Jhunjhunu Bypoll- झुंझुनूं उपचुनाव के मौके पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की प्रेस वार्ता में मीडिया द्वारा किए गए सवालों से बचने की कोशिश की गई। पत्रकारों के सवालों का गोलमोल जवाब देते हुए सीपी जोशी ने कई मामलों में सीधा जवाब देने से इनकार किया, जिससे उनके जवाबों को लेकर काफ़ी चर्चा हुई। इस दौरान उनके साथ पूर्व सांसद संतोष अहलावत, जिला अध्यक्ष बनवारीलाल सैनी, सीकर जिला अध्यक्ष कमल सिखवाल, और बीजेपी जिला प्रवक्ता कमलकांत शर्मा भी मौजूद रहे।
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष से किए गए सवालों का गोलमोल जवाब
प्रेस वार्ता में जब मीडिया ने सीपी जोशी से सरकार के 11 महीने पूरे होने के बाद झुंझुनूं में कांग्रेस सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों को लेकर बीजेपी नेताओं की सरपरस्ती के आरोपों पर सवाल किया, तो उन्होंने इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया। इसके बजाय, उन्होंने बीजेपी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया और सवाल का टालमटोल जवाब दिया।
सड़कों से जुड़े सवालों के साथ-साथ प्रदेश में खेल यूनिवर्सिटी कहां खोली जाएगी, यमुना नहर के एमओयू को सार्वजनिक करने की मांग, और झुंझुनूं से आरएमएस कार्यालय का सीकर स्थानांतरण जैसे सवालों पर भी उन्होंने गोलमोल जवाब दिए, जिससे पत्रकारों में असंतोष देखा गया।
मंत्री सुमित गोदारा और राजेंद्र सिंह गुढ़ा से जुड़े सवाल
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के अलावा, कुछ दिन पहले प्रदेश कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा से भी इसी तरह के सवाल किए गए थे, जिनका उन्होंने भी स्पष्ट उत्तर नहीं दिया था। इसके अलावा, जब मीडिया ने सवाल किया कि राजेंद्र सिंह गुढ़ा बीजेपी की “बी टीम” का हिस्सा हैं, तो इस पर भी सीपी जोशी ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
इसके अलावा, पत्रकारों ने पूछा कि झुंझुनूं जिले में हुए अग्निवीर को शहीद कहा जाएगा या नहीं, और शहीद अग्निवीर के परिवार को मदद कब तक मिलेगी? इस पर सीपी जोशी ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, जिससे यह सवाल भी खुला छोड़ दिया गया।
बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया और मीडिया की नाराजगी
बीजेपी नेताओं की इस तरह की गोलमोल प्रतिक्रिया और सीधा जवाब न देने की आदत पर मीडिया में नाराजगी देखी गई। पत्रकारों का कहना है कि जब सरकार के 11 महीने पूरे हो चुके हैं, तो ऐसे सवालों का स्पष्ट और ठोस जवाब मिलना चाहिए था। जनता के बीच इन मुद्दों को लेकर चिंता है, और नेताओं से उम्मीद होती है कि वे अपनी जिम्मेदारी से बचने के बजाय मुद्दों का समाधान पेश करें।
यह प्रेस वार्ता इस बार के झुंझुनूं उपचुनाव में बीजेपी की रणनीतियों और नेताओं की छवि पर सवाल खड़ा कर रही है। उपचुनाव के परिणाम से पहले नेताओं की यह प्रतिक्रिया पार्टी के लिए नई चुनौतियां पैदा कर सकती है।