क्या संघ करता है मुसलमानों पर भरोसा-मुस्लिम प्रेम दिखावा या हकीकत पॉपुलर फ्रंट ऑफइंडिया यानि पीएफआई के तकरीबन सैकड़ा भर ठिकानों पर छापे, हिजाब विवाद, भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद साहब पर की गई टिप्पणी, ज्ञानवापी मस्जिद मसले, गौ हत्या और मॉब लिचिंग, लव जिहाद, धर्मान्तरण, हिन्दु राष्ट्र की अवधारणा और उसके लिए माहौल तैयार करना, उत्तरप्रदेश में मदरसो के सर्वे, अन्य कुछेक मस्जिदों और एतिहासिक इमारतों की खुदाई की मांग आदि मसलों के बीच आरएसएस चीफ मोहन भागवत की अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात ने सियासी पारा चरम पर पहुंचा दिया है। चूंकि, अखिल भारतीय इमाम संगठन का कार्यालय मस्जिद परिसर में है लिहाजा दिल्ली की मस्जिद में आएसएस प्रमुख का पहुंचना अपने आप में ही बड़ी बात है। इमाम उमर इलियासी के पिता जमील इलियासी की मजार पर भी संघ प्रमुख पहुंचे, साथ ही इमाम के परिजनों से भी मुलाकात की। इसके बाद दिल्ली के ही आजाद मार्केट के एक मदरसे का दौरा किया और यहां बच्चों से मुलाकात की। इसके बाद उमर अहमद इलियासी ने मीडिया से बात करते हुए मोहन भागवत को राष्ट्रपिता और राष्ट्रकषि बता दिया। अब, पूरे देश में इसके अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। भागवत के मस्जिद और मदरसे पहुंचने के पीछे जितने मुंह उतनी बातें वाली बात चरितार्थ हो रही है। कुछेक का तर्क है कि आरएसएस यूनिफॉर्म सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए माहौल तैयार कर रहा है। कुछ का कहना है कि अगले लोकसभा चुनाव के पहले संघ, मुसलमानों की नाराजगी को कम करने की कोशिश कर रहा है। जानकारों का ये भी मानना है कि कोविड के बाद से पूरे देश का व्यापार प्रभावित हुआ और इसके बाद जब पूरी व्यवस्था पटरी पर वापस आने को तैयार है तो ऐसे में देश में साम्प्रदायिक विवाद से फिर विकास की गति धीमी हो सकती है। इसके अलावा भारत की छबि को भी अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंच सकता है। अब जब कि देश तेजी से आगे बढ़ रहा है तो ऐसे में जरूरी है कि देश के भीतर सुकुन का माहौल हो। भागवत से पहले संघ के पांचवें सरसंघचालक कुप्पाहली सीतारमयया सुदर्शन भी इलियासी के परिजनों से मिलते रहे हैं लेकिन तब इतनी चर्चा नहीं हुई। भागवत इससे पहले भी मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात कर चुके हैं। वे जम्मू कश्मीर के मुस्लिम नेताओं से मिलने वाले हैं। संघ प्रमुख के इमाम से मिलने और मदरसे के दौरे से किसी को कोई एतराज नहीं है। इलियासी ने भी यही कहा कि वो पहली दफा किसी मस्जिद में आए हैं। धर्म अलग हो सकते हैं, पूजा के तरीके और परम्परा, अलग हो सकती है लेकिन सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है। हम सब भारतीय है और सभी मिलकर भारत को मजबूत करें। भागवत ने भी मदरसे के बच्चों से बात करते हुए यही कहा कि सभी धर्मो का सम्मान करना चाहिए इन दोनों ने जो कहा वो कोई नई बात नहीं है, बल्कि सवाल ये है कि पिछले कुछ सालों में देश की फिजा में जो जहर घुला उसके पीछे जिम्मेदार कौन है। जब तक राजनीति और धर्म अलग-अलग थे तब तक सब कुछ ठीक-ठाक था लेकिन जब से राजनीति और धर्म के बीच घालमेल हुआ तब से चीजों को देखने का नजरिया बदल गया किसने…..क्या कहा एआईएमआईएम प्रमुख असुददीन ओवैसी का कहना है कि आरएसएस की विचारधारा क्या है ये सब जानते हैं। आवैसी का कहना है कि मुस्लिम समाज का बड़ा तबका अपने हक के लिए लड़ता है तो वह बुरा हो जाता है, उस पर शक किया जाता है। उन्होंने इस मुलाकात को कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का असर बताया। इसी तरह कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी पवन खेड़ा ने कहा कि ये भारत जोड़ो यात्रा का ही असर है कि संघ प्रमुख इमामों से मिलने पहुंच गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने तो भागवत को आमंत्रित करते हुए कहा कि वे राहुल गांधी की यात्रा में शामिल हों सबसे | तीखी प्रतिक्रिया बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की आई । मायावती ने कहा कि मस्जिद और मदरसे जाकर उलेमाओं से मिलने, फिर खुद को राष्ट्रपिता और राष्ट््रषि कहलवाने के बाद क्या भाजपा मस्जिद और मदरसों के प्रति अपने नकारात्मक रूख में बदलाव लाएगी। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने निशाना साधते हुए कहा कि मोहन भागवत जी अब आप अखलाक और बिलकिस बानों के परिवार से भी मिलें। बिलकिस बानों को न्याय दिलाएं। बलात्कारियों का सम्मान करने वालों के खिलाफबयान दें जहां जहां निर्दोष मुसलमानों को आपके कार्यकर्ताओं ने सताया है उनसे माफी मांगें अन्यथा आपका मस्जिद मदरसा जाना केवल दिखावा होगा। यूपी की तर्ज पर अन्य राज्यों में हो सकता है मदरसों का सर्वे देश की कुछे मस्जिदों और एतिहासिक इमारतों की खुदाई की मांग के बीच उत्तरप्रदेश सरकार ने मदरसों का सर्वे शुरू करा दिया है। यूपी सरकार का तर्क है कि वो मदरसे के छात्रों और शिक्षकों को शिक्षा के आधुनिक तरीकों से जोड़ने की कवायद कर रही है। सर्वे में मदरसों की फंडिंग, पाठयक्रम, मदरसों का नियंत्रण, मदरसे चलाने वाली संस्था, फर्नीचर-पेयजल आदि की सुविधा, आमदनी का जरिया जैसे सवालों के जवाब देने होंगे। दूसरी तरफ, इस सर्वे का विरोध शुरू हो गया है। एआईएमआईएम के सांसद असददुनी ओवैसी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना सैयद अरशद मदनी ने मदरसों के सर्वे पर सवाल उठाते हुए आरएसएस के संगठन विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिरों के सर्वे कराने की मांग भी की है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी सर्वे पर भारतीय है ओर सभी मिलकर भारत को मजबूँ सवालिया निशान लगाए हैं। हालांकि, तमाम विरोधों के बावजूद भी मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। यहां ये बताना लाजमी होगा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सन 2077 में मदरसों के आधुनिकौकरण के तहत पोर्टल बनाकर उन्हें पंजीयन कराने की सुविधा दी थी। योगी सरकार ने मदरसों के सिलेबस में एनसीईआटी की किताबों को शामिल किया, यहां पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए लर्निंग एप भी लांच किया। इसके साथ ही मदरसों में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान और हिन्दी आदि विषयों को अनिवार्य रूप से शामिल करने का निर्णय लिया गया है। दरअसल, उत्तरप्रदेश और असम सहित कुछेक अन्य राज्यों में अवैध मदरसों के संचालन, यहां से कथित रूप से आतंकियों की गिरफ्तारी ने मदरसों के सर्वे की जरूरत को बल दिया। उत्तरप्रदेश की तर्ज पर ही अन्य राज्यों में मदरसों के सर्वे की कवायद शुरू हो जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। मध्यप्रदेश में भी मदरसों के सर्वे की मांग उठती रही है। हिन्दु राष्ट्र की अवधारणा दिल्ली की मस्जिद और मदरसे में पहुंचने वाले ये वही मोहन भागवत है जिन्होंने सन 20॥5 में गाजियाबाद में स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए भारत को हिंदु राष्ट्र घोषित किए जाने की आवाज बुलंद की थी। उन्होंने ये भी कहा था कि देश में पैदा होने वाला हर व्यक्ति हिंदु है चाहे वो किसी भी संप्रदाय या जाति का हो।