Ajmer news- अजमेर शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों, खासतौर से दरगाह क्षेत्र, में अवैध इमारतों के निर्माण का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। नियमों को ताक पर रखकर, बिना नगर निगम से नक्शा पास कराए, संकरी गलियों में बहुमंजिला होटल और गेस्ट हाउस बनाए जा रहे हैं। ऐसे अवैध निर्माणों से जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है क्योंकि मात्र 6 फीट चौड़ी गलियों में फायर ब्रिगेड जैसी आवश्यक सेवाएं पहुंच पाना असंभव हो जाता है। नगर निगम की कार्रवाई के बावजूद निर्माणकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं, जो नियमों का उल्लंघन कर धड़ल्ले से निर्माण कार्य कर रहे हैं।
अवैध निर्माण पर प्रशासन की सुस्ती
नगर निगम की ओर से अवैध निर्माण रोकने के प्रयासों के बावजूद दरगाह क्षेत्र और हिंदू मोची मोहल्ले जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में, जी प्लस टू की सीमा का उल्लंघन कर चार-पांच मंजिला इमारतें बनाई जा रही हैं। निगम द्वारा कुछ इमारतों को सील भी किया गया है, लेकिन बावजूद इसके नए निर्माण जारी हैं। निगम ने पहले भी कई निर्माणकर्ताओं को नोटिस जारी किए थे, लेकिन प्रभावी कार्रवाई न होने के कारण अवैध निर्माण रुकने का नाम नहीं ले रहे।
अगर हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?
संकरी गलियों में बन रही ये अवैध बहुमंजिला इमारतें अगर किसी दुर्घटना का कारण बनती हैं, तो स्थिति भयावह हो सकती है। आग लगने जैसी आपदा की स्थिति में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां गलियों की चौड़ाई नाकाफी होने की वजह से घटनास्थल तक पहुंच ही नहीं सकेंगी। ऐसी स्थिति में बड़ी जनहानि का खतरा बना रहेगा, और सवाल यह उठता है कि आखिर इस पर कौन जिम्मेदार होगा?
स्थानीय पार्षद और अधिकारी की भूमिका पर सवाल
स्थानीय निवासियों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी और वार्ड पार्षद इस समस्या के प्रति उदासीन हैं, और कुछ ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों और पार्षदों की मिलीभगत से ही अवैध निर्माणकर्ताओं को मनमानी करने का मौका मिल रहा है। क्षेत्र के वार्ड 53 के पार्षद के.के. त्रिपाठी से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने प्रतिक्रिया देने से बचते हुए फोन नहीं उठाया। स्थानीय लोग नगर निगम और पार्षद की निष्क्रियता के प्रति नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई न होने से वे खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
नगर निगम की निष्क्रियता पर सवाल
अजमेर जैसे ऐतिहासिक शहर में जनसुरक्षा और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम की बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन अवैध निर्माण के खिलाफ ठोस कदम न उठाने से प्रशासन की उदासीनता साफ झलकती है। सवाल यह उठता है कि जब इन अवैध इमारतों की वजह से जनहानि की संभावना है, तो निगम इस पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा? क्या प्रशासन अवैध निर्माण को रोकने में सक्षम है, या फिर यह समस्या यूं ही बढ़ती रहेगी?
जरूरत है सख्त कार्रवाई की
दरगाह जैसे व्यस्त क्षेत्रों में जनता की सुरक्षा के लिए संकरी गलियों में बन रही अवैध इमारतों पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। नगर निगम को चाहिए कि वह जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय कर, अवैध निर्माण पर सख्त कदम उठाए।