Author: UmaAbhi
अजमेर /संवाददाता। राज्य सरकार की योजनाओं का जागरूक सार्वजनिक निर्माण मंत्री भजनलाल जाटव एवं राजस्थान किसान आयोग के उपाध्यक्ष दीपचन्द खैरिया ने अलवर जिले के किशनगढबास क्षेत्र के गांव नूरनगर में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के स्मारक एवं प्रतिमा का अनावरण किया। मंत्री जाटव ने कहा कि राज्य सरकार हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। इस हेतु विभिन्न योजनाएं संचालित है। शिक्षा, चिकित्सा, स्वरोजगार, कृषि सहित हर क्षेत्र में एक से बढकर एक योजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि होकर न केवल स्वयं लाभ उठाएं बल्कि अन्य पात्र व्यक्तियों को भी योजनाओं से अवगत कराकर उन्हें लाभांवित करावे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सुशासन की दिशा में अहम कदम बढाते हुए एक साथ 9 जिलों की घोषणा की है जिससे आमजन को बहुत सहूलियत होगी। साथ ही क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक दीपचन्द खैरिया के विशेष प्रयासों से क्षेत्रवासियों को खैरथल जिले की सौगात मिली है। उन्होंने विधायक खैरिया की मांग पर क्षेत्र में सड़कों सहित अन्य विकास कार्य कराने का आश्वासन दिया। राजस्थान किसान आयोग के उपाध्यक्ष एवं विधायक दीपचन्द खैरिया ने बाबा साहेब के मूल मंत्र शिक्षित बनो, संगठित रहो एवं संघर्ष करो का अनुसरण करने का आह्वान करते हुए कहा कि संवैधानिक मूल्यों से ही देश एवं समाज का सर्वांगीण विकास संभव है। उन्होंने किशनगढबास क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों एवं राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित अनेक प्रबुद्ध व्यक्ति उपस्थित रहे।
अजमेर/संवाददाता। प्रदेश के दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सासुविधाओं का विस्तार करना राज्य सरकार की प्राथमिकता रही है। आमजन कोगांव में ही चिकित्सा एवं सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं । इसी कड़ी में प्रदेश में 203 नये उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलेजाने हेतु वित्त विभाग द्वारा स्वीकृति जारी कर दी गयी है।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री पएसादी लाल मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्रीअशोक गहलोत की बजट घोषणा 2022-23 की क्रियान्विति में 203 नवीनउपस्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने की पदों सहित स्वीकृति जारी कर दी गयी है। उन्होंनेबताया कि प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्र के भवन निर्माण कार्य हेतु 30-30 लाख रूपयेस्वीकृत करने के साथ ही प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्र में एक-एक महिला स्वास्थ्यकार्यकर्ता के 203 नये पद भी स्वीकृत किये गये हैं। उन्होंने बताया कि नवीनउपस्वास्थ्य केन्द्रों के खोले जाने से आसपास के नागरिकों को चिकित्सा सुविधाओंका लाभ अपने घर के नजदीक ही मिल सकेगा।
अजमेर/संवाददाता । राज्यपाल कलराज मिश्र ने जगतपुरा में अरावलीहोम्योपैथी अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर का लोकार्पण किया।राज्यपाल ने अस्पताल में मरीजों के उपचार के लिए उपलब्धसुविधाओं का अवलोकन किया और अस्पताल के निदेशक डॉ. अशोक सिंहसोलंकी को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मोती डूंगरी गणेशमन्दिर के महंत कैलाश शर्मा सहित जनप्रतिनिधिगण एवं अन्य विशिष्टजनउपस्थित रहे।
अजमेर/संवाददाता। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और मूल्य वर्धित कर (वैट) जमा कराना आसान हो जाएगा। आवेदन प्रक्रियाओं में आवेदकों को सहूलियत देने के लिए राज्य सरकार प्रदेश में 2 हजार टैक्स मित्र नियुक्त करेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नियोजन की योग्यताओं तथा शुल्क निर्धारण संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। गहलोत ने व्यवहारियों को सेल्फ टैक्स स्क्रुटनी की प्रथम स्तरीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित ई-टैक्स ऑफिसर सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म विकसित करने की स्वीकृति भी दी है। टैक्स मित्र के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता वाणिज्य में स्नातक के लिए शुल्क लिया जाएगा। इस शुल्क का भी निर्धारण किया गया है। इसमें जीएसटी, वैट आवेदन, संशोधन, आईटीसीए ई-वे बिल, सब्सिडी आवेदन, एमएसएमई आवेदन सहित अन्य कार्यों के लिए 50 रूपये से 400 रखी है। सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यू, सहित अनुभवी आवेदकों को प्राथमिकता मिलेगी। आयु 24 से 40 वर्ष निर्धारित की गई है। टैक्स मित्रों द्वारा विभिन्न टैक्स संबंधी आवेदन प्रक्रियाओं रूपये तक का शुल्क रखा गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में जीएसटी एवं वैट आवेदन प्रक्रियाओं में सुगमता के लिए इस संबंध में घोषणा की गई थी।
अजमेर /संवाददाता। प्रमुख शासन सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग वैभव गालरिया की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गुण नियंत्रण शाखा की समीक्षा बैठक आयोजित हुई गालरिया ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशवासियों को विभिन्न निर्माण कार्यों की सौगात दी है। अत: विभाग के गुण नियंत्रण अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इन निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी मानकों के अनुरूप हो । उन्होंने निर्देश दिए कि विभाग की ओर से किए गए और किए जा रहे कार्यो की गुणवत्ता में किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा, अगर कोई संवेदक इन कार्यो का निर्माण गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं करता है तो उस संवेदक पर नियमानुसार त्वरित कार्रवाई अमल में लाई जाए। गालरिया ने निर्देश दिए कि नए भवनों का निर्माण ग्रीन बिल्डिंग की थीम पर किए जाए। संबंधित अधिकारी भवनों का निर्माण प्रचलित आधुनिक तकनीक के अनुरूप करवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के भवनों में बिजली की खपत कम होती है क्योंकि यह भवन सामान्य भवनों के मुकाबले ठंडे रहते है और इनमें प्राकृतिक प्रकाश की भी उचित व्यवस्था रहती है। गालरिया ने निर्देश दिए कि सभी भवनों में जल निकासी की भी व्यवस्था आधुनिक रूप से की जाए जिससे इस जल का ठहराव भवन के नजदीक ना हो। बैठक में शासन सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग चितन्न हरी मीणा, मुख्य अभियंता गुण नियंत्रण मुकेश चंद्र भाटी एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शाखा के अधिशाषी अभियंता तक के अधिकारी जुड़े।
अजमेर»संवाददाता। मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में शासन सचिवालयमें प्रधानमंत्री आदि-आदर्श ग्राम योजना की समीक्षा बैठक आयोजित हुई । बैठक में मुख्यसचिव ने योजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों में किए जा रहे विकास कार्यों की समीक्षा की ।बैठक में बताया गया कि योजना का उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में राज्य के 4 हजार302 गाँवों का विकास किया जाना प्रस्तावित है, जिसके तहत वर्ष 2022-23 में करौली,बारां, सिरोही, बूंदी, झालावाड, कोटा, धौलपुर, टोंक, जालोर, अजमेर एवं जैसलमेरजिले के 709 गाँवों को भारत सरकार के जनजातीय मामले मंत्रालय द्वारा चिह्नित कियागया है । उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत पचास प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वालेजनजातीय क्षेत्रों में प्राथमिक क्षेत्र यथा पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका, सड़क समेतपाँच में आधारभूत विकास कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जारहा है। बैठक में जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग और योजना से संबंधित विभागों केअधिकारियों ने वर्चुअली भाग लिया।
अजमेर /संवाददाता। मगरा क्षेत्रीय विकास मण्डल के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण सिंह रावत को अध्यक्षता एवं राजस्व मंत्री रामलाल जाट की उपस्थिति में शासन सचिवालय में मगरा क्षेत्रीय विकास मण्डल की बैठक आयोजित हुई। बैठक में योजना की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति पर चर्चा हुई एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 की वार्षिक कार्य योजना के अनुमोदन के सम्बन्ध में चर्चा के साथ ही गत बैठक के कार्यवाही विवरण का अनुमोदन भी किया गया। मण्डल अध्यक्ष डॉ. रावत ने योजनान्तर्गत जिलों के सभी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों एवं जिला कलक्टर को निर्देशित किया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्वीकृत कार्य शीघ्र पूरे किए जाएं। राजस्व मंत्री रामजाल जाट ने कहा कि पंजीकृत सोसायटी, ट्रस्ट आदि द्वारा भी योजना में कार्य कराए जाने की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव बनाकर सक्षम स्तर से अनुमति ली जाए। बैठक में सांसद सुभाष बहेडिया, विधायक सुदर्शन सिंह रावत, शंकर सिंह रावत, गायत्री देवी त्रिवेदी भी शामिल हुए। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज हैं। मगरा क्षेत्र में पंचायत समितियों की वार्षिक कार्ययोजना में हस्तशिल्पियों, दस्तकारों एवं महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए स्थायी विपणन प्रशिक्षण सुविधा हेतु आधारभूत संरचनाए उत्पाद केन्द्र व हाट बनाने के प्रस्तावों को शामिल किया जाएगा । इस विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अभय कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिएकि जिलों के पास योजनान्तर्गत अग्रिम उपलब्ध राशि का समायोजन शीघ्र किया जाए जिससे वित्तीय वर्ष 2023.24 की प्रथम किस्त जल्द जारी की जा सके। ग्रामीण विकास सचिव मंजू राजपाल ने गत जून में हुई बैठक में दिए गए. निर्देशों की अनुपालना के सम्बन्ध में बोर्ड को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योजना की दिशा-निर्देशिका में निर्णय अनुसार वांछित संशोधन कर दिए गए सम्बन्ध में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पंचायत समितियों को निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि यह योजना शत प्रतिशत राज्य योजना मद से राज्य के अजमेर, पाली, राजसमन्द, चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा जिलों में संचालित है। बैठक में सम्बन्धित क्षेत्र के सांसदगण, विधायक , पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी शामिल हुए।
अजमेर“संवाददाता। तीर्थराज पुष्कर सरोवर में गन्दे पानी की आवक को रोकने के लिए कराए जा रहे निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर प्रगति पर है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री धर्मेंद्र राठौड़ ने बताया कि बरसाती पानी के साथ-साथ शहर का गंदा पानी सरोवर में जाने के कारण पवित्रा जल प्रदूषित हो रहा था एवं घाटों का वातावरण दूषित हो रहा था। काफी लंबे समय से पुष्कर वासियों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा था और यह समस्या नासूर साबित हो रही थी पिछले 0 साल में कई बार घोषणा हुई पर मूर्त रूप नहीं यह सखी। समस्या के समाधान के लिए राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीड़ा उठाया और स्ट्राम वाटर ड्रेनेज योजना का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर हो रहा है। निगम अध्यक्ष राठौड़ ने बताया कि पवित्रा सरोवर में गंदे पानी की आवक रोकने के पुख्ता व्यवस्था की जा रही है एवं मानसून आने से पूर्व समयबद्ध निर्माण कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अजमेर के जिला कलेक्टर अंशदीप एवं अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त अक्षय गोदारा एसडीएम पुष्कर सहित कई अधिकारी नियमित रूप से निर्माण कार्य की निगरानी एवं समन्वय कर रहे हैं निगम । अध्यक्ष राठौड ने बताया कि तीर्थराज पुष्कर के विकास जीलेंद्वार एवं सौंदर्यीकरण किया जाएगा । विकास कार्यों के लिए राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 500 करोड़ रुपए की राशि का अनुमोदन किया है। इस राशि से चरणबद्ध निर्माण कार्य कराए जायेंगें। राठौड़ ने दी सिन्धी भाषा दिवस की शुभकामनाएं, अजमेर 09 अप्रेल। 0 अप्रेल 4967 को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सिन्धी भाषा को मान्यता मिलने के उपलक्ष में प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले सिन्धी भाषा दिवस की आरटीडीसी सिन्धी भाषा सरकारी कामकाज की भाषा बनी और सिन्धी भाषा की अकादमियों, अध्यक्ष, राजस्थान सरकार के राज्यमंत्री धर्मेन्द्र राठौड़ ने सिन्धी समाज को बधाई दी। राठौड़ ने अपने बधाई संदेश में कहा कि देश की सशक्त प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने देश के संविधान में सिन्धी भाषा को मान्यता प्रदान करवाकर देश को अनेकता में एकता का संदेश दिया और भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि सिन्धी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करके मान्यता दिलवाने से काउंसिल और आयोग बनने का रास्ता बना, इससे सिन्धी भाषा का विकास सुनिश्चित हुआ। इस अवसर पर अजमेर सिन्धी समाज के मोहन चेलानी, राधा किशन आहूजा, जगदीश अबिचंदानी, चन्द्र बालानी, महेश होतचंदानी, राजकुमार जेठानी, दिलीप कलवानी, हरीश कुमार ने राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष एवं राज्यमंत्री धर्मेन्द्र राठौड़ को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर राजस्थान सिन्धी अकादमी के शीघ्र गठन
आजकल आरक्षण की एक श्रेणी ईडब्लूएस चर्चा का विषय बनी हुई है। हुई है। ईडब्लूएस (इकोनोमिकली वीकर सेक्शन) जिसको हिंदी में आर्थिक कमजोर वर्ग कहते हैं । यह सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए बनाया गया था, जिसके तहत आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है। वर्ष 209 के जनवरी माह में केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी, स्कूल और कॉलेज में आरक्षण देने के लिए आर्थिक आधार पर १0 फीसदी का आरक्षण लागू किया था। इसके लिए संविधान में 03वां संशोधन किया गया था। आर्थिक कमजोर वर्ग के आरक्षण के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं जैसे सामान्य वर्ग (जनरल केटेगरी) के किसी व्यक्ति को ईडब्लूएस में नहीं माना जायेगा अगर उसके परिवार के पास . पांच एकड़ या उससे ज़्यादा कृषि भूमि है। 2. एक हजार वर्ग फीट या उससे ज़्यादा का आवासीय फ्लैट है । 3. अधिसूचित नगर ‘पालिकाओं में 00 वर्ग गज या और उससे ज़्यादा का आवासीय प्लॉट है। 4. अधिसूचित नगर पालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में 200 वर्ग गज या उससे ज़्यादा के आवासीय प्लॉट हैं। 5. सरकार ने ये भी स्पष्ट किया कि अगर किसी परिवार की अलग-अलग जगहों या शहरों में जुमीन या संपत्ति है तो उन सब को जोड़ कर ही ईडब्ल्यूएस होने या न होने का फैसला किया जाएगा। ईडब्ल्यूएस का लाभ प्राप्त करने लिए आवेदकों के पास वार्षिक आय 8लाख रुपये से कम और संपत्ति का सुबूत होना चाहिए दय इसके लिए आवेदकों को आय और संपत्ति प्रमाण पत्र बनवाना होता है। शिक्षक भर्ती के लिए यूजीसी की ओर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर ईडब्लूएस कोटे का लाभ उसी को मिल सकता है। जिसकी वार्षिक आय आठ लाख रूपए से अधिक न हो। एसोसिएट प्रोफेसर के लिए अन्य शैक्षणिक योग्यता के अलावा अस्स्टेंट प्रोफेसर के पद पर 8साल तक पढ़ाने का अनुभव होना आवश्यक है। इसी प्रकार प्रोफेसर पद के लिए असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर 0 साल तक पढ़ाने का अनुभव आवश्यक है। प्रश्न यह उठता है कि ऐसे में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद के लिए ईडब्लूएस कोटे के अभ्यर्थी मिलेंगे कैसे? असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आठ साल पढ़ाने वाले अभ्यर्थियों की वार्षिक आय आठ लाख रूपए से अधिक हो जाती है। यही वजह है कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया के दौरान ही अभ्यर्थी अयोग्य हो जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों में अतएव ईडब्लूएस कोटे के तहत प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति असंभव हो गई है। ईडब्लूएस कोटे के मानक और इन पदों की अर्हता के कारण अभ्यर्थी ही नहीं मिल रहे हैं । सरकार ईडब्लूएस की आड़ में वोट की राजनीती का खेल रही है। इस आरक्षण का लाभ सवण्ों को नहीं मिल पा रहा है। ईडब्लूएस आरक्षण सवर्णों के साथ धोखा है। ईडब्लूएस कोटा सिर्फआर्थिक आधार पर दिया गया है और जहां पहली नजर में लगता जरूर है कि ये देश के गरीब लोगों के लिए एक संजीवनी का काम करेगा पर इसमें कमियां बहुत हैं। सभी राजनैतिक पार्टी की सरकारों ने आरक्षण जैसे शब्द के साथ खिलवाड़ किया है। आरक्षण का दुरूपयोग हुआ है। केंद्र सरकार को सभी सरकारी नौकरियों में सामान्य वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण बिना किसी शर्त के दे दिया जाना चाहिए तभी सामान्य वर्ग आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्ग के बराबरी में आ पाएगा अन्यथा आरक्षण का खेल खत्म होना चाहिए। आजादी के बाद से लगातार दिया जाने वाला आरक्षण, सामाजिक विषमता का कारक है। प्रधानमंत्री जी का सपना, नशा मुक्त भारत हो अपना भारत इन दिनों अपनी आजादी के 75वें बर्ष में प्रवेश कर अमृत महोत्सव मना रहा है।इस अमृत काल का श्रेय निश्चित रूप में हमारे यस्ववी व लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित साह व उनके टीम के सभी सदस्यों को जाता है जिन्होने राष्ट्र के चहूँ मुखी विकाश की दिशा में सरकार व जनता के बीच में ना केवल सम्पर्क,संवाद व सहयोग स्थापित बल्कि प्रधान मंत्री के सपनो को साकार करने के लिए दिन रात कडी मेहनत किया है किसी भी राष्ट्र का विकाश वहाँ की जनता के विकाश पर निभर करता है ।खुशहाल जनता से समाज व राष्ट्र का विकाश होता है इसमें स्वास्थ्य की अंहम भुमिका होती है ।यह तभी सम्भव है जब हमारा समाज नशा मुक्त हो ।भारत विश्व गुरु बने,इसके लिए नरेन्द्र मोदी ने नशा मुक्त भारत का सपना देखा है जिसे साकार के लिए दृढ इच्छा शक्ति व संकल्प जरूरत है।आप को बता दे कि इस दिशा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की बहु-आयामी व व्यापक रणनीतियाँ तैयारी की है।जिसके आशातीत परिणाम आ रहे है शाह के कुशल नेतृत्व में नशीले पदार्थों के कारोबार को खत्म करने में अचुक हथियार साबित हो रही हैं सर्व विदित रहे कि प्रधान मंत्री व गृह मंत्री के चुनौती बन गया है इस पर लगाम लगाने के लिए गृह मंत्रालय ने मादक पदार्थों के खिलाफ शून््य-सहिष्णुता( जीरो टॉलर स)की नीतिअपनाते हुए सहयोग,समन्वय और गठजोड़ के सिद्धांत पर एक त्रि-आयामी रणनीति तैयार की है जिसके तहत केंद्रीय और राज्य ड्रग कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर कुशल मार्गदर्शन में कुछ आशातीत आकंडे आये है।आइए हम इस एक निगाह डालते है।भाजपा के शासन काल में सन 2044 से सन 2022 की अवधि के दौरान विभागीय अधिकारियों के द्वारा चलाये गये इस अभियान के तहत भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त किया गया उसकी तुलना यूपीए शासन के वर्ष 2006से वर्ष 203 के बीच जब्त किए गए ड्रग्स की तुलना में 30 गुना है। बाजार में 22,000 करोड़ रुपये है [जहाँ तक गिरफ्तार किए गए अपराधी व्यक्तियों की संख्या में भी तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है 3.73 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त किए जा चुके हैं [साथ ही,पिछले 9 साल में कुल 3,544 मामले दर्ज किए गए हैं,जो वर्ष 2006से वर्ष 203 की अवधि के दौरान दर्ज की गई संख्या का लगभग दोगुना है।अवैध ड्रग्स की खेती को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा पिछले तीन वर्षों में लगभग 36,000 एकड़्अफीम की खेती और 82,769 एकड़ भांग की खेती को नष्ट कर दिया है साथ ही दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध ड्रग्स की खेती की पहचान के…
पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से पूरे विश्व में लगभग सभी देश लगातार बढ़ती मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्याज दरों में वृद्धि करते जा रहे हैं। अभी हाल ही में अमेरिका ने यूएस फेड दर में 25 आधार अंकों की एवं ब्रिटेन ने केंद्रीय ब्याज दर में 50 आधार अंको की वृद्धि की है। यही स्थिति लगभग सभी विकसित देशों की है। इन देशों में हालांकि ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करने से मुद्रा स्फीति पूर्णतः नियंत्रण में आती दिखाई नहीं दे रही है, हां में मुद्रा कुछ देशों स्फीति में कुछ कमी जरूर आई है। सामान्यतः विश्व के कई देश, विशेष रूप से विकसित देश, यदि ब्याज दरों में वृद्धि करते हैं तो अन्य देशों को अपनी मुद्रा के बाजार मूल्य को बचाने के उद्देश्य से ब्याज दरों में वृद्धि करना एक मजबूरी बन जाता है। परंतु , दिनांक 06अप्रेल 2023 को सम्पन्न हुई भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया गया है, वैश्विक स्तर पर चल रही आर्थिक परिस्थितियों के बीच यह एक साहसिक निर्णय कहा जा सकता है। बल्कि आगे आने वाले समय में अब अन्य देश भी (विकसित देशों सहित) भारतीय रिजर्व बैंक के इस निर्णय का अनुसरण कर सकते हैं, ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है। एक तरह से भारत ने इस संदर्भ में अन्य देशों को राह ही दिखाई है। दरअसल, मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए विकसित देशों द्वारा ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करते जाना, अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को विपरीत रूप से प्रभावित करता नजर आ रहा है, जबकि इससे मुद्रास्फीति पर नियंत्रण होता दिखाई नहीं दे रहा है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में अब पुराने सिद्धांत बोरे साबित हो रहे हैं। और फिर, केवल मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करते जाना ताकि बाजार में वस्तुओं की मांग कम हो, एक नकारात्मक निर्णय है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उत्पादों की मांग कम होने से , कम्पनियों का उत्पादन कम होता हैए देश में मंदी फैलने की सम्भावना बढ़ने लगती हैए इससे बेरोजगारी बढ़ने का खतरा पैदा होने लगता है, प्र-सामान्य नागरिकों की ईएमआई में वृद्धि होने लगती है, आदि। अमेरिका में कई कम्पनियों ने इस माहौल में अपनी लाभप्रदता बनाए रखने के लिए 2 लाख से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की है। किसी नागरिक को बेरोजगार कर देना एक अमानवीय कृत्य ही कहा जाएगा। और फिर, अमेरिका में ही इसी माहौल के बीच दो बड़े बैंक फैल हो गए हैं। यदि इस प्रकार की परिस्थितियां अन्य देशों में भी फैलती हैं तो पूरे विश्व में ही मंदी की स्थिति छा सकती है। मुद्रा स्फीति को प्रनियंत्रित करने के लिए मांग में कमी लाकर उत्पादन कम करने जैसे निर्णयों के स्थान पर आपूर्ति को बढ़ाए जाने जैसे सकारात्मक प्रयास किए जाने चाहिए। इससे उत्पादन बढ़ेगा, विकास की गति तेज होगी एवं रोजगार के और अधिक नए अवसर निर्मित होंगे । अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों में निर्मित हो रही मंदी की आशंकाओं के बीच भारत में स्थिति बहुत नियंत्रण में दिखाई दे रही है। केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के उद्देश्य से सही समय पर सही निर्णय लिए हैं। हालांकि भारत में भी रेपो दर में मई 2022 के बाद से 250 आधार अंको की वृद्धि की गई है। परंतु, भारत में उत्पादों, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों, की आपूर्ति को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारत में मुद्रा स्फीति को आंकने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की टोकरी में खाद्य पदार्थों की उपस्थिति 40 प्रतिशत से अधिक है। खाद्य पदार्थों की मांग को ब्याज दरें बढ़ाकर नियंत्रित नहीं किया जा सकता है| हां, खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बढ़ाकर इनकी कीमतों पर नियंत्रण जरूर रखा जा सकता है। इसी प्रकार की नीतियों का पालन भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक ने किया है। केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को यह निर्देश दिए गए हैं कि भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर 4 प्रतिशत रहनी चाहिए । हां, विशेष परिस्थितियों में यहए इस दर से 2 प्रतिशत अधिक अथवा कम हो सकती है। इस प्रकार, भारत में मंहगाई की दर 2 से 6प्रतिशत के बीच रह सकती है। कोरोना महामारी में बाद एवं रूस यूक्रेन युद्ध के चलते भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर 7 प्रतिशत से अधिक हो गई थी। अत: भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में पिछले एक वर्ष के दौरान 250 आधार अंको की वृद्धि करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत पर पहुंचा दिया है, इसी प्रकार अन्य कई निर्णय भी केंद्र सरकार द्वारा लिए गए हैं। इन निर्णयों के कारण भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर अब घटती भी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023- 24 में भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर घटकर 5.2 प्रतिशत हो जाएगी। जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर फरवरी 2023 माह में घटकर 3.85 प्रतिशत तक भारीय रिजाविंक की मोद्रिक तीति समिति की बैहक में रेपो हे में बुद्धि नहीं करने का निर्णय लिया गया. नीचे आ चुकी है। दूसरे, भारत में ब्याज दरों को बढ़ने से रोकना इसलिए भी जरूरी है कि पिछले कुछ समय से आर्थिक गतिविधियों में आ रही तेजी के चलते बैंकों से ऋण सुविधाओं का उपयोग बहुत बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में बैकों के ऋण १5.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 7.8लाख करोड़ रुपए से बढ़ें है जबकि वित्तीय 202-22 में बैकों ऋणों में 9.7 प्रतिशत को वृद्धि दर्ज हुई थी। ब्याज दरों में वृद्धि होने से ऋण की लागत भी बढ़ती है जो अंतत: उत्पादन की लागत को भी विपरीत रूप से प्रभावित करती है। अतः आर्थिक गतिविधियों में और अधिक तेजी लाने के लिए ब्याज की लागत को कम बनाए रखना आवश्यक है। तीसरे, भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब मजबूत हो रहा है। चूंकि विकसित देशों द्वारा, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में की जा रही वृद्धि के…
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