पीएम मोदी का ईस्ट एशिया सम्मेलन में महत्वपूर्ण संबोधन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ईस्ट एशिया सम्मेलन को संबोधित किया, जहां उन्होंने एक खास उपलब्धि हासिल की। पीएम मोदी इस सम्मेलन में अध्यक्षता पाने वाले पहले नेता हैं। लाओस के प्रधानमंत्री के बाद मोदी ने सम्मेलन को संबोधित किया, जो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण है।
मोदी की भागीदारी
पीएम मोदी की इस सम्मेलन में भागीदारी उल्लेखनीय है, क्योंकि उन्होंने अब तक के 19 सम्मेलनों में से 9 बार इसमें हिस्सा लिया है। यह उनकी सक्रियता और क्षेत्रीय मुद्दों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
आसियान की अहमियत पर जोर
अपने संबोधन में, मोदी ने आसियान देशों की एकता का समर्थन करने के साथ-साथ भारत की हिंद प्रशांत नीति और क्वाड सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “एक मुक्त, समावेशी और समृद्ध, नियम आधारित हिंद प्रशांत क्षेत्र पूरे इलाके की शांति और समृद्धि के लिए बहुत जरूरी है।”
द्विपक्षीय मुलाकात
सम्मेलन के दौरान, पीएम मोदी ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी की। इस मुलाकात में मोदी ने अमेरिका में हाल ही में आए चक्रवाती तूफान मिल्टन में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
भारत की एक्ट ईस्ट नीति का जश्न
गुरुवार को, पीएम मोदी ने लाओस में 21वें आसियान-भारत सम्मेलन में भी शिरकत की। यह सम्मेलन भारत की एक्ट ईस्ट नीति के 10 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया था, जो भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
ईस्ट एशिया सम्मेलन का इतिहास
ईस्ट एशिया सम्मेलन की शुरुआत 2005 में हुई थी और इसकी पहली बैठक मलयशिया के कुआलालंपुर में आयोजित की गई थी। इस सम्मेलन में 16 सदस्य देशों के राष्ट्रप्रमुख भाग लेते हैं, जिनमें आसियान सदस्य देश, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। 2011 में, अमेरिका और रूस को भी इस सम्मेलन में शामिल किया गया।
इस तरह, पीएम मोदी का यह संबोधन भारत की विदेश नीति में एक नई दिशा को इंगित करता है, जिससे भारत की भूमिका क्षेत्र में और मजबूत हो रही है।