पा में हर साल कई राज्यों में कम चुनाव होते रहते हैं | केंद्र एवं राज्य ह; जा. हमेशा चुनावी मोड-में बनीं रहती हैं । अगले के विधानसभा चुनाव होने हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए ह कहा जा सकता है कि समय से पहले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। राजनीतिक हलकों में जो चर्चाएं चल रही हैं। उसके अनुसार बिहार झारखंड और महाराष्ट्र में भी अगले साल मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। 2 राज्यों में गैर भाजपाई सरकारें हैं। महाराष्ट्र में अभी शिवसेना की बगावत से भाजपा की गठबंधन की सरकार बनी है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम और को नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। हिंदी भाषी राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा की कवरेज कांग्रेस भी अब मीडिया में सुर्खियां पाना सीख गई है। हिंदी भाषी राज्य में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को कवरेज नहीं दे रहा था। इसके लिए समय.समय पर कांग्रेस के नेताओं ने कुछ ऐसे विवादास्पद बयान दिए। जिससे मीडिया की सुर्खियों में लंबे समय तक बने रहे। अब हिंदी भाषी राज्यों से भारत जोड़ो यात्रा गुजर रही है। मध्य प्रदेश के बाद भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान जाएगी। कांग्रेस के नेता जानबूझकर कुछ ऐसे बयान देते हैं जिसके कारण नेशनल मीडिया ना चाहते हुए भी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस को मीडिया में प्रमुखता से स्थान देना पड़ता है। नेगेटिव पब्लीसिटी के जरिए कांग्रेस ने अपना अस्तित्व एक बार पिर बनाना शुरु कर दिया है। राहुल गांधी की नई छवि भी इसी गोदी मीडिया और नेशनल मीडिया की देन है। कांग्रेस के नेता मीडिया की नई भूमिका से अब मंद-मंद मुस्कान के साथ खुश हैं। भारत जोड़ो यात्रा का क्रेज भारत जोड़ो यात्रा जिस तेजी के साथ अपने लक्ष्य में बढ़ रही है। उसके साथ ही मीडिया का क्रेज भी भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी को लेकर बढ़ने लगा है। हिंदी-अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के कांग्रेस हारती रहेगी । राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई नेताओं का अहंकार है। जो कांग्रेस को पत्रकार और सोशल मीडिया से जुड़े हुए मूर्धन्य बड़े-बड़े संपादक पत्रकार राहुल गांधी का इंटरव्यू करने और कवरेज करने के लिए खुद भी कई किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। अपने साधनों से पहुंच रहे हैं। जो संपादक और पत्रकार कभी राहुल गांधी की आलोचना करते थे। वह अब भारत। जोड़ो यात्रा का प्रत्यक्ष समर्थन करते हुए दिख रहे हैं। राहुल गांधी की नई भूमिका और आत्मविश्वास की सराहना भी कर रहे हैं। नेता विहीन कांग्रेस की भारत यात्रा कांग्रेस के नेता स्वयं कांग्रेस को हराते है। राहुल गांधी ने इसका अनुभव कर लिया है। कांग्रेस जब तक नेताओं के स्थान पर कार्यकर्ताओं की पार्टी नहीं बनेगी | तब तक डुबा रहा है। गुजरात चुनाव में राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा छोड़कर पहुंचे। उन्होंने दो जनसभायें की। लेकिन उन्होंने कांग्रेस के लिए वोट नहीं मांगे। भाजपा परेशान है कि कांग्रेस नेता चुनाव प्रचार नहीं कर रहे है। भाजपा पहिले कांग्रेस नेताओं के साथ समझौता कर चुनाव जीत जाती थी। अब गुजरात का चुनाव स्वयं उम्मीदवार लड़ रहे है। स्टार प्रचार भी कम जा रहे है। राहुल की यह नई रणनीति है। कार्यकर्ताओं की पार्टी बनाओं बड़े. बड़े अहंकारी नेताओं से मुक्ति पाओ।
कर्ड राज्यों में मध्यावशध्ि चुनात २
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