हिंदी साहित्य में यूं तो आए दिन नव प्रकाशित पुस्तको की भरमार है। भले ही पठनीयता घटी हो, लेकिन लेखकों के लेखन व उनके उत्साह में कही कोई कमी नही है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर की धरती मुजफ्फरनगर जनपद में इस समय साहित्यिक खुशबू फैला रही सविता वर्मा ग़ज़ल की नई कृतिअभी नयन हैं रीते काव्य संग्रह ने नई आहट दी है। इससे पूर्व भी कवयित्री सविता वर्मा ग़ज़ल की अभी नयन हैं रीते कई पुस्तकें आ चुकी है। इस पुस्तक में सविता की संवेदना काव्य कृति में मुखर होकर ध्वनित हुई है। नारी मन स्वाभाविक रूप से भावुक व संवेदनशील होता है। फिर कवयित्री सविता वर्मा का तो कहना ही क्या उनकी भावप्रवणता उनके साहित्यिक योगदान से स्वत सिद्ध हो जाती है। अभी नयन हैं रीते का प्रारंभ सरस्वती वंदना रूपी कविता से होता है। चूंकि माँ सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और एक माँ भी पुस्तक में आगे बढ़ते बढ़ते आभास हो जाता है कि काव्य कृति में नारी मन के विविध भाव मुखर हुए हैं। औरत हूंए टूट कर बिखर जाऊँगी कुछ ऐसी ही भाव उनकी रचनाओं में नजर आते है। उनकी प्रगतिशील सोच है। जो आज की नारी के हौसले का दर्पण है। धरती तब खुश होगी रचना में बेटियों को अनुकूल माहौल मिलने की आकांक्षा है। जब नारी उन्नत होगी तब संसार उन्नत होगा | कैसे कह दूं कविता में नारी की वर्तमान स्थिति को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर बल है। एक बानगी देखिए कैसे कह दूं आजाद हैं हम ये कैसी आज्ञादी है। बेटी की विदाई रचना मर्माहत करने वाली है| बेटियां मेहमान नहीं होतीं । घर का हृदय होती हैं, ये सविता वर्मा जी की ऊँची सोच है। वक्त, क्या खोया क्या पाया कविताएं सन्देशप्रद हैं । ज्वलन्त प्रश्न यह है कि बेटियों को जन्म से पहले ही मृत्यु दण्ड क्यों सुना दिया जाता है-कसम ये उठाओ …..बेटी को उसके जन्म लेने का अधिकार दिलाना। मुक्त गगन कविता ऊँची उड़ान की ललक दर्शाती है। तो किसी कविता में सादे जीवन का सन््तोष है । रूप जीवन का ऐसी ही कविता है । रोया चांद सशक्त रचना है जो दरिन्दगी से तार-तार हुए आँचल की सिसकती कथा है। कवयित्री की नारी छूने दो आसमान कविता में उन्नति के आकाश को पाना चाहती है नारी में वह शक्ति है जो ईश्वर को भी झुका दे बस एक बार उसे जगत में आने तो दो । आने दो एक बार मुझे देख लेने दो ये सुन्दर संसार | माँ तुलसी और आंगन में कैसा पवित्र बन्धन है। माँ नारी का महानतम रूप है। फिर वह कमजोर कैसे हो सकती है? उसके मनोबल को तोड़ा नहीं जा सकता। कमजोर नहीं कविता इन्हीं भावों को व्यक्त करती है। बेटियाँ रचना सविता की बेटियों के प्रति पक्षधरता को दर्शाती है। वे मान सम्मान चाहती हैं। थोड़े शिकवे, धरोहर कविताएं मानवीय भावनाओं की अभिव्यक्ति हैं। आगे चलकर बूढ़े बरगद को पारकर आज की औरत तक पहुची तो उसकी आंखों में विद्रोह की चिंगारी दिखाई दी।…., उसने सिंदूर क्या भर दिया मांग में समझ , बैठा उसे अपनी अमानत…..। नारी की चाहत सोने का पिंजरा नहींए उसकी अपनी स्वतंत्रता है वह कहती है मैं कठपुतली नहीं हूं जिसे नचाओ इशारों पर….। चलो चलें कविता बचपन की मासूम याद दिलाती है। वह समाज के दुश्शासन के घर जन्म लेने की बात कर निरुत्तर रचना में खामोश कर देती है। अभी नयन हैं। रीते काव्य संग्रह में माँ की यादें हैं और अजन्मी बच्ची के जन्म हेतु वह माँ पति से भी द्रोह करने में सक्षम है। शिवमय भक्ति रचना है। कवयित्री सविता महिलाओं के लिए वित्तमंत्री से भी सिफारिश करती हैं। उनकी रसोई पर करों का बोझ न बढ़े | निष्कर्ष यह है कि अभी नयन हैं रीते …. काव्य संग्रह नारी के व्यक्तित्व को लेकर बुना गया है। साहस, प्रेम, करुणा, वात्सल्य सभी मनोभावों को व्यक्त करती रचनाओं का उत्कृष्ट संग्रह है सुन लो विनय हमारी, भारत की बेटियों जागो सभी भावविभोर करने वाली संदेश प्रद कविताएं हैं। यशस्विनी सविता वर्मा ग़ज़ल सदैव कुछ नया लिखने या फिर कुछ नया गुनगुनाने की ललक रखती हैवे हर रूप में प्रेम, संवेदनाओ, अपनत्वए भक्तिरस में डूबी दिखाई पड़ती है। उनका यह सफर अनवरत जारी रहे यही कामना ।