वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज और नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ का आज चित्तौड़गढ़ दुर्ग के फतेह प्रकाश महल में राजतिलक किया जाएगा। यह ऐतिहासिक रस्म मेवाड़ की परंपरा के अनुसार खून का तिलक लगाकर पूरी होगी।
राजतिलक का विशेष कार्यक्रम:
- तलवार से तिलक की रस्म:
- सलूंबर ठिकानेदार तलवार से अंगूठा काटकर विश्वराज सिंह के माथे पर रक्त से तिलक करेंगे।
- यह परंपरा मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास को जीवंत बनाती है।
- कार्यक्रम की रूपरेखा:
- सुबह 10 बजे: चित्तौड़गढ़ के फतेह प्रकाश महल में राजतिलक।
- दोपहर 2 बजे: विश्वराज सिंह उदयपुर पहुंचेंगे।
- उदयपुर में सिटी पैलेस के धूणी दर्शन और एकलिंगनाथ मंदिर में पूजा करेंगे।
- समोर बाग में पगड़ी दस्तूर का आयोजन, जिसमें सफेद शोक पाग को गुलाबी पाग से बदला जाएगा।
- एकलिंगनाथ जी के दीवान:
- मेवाड़ की परंपरा के अनुसार, एकलिंगनाथ जी को ही राजा माना जाता है।
- राजगद्दी संभालने वाले व्यक्ति को एकलिंगनाथ का दीवान कहा जाता है।
- विधि में पुजारी चांदी की छड़ी उनके कंधे पर धारण कराएंगे।
परिवार और योगदान:
- विश्वराज सिंह मेवाड़ नाथद्वारा से विधायक हैं।
- उनकी पत्नी महिमा कुमारी मेवाड़ राजसमंद से सांसद हैं।
- विश्वराज का जन्म 18 मई 1969 को हुआ और उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया।
राजतिलक का ऐतिहासिक महत्व:
यह रस्म मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास, परंपराओं और महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों की वीरता का प्रतीक है। मेवाड़ के शासकों की यह परंपरा उनकी संस्कृति और पराक्रम को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का माध्यम है।
विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक के साथ, मेवाड़ की गद्दी एक बार फिर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को जीवंत करेगी।