर मौके पर प्रारम्भ हो जाएं। उन्होंने बताया कि अलवर के रामगढ में एक गोशाला निर्माण के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया जारी है जिसके लिए 50 लाख रुपए का प्रावधान रखा गया है। भूमि आवंटन के बाद यहां गोशाला निर्माण कार्य किया जाएगा। एक गोशाला भरतपुर के सेवल में संचालित की जा रही है। खान ने बताया कि मेवात क्षेत्र में बालिका शिक्षा प्राथमिकता में है और पिछले वित्तीय वर्ष में बालिका शिक्षा पर 6करोड़ से अधिक का प्रावधान किया गया है। इसमें योजनान्तर्गत दोनों जिलों में कलासरूम निर्माण, होस्टल, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर लैब, विद्यालयों की चारदीवारी जैसे कार्य शामिल हैं। बैठक में क्षेत्र में संचालित 0 आवासीय बालिका विद्यालयों में आकस्मिक फण्ड के रूप में जिला कलक्टर को पांच लाख रुपए का अलोकेशन करने का निर्णय किया गया । दोनों जिलों को अपने प्रस्तावों में बालिकाओं के लिए कम्प्यूटर टेबलेट शामिल करने को कहा गया। खान ने कहा कि मेवात क्षेत्र में सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भी कुछ राशि निर्धारित की जानी चाहिए उन्होंने निर्देश दिए कि सबसे पुराना क्षेत्रीय विकास बोर्ड होने के कारण इसका पुनर्गठन कर इसका आकार बढाया जाना चाहिए। रीको, अल्पसंख्यक बोर्ड एवं अन्य संस्थाओं को इसमें शामिल किए जाने से क्षेत्रीय विकास में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि मेवात कल्चरल एवं कला केन्द्र की स्वीकृति मिली है जिसकी प्रक्रिया जारी है। इसे हसन खां मेवाती पनोरमा के पास बनाया जाएगाए लाइब्रेरी आदि का भी निर्माण होगा एवं मेवातकी संस्कृति को बचाए रखने के प्रयास किए जाएंगे। बैठक में विधायक रामगढ साफिया जुबेर, विधायक कठूमर बाबूलाल बैरवा, विधायक मुण्डावर मंजीत धर्मपाल चौधरी भी शामिल हुए एवं अपने-अपने क्षेत्र में योजनान्तर्गत कार्यों पर चर्चा की । एसीएस अभय कुमार ने कहा कि कार्य अनुमोदन के बाद प्रशासनिक एवं अन्य स्वीकृतियां जारी होने में समय नहीं लगना चाहिए। शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंजू राजपाल ने बैठक में बोर्ड अध्यक्ष एवं सभी सदस्यों को योजनान्तर्गत कार्यो की प्रगति एवं प्रक्रियाओं की जानकारी दी। बैठक में परियोजना निदेशक ओंकारेश्वर शर्मा एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल हुए।
कर्नाटक विधानसभा का चुनाव अभियान चरम पर पहुंच गया है। ऐसी चर्चा देश के अलावा अब विदेशों में भी हो रही है। विशेष रुप से राहुल गांधी की बगलकोट जिले की रैली ने सारे देश और दुनिया का ध्यान कर्नाटक की ओर मोड़ दिया है। बगलकोट जिले में 7 विधानसभा क्षैत्र हैं। इसमें अभी 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। यह भाजपा के प्रभाव का क्षेत्र है। राहुल गांधी की रैली में जो अपार भीड़ उमड़ी। उसको देखकर सारे राजनीतिक समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने गृह लक्ष्मी योजना के तहत 2000 रुपये प्रति महिलाओं को, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, बेरोजगार युवाओं को भत्ता तथा 0 किलो अनाज मुफ्त में देने की घोषणा की है। इसका असर सारे कर्नाटक में पड़ा है। राहुल गांधी की इस समय सबसे असहाय व्यक्ति के रूप में कर्नाटक में पहचान बनी हैं। यहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और गांधी परिवार का बड़ा प्रभाव रहा है। राहुल गांधी को 2 साल की सजा, उनकी संसद सदस्य की सदस्यता समाप्त होने तथा उनका बंगला खाली करा लिए जाने से सहानुभूति की लहर कर्नाटक में दिख रही है।यहां की जनता गांधी परिवार को आदर की दृष्टि से देखती है। इसका असर चुनाव प्रचार के दौरान देखने में मिलने लगा है। अभी राहुल गांधी कर्नाटक में कन्क का विधानसभा चुनाव देश और दुनिया में वर्षा का विषय बना चुनाव प्रचार करने के लिए पहुंच रही हैं। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी अपने ही नेताओं से लड़ रही है। भाजपा के लिंगायत और वोक्कालिंगा समाज का समर्थन कांग्रेस को मिल रहा है। भाजपा के लिए जो सर्वे एजेंसियां काम कर रही हैं। अंदर जो भगदड़ मची हुई है। उसे रोकने का प्रयास करना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा को चुनाव जिताने के लिए कम, भगदड़ रोकने मैं ज्यादा मेहनत करना पड़ रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें चेतावनी दे दी है कि भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए नेता किसी भी कीमत में जीतना नहीं चाहिए। भाजपा के कार्यकर्ता बगावती नेताओं का कोई काम ना करें। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है, कि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा और बीएल संतोष के कहने पर 68विधानसभा की टिकट लिंगायतों को दी है। उसके बाद भी कर्नाटक का चुनाव उठ नहीं पा रहा है। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं से ही लड़ना पड़ रहा है। राहुल गांधी को लेकर जो उत्साह आम जनता में देखने को मिल रहा है। उससे दिल्ली दरबार भी हतप्रभ है। जेडीएस और देवगोडा परिवार को भाजपा ने कांग्रेस की बी टीम के रुप में प्रचारित करने और देवगोड़ा परिवार के सदस्यों पर भ्रष्णाचार और जमीन कब्जाने के आरोप लगाए हैं। ईडी देवगोड़ा परिवार की जांच कर रही है। जेडीएस यदि कमजोर होती है। तो इसका लाभ भाजपा को ना मिलकर कांग्रेस के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है। चुनाव प्रचार कर रहे हैं। प्रियंका गांधी भी कांग्रेस के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है। हो गया है।
राजस्थान में दिसम्बर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियां प्रारंभ कर चुके हैं। भाजपा भी प्रदेश में अपने सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने में जुटी है। इसी के तहत प्रदेश अध्यक्ष के पद पर सांसद सीपी जोशी व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर राजेंद्र सिंह राठौड़ को नियुक्त किया है। प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। भाजपा अपने चुनावी गणित में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला फिट कर रही है। इतना सब करने के बाद भी भाजपा आलाकमान राजस्थान को लेकर संतुष्ट नहीं लग रहा है। इसीलिए पार्टी के बड़े नेता लगातार राजस्थान का दौरा कर गुआपसी खेमेबंदी को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन भाजपा में व्याप्त खेमेबंदी रुक नहीं रही है। राजस्थान में भाजपा की सबसे बड़ी समस्या चुनावी चेहरे की हैं। जिसके सहारे पार्टी चुनावी मैदान में उतर सके । राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सबसे बड़ी नेता मानी जाती रही है। मगर भाजपा आलाकमान उन्हें चुनाव में चेहरा बनाना नहीं चाहता है। भाजपा आलाकमान चाहता है कि वसुंधरा राजे के स्थान पर नए लोगों को आगे बढ़ाया जाए। इसी सोच के तहत जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया राजपूत समाज से आने वाले गजेंद्र सिंह को पार्टी आलाकमान राजस्थान में प्रमुख चेहरा बनाना चाहता था। मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गजेंद्र सिंह को संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी घोटाले में लपेटकर विवादास्पद बना दिया है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए केंद्रीय जलशक्त मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान उच्च न्यायालय से अपनी अग्रिम जमानत तक करवानी पड़ी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को लोकसभा चुनाव में हराकर गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से सांसद बने थे। इस कारण मुख्यमंत्री गहलोत गजेंद्र सिंह को लपेटने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। इन दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुलकर गजेंद्र सिंह शेखावत पर प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों से 900 करोड रुपए ठगने का आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत तो सार्वजनिक रूप से इतना तक कह रहे हैं कि गजेंद्र सिंह शेखावत को आमजन से ठगी कर एकत्रित कर विदेशों में जमा करवाए गए धन को वापस लाकर गरीब लोगों को लौटाना चाहिए। गहलोत के आरोपों से गजेंद्र सिंह शेखावत की छवी सार्वजनिक रूप से खराब हुई है और वह बैकफुट पर आ गए हैं।गजेंद्र सिंह को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत के आक्रमक रूप को देखते हुए भाजपा आलाकमान भी उन्हें फंट फुट पर उतारने से कन्नी काटने लगा है। भाजपा आलाकमान को पता है कि यदि गजेंद्र सिंह शेखावत को चेहरा बनाकर पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरती है तो मुख्यमंत्री गहलोत का मुख्य निशाना उन्हीं पर होगा और इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी नहीं चाहती है कि राजपूत समाज के किसी अन्य नेता को उनके स्थान पर प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ा जाए। इसके लिए वसुंधरा राजे अपने समर्थकों से अंदर खाने गजेंद्र सिंह का विरोध करवा रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी प्रदेश में कोई पॉपुलर फेस नहीं रहे हैं | प्रदेश स्तर पर उनका कोई बड़ा जनाधार भी नहीं है। दोनों लोकसभा चुनाव भी वह मोदी के चेहरे पर जीते हैं। जातिगत समीकरण के हिसाब से उनको प्रदेश अध्यक्ष तो बना दिया गया है। मगर उन्हे चुनावी चेहरा बनाकर पार्टी को शायद ही कोई फायदा मिले। सीपी जोशी खुद भी लगातार बोल रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल नहीं हैं। उनका काम संगठन को मजबूत करना हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए राजेंद्र राठौड़ लगातार सातवीं बार विधायक बने हैं। मगर उनका भी प्रभाव अपने क्षेत्र तक ही सीमित है। वह पार्टी का प्रदेश स्तर पर नेतृत्व कर सके इतना प्रभाव उनका नहीं रहा है। कोटा के सांसद ओम बिरला दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह की पहली पसंद है। हो सकता है यदि चुनाव में पार्टी को बहुमत मिले तो उन्हें मुख्यमंत्री भी बना दिया जाए। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए सीपी जोशी उनके आशीर्वाद से ही अध्यक्ष बन पाए हैं। लोकसभा अध्यक्ष के संवैधानिक पद पर होने के कारण ओम बिरला खुलकर पार्टी की राजनीति नहीं कर सकते हैं। ना ही वह पार्टी पदाधिकारी बन सकते हैं। जाट नेता सतीश पूनिया के रूखे व्यवहार व वसुंधरा राजे से सीधे टकराव के चलते ही उन्हें पद से हटाया गया था। ऐसे में उनकी भूमिका सीमित ही रखी जाएगी। केंद्र सरकार में राज्य मंत्री व बीकानेर के सांसद अर्जुन राम मेघवाल अपने विवादास्पद व्यक्तित्व के चलते सर्वमान्य नेता के रूप में स्वीकार नहीं किए जा सकते बट?” राजरथान मे खेमेवदी से परेशान हे भाजपा ९ राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुलकर फंट फुट पर खेल रहे हैं। पिछले दिनों सचिन पायलट के अनशन के दौरान पार्टी आलाकमान ने स्पष्ट रूप से उनके ही नेतृत्व में अगला चुनाव लड़े जाने की घोषणा कर दी थी। उसके बाद से गहलोत विपक्ष सहित पायलट पर भी आक्रामक रूख अपनाए हुए हैं। अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की चुनाव की कमान पूरी तरह अशोक गहलोत के हाथ में रहेगी। वहीं भाजपा को मजबूरी में बिना चेहरे के ही चुनाव मैदान में उतरना पड़ेगा। उस पर वसुंधरा की उपेक्षा भी भाजपा को भारी पड़ सकती है। कर्नाटक चुनाव में टिकट काटने पर बहुत से भाजपा के वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ कर भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। राजस्थान में भी यदि हैं। उनके पुत्र से जुड़े विवादों के चलते पिछले दिनों उन्हें बचाव की मुद्रा में आना पड़ा था। बीकानेर के दिग्गज नेता देवी सिंह भाटी से अनबन के चलते ही उनका पुत्र जिला परिषद का चुनाव हार गया था। भाजपा के राज्यसभा सदस्य डॉ किरोड़ी लाल मीणा जुझारू छवि के नेता है तथा आए दिन जनआन्दोलन करते रहते हैं । मगर बढ़ती उम्र व विवादो में रहने के चलते पिछले विधानसभा चुनाव में उनका समर्थक एक भी प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में नहीं जीत पाया था। उनकी स्वयं की दौसा संसदीय सीट पर भी उनकी विरोधी रही जसकौर मीणा को प्रत्याशी वसुंधरा राजे व उनके समर्थकों की उपेक्षा की गई वही…
इस योजना के अंतर्गत रोगियों की खोज के अतिरिक्त निश्चित मापदंड पर छिड़काव की व्यवस्था है ताकि मलेरिया से एक भी व्यक्ति की मृत्यु न हो। यह कार्यक्रम भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा प्रदत 5050 के अनुदान के आधार पर चलाया जाता है । हर साल 25 अप्रैल को मलेरिया के खिलाफ लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के विश्व मलेरिया दिवस यानी वर्ल्ड मलेरिया डे मनाया जाता है. गौरतलब है कि हर साल लाखों लोग भारत समेत पूरी दुनिया में मलेरिया से ग्रसित होते हैं. बता दें कि यह एक जानलेवा बीमारी है जिससे भारत में हर साल हजारों लोग संक्रमित होते हैं. दिसंबर 209 में जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट में मलेरिया उन्मूलन के लिए उठाए गए कदमों के चलते भारत सुर्खियों में है। रिपोर्ट के अनुसार वैसे तो मलेरिया उन्मूलन के वैश्विक प्रयासों में स्थिरता आई है लेकिन पिछले वर्ष 22 करोड़ 80 लाख लोग मलेरिया की चपेट में आए थे जिनमें से लगभग 4 लाख लोगों की मौत हुई थी। अधिकतर मौतें अफीका क्षेत्र में हुई थी। भारत में मलेरिया का प्रकोप सदियों से हो रहा है। आजादी से पहले तक देश की लगभग एक चौथाई आबादी मलेरिया से प्रभावित होती थी। 947 में भारत की 33 करोड़ आबादी में से 7 .5 करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित हुए थे और 8लाख लोग मारे गए थे। इस घातक रोग पर काबू पाने के लिए भारत सरकार ने 953 में “राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम” लागू किया। यह कार्यक्रम काफी सफल रहा और इससे मलेरिया के रोगियों की संख्या में काफी कमी आई। इस कार्यक्रम की सफलता से उत्साहित होकर सरकार ने १958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन! कार्यक्रम आरंभ किया। डी.डी.टी. वगैरह के छिड़काव में ढील के कारण 960 और १970 के दशक में मलेरिया के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गई, और 976 में देश भर में 60 लाख 45 हजार केस दर्ज किए गए। मलेरिया की रोकथाम के तमाम प्रयासों के कारण रोगियों की संख्या काफी घट गई लेकिन 990 के दशक में यह रोग नई ताकत के साथ वापस लौट आया। इसकी वापसी के कारणों में कीटनाशकों के खिलाफ मच्छरों की प्रतिरोधकता, खुले स्थानों में मच्छरों की बढ़ती तादाद एवं जल परियोजनाओं, शहरीकरण, औद्योगीकरण, मलेरिया परजीवी के रूप बदलने और क्लोरोक्निन तथा मलेरिया की अन्य दवाइयों के खिलाफ प्लाज़्मोडियम ‘फाल्सिपेरम की प्रतिरोध क्षमता मुख्य थे। मलेरिया उन्मूलन की दिशा में ओडिशा एक प्रेरणा र्नोत के रूप में उभरकर सामने आया है। हाल के वर्षों में इसने अपने “दुर्गग अंचलारे मलेरिया निराकरण” नामक पहल के माध्यम से मलेरिया के प्रसार पर अंकुश लगाने तथा परिणाम प्राप्त हुए हैं। भारत में मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख मोड़ 205 में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान आया जब देश ने 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने का संकल्प लिया था। 2077 में मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने लगभग एक करोड़ मच्छरदानियां वितरित करने में मदद की | यह कदम सबसे जोखिमग्रस्त क्षेत्रों में सभी निवासियों को मलेरिया जैसे रोगों से सुरक्षा प्रदान करने के लिये आवश्यक था। इनमें आवासीय विद्यालयों के छात्रावास भी शामिल थे। अपने निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप ओडिशा ने साल 207 में मलेरिया के मामलों और उसके कारण होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। इस योजना का उद्देश्य राज्य के दुर्गग और सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के लोगों तक सेवाओं का उसके निदान और उपचार के व्यापक प्रयास किए हैं। इन प्रयासों के चलते बहुत ही कम समय में प्रभावशाली विस्तार करना है। स्पष्ट है कि मलेरिया उन्मूलन के वैश्विक प्रयासों को आगे बढ़ाने में भारत एक अग्रणी देश के रूप में सामने आया है। मलेरिया उन्मूलन के मामले में भारत की सफलता मलेरिया से सर्वाधिक प्रभावित अन्य देशों को इससे निपटने के लिये एक उम्मीद प्रदान करती है। इसके अलावा सरकार ने विभिन्न माध्यमों से मलेरिया उन्मूलन सम्बंधी जागरूकता अभियान चलाया। मलेरिया उन्मूलन पर फिल्में एवं रेडियो कार्यक्रम बनाए गए। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया। इसके अलावा विज्ञान प्रसार द्वारा एडूसेट के माध्यम से मलेरिया सम्बंधी जागरूकता कार्यक्रमों को देश भर में कार्यरत 52 केंद्रों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया गया । सीएसआईआर ने मलेरिया पर एक राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन विज्ञान प्रसार के साथ किया। इस प्रकार विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मलेरिया सम्बंधी जागरूकता के जृरिए लोगों का ध्यान बीमारी की गंभीरता और रोकथाम की ओर आकर्षित किया गया।
अजमेर/संवाददाता। राज्यपाल कलराज मिश्र से राजभवन में सेवानिवृत्तआईएएस एवं राज्य सरकार में पदोन्नति प्रकरणों से सम्बन्धित परीक्षण समिति के अध्यक्षमुलाकात के दौरान उन्होंने राज्यपाल मिश्र को राजस्थान में सहकारी डेयरीसंस्थाओं का किसानों की आय पर प्रभाव विषयक अपने शोध के निष्कर्षों से अवगतकराया | उन्होंने बताया कि दुग्ध उत्पादकों के अथक प्रयासों से राजस्थान वर्ष 2024-22में दुग्ध उत्पादन में भारत में प्रथम स्थान पर आ गया है और प्रदेश में दुग्ध प्रोसेसिंग एवंविपणन तंत्र को मजबूत कर यहां के दुग्ध उत्पादकों को और अधिक लाभान्वित कियाजा सकता है। चौधरी ने बताया कि शोध अध्ययन करने के उपरान्त उन्हें अपेक्सविश्वविद्यालय जयपुर द्वारा पीएचण्डी की उपाधि हेतु योग्य माना गया है।
हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें और ताज़ा समाचारों से अपडेट रहें।