Author: UmaAbhi
राज्य सरकार की मंशा है कि राजकीय विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ सर्वांगीण विकास के लिए बुनियादी सुविधाएं भी मिलें। यह बात जयपुर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने जिलें में संचालित राजकीय विद्यालयों में शिक्षण सहित सभी व्यवस्थाएं और सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ औचक निरीक्षण के दौरान कहीं । इस दौरान राजपुरोहित ने स्वयं गणगौरी बाजार स्थित राजकीय विद्यालय सहित शहर के 20 विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने विद्यालय में शिक्षण कार्य , निर्माण कार्यो सहित अन्य व्यवस्थाओं और सुविधाओं का जायजा भी लिया । उन्होंने स्कूल प्रधानाचार्य सहित अन्य शिक्षकों से विद्यालय संचालन को लेकर चर्चा की और फीडबैक भी लिया । उन्होंने विद्यालय प्रशासन से जुड़े पदाधिकारियों से विद्यालय में बच्चों के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं और सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विकास कोष से एक करोड़ 3 लाख की राशि से इन विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। जिला कलक्टर के निर्देश पर अतिरिक्त जिला कलक्टर, सहायक कलक्टर एवं उपखण्ड अधिकारियों सहित जिला प्रशासन के 20 अधिकारियों ने जिले के विभिन्न विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों ने विद्यालयों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति, शिक्षण कार्य, स्कूल ड्रेस, पोषाहार, दूध वितरण , शौचालय सहित अन्य व्यवस्थाओं का भी अवलोकन किया। निरीक्षण के दौरान सभी अधिकारियों ने स्कूलों में संधारित किये जा रहे रिकॉर्ड की भी जांच की। साथ ही कक्षाओं में जाकर बच्चों से बातचीत भी की । अधिकारियों ने स्वयं पोषाहार और दूध की गुणवत्ता की जांच की तथा निरीक्षण के बाद सभी अधिकारियों ने 23 बिन्दुओं पर आधारित रिपोर्ट कलक्टर कार्यालय में प्रस्तुत की है।
अजमेर “संवाददाता। जयपुर शहर खासकर परकोटे की पेयजल व्यवस्था में सुधार एवं पुरानी पाइप लाइन बदलने की जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी की सकारात्मक पहल के मद्देनजर आसपास के क्षेत्रों में पुरानी लाइनें बदलकर नई लाइनें डालने और शहरी जल योजनाओं का संवर्धन कर सप्लाई सुचारू बनाने के लिए 239 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी है । जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा जयपुर शहर में परकोटा क्षेत्र की चौकड़ियों चौकड़ी गंगापोलए चौकड़ी घाटघेट, चौकड़ी विश्वेश्वरजी, चौकड़ी रामचन्द्र, पुरानी बस्ती, तोपखाना हजूरी, तोपखाना देश, अमृतपुरी, मंडी खटीकान, लक्ष्मीनारायपुरी, कंवर नगर में पुरानी पाइप लाइन बदली जाएगी एवं आवश्यकतानुसार नई पाइप लाइन डाली जाएगी । इससे इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रदूषित पानी से निजात मिलेगी एवं पेयजल आपूर्ति सुचारू हो सकेगी । बीसलपुर परियोजना के लाभ से वंचित आमेर की ढाणियां, देवीखोल, चौमारिया, कनक घाटी, घाट के बालाजी, नाहरसिंह कॉलोनी, जग्गा की बावड़ी, मीणा बस्ती एवं पुराना घाट क्षेत्रों को बीसलपुर से जोड़ने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाएगा। इससे उपभोक्ताओं के जल कनेक्शन बदलने जैसे कार्य होंगे । जयपुर नगर निगम (हेरीटेज) के वार्ड संख्या 39, 42 एवं 43 के अंतर्गत नारायणपुरी, दुर्गा कॉलोनी, शर्मा कॉलोनी, पार्क व्यू, वेलकम कॉलोनी, पंचवटी, कृष्णापुरी राकडी, खादी कॉलोनी, भेरव नगर, आजाद नगर एवं जनता नगर राकडी की वर्ष 2022 की अनुमानित करीब 20 हजार आबादी को बीसलपुर से पेयजल आपूर्ति के लिए शहरी जल प्रदाय योजना के पुनर्गठन पर 8.4 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। इसमें सब्जी मंडी परिसर के पास 750 केएल क्षमता का उच्च जलाशय, 700 केएल क्षमता का स्वच्छ जलाशय, पंप हाउस तथा पाइप लाइन डालने के कार्य होंगे। साथ ही, जयपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बसी कच्ची बस्तियों को समुचित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए डीपीआर बनाई जाएगी । अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसकी मंजूरी दी गई।
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने विनायक दामोदर सावरकर के माफी नामा को लेकर महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के संबंधों में दरार पड़ी थी। शिवसेना के संजय राउत ने इसमें कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद जयराम रमेश ने संजय राऊत से बात की। ऐतिहासिक तथ्यों पर सोशल मीडिया में भारतीय जनता पार्टी द्वारा जो गलत प्रचार किया जा रहा है। उस संदर्भ में वास्तविकता का उल्लेख किया । सावरकर के बारे में कोई गलत बयानी राहुल गांधी ने नहीं की । इस सफाई के बाद गठबंधन को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच सार्थक चर्चा हुई। इसके बाद राहुल गांधी ने भी संजय राऊत से फोन पर बात की। ईडी की कार्यवाही पर चर्चा करते हुए उनसे व्यक्तिगत बात करते हुए सहानुभूति जताई । राहुल गांधी से बात करने के बाद संजय राऊत शिवसेना और काग्रेस के बीच जो खटास आई थी । वह खत्म हो गई। राहुल गांधी ने भी सावरकर को लेकर चुप्पी साध ली है। कांग्रेस को जो माइलेज लेना था। वह कांग्रेस को मिल रहे । इसको लेकर अब दोनों के बीच की राजनैध्तिक एवं मानसिक राजनीत्ति क्षेत्रों में परिपक्कता को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। जैसे तैसे हिमाचल जीतने की उम्मीद हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव का मतदान हो गया है। अब यह कहा जा रहा हैकि भाजपा को 35 सीटों पर जीत मिल जाएगी। सरकार भी भाजपा की ही बनेगी। भाजपा के नेता अब यह भी कहने लगे हैं कि बागियों को भाजपा के बड़े नेताओं ने ही चुनाव मैदान में उतारा था। जिसका नुकसान पार्टी को चुनाव में हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार के बाद स्थिति तेजी के साथ सम्भली। भाजपा नेताओं को 35 सीटों पर जीत मिलने की आशा अभी भी बनी हुई है। मतदान के पूर्व जिस तरह का असंतोष मतदाताओं में था उसके बाद कांग्रेस को उम्मीद है कि ताज उन्हीं के सिर पर सजेगा। निर्वाचित प्रतिनिधि और दिया। इन दोनों कारनामों की आलोचना और फायदे को लेकर चर्चा हो रही है। कांग्रेस के असंतुष्ट नेता भारत जोड़ो यात्रा से प्रभावित हैं। राहुल गांधी के लेकिन राहुल गांधी शांत है। मेघा पाटकर को गुजरात में भाजपा ने मुद्दा बनाया। अब मेधा को लेकर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के बीच में तुलना होने लगी है। अरविंद केजरीवाल मेघा पाटकर को आम आदमी पार्टी द्वारा गुजरात का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाए जाने पर बुरी तरह से भड़क गए थे। वहीं राहुल गांधी के ऊपर कई गुना ज्यादा हमलों के बाद भी राहुल मर्यादा में बने राजनीतिक निर्णय और क्षमताओं से भी प्रभावित हैं। कांग्रेसियों में आशा की एक नई किरण जागी है। निर्वाचित प्रतिनिधि पार्टी छोड़कर जाते हैं तो उनका राजनीतिक कैरियर लगभग समाप्त हो जाता है। ऐसे में अब यह कहा जाने लगा है कि लोटस ऑपरेशन के दिन लद॒ गए हैं। भारत जोड़ो यात्रा और भारत तोड़ो यात्रा चर्चाओं में बनी हुई है।
राहुल गांधी की मध्यप्रदेश- यात्रा सर्वाधिक सफल रहने की उम्मीद है। पिछले तीन-चार दिनों में मुझे यहां के कई लड़कर अपनी जान दे दी जबकि आरएसएस अंग्रेजों की मदद करता रहा। उन्होंने संघ द्वारा आदिवासियों को शहरों और गांवों से गुजरने का अवसर मिला है। जगह.जगह राहुल कमलनाथ दिग्विजयसिंह और स्थानीय नेताओं के वनवासी कहने पर भी आपत्ति की क्योंकि आदिवासियों की सेवा करनेवाले संघ के संगठन इसी नाम का इस्तेमाल करते हैं। पोस्टरों से रास्ते सजे हुए हैं। लेकिन राहुल के कुछ बयान इतने अटपटे होते हैं कि वे इस यात्रा पर पानी फेर देते हैं । जैसे जातीय जन-गणना और सावरकर पर कुछ दिन पहले दिए गए बयानों ने यह सिद्ध कर दिया था कि वह अपनी दादीजी और माताजी की राय के भी विरूद्ध बोलने का साहस कर रहे हैं। ये कथन सचमुच साहसिक होते तो प्रशंसनीय भी शायद कहलाते। लेकिन वे साहसिक कम अज्ञानपूर्ण ज्यादा थे। इसके लिए असली दोष उनका है जो राहुल को पर्दे के पीछे से पट्टी पढ़ाते रहते हैं । अब मप्र के महान स्वतंत्रता सेनानी टंट्या भील के जन्म स्थान पर पहुंचकर उन्होंने कह दिया कि टंट्या भील ने अंग्रेजों के विरुद्ध राहुल से कोई पूछे कि क्या ये आदिवासी शहरों में रहते हैं घ् जो वनों में रहते हैं उन्हें वनवासी कहना तो एकदम सही है। आदिवासी शब्द का इस्तेमाल कबाइली या ट्राइबल के लिए हुआ करता था लेकिन उस समय यह सवाल भी उठा था कि क्या सिर्फ आदिवासी लोग भारत के मूल निवासी हैं? बाकी सब 80-90 प्रतिशत लोग क्या बाहर से आकर भारत में बस गए हैं? मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने टंट्या भील को एक महानायक का सम्मान दिया है। इसी प्रकार संघ को अंग्रेज का समर्थक बताना भी अपने इतिहास के अज्ञान को प्रदर्शित करना है। राहुल का भोलापन अद्भुत है। उस पर कुर्बान जाने का मन करता है। देश की स्वाधीनता का ध्वज फहरानेवाली महान पार्टी कांग्रेस के पास आज कोई परिपक्क नेता नहीं है यह देश का दुर्भाग्य है। यह ठीक है कि हमारे देश में कुछ नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए लेकिन उनका ज्ञान राहुल जितना या उससे भी कम रहा होगा लेकिन उनकी खूबी यह थी कि वे अपने चारों तरफ ऐसे लोगों को सटाए रखते थे जो उन्हें लुढ़कने से बचाए रखते थे। कांग्रेस के पास आज मोदी के विकल्प के तौर पर न तो कोई नेता है और न ही नीति है लेकिन इस अभाव के दौरान राहुल की यह भारत-यात्रा बेचारे निराश कांग्रेसियों में कुछ आशा का संचार जरुर कर रही है लेकिन यदि अपने बयानों में राहुल थोड़ी रचनात्मकता बढ़ा दें और किसी के भी विरुद्ध निराधार अप्रिय टिप्पणियां न करें तो यह यात्रा उन्हें शायद जनता से कुछ हद तक जोड़ सकेगी ।
पा में हर साल कई राज्यों में कम चुनाव होते रहते हैं | केंद्र एवं राज्य ह; जा. हमेशा चुनावी मोड-में बनीं रहती हैं । अगले के विधानसभा चुनाव होने हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए ह कहा जा सकता है कि समय से पहले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। राजनीतिक हलकों में जो चर्चाएं चल रही हैं। उसके अनुसार बिहार झारखंड और महाराष्ट्र में भी अगले साल मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। 2 राज्यों में गैर भाजपाई सरकारें हैं। महाराष्ट्र में अभी शिवसेना की बगावत से भाजपा की गठबंधन की सरकार बनी है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम और को नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। हिंदी भाषी राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा की कवरेज कांग्रेस भी अब मीडिया में सुर्खियां पाना सीख गई है। हिंदी भाषी राज्य में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को कवरेज नहीं दे रहा था। इसके लिए समय.समय पर कांग्रेस के नेताओं ने कुछ ऐसे विवादास्पद बयान दिए। जिससे मीडिया की सुर्खियों में लंबे समय तक बने रहे। अब हिंदी भाषी राज्यों से भारत जोड़ो यात्रा गुजर रही है। मध्य प्रदेश के बाद भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान जाएगी। कांग्रेस के नेता जानबूझकर कुछ ऐसे बयान देते हैं जिसके कारण नेशनल मीडिया ना चाहते हुए भी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस को मीडिया में प्रमुखता से स्थान देना पड़ता है। नेगेटिव पब्लीसिटी के जरिए कांग्रेस ने अपना अस्तित्व एक बार पिर बनाना शुरु कर दिया है। राहुल गांधी की नई छवि भी इसी गोदी मीडिया और नेशनल मीडिया की देन है। कांग्रेस के नेता मीडिया की नई भूमिका से अब मंद-मंद मुस्कान के साथ खुश हैं। भारत जोड़ो यात्रा का क्रेज भारत जोड़ो यात्रा जिस तेजी के साथ अपने लक्ष्य में बढ़ रही है। उसके साथ ही मीडिया का क्रेज भी भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी को लेकर बढ़ने लगा है। हिंदी-अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के कांग्रेस हारती रहेगी । राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई नेताओं का अहंकार है। जो कांग्रेस को पत्रकार और सोशल मीडिया से जुड़े हुए मूर्धन्य बड़े-बड़े संपादक पत्रकार राहुल गांधी का इंटरव्यू करने और कवरेज करने के लिए खुद भी कई किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। अपने साधनों से पहुंच रहे हैं। जो संपादक और पत्रकार कभी राहुल गांधी की आलोचना करते थे। वह अब भारत। जोड़ो यात्रा का प्रत्यक्ष समर्थन करते हुए दिख रहे हैं। राहुल गांधी की नई भूमिका और आत्मविश्वास की सराहना भी कर रहे हैं। नेता विहीन कांग्रेस की भारत यात्रा कांग्रेस के नेता स्वयं कांग्रेस को हराते है। राहुल गांधी ने इसका अनुभव कर लिया है। कांग्रेस जब तक नेताओं के स्थान पर कार्यकर्ताओं की पार्टी नहीं बनेगी | तब तक डुबा रहा है। गुजरात चुनाव में राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा छोड़कर पहुंचे। उन्होंने दो जनसभायें की। लेकिन उन्होंने कांग्रेस के लिए वोट नहीं मांगे। भाजपा परेशान है कि कांग्रेस नेता चुनाव प्रचार नहीं कर रहे है। भाजपा पहिले कांग्रेस नेताओं के साथ समझौता कर चुनाव जीत जाती थी। अब गुजरात का चुनाव स्वयं उम्मीदवार लड़ रहे है। स्टार प्रचार भी कम जा रहे है। राहुल की यह नई रणनीति है। कार्यकर्ताओं की पार्टी बनाओं बड़े. बड़े अहंकारी नेताओं से मुक्ति पाओ।
अजमेर/संवाददाता। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री रमेश चन्द मीना ने रेलवे सामुदायिक भवन सीकर में आयोजित राजीविका की महिलाओं के साथ समूह संबल संवाद व आमुखीकरण कार्यशाला में बोलते हुए कहा कि राजीविका के समूहों से जुडी महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार हर संभव मदद का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि समूह की महिलाओं द्वारा तैयार उत्पाद बाजार में अच्छे बजट में तथा ऑनलाइन के माध्यम से बिक्री हो इसकी कार्य योजना तैयार की जाये। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने कहा कि महिलाएं उत्पाद का प्रशिक्षण लेकर अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करें ताकि उनकी मांग भी बढ़ सके व आजकल ऑनलाईन का चलन है तो निर्मित उत्पाद बाजारों व आनलाईन कम्पनियों में अच्छी कीमत पर बिक्री की है। जा सके | उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि गांव की गरीब महिलाएं किसी भी प्रकार की सुविधाओं से वंचित नहीं रहें ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाओं का विकास किस प्रकार किया जा सकता है इसी दिशा में राज्य सरकार लगातार कदम बढ़ा रही
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफआजकलजिस तरह के आंदोलन जगह-जगह हो रहे हैं वे 989 में थ्यानमेन चौराहे पर हुए भयंकरनरसंहार की याद ताजा कर रहे हैं । पिछले 33 साल में इतने जबर्दस्त प्रदर्शन चीन मेंदुबारा नहीं हुए। ये प्रदर्शन तब हो रहे हैं जबकि यह माना जा रहा है कि माओत्से तुंग केबाद शी चीन फि। सबसे अधिक लोकप्रिय और शक्तिशाली नेता हैं। अभी-अभी उन्होंनेअपने आपको तीसरी बार राष्ट्रपति घोषित करवा लिया है लेकिन चीन के लगभग १0शहरों के विश्वविद्यालयों और सड़कों पर उनके खिलाफनारे लग रहे हैं । ऐसा क्यों हो रहाहै? सारे अखबार और टीवी चैनल मानकर चल रहे हैं कि ये प्रदर्शन कोरोना महामारी केदौरान जारी प्रतिबंधों के खिलाफहो रहे हैं | मोटे तौर पर यह बात सही है। चीन में कोरोनाकी शुरुआत हुई और वह सारी दुनिया में फैल गया लेकिन दुनिया से तो वह विदा होलिया किंतु चीन में उसका प्रकोप अभी तक जारी है। ताजा सूचना के मुताबिक 40 हजारलोग अभी भी उस महामारी से पीडति पाए गए हैं। चीनी सरकार ने इस महामारी कामुकाबला करने के लिए दफ्तरों बाजारों कारखानों स्कूल-कालेजों और लगभग हर जगहकड़े प्रतिबंध थोप रखे हैं। उनकी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है उत्पादन घटा है औरमानसिक बीमारियां फैल रही हैं । इसीलिए लोग उन प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहे हैं । उन्हेंहटाने की मांग कर रहे हैं लेकिन । वे अब इससे भी ज्यादा आगे बढ़ गए हैं । वे नारे लगा रहेहैं कि शी चिनफिंग तुम गद्दी छोड़ो । इसका कारण क्या है? वह कारण महामारी से भीअधिक गहरा है।वह है-चीनी लोगों का तानाशाही से तंग होना। वे अब लोकतंत्र की मांग कर रहेहैं।सोश्यल मीडिया के जरिए यह संदेश घर-घर पहुंच रहा है। इस मांग का सबसे ज्यादाअसर शिनच्यांग (सिंक््यांग) प्रांत में देखने को मिल रहा है। उसकी राजधानी उरूमची में40 लोगों की जान जा चुकी है। शिनच्यांग में उद़्गर मुसलमान रहते हैं। उनकी जिंदगीचीनी हान मालिकों के सामने गुलामों की तरह गुजरती है। इस प्रांत में लगभग 30 सालपहले मैं काफी लोगों से मिल चुका हूं। वहां हान जाति के चीनियों के विरुद्ध लंबे समयसे आंदोलन चल रहा है। उ्गगर मुसलमानों के इस बगावती तेवर को काबू करने के लिएलगभग १0 लाख मुसलमानों को सरकार ने यातना शिविरों में डाल रखा है। गैर-हान तोचीनी सरकार के विरुद्ध हैं ही अब हान चीनी भी खुले-आम चीन में तानाशाही के खात्मेकी मांग कर रहे हैं । लेकिन चीनी सरकार का कहना है कि यदि वह तालाबंदी खोल देगीतो 80 साल से ज्यादा उम्र के लगभग 50 करोड़ लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी ।यदि महामारी ने विकराल रूप धारण कर लिया तो लाखों लोग मौत के घाट उतर जाएंगे।दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं लेकिन यह आंदोलन बेकाबू हो गया तो कोई आश्चर्यनहीं कि चीन का भी रूस की तरह शायद कम्युनिस्ट पार्टी से छुटकारा हो जाए।
भारत का लोकतंत्र 72 वर्ष पुराना हो गया है। इसने सारे उतार-चढ़ाव देखे राजनीतिक दल गुजरात पहुंच गए हैं। 27 साल से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी हैं। लोकतंत्र में जनता की सत्ता है। जनता अपना प्रतिनिधि चुनती हैं। ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक के लिए हर स्तर पर चुनाव होते हैं। आम जनता के अधिकार निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास पहुंच जाते हैं। बहुमत के आधार पर स्थानीय संस्थाओं राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार अधिकारों का उपयोग करते हुए शासन करती हैं। पिछले कुछ दशकों में लोकतंत्र का बहुमत अल्पमत में बदलता जा रहा है। जिसके कारण जन भावनाओं के अनुरूप शासन व्यवस्था नहीं चल पा रही हैं। शासन व्यवस्था में जोड़-तोड़ के लोकतंत्र के कारण अधिनायक वादी व्यवस्था बढ़ती जा रही है। जो लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। बहुमत बनाम अल्पमत चुनाव जीतना राजनीतिक दलों के लिए प्रबंधन की तरह हो गया है। वोटों का बंटवारा कराओ और चुनाव जीत जाओ। पिछले तीन-चार दशकों में यही हो रहा है। वोटों के बंटवारे की राजनीति से केंद्र एवं राज्य में अल्पमत की सरकारें बन रही हैं। मतदाताओं के मतों को विभाजित कराकर अल्पमत से बनी हुई सरकारें मनमानी कर रही हैं। विपक्ष बिखरा हुआ होता है। इसका लाभ सत्तापक्ष लगातार उठा रहा है। 25 से 35 फीसदी तक वोट पाने प्रतिनिधि चुनाव जीत जाते हैं उनकी । सरकारें बन जाती हैं। यदि बहुमत फिर भी नहीं मिल पाता है तो खरीद-फरोख्त और गठबंधन करके सरकारें बना ली जाती हैं। पिछले एक दशक में विपक्ष को जिस तरीके से कमजोर किया गया है। विपक्ष एवं जनता में भय का एक वातावरण बना दिया गया है। उसके बाद स्थिति और भी खराब होती जा रही है। गुजरात के चुनाव में लगभग यही स्थिति देखने को मिल रही है। इस बार कांग्रेस और भाजपा के परंपरागत मतदाताओं के वोट बांटने के लिए कई राजनीतिक दल गुजरात पहुंच गए हैं। 27 साल से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का एकछत्र राज है। धार्मिक एवं सामाजिक ध्रवीकरण के कारण एक राजनीतिक दल को जो वोट मिलती थी अब उसमें बंटवारा होने जा रहा है। गुजरात की 82 विधानसभा सीटों में लगभग 64 सीटों में जबरदस्त वोटों का बंटवारा होता हुआ दिख रहा है। आम आदमी पार्टी और एआईआईएम पार्टी गुजरात में चुनाव लड़ रही कि वोटों का बंटवारा करने के लिए उम्मीदवार खड़े किए हैं । पिछले एक दशक में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए बड़े.बड़े वायदे कर दिए जाते हैं। जो सत्ता में नहीं होते हैं या आने की संभावना नहीं होती है। वह भी बड़े-बड़े वादे कर देते हैं। जिसके कारण क्षेत्र का समुचित विकास रुक जाता है। चुनाव के समय निम्न एवं गरीब वर्ग के मतदाताओं को कुछ आर्थिक सहायता देकर मतों को अपने पक्ष में करके चुनाव जोड़-तोड़कर जीत लिया जाता है। लेकिन उसके बाद संपूर्ण विकास की जो अवधारणा है। जो सरकारों की आर्थिक कठिनाइयों के कारण रुक जाती है। गुजरात के चुनाव में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण मतदाताओं को लुभाने के लिए आर्थिक आधार पर सहायता देकर सत्ता के सिंहासन को पाने के लिए लड़ाई हो रही है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के परंपरागत मतदाता के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए आम आदमी पार्टी के केजरीवाल और एआईआईएम की ओवैसी ने गुजरात में डेरा डाल दिया है। वोटों के बंटवारे का जितना नुकसान पहले कांग्रेस को होता था। उससे बड़ा नुकसान अब भारतीय जनता पार्टी को होता हुआ दिख रहा है। इससे भाजपा भी पहली बार गुजरात में परेशान दिख रही है। बहरहाल लोकतांत्रिक व्यवस्था में अल्पमत की सरकारों तथा विपक्षी दलों का सत्ता के सामने कमजोर होने के कारण लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्थाएं दिनोंदिन कमजोर होती जा रही हैं । सत्ता में अधिनायकवाद बढ़ता चला जा रहा है। जनता के मौलिक अधिकारों का भी बड़ी तेजी के साथ हनन हो रहा है। अब समय आ गया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मताधिकार का उपयोग पक्ष और विपक्ष के बीच आम मतदाता की आवाज को मत संख्या के आधार पर उपयोग किया जाए। तभी जाकर जनता के अधिकार संविधान के अनुसार कायम बने रह सकेंगे। अन्यथा जिस तरीके से नियम कानून बनाकर आम जनता के अधिकारों पर सरकारों का शिकंजा कसता जा रहा है। उससे मतदाताओं के मौलिक अधिकार शनैरू शनैरू खत्म हो रहे हैं शनै. इस दिशा में अब ध्यान देने की जरूरत है।
अजमेर/संवाददाता। उद्योग मंत्री शकुतला रावत ने राजस्थान हाट (जल महल) में चार दिवसीय फूड फेस्टिवल “56भोग उत्सव- 2022′ का शुभारंभ उद्योग आयुक्त महेंद्र पारख ने बताया कि प्रदेश के लगभग सभी जिलों से बेहतरीन व्यजनों को चयनित कर आगंतुकों के लिए प्रदर्शित किया जा रहा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से जिलों के मशहूर उत्पाद राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकेंगे। उद्योग मंत्री ने कहा कि उद्योग विभाग व उद्यम प्रोत्साहन संस्थान की ओर से आयोजित यह आयोजन प्रदेश के उत्पादों की छवि को निखारने का महत्वपूर्ण कार्य करेगा। उन्होंने बताया कि उत्सव में राजस्थान के स्वादिष्ट व्यंजन, प्रसिद्ध मसालों, मिठाइयों, नमकीन, विशिष्ट खाद्य पदार्थों एवं रसोई से जुड़े परम्परागत, प्राकृतक एवं आधुनिक उपकरण एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेंगे। रावत ने कहा कि प्रदेश भर के व्यजनों, मसालों को उत्कृष्टता एवं क्षेत्रीय विविधता से स्थानीय लोगों और पर्यटकों को रूबरू करवाने के लिए यह विशेष आयोजन रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग का उद्देश्य जिलों में चल रहे है। उन्होंने बताया कि आमजन प्रात: ॥ बजे से सायं 9 बजे तक व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा ऐसे फूड फेस्टिवल प्रति वर्ष लगाने की योजना है, ताकि लोगों को स्तरीय जायके के साथ उत्पादकों को बेहतर ग्राहक मिल सकें | उन्होंने बताया कि आयोजन के दौरान व्यंजन प्रतियोगिता, चित्रकारी प्रतियोगिता, टॉक शो, क्लीज प्रतियोगिता एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा। विशिष्ट अतिथि आईएएस केके पाठक, नप्रता वृष्णि ने भी इस अवसर पर उपस्थित रहे | उल्लेखनीय है कि वर्ष 209 में पाठक के नेतृत्व में ही ‘रसोई-2049 ‘ फूड फेस्टिवल का आगाज उद्योग विभाग द्वारा किया गया थाए जो कि काफी सफल और लोक प्रिय भी रहा था। शुभारम्भ के अवसर पर हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जज सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, बाबूलाल गुप्ता, अध्यक्ष राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ, डॉ. व्यंजनों को बेहतर मंच उपलब्ध कराना और उनकी ख्याति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाना है। इस अवसर पर उन्होंने सभी स्टॉलों का निरीक्षण भी किया मनोज मोरारका, अध्यक्ष नेशनल ऑयल्स एण्ड ट्रेड ऐसोसिएशन रामअवतार अग्रवाल, अध्यक्ष राजस्थान मसाला उद्योग व्यापार संघ सहित विभागीय अधिकारीगण 0 दिसंब गगी व्यंजन प्रतियोगिता-उद्योग आयुक्त ने बताया वि उत्सव को दिलचस्प बनाने के लिए शनिवार को राजस्थानी पारंपरिक थाली (शुद्ध शाकाहारी) और डेजर्ट एंड स्वीट (शुद्ध शाकाहारी) प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। प्रथम पुरस्कार विजेता को रसोई क्लीन या किंग की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। व्यंजन प्रतियोगिता के दौरान आधे घंटे का टॉव शो या कुछ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएगी, जो खानपान एवं न्यूट्रीशन से संबंधित होगी । प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में अंतरराष्ट्रीय स्तर के शेफश्री समीर गुप्ता व टीवी प्रोग्राम रसोई से की होस्ट वर्तिका जैन होंगी। ये लजीज उत्पाद लुभाएंगे आमजन को-नसीराबाद के कचोड़े, पुष्कर के मालपुए, गंगापुर के खीर्मोहन, दौसा के डोवठे, कोय की कोय कचोरी, भुसावर का अचार, चिड़ावा का पेड़ा, अलव काकलाकंद, पाली का गुलाब हलवा, बीव की भुजिया, जोधपुर के मिर्च बड़े, प्रतापगढ़ का आम पापड़ जैसी विशेष डिशेज का जायका आमजन को एक ही परिसर में मिल सकेगा। इसके अलावा मुंबई का वड़ा पाव, आगरा वे पेठे, गुजगत का खमन ढोकला सहित अन्य राज्यों के खास पकवान भी उत्सव में आमजन उमाकांत जोशी और कई उत्पाद भी खरीदे। उपस्थित रहे। को लुभाएंगे।
चुनाव जीतना राजनीतिक दलों के लिए, प्रबंधन की तरह हो गया है। वोटों का बंटवारा कराओ और चुनाव जीत जाओ। पिछले तीनचार दशकों में यही हो रहा है। वोटों के बंटवारे की राजनीति से केंद्र एवं राज्य में अल्पमत की सरकारें बन रही हैं। मतदाताओं के मतों को विभाजित कराकर अल्पमत से बनी हुई सरकारें मनमानी कर रही हैं। विपक्ष बिखरा हुआ होता है। इसका लाभ सत्तापक्ष लगातार उठा रहा है। 25 से 35 फीसदी तक वोट पाने प्रतिनिधि चुनाव जीत जाते हैं। उनकी सरकारें बन जाती हैं। यदि बहुमत फिर भी नहीं मिल पाता है तो खरीद-फरोख्त और गठबंधन करके सरकारें बना ली जाती हैं। पिछले एक दशक में विपक्ष को जिस तरीके से कमजोर किया गया है। विपक्ष एवं जनता में भय का एक वातावरण बना दिया गया है। उसके बाद स्थिति और भी खराब होती जा रही है। गुजरात के चुनाव में लगभग यही स्थिति देखने को मिल रही है। इस बार कांग्रेस और भाजपा के परंपरागत मतदाताओं के वोट बांटने के लिए कई राजनीतिक दल गुजरात पहुंच गए हैं। 27 साल से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का एकछत्र राज है। धार्मिक एवं सामाजिक ध्टवीकरण के कारण एक राजनीतिक दल को जो वोट मिलती थी अब उसमें बंटवारा होने जा रहा है। गुजरात की 82 विधानसभा सीटों में लगभग 64 सीटों में जबरदस्त वोटों का बंटवारा होता हुआ दिख रहा है। आम आदमी पार्टी और| एआईआईएम पार्टी गुजरात में चुनाव लड़ रही कि वोटों का बंटवारा करने के लिए उम्मीदवार खड़े किए हैं। पिछले एक दशक में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए बड़े.बड़े वायदे कर दिए जाते हैं। जो सत्ता में नहीं होते हैं या आने की संभावना नहीं होती है। वह भी बड़े-बड़े वादे कर देते हैं। जिसके कारण क्षेत्र का समुचित विकास रुक जाता है। चुनाव के समय निम्न एवं गरीब वर्ग के मतदाताओं को कुछ आर्थिक सहायता देकर मतों को अपने पक्ष में करके चुनाव जोड़-तोड़कर जीत लिया जाता है। लेकिन उसके बाद संपूर्ण विकास की जो अवधारणा है। जो सरकारों की आर्थिक कठिनाइयों के कारण रुक जाती है। गुजरात के चुनाव में धार्मिक आधार पर श्रुवीकरण मतदाताओं को लुभाने के लिए आर्थिक आधार पर सहायता देकर सत्ता के सिंहासन को पाने के लिए लड़ाई हो रही है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के परंपरागत मतदाता के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए आम आदमी पार्टी के केजरीवाल और एआईआईएम की ओवैसी ने गुजरात में डेरा डाल दिया है। वोटों के बंटवारे का जितना नुकसान पहले कांग्रेस को होता था। उससे बड़ा नुकसान अब भारतीय जनता पार्टी को होता हुआ दिख रहा है। इससे भाजपा भी पहली बार गुजरात में परेशान दिख रही है। बहरहाल लोकतांत्रिक व्यवस्था में अल्पमत की सरकारों तथा विपक्षी दलों का सत्ता के सामने कमजोर होने के कारण लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्थाएं दिनोंदिन कमजोर होती जा रही हैं । सत्ता में अधिनायकवाद बढ़ता चला जा रहा है। जनता के मौलिक अधिकारों का भी बड़ी तेजी के साथ हनन हो रहा है। अब समय आ गया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मताधिकार का उपयोग पक्ष और विपक्ष के बीच आम मतदाता की आवाज को मत संख्या के आधार पर उपयोग किया जाए। तभी जाकर जनता के अधिकार संविधान के अनुसार कायम बने रह सकेंगे। अन्यथा जिस तरीके से नियम कानून बनाकर आम जनता के अधिकारों पर सरकारों का शिकंजा कसता जा रहा है। उससे मतदाताओं के मौलिक अधिकार शनै: शनै: खत्म हो रहे हैं शनै: इस दिशा में अब ध्यान देने की जरूरत है।
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