Rajasthan जयपुर। बीआरटीएस कॉरिडोर, जो सुविधा से अधिक परेशानी बन चुका है, को हटाने में लगभग 40 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस 16 किमी लंबे कॉरिडोर के निर्माण में 167 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, लेकिन यह अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाया।
कॉरिडोर की शुरुआत और विफलता:
निर्माण वर्ष: 2006-07 में जवाहरलाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत यह कॉरिडोर सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड पर बनाया गया था।
उद्देश्य: शहरी सार्वजनिक परिवहन के लिए अलग लेन प्रदान करना, ताकि ट्रैफिक दबाव कम हो।
विफलता के कारण:अधूरा निर्माण (46.8 किमी में से केवल 16 किमी का निर्माण हुआ)।
पर्याप्त बसों की कमी।
25% हिस्से पर मात्र 1% ट्रैफिक।
स्थानीय लोगों की नाराजगी और रिपोर्ट:
सर्वे परिणाम: सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए सर्वे में 70% से अधिक लोगों ने इसे हटाने की मांग की।
ट्रैफिक रेशो में सुधार:कॉरिडोर रहते समय: 0.51%।
कॉरिडोर हटने के बाद: 0.42%।
एक्सीडेंटल प्वाइंट्स: 11 स्थानों को दुर्घटनाजनक घोषित किया गया था।
राजनीतिक और तकनीकी विवाद:
पूर्ववर्ती परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने इसे “मौत का कुआं” बताया था।
तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने इसे हटाने का विरोध किया, क्योंकि यह सेंट्रल फंड से बना प्रोजेक्ट था।
अनुमानित खर्च और अधूरा प्लान:
दिल्ली में बीआरटीएस हटाने पर 10 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
जयपुर में 46.8 किमी का प्लान था, लेकिन केवल 16 किमी ही बन सका।
निष्कर्ष:
बीआरटीएस कॉरिडोर, जो शहर के ट्रैफिक समस्या का समाधान बनने के लिए बनाया गया था, अब एक असफल प्रोजेक्ट बन गया है। इसे हटाने के बाद जयपुर की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होने की उम्मीद है।