Ajmer Dargah सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 पर सुनवाई करते हुए मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़े नए मुकदमों और सर्वेक्षणों पर रोक लगा दी है। इस आदेश पर अजमेर दरगाह और अन्य संबंधित पक्षों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
दरगाह से जुड़े लोगों का स्वागत
अंजुमन सैयद जादगान का बयान
अजमेर दरगाह के अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को न्यायपालिका पर जनता के विश्वास को बहाल करने वाला बताया।
- उन्होंने कहा कि निचली अदालतों के फैसलों से लोगों का भरोसा डगमगा रहा था।
- चार सप्ताह तक मुकदमों और सर्वेक्षणों पर रोक लगाने का निर्णय वर्तमान समय में जरूरी था।
अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद
परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने इसे शांति और सांप्रदायिक सौहार्द स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
- उन्होंने कहा कि यह आदेश देश में शांति के नए युग की शुरुआत करेगा।
- पूजा स्थल अधिनियम की वैधता पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
हिंदू सेना का रुख
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अजमेर दरगाह मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- उनका दावा है कि अजमेर दरगाह एक मस्जिद नहीं, बल्कि कब्रिस्तान है।
- 20 दिसंबर को निचली अदालत में अजमेर दरगाह मामले की सुनवाई होनी है, जो इस आदेश के दायरे से अलग है।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य और सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सांप्रदायिक तनाव को कम करने और धार्मिक विवादों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
- पूजा स्थल अधिनियम, 1991, देश में धार्मिक स्थलों की स्थिति को 1947 की स्थिति में बनाए रखने के लिए लागू किया गया था।
- कोर्ट ने कहा कि नए मुकदमों और सर्वेक्षणों पर रोक लगाकर देश में सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सकता है।
अजमेर दरगाह विवाद और भविष्य की स्थिति
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने देश में अन्य विवादित स्थलों पर होने वाली कानूनी कार्यवाहियों पर अस्थायी रोक लगाई है।
- हालांकि, अजमेर दरगाह मामले में, हिंदू सेना का दावा और निचली अदालत में सुनवाई इस मामले को अलग बनाती है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने देशभर में सकारात्मक प्रभाव डाला है। अजमेर दरगाह से जुड़े धार्मिक और सामाजिक पक्षों ने इसे सौहार्द और शांति की दिशा में कदम माना है। हालांकि, हिंदू सेना के रुख और दरगाह विवाद पर आगामी सुनवाई से इस मामले में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।