Author: UmaAbhi
अजमेर»संवाददाता। प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों को बेहतर तालीम मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार विभिन्न जिलों में छात्रावास खोलने जा रही है। साथ ही जयपुर के मानसरोवर में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास और जोधपुर में अल्पसंख्यक नागरिक सुविधा केंद्र बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इनकी स्थापना सहित अल्पसंख्यक विकास कोष की राशि 200 करोड़ रुपए करने और वर्ष 2022-23 में अनुमोदित प्रगतिरत कार्यों को कोष के तहत कराए जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। 9 जिलों में बनेगे ।0 छात्रावास्तजयपुर में किशनपोल (बालिका), दूदू, नागौर में कुचामन सिटी (बालिका), बारां, भरतपुर, बीकानेर, अजमेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और चूरू में 50.50 बैड के छात्रावास बनाए जाएंगे। इनमें कुल 28 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन छात्रावासों में कक्षा 9 से लेकर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे। 00 बैड़ का वर्किंग वुमैन हॉस्टल – मुख्यमंत्री की बजट घोषणा अनुरूप जयपुर के मानसरोवर क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय की कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास बनेगा। यह 00 बैड का होगा। इसमें विभिन्न जिलों से जयपुर में आकर कार्य करने वाली अल्प-पारिश्रमिक प्राप्त महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इसमें 0 करोड़ रुपए व्यय होंगे। नागरिक सुविधा केंद्र में मिलेगी पोजनाओं की जानकारी-जो धपुर में 2.60 करोड़ रुपए की लागत से अल्पसंख्यक नागरिक सुविधा केंद्र बनेगा। यहां अल्पसंख्यकों से संबंधित सभी योजनाओं की जानकारी मिलेगी। केंद्र में प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन होगा। विद्यार्थियों और आमजन के प्रोत्साहन के लिए गोष्टियां भी आयोजित हो सकेंगी।
एक युवक जमीन पर बैठा हूं और एक दूसरा व्यक्ति नशे की हालत में सिगरेट पीता हुआ उसके शरीर पर पेशाब कर रहा है, लेकिन दुर्भाग्य तो देखिए जमीन पर बैठा युवक उस पेशाब कर रहे व्यक्ति का कोई विरोध नहीं कर पा रहा है, ये किसी मुंबईया फिल्म का दृश्य नहीं बल्कि आदिवासी बाहुल्य माने जाने वाले मध्यप्रदेश के सीधी जिले के कुबरी गांव की वो सच्ची और शर्मनाक तस्वीर है जिसने समूची इंसानियत और प्रदेश को शर्मसार कर दिया है।विडंबना तो ये है जो व्यक्ति उस असहाय आदिवासी युवक पर खुलेआम पेशाब कर रहा है उसे सत्तारूढ़ दल के एक विधायक का विधायक प्रतिनिधि बताया जा रहा है यद्यपि विधायक उस व्यक्ति काअपने आप से संबंध बताने से इंकार कर रहे हैं लेकिन उस व्यक्ति के जो फेटो अखबारों में प्रकाशित हुए हैं वो साफ-साफइस ओर इशारा करते हैं कि वो व्यक्ति सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक का बेहद करीबी है। कहते हैं सत्ता का नशा सबसे ज्यादा बुरा होता है विशेषकर उन लोगों के लिए जो बड़े नेताओं की चाटुकारिता कर छोटे .मोटे पद पा लेते हैं या फिर उनके प्रतिनिधि बन जाते हैं सीधी जिले के कुबरी गांव में जो व्यक्ति एक आदिवासी युवक पर पेशाब करता हुआ दिखाई दे रहा है वो भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला है जिसे सीधी के भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला का विधायक प्रतिनिधि बताया जा रहा है भले ही वे इस बात से इंकार कर रहे लेकिन सच्चाई वही है जो बताई जा रही है वर्तमान में सोशल मीडिया एक ऐसी ताकत बन चुका है जो मुख्यधारा मीडिया से भी ज्यादा बलशाली और लोगों तक पहुंचने में सक्षम है। इस वीडियों के वायरल होते ही सत्तारूढ़ भाजपा में हड़कंप मच गया जाहिर है विरोधी कांग्रेस दल इसका लाभ उठाने में पीछे नहीं रहता सो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा कि आदिवासी समाज के इस युवक के साथ ऐसी जघन्य और गिरी हुई हरकत का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है लघु शंका करने वाला व्यक्ति भाजपा से जुड़ा बताया जा रहा है प्रदेश पहले ही आदिवासी अत्याचार में नंबर वन है इस घटना ने पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया। उधर दूसरी तरफवीडियों में जो कुछ दिखाई दे रहा है उसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा मेरे संज्ञान में सीधी जिले का वीडियो आया है मैंने प्रशासन को आदेश दिए हैं कि अपराधी को गिरफ्तार कर कड़ी कार्यवाही कर उस पर रासुका भी लगाया जाए, वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि सीधी में हुई मानवीय घटना की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं प्रदेश में अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। यह तो सोशल मीडिया की ताकत ही कहा जाए कि मामला संज्ञान में आ गया। अन्यथा गांवों में इस तरह के मामले होते रहते हैं जिनमें दबंग निचली जातियों के लोगों के साथ ऐसे व्यवहार करते हुए दिखाई देते हैं एक तरफमध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों के उत्थान और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए तरह.तरह की बयान जारी करती है हाल ही में प्रधानमंत्री ने आदिवासियों के साथ बातचीत कर उन्हें आश्वस्त किया कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा आदिवासियों की जल जंगल और जमीन की मांग बहुत पुरानी है जिस पर हाल ही में मध्यप्रदेश शासन में पैसा कानून लागू किया है लेकिन यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ये कानून 996में लागू हो गया था लेकिन आदिवासियों के हितों की दंभ भरने वाली भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार इसे 2022 में लागू कर पाई दरअसल आदिवासियों के प्रति भारतीय जनता पार्टी हमेशा ने हमेशा से ही उपेक्षित रवैया अपनाया यही कारण था कि 208के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों ने बीजेपी को छोड़ कांग्रेश के पक्ष में अपना मत दिया था जिसके चलते उनकी सरकार भी मध्यप्रदेश बन गई थी यह बात अलग है कांग्रेस के आपसी अंतद्ठठ् में उनकी सरकार 5 महीने में गिर गई । आदिवासियों का प्रभाव मध्य प्रदेश की लगभग पचासी सीटों पर है और चालीस से भी ज्यादा सीटें ऐसी हैं जो सुरक्षित मानी जाती है इसलिए उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से आदिवासियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार लगातार बढ़ता जा रहा है जिस पर लगाम नहीं लगाई जा रही है पिछले बरस जबलपुर के पास सिवनी जिले के कुरई ग्राम में तीन आदिवासियों को बुरी तरह पीटा गया था जिसमें से दो आदिवासियों की मौत हो गई थी इनकी हत्या का आरोप बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लगा था मामले को लेकर जब विवाद बढ़ा तब मुख्यमंत्री ने वहां के तत्कालीन एसपी कुमार प्रतीक को हटाकर पुलिस मुख्यालय भेज दिया था लेकिन कुछ ही दिनों में अपने राजनीतिक जुगाड़ के चलते वे एक दूसरे जिले में बतौर एस पी बनाकर भेज दिए गए इससे भी यह सिद्ध होता है कि आदिवासियों के प्रति भारतीय जनता पार्टी का कया रवैया कैसा है।
कहने को तो केंद्र में भाजपा एनडीए गठबंधन की सरकार चल रही है। मगर सरकार में शामिल दलों की सूची देखें तो एनडीए के नाम पर इक्का-दुक्का छोटे दलों को छोड़कर कोई भी बड़ी पार्टी केंद्र सरकार में शामिल नहीं है । कभी देश के अधिकांश बड़े दल एनडीए का हिस्सा होते थे। मगर आज स्थिति उसके उलट हो गई है। अब एनडीए नाम मात्र का रह गया है। १998में कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी राजनीतिक दलों को एक छतरी के नीचे लाने के लिए अटल बिहारी बाजपेई की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन किया था। जॉर्ज फााडिस को इसका संयोजक बनाया गया था। 4998के लोकसभा चुनाव से पूर्व गठित एनडीए में शामिल ॥6दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सरकार बना ली थी। जो मात्र एक साल बाद ही अन्नाद्रमुक समर्थन वापस लेने से गिर गई थी। 999 में फिर अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी जो 2004 तक चली थी। गठन के समय एनडीए में छोटे-बड़े कुल 46राजनीतिक दल शामिल थे। 4999 के चुनाव में 2 दल, 2004 में 72 दल 2009 में 8दल, 2044 में 23 दल व 20॥9 में 20 राजनीतिक दल एनडीए में शामिल होकर एक साथ चुनाव लड़े थे । मगर अब एनडीए की स्थिति बहुत कमजोर हो गई है । एनडीए में शामिल अधिकांश बड़े राजनीतिक दल भाजपा से गठबंधन तोड़ कर अलग हो गए हैं। वर्तमान समय में एनडीए में छोटे बड़े मिलाकर कुल १3 राजनीतिक पार्टियां शामिल हैं। जिस में भी बहुत सी पार्टियां नाम मात्र की ही है। एनडीए के कुनबे की बात करें तो इसमें भाजपा के अलावा हालांकि भाजपा ने शिवसेना में ही ‘फूट डलवा कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवा दिया। इसी तरह बिहार में मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी के तीनों विधायकों को तोड़कर भाजपा में विलय करा लिया। उत्तर प्रदेश में भी ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अपना दल ;सोनेलालद्धर ऑल झारखंड एनडीए से बाहर निकल गई थी। कभी लोकतांत्रिक पार्टी को देकर भाजपा ने उससे समझौता किया था। मगर अब हनुमान बेनीवाल भी अपनी एकला चलो की नीति पर काम कर रहे हैं । वह राजस्थान में खुलकर भाजपा के खिलाफबोल रहे हैं और भाजपा उखाड़ने में लगे हैं। वर्तमान में देश के दस प्रदेशों में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं व 5 प्रदेशों में भाजपा नीत गठबंधन के स्टूडेंट यूनियन, नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी, मिजो नेशनल फ्रंट, नागा पीपुल्स फ्रंटए लोक जनशक्ति पार्टी शिवसेन (शिंदे), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, पीएमके, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) जैसी पार्टियां शामिल है। 209 के लोकसभा चुनाव के बाद शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जैसे कई दलों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है। एनडीए छोड़ने वाले सभी दलों ने भाजपा नेतृत्व पर आरोप लगाया कि वह अपनी मनमानी करता है। एनडीए गठबंधन नाम मात्र का रह गया है। सारे फैसले भाजपा नेतृत्व ही करता है। 2079 में शिवसेना ने एनडीए में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था| मगर बाद में राज्य विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के पद को लेकर विवाद होने के बाद शिवसेना ने एनडीए छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में महा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की द्रूमक, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल तेलंगाना के (सेकुलर), मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति, बिहार में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, हरियाणा जनहित कांग्रेस, तमिलनाडु की डीएमडीए पीएमके, महाराष्ट्र का स्वाभिमानी पक्ष, बिहार में जीतन राम मांझी की हम पार्टी एनडीए का हिस्सा थी। आज ये सभी पार्टियां भाजपा से दूर जा चुकी है। शिरोमणि अकाली दल और राजस्थान की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी तो किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों से खफा होकर एनडीए को छोड़ा था। शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरन कौर ने केंद्रीय मंत्री का पद भी छोड़ दिया था। उसके बाद पंजाब में हुए विधानसभा के चुनाव में भी भाजपा व शिरोमणि अकाली दल ने अलग.अलग विकास आघाडी बनाकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बना ली । चुनाव लड़ा था। 2049 में राजस्थान की नागौर सीट हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय मुख्यमंत्री शासन कर रहे हैं। वही देश के चार प्रदेशों में कांग्रेस व 3 प्रदेशों में कांग्रेस यूपीए गठबंधन के मुख्यमंत्री शासन कर रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश, असम, गुजरात, गोवा, हरियाणा, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। वही सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के प्रेम सिंह तमांगए नागालैंड में नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के नेफ्यू रियो, मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी के कानराड संगमाए महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे) गुट के एकनाथ शिंदे, पुडुचेरी में अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस एनरंगास्वामी मुख्यमंत्री है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरियाणा में बहुमत नहीं मिलने पर वहां जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री तथा कुछ निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाया गया था। उत्तर प्रदेश में अपना दल व निषाद पार्टी के विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल है। असम में असम गण परिषद व यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल सरकार में शामिल है। गोवा में भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था इस और विखरते कुनवे से कमजोर होता एनडीए कारण वहां महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी व निर्दलीयों के सहारे से भाजपा की सरकार चल रही है । त्रिपुरा में इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रं: ऑफ त्रिपुरा का एकमात्र विधायक शुक्ला चरण नोएतिया भी सरकार में शामिल है। कभी कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, बालासाहेब ठाकरे, जॉर्ज ‘फर्नाडीज, शरद यादव, नवीन पटनायक, चंद्रबाबू नायडू, जे जयललिता, प्रकाश सिंह बादल, शिबू सोरेन, ममता बनर्जी, प्रमोद महाजन जैसे दिग्गज नेताओं ने एनडीए का गठन किया था। उनका यह प्रयोग सार्थक भी कुछ साबित हुआ था। गठन के समय बाद ही एनडीए की केंद्र में सरकार भी बन गयी थी। बाद में एनडीए की सरकार को हटाने के लिए ही कांग्रेस ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (यूपीए) का गठन किया था। कांग्रेस के प्रधानमंत्री…
हिंदी साहित्य में यूं तो आए दिन नव प्रकाशित पुस्तको की भरमार है। भले ही पठनीयता घटी हो, लेकिन लेखकों के लेखन व उनके उत्साह में कही कोई कमी नही है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर की धरती मुजफ्फरनगर जनपद में इस समय साहित्यिक खुशबू फैला रही सविता वर्मा ग़ज़ल की नई कृतिअभी नयन हैं रीते काव्य संग्रह ने नई आहट दी है। इससे पूर्व भी कवयित्री सविता वर्मा ग़ज़ल की अभी नयन हैं रीते कई पुस्तकें आ चुकी है। इस पुस्तक में सविता की संवेदना काव्य कृति में मुखर होकर ध्वनित हुई है। नारी मन स्वाभाविक रूप से भावुक व संवेदनशील होता है। फिर कवयित्री सविता वर्मा का तो कहना ही क्या उनकी भावप्रवणता उनके साहित्यिक योगदान से स्वत सिद्ध हो जाती है। अभी नयन हैं रीते का प्रारंभ सरस्वती वंदना रूपी कविता से होता है। चूंकि माँ सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और एक माँ भी पुस्तक में आगे बढ़ते बढ़ते आभास हो जाता है कि काव्य कृति में नारी मन के विविध भाव मुखर हुए हैं। औरत हूंए टूट कर बिखर जाऊँगी कुछ ऐसी ही भाव उनकी रचनाओं में नजर आते है। उनकी प्रगतिशील सोच है। जो आज की नारी के हौसले का दर्पण है। धरती तब खुश होगी रचना में बेटियों को अनुकूल माहौल मिलने की आकांक्षा है। जब नारी उन्नत होगी तब संसार उन्नत होगा | कैसे कह दूं कविता में नारी की वर्तमान स्थिति को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर बल है। एक बानगी देखिए कैसे कह दूं आजाद हैं हम ये कैसी आज्ञादी है। बेटी की विदाई रचना मर्माहत करने वाली है| बेटियां मेहमान नहीं होतीं । घर का हृदय होती हैं, ये सविता वर्मा जी की ऊँची सोच है। वक्त, क्या खोया क्या पाया कविताएं सन्देशप्रद हैं । ज्वलन्त प्रश्न यह है कि बेटियों को जन्म से पहले ही मृत्यु दण्ड क्यों सुना दिया जाता है-कसम ये उठाओ …..बेटी को उसके जन्म लेने का अधिकार दिलाना। मुक्त गगन कविता ऊँची उड़ान की ललक दर्शाती है। तो किसी कविता में सादे जीवन का सन््तोष है । रूप जीवन का ऐसी ही कविता है । रोया चांद सशक्त रचना है जो दरिन्दगी से तार-तार हुए आँचल की सिसकती कथा है। कवयित्री की नारी छूने दो आसमान कविता में उन्नति के आकाश को पाना चाहती है नारी में वह शक्ति है जो ईश्वर को भी झुका दे बस एक बार उसे जगत में आने तो दो । आने दो एक बार मुझे देख लेने दो ये सुन्दर संसार | माँ तुलसी और आंगन में कैसा पवित्र बन्धन है। माँ नारी का महानतम रूप है। फिर वह कमजोर कैसे हो सकती है? उसके मनोबल को तोड़ा नहीं जा सकता। कमजोर नहीं कविता इन्हीं भावों को व्यक्त करती है। बेटियाँ रचना सविता की बेटियों के प्रति पक्षधरता को दर्शाती है। वे मान सम्मान चाहती हैं। थोड़े शिकवे, धरोहर कविताएं मानवीय भावनाओं की अभिव्यक्ति हैं। आगे चलकर बूढ़े बरगद को पारकर आज की औरत तक पहुची तो उसकी आंखों में विद्रोह की चिंगारी दिखाई दी।…., उसने सिंदूर क्या भर दिया मांग में समझ , बैठा उसे अपनी अमानत…..। नारी की चाहत सोने का पिंजरा नहींए उसकी अपनी स्वतंत्रता है वह कहती है मैं कठपुतली नहीं हूं जिसे नचाओ इशारों पर….। चलो चलें कविता बचपन की मासूम याद दिलाती है। वह समाज के दुश्शासन के घर जन्म लेने की बात कर निरुत्तर रचना में खामोश कर देती है। अभी नयन हैं। रीते काव्य संग्रह में माँ की यादें हैं और अजन्मी बच्ची के जन्म हेतु वह माँ पति से भी द्रोह करने में सक्षम है। शिवमय भक्ति रचना है। कवयित्री सविता महिलाओं के लिए वित्तमंत्री से भी सिफारिश करती हैं। उनकी रसोई पर करों का बोझ न बढ़े | निष्कर्ष यह है कि अभी नयन हैं रीते …. काव्य संग्रह नारी के व्यक्तित्व को लेकर बुना गया है। साहस, प्रेम, करुणा, वात्सल्य सभी मनोभावों को व्यक्त करती रचनाओं का उत्कृष्ट संग्रह है सुन लो विनय हमारी, भारत की बेटियों जागो सभी भावविभोर करने वाली संदेश प्रद कविताएं हैं। यशस्विनी सविता वर्मा ग़ज़ल सदैव कुछ नया लिखने या फिर कुछ नया गुनगुनाने की ललक रखती हैवे हर रूप में प्रेम, संवेदनाओ, अपनत्वए भक्तिरस में डूबी दिखाई पड़ती है। उनका यह सफर अनवरत जारी रहे यही कामना ।
स्वराज, स्वराज्य, अपने पर अपना राज, इसमें विशेषकर आजकल जल स्वराज की चर्चा चल रही है। हम सभी जानते है कि जल ही जीवन है। जल से जीवन की उत्पत्ति प्रारंभ हुई । जल दुनिया में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, मगर खाने पीने प्रयोग में लेने के लिए शुद्ध साफ सुथरा निर्मल जल सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। जल स्वराज की दृष्टि में है आने वाला कल, भावी पीढ़ी, नया इंसान, नया समाज, एक नई दुनिया, इन जैसी संभावनाओं से हरा भरा, खुशहाल ऐसा ब्रह्मण्ड जहां वनस्पति, जीव-जंतु, पशु पक्षीए पेड़-पौधे सभी के लिए सहजता, सरलता, सुविधा से शुद्ध साफ-सुथरा निर्मल जल उपलब्ध हो । जल स्वराज से दुनिया में चारों ओर प्रेम ही प्रेम, विविधता ही विविधता, संवेदना, संवाद, सहजता, सरलता, शांति, सौहार्द, जय जग, अन्तसांस्कृतिक संबंध ‘फले फूलेंगे, सही ढंग से विकसित होने के द्वार खुलेंगे जल । स्वराज इस राह का एक भागीरथ प्रयास है, भीष्म प्रतिज्ञा है, आप हम सबका भविष्य है। जल की यात्रा विश्वव्यापी है। जो बूंद से शुरू होकर पहाड़, जंगल, मैदान, गांव देहात, शहर नगर होती हुई, जोहड़, तालाब, झील, भू-जल, कुआं, बावड़ी भरते हुए नदियों से मिलकर सागर, समुद्र तक जाती है। मजेदार बात यह है कि वहां जाकर भी रुकती नहीं है। फिर से भांप, गैस, बादल, वर्षा की बूंदें बनकर अनन्त यात्रा पर निकल पड़ती है। रास्ते में अनेक धाराओं को समेटते हुए आगे बढ़ती है। जल चक्र की यह यात्रा सतत श्रृंखलाबद्ध ढंग से, सातत्यपूर्वक सदैव जारी है। प्रकृति के साथ की गई छेड़छाड़ के कारण कभी बाढ़ के रूप में पानी की अधिकता से तो कभी सुखाड़ के रूप में पानी की कमी, अभाव में संकट का कारण भी बनती है। इसके पीछे हमारी नासमझी, नादानी, नालायकी, निक्कमापन, लोभ, लालच, स्वार्थ, शोषण, दोहन, लूट की प्रवृत्ति जिम्मेदार है। गांधी जी ने जल को लेकर अपने समय में आज से बहुत पहले सतर्क किया था, चेतावनी दी थी, जागरूक किया था। जल के सद्प्रयोगए सही उपयोग का अपने जीवन में उदाहरण पेश किया । जल स्वराज एक दृष्टिए सोच, समझ, संभावना से जुड़ने का अथक सार्थक प्रयास का अवसर है। आओ मिलकर उठे, जागे, एक कदम आगे बढ़ाएं, साथ चलने का संकल्प लें। जल स्वराज संदेश दे रहा है कि हमें जिसने बनाया, उसने ही सबको बनाया है, हम सबके है, सब हमारे है, फिर यह दूरी क्यों, आग से मिलकर पंचतत्व से रचित यह संसार सात समुद्र पार तक फैल गया। प्रकृति ने करोड़ों वर्षों की साधना से यह सुंदर विश्व हमें सौंपा | बूंद से सागर तक की इस महा यात्रा, महात्म्य को जानना, सोचना-समझना, सहजना, सम्मान के को समझना, जानना है तो इस मकड़जाल, स्थिति को सामने रखना होगा। हमारा समाज, देश पानीदार रहा है। पानी की समाज की एक अद्भुत अपनी समझ रही है। तालाब, जोहड़, कुंड, कुएं, बावड़ी, नौले, नाले, धौरे, झरनें, नदियां साथ अपनाना, संरक्षण, संवर्धन करना जरूरी है। लाखों विशेषकर हजारों वर्षों से चली आ रही यह प्राकृतिक व्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में बुरी तरह से टूटी तोडी गई। कारण सत्ताए संसाधनों का केन्द्रीयकरण बना। औद्योगिक क्रांति, तकनीकी की गति, पूंजी की महत्ता संग्रह ने इसको बल प्रदान किया। समाज को किनारे कर दिया गया। समाज कर्त॑र्तव्य हीन बन गया | बस्तियां बेतरतीब महानगर में तब्दील होने लगी। ग्रामोद्योग, कुटीर कैसे? सारा जहान हमारा, हम है सारे जहान के जल स्वराज को जानने, पहचानने, समझने समझाने के लिए जल संरक्षण, संवर्धन, सुरक्षा के साथ साथ जल की व्यापकता, पवित्रता, समझ, महत्व को दृष्टि में रखना होगा । आओ जल स्वराज के लिए बूंद की यात्रा को जानें, समझे। बूंद के आसपास और चारों ओर जीवन ही जीवन जीवन से भरी बूंद । जब कुछ नहीं था, तब बूंद थी । सब जगह चारों ओर बूंद ही बूंद। जहां देखो वहां बूंद बूंदें सब जगह छाई हुई थी। चारों ओर बूंद का साम्राज्य था। जल ही जल पानी ही पानी बूंद मतलब जल की माया, छाया, काया का स्वरुप जो भी कहें बूंद में छिपा है, जीवन का संचार। बूंद से निकला जीवन, जीव फैल गया चहुं दिश । सभी दिशाओं में हर जगह विविधता के साथ। प्रारंभ हुई विविधता भरी सृष्टि प्रकृति | पंच महाभूत जल, थल, नभ, हवा, उद्योग, लघु उद्योग की जगह बड़े पैमाने पर विशाल केन््द्रीत उद्योगों का जाल फैला। एकदम आश्चर्यजनक ढंग से कारपोरेट घरानों में भंयकर बढ़ोतरी हुई । विकास के नाम पर सत्ता, संपत्ति के मकड़जाल पहाड़ की तरह खड़े होने लगे। प्रदूषण मुक्त लघु उद्योग, हस्तकला, लघु कार्यों का विनाश हुआ। सत्ता और बड़े उद्योगों के गठबंधन ने प्रकृति और इंसान को भी एक संसाधन मानकर मनमानी अंधी लूट की | एक तरफ संपत्ति के पहाड़, किले, अटारिया जगमगाने लगे और दूसरी ओर भंयकर, घातक गहरे गड्ढे फैलने लगे। असमानता की खाई महासागर की तरह फैलने लगी। समाज केवल नाम के लिए रह गया। आश्चर्य की बात है कि इस व्यवस्था को फैलाने, बढ़ाने, संरक्षित, संवद्धन करने के लिए कानून का डंडा, दबाव भी जोर से चला। बूंद, जल की जीवंत जीवन कहानी जैसे जलस्नोत सहित जल की समझ, पकड़ ने भारत को हरा-भरा, खुशहाल बनाकर रखा। विविधता से भरा हमारा देश, समाज प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका में रहा। प्राकृतक सौंदर्य, भौगोलिक स्थिति, मौसम, जलवायु, ऋतुएं, रहन-सहन, खान-खान, सोच-समझ, भेष-भूषा, बोलचाल, बोलियां, भाषा, काम-घधंधे, कृषि, पशुपालन सब विविधता से भरपूर रहा। हमारी बस्तियां जल के आसपास बनती गई, विशेषकर नदियों के किनारे मानव जीवन क्रम जल के आसपास विकसित होते हुए आगे बढ़ा। जल के परिणामस्वरूप ही वनस्पतिए पशु-पक्षी, कीड़े मकोड़े जीव-जंतुए जंगल-पहाड़, हाथ में लेकर असत्य नहीं बोला जा सकता, यह विश्वास अब टूटा है। जल देवता परमात्मा की शक्तिए सामर्थ्य माना गया। धरती, पाताल, आकाश तीनों लोकों को जल पवित्र, निर्मल, शुद्ध, जीवंत बनाता है। प्रकृति, सृष्टि की रचना सृजनशीलता पंचतत्वों से हुई है। जल की इसमें सबसे अहम् भूमिका है। मानव भी पंचतत्वों से ही मिलकर बना है। सृष्टि की तरह मानव में भी दो-तिहाई भाग जल का है। आपो देवता को प्रकृति एवं मानव सभ्यता के विकास में जल की अहम भूमिका है। प्रकृति में जल का अपार भंडार होते हुए भी मानव उपयोग के लिए जल सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। वैज्ञानिक बताते हैं कि…
अजमेरसंवाददाता। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थापना एवं उन्नयन हेतु राज्य सरकार द्वारा देय सहायता राशि की सीमा को 50 करोड़ से बढ़ाकर 75 करोड़ रुपए करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री की इस स्वीकृति से राज्य में नए अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन मिलेगा वहीं वर्तमान में संचालित संयंत्रों का बेहतर रख .रखाव हो सकेगा। इससे विभिन्न उद्योगों से उत्सूजित होने वाले अपशिष्ट का उपचार हो सकेगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलेगी एवं साथ ही इन अपशिष्ट से आमजन के स्वास्थ पर प्रतिकुल प्रभाव से बचाव भी हो सकेगा | सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र की स्थापना एवं रख-रखाव के लिए बढ़ी हुई सहायता राशि रीको तथा राजस्थान प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से गठित कॉरपस फण्ड से उपलब्ध करवाई जाएगी | उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023 के बजट में इस संबंध में घोषणा की गई थी ।उक्त घोषणा की अनुपालना में यह स्वीकृति दी गई है।
अजमेर /संवाददाता। मुख्य सचिव उषा शर्मा ने बीकानेर के कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित सभांग स्तरीय बैठक में कानून व्यवस्था की समीक्षा की। इस दौरान पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा मौजूद रहे। मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि जिलों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक टीम के रूप में बेहतर समन्वय के साथ कार्य करें। यह समन्वय निचले स्तर तक बना रहे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आगामी छह माह प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान प्रत्येक स्थिति पर नजर रखी जाए। किसी भी घटना के पश्चात् कार्यवाही का रेसपोंस टाइम कम रहे। मुख्य सचिव ने कहा कि निष्पक्ष और भयमुक्त निर्वाचन करवाना प्रशासन को पहली और सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए निर्वाचन आयोग द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों की शत-.प्रतिशत पालना सुनिश्चित की जाए । उन्होंने कहा कि संभाग का आपसी सौहार्द बरकरार रहे। इसे प्रभावित करने वालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस अपनाते हुए सख्त कार्यवाही की जाए। उन्होंने सोशल मीडिया की प्रत्येक आवंछित पोस्ट पर कठोरता से कार्यवाही के लिए निर्देशित किया। मुख्य सचिव शर्मा ने कहा कि अंतराष्ट्रीय सीमा से जुड़े संभाग के क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए। अंतरराज्यीय गतिविधियों पर भी पूर्ण नजर रखी जाए। पुलिस एवं प्रशासन को जिले के प्रत्येक मजबूत और कमजोर पक्ष की जानकारी हो। जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक निचले स्तर तक नियमित रिव्यू करें। पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने बीकानेर रेंज में पुलिस विभाग के कार्यों को सराहा और कहा कि बेहतर पुलिसिंग से यहां संगठित अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगा है। अपराधी समूहों की गतिविधियों में कमी आई है और आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास बड़ा है। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा प्रत्येक कार्यवाही विधिक मापदण्डों के अनुसार की जाए उन्होंने चुनावों के दौरान पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को क्षेत्रों का साझा विजिट करने के निर्देश दिए। पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) राजीव कुमार शर्मा ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनावों के अनुभवों के आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों में पूर्व तैयारी की जाए। उन्होंने अंतराज्यीय सीमाओं पर आवश्यकता के अनुसार नाकाबंदी एवं सतर्कता रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कानून व्यवस्था संधारण से जुड़े संसाधनों के आकलन के लिए भी निर्देशित किया। प्रमुख शासन सचिव (गृह) आनंद कुमार वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बैठक से जुड़े। उन्होंने कहा कि जिलों में पुलिस मित्र एवं सुरक्षा सखियों को मुस्तैद करें। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में एंटी ड्रग चौकियों की स्थापना की प्रगति जानी। उन्होंने कहा कि अधिकारी भी फील्ड में जाएं, इससे बेहतर फीडबैक मिलेगा। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) दिनेश एम.एन. ने कहा कि निचले स्तर तक एक्टिव पुलिसिंग का वातावरण तैयार होए जिससे आमजन का पुलिस के प्रति विश्वास में और अधिक वृद्धि हो सके। संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन ने संभाग से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होंने नशे के विरुद्ध संभाग में चल रहे अभियान ‘मनसा’ के क्रियान्वयन और परिणाम की जानकारी दी। पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश ने पुलिस विभाग द्वारा किए गए नवाचारों की जानकारी दी । उन्होंने कहा कि रेंज में पहली बार साइबर रिस्पॉन्स टीम गठित की गई है। बैठक में बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, एवं चूरू जिले के जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक, अनूपगढ़ जिले की विशेषाधिकारी एवं ओएसडी (पुलिस) ने जिलों से संबंधित बिंदुओं पर प्रस्तुतीकरण दिया।
वे सियासत के बाजीगर हैं जैसे सब्जी में आलू है वैसे राजनीति में उनका जलवा है। सच पूछें तो राजनीति में उनकी अहमियत आजकल टमाटर से भी अधिक है। राजनीति उनका धंधा है। वह राजनीति को विपक्ष की तरह पार्ट टाइम जॉब नहीं मानते हैं। वह राजनीति को ओढ़ते दसाते और बिछाते हैं। उसी की खाते हैं और उसी की गाते हैं वह जिस पार्टी से हैं उसका जलवा है। वह गंगा जैसी पवित्र है, विपक्ष का कोई राजनेता चाहे वह| जितना भ्रष्टाचारी हो उनकी पार्टी में पहुंच कर शिष्टाचारी बन जाता है। उसके दाग धूल जाते हैं। वह एबीसीडी की जांच से मुक्त हो जाता है। जिस तरह दिन-महीने-साल गुजरते जाते हैं, उसी तरह वह विपक्ष को तोड़ते जाते हैं । जैसे उफनाती नदिया आखिर गिरेंगी कहां उन्हें तो समुद्र में गिरना है ठीक । उसी तरह विपक्ष भी उनकी समुद्ररूपी पार्टी में समाहित हो जाता है। जहाँ उसके पाप धूल जाते हैं क्योंकि उनकी पार्टी ऐसी गंगा है जो पापियों का पाप धोते-धोते मैली नहीं और निर्मल हो जाती है। विपक्ष के लोग जहाँ जीतकर भी अपनी सरकार नहीं बना पाते वहां उनकी पार्टी जोड़तोड़ कर अपनी सरकार बना लेती है। जबकि विपक्ष घोड़ेबेच कर सोता रहता है उसी तरह जैसे राजा को पता नहीं वनवासियों ने वन बांट लिया। विपक्ष भी सोचता है कि हम कितनी भी कोशिश करें सरकार तो बाजीगर की बनेगी । उनकी पार्टी दिन. रात बाजीगरी में जुटी रहती है। वह दूसरों का घर तोड़ती है और अपना बसाती है । साहब की बाजीगरी कमाल की है। अब देखिए, राजनीति में अपनी बाजीगरी का लोहा मनवाने वाले क्षत्रप चाचाजी नाकों से चना चबा रहें हैं। बेचारे चाचाजी की बुढ़कती खराब हो गयीं । विपक्ष की एका करने निकले चच्चा को बाजीगर ने गच्चा दे दिया। बेचारा भतीजा भी उनका नहीं हुआ। चाचाजी परेशान हैं । विपक्ष को कौन कहे एक करने की वह खुद बिखर गए। अब चाचा को कौन समझाए कि भतीजे को सत्ता की चटनी चाटने की लत पड़ गयीं है। फिर टमाटरए] धनिया और अदरक कितना भी महंगा हो भतीजा चटनी चाटने का जुआड़ सियासी गठबंधन के जरिए गाँठ ही लेगा ।बाजीगर के सियासी बाजीगरी की दुनिया कायल है। वह अपने झोले में एक से बढ़कर एक जादू की पुड़िया रखते हैं। जब से काम नहीं चलता है तो वशीकररण जंतर जंतर का प्रयोग करते हैं। उस मंतर का प्रयोग करते ही पूरा विपक्ष विक्षिप्त होकर बिखर जाता है। इहाजा ईडी यानी एडवांस डिपॉर्टमेंट से बचने के लिए बाजीगर बाबा की जंतर पहन उनकी पार्टी में अस्तुति गान संकट कटै मिटै सब पीराए जो सुमिरै बाजीगर बीराज्कहते हुए समाहित हो जाता है। फिर वह सत्ता की चटनी बेफिक्र होकर भतीजे की तरह चाटता है। बाजीगर को सत्ता बेहद प्रिय है। वह उसे कभी छोड़ना नहीं चाहते है। इसलिए जोड़तोड़ और तोड़फोड़ में अधिक विश्वास रखते हैं । उन्हें टमाटर, धनिया, अदरक से क्या मतलब यह तो आम आदमी की जरूरत है। भला बाजीगर से महंगाई से कया ताह्लुक उन्हें यह सब न खाना है और न खरीदना है। चूल्हा-चौका जाए भाड़ में उनका तो बस एकसूत्री नारा है विपक्ष तोड़ो खुद को सत्ता से जोड़ों चुनाव में जीत किसी हो, शपथ भले कोई ले, लेकिन बाजीगर की पार्टी बाबा की तरह विपक्ष में बैठकर भी अनुलोम-विलोम करती रहती है। गले की तरह उसकी नजर विपक्ष पर गड़ाए रहती है। मौका मिलते ही शिकार को गटक लेती है। तभी तो लोग कहते हैं कुछ भी हो आएगा तो बाजीगर ही । बाजीगर…. बाजीगर….. ओ बाजीगरए तू है बड़ा जादूगर । स
अजमेर“संवाददाता। पर्यटन मंत्री विश्वेद्द सिंह ने कहा कि बचत, राहत और बढ़त की थीम पर आधारित राज्य बजट 2023.24 युवाओं की उम्मीदों, आकांक्षाओं को पूरा करने के साथ-साथ राज्य के विकास को गति देगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में किसान, ‘पशुपालक, महिला, कर्मचारी, उद्यमी, मजदूर, दिव्यांग, वंचित सहित ‘केअवसरकेलिए विभिन्नघोषणाएं की गई है। प्रत्येक वर्ग का ध्यान रखा गया है। साथ ही, युवाओं के लिए रोजगार सृजन कोठारी, सीताराम, विजयदान देथा के नाम पर साहित्य पुरस्कार शुरू करने की घोषणा भी की गई है। बजट में लोक कलाकारों को संबल देने के लिए 00 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे कलाकारों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा । पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रदेश के प्रमुख लक्खी मेलों में आने वाले श्रद्धालुओं एवं यात्रियों को रोडवेज की साधारण एवं एक्सप्रेस बसों के किराये में छूट 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा करना एक महत्वपूर्ण पहल पर्यटन मंत्री ने कहा कि राज्य बजट में पर्यटन क्षेत्र को संबल देने के है। लिए पर्यटन विकास कोष की राशि को । हजार करोड़ से बढ़ा कर । हजार 500 करोड़ किया गया हैए जो कि सराहनीय कदम है। जोधपुर, माउंट ‘आबू, उदयपुर सहित पांच स्थानों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के गोल्फ कोर्स वेकसित करने की घोषणा की गई है। इससे गोल्फपर्यटन को बढ़ावा पलेगा। उन्होंने कहा कि बजट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों, खको और साहित्य प्रेमियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में राजस्थान लिट्रेचर फेस्टिवल के आयोजन की घोषणा स्वागत योग्य कदम है। पाथ ही, उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए कन्हैयालाल सेठिया, कोमल सिंह ने कहा कि सिविल एविएशन में सम्भावनाओं के साथसाथ ड्रोन के बढ़ने प्रचलन को देखते हुए युवाओं की क्षमता विकास के लिए फुर्सतगंज (अमेठी )-उत्तरप्रदेश में संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी की तर्ज पर जयपुर में राजीव गांधी एविएशन यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा हुई है। इसके अंतर्गत पायलट ट्रेनिंग अकादमी की स्थापना के साथ ही एयरक्राफ्ट मैंटीनेश इंजीनियरिंग, फ्लाइट अरेन्डेंस, एविएशन मैनेजमेंट कोर्स, सिमुलेटर ट्रेनिंग एवं ड्रोन रिलेटेड समस्त ग्राउण्डकोर्स भी शुरूकिए जाएंगे।
अजमेर“संवाददाता। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत राज्य बजट को जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने बचत, राहत और बढत वाला बजट बताया है। उन्होंने कहा कि जो थीम मुख्यमंत्री ने पेयजल को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। उन्होंने कहा कि 3 जिलों की जीवनदायिनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के लिए अगले साल 3 हजार करोड़ रूपये के कार्य हाथ में लिये जाने प्रस्तावित किये गये है। बजट दी थी उस पर यह बजट पूरा खरा उतरने वाला है। कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जो बजट अछूता रहा हो । यह बजट युवाओं, महिलाओं एवं किसानों को समर्पित विकासोन्मुख बजट है। डॉ. जोशी कहा कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की कवरेज १0 लाख रूपये से बढाकर 25 लाख रूपये करना, एनएफएसए में शामिल करोड़ परिवारों को अन्नपूर्णा फूड पैकेट, बीपीएल एवं उज्जवला योजना में शामिल 76लाख परिवारों को 500 रूपये में एलपीजी सिलेण्डर, 00 युनिट प्रतिमाह निःशुल्क बिजली, कृषि कल्याण राशि बढाकर 7500 करोड करने, सभी निगमों एवं बोर्डो में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस ) 30 हजार सफाई कर्मियों की भर्ती, किसानों को 2000 यूनिट तक मुफ्त बिजली जैसी जन कल्याणकारी घोषणाएं की गई हैं। डॉ, जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने महिलाओं को रोडवेज की बसों में 50 प्रतिशत रियायती दर पर यात्रा की सुविधा देने, कार्यस्थलों के लिए बुमन स्पेशल बस सिर्विस, संभाग मुख्यालयों पर 00 तथा जिला मुख्यालयों 50 बुमन वकिंग हॉस्टल तथा कामकाजी महिलाओं के लिए प्रियदर्शनी डे.केयर सेंटर की घोषणा कर महिला सशक्तिकरण की दिशा में नई पहल की है। उन्होंने कहा कि बजट में में पेयजल को लेकर 255 करोड़ की 3 वृहद पेयजल परियोजनाओं की घोषणा की गई हैं। इनमें 822 करोड़ रूपये की चम्बल नदी आधारित कालीतीर परियोजना, 5776करोड रूपये की चम्बल-अलवर-भर तपुर पेयजल परियोजना तथा 4657 करोड़ रूपये की चम्बल-सवाई माधोपुर-नादौती परियोजना शामिल है। डॉ. जोशी ने कहा कि इसके अलावा विभिन्न शहरों में पेयजल के लिए 980 करोड़ रूपये की योजनाओं पर कार्य होंगे। इनमें सोम कमला आम्बा बांध से उदयपुर शहर के लिए जल प्रदाय योजना पर 676करोड़, भादरा शहरी जल प्रदाय योजना के लिए 95.64 करोड़ गेटोर शहरी जल प्रदाय योजना (जयपुर) के लिए 37.6करोड़, जगतपुरा शहरी जल प्रदाय योजना के लिए 44.30 करोड़ तथा बाईजी की कोठी-मॉडल टाउन जल प्रदाय योजना (जयपुर) के लिए 46.37 करोड़ रूपये खर्च होंगे। डॉ. जोशी ने कहा कि हवामहल विधानसभा क्षेत्र को भी बजट में सौगातें मिली है। करबला सैटेलाइट अस्पताल, गणगौरी अस्पताल के लिए 50 करोड़ रुपये एवं चौगान स्टेडियम के जीर्णोद्धार की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि यह बजट ऐतिहासिक एवं प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने वाला है।
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