केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी को एक बार फिर पप्पू कहकर संबोधित किया। इससे कांग्रेस के नेता भड़क गए हैं। कांग्रेस समाचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने इसके जवाब में कानून मंत्री किरण रिजिजू को कलंक कहा है। राहुल गांधी ने कैंब्रिज में जो भाषण दिया था, उसका वीडियो ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा था कि कांग्रेस के स्वघोषित राजकुमार नेसारी हदें लांघ दी हैं। यह आदमी भारत की एकता के लिए बेहद खतरनाक है। यह लोगों को भारत को बांटने के लिए उकसा रहा है।रिजिजू ने एक-दूसरे ट्वीट में लिखा था कि भारत के लोग जानते हैं कि राहुल गांधी पप्पू है। लेकिन विदेशियों को पता नहीं है कि राहुल गांधी हकीकत में पप्पू है। राहुल के फूलिश स्टेटमेंट पर प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, भारत की छवि को बिगाड़ने के लिए वह इस तरीके के बयान दे रहे हैं। इन दोनों ट्वीट के जवाब में कांग्रेस नेता भड़क कर पलटवार कर रहे हैं। जयराम रमेश की टिप्पणी तो ऊपर लिखी जा चुकी है। जिसमें उन्होंने रिजिजू को कलंक बताया। वहीं सोशल मीडिया विभाग के प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत ने कानून मंत्री पर पलटवार करते हुए कहा, रिजिजू का अस्तित्व सिर्फ राहुल गांधी पर झूठे आरोप लगाने के कारण ही टिका हुआ है. इसलिए वह इस तरह के आरोप लगाते हैं। भारत की राजनीति में जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप के दौर चल रहा है। उसमें शब्दों की मर्यादा भी कहीं से कहीं तक देखने को नहीं मिलती है। जितने नीचे जाकर गुंडागर्दी की भाषा में एक दूसरे के लिए शब्दों का उपयोग कर सकता है, वह कर रहा है।जिस तरीके की स्थितियां देखने को मिल रही हैं। उसके बाद ऐसा लगने लगा है कि जो सत्ताधारी दल है, वह अपने आप को सर्वोच्च बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट को भी अपने अधीन बनाना चाहता है। हाल ही में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने एक बयान दिया उसमें उन्होंने सरकार और सरकार के निर्णयों एवं संसद को सर्वोच्च बताया। संविधान केवल मार्गदर्शी है।इसका मतलब यही हुआ कि आपातकाल जब इंदिरा गांधी ने लगाया था, संसद ने उसकी मंजूरी दी थी। उस समय इंदिरा गांधी की सरकार का निर्णय सही थी। इंदिरा गांधी को हाईकोर्ट में गवाही के लिए नहीं जाना चाहिए था। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने जब इंदिरा गांधी का चुनाव अवैधघोषित किया था, वह भी गलत था। भाजपा नेता सत्ता के मद में कुछ भी बोल रहे| हैं। धीरे-धीरे करके संविधान की सारी मर्यादा खत्म हो रही हैं। कहीं पर भी नैतिकता नहीं रह गई है। अब ऐसा लगने लगा है कि अब हम गुंडों के राज में रह रहे हैं। राजनेताओं की भाषा गुंडों वाली ही है। गैंगवार की तरह राजनीतिक दल एक दूसरे के ऊपर हमलावर हैं। वह अपने तीखे हमले से सामने वाले को हर तरह से प्रताड़ित करने ओर उसे भयभीत करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से कांग्रेस इस मामले में कुछ मर्यादा का पालन करती हुई दिखती थी। जिसके कारण भाजपा के नेता लगातार आक्रमक होते रहे। लेकिन लगता है कि अब काग्रेस ने भी समझ लिया है, कि गुंडागर्दी की लड़ाई गुंडागर्दी से ही लड़ी जाएगी। इसके लिए वह भी कोई ऐसा मौका नहीं छोड़ रही है, जिसमें उसे ऐसा लगे कि उसने क्रिया की प्रतिक्रिया नहीं दी है। कांग्रेस भी अब भाजपा और संघ केपुराने मुद्दों पर उनको घेर रही है। आम जनता भी कहने लगी है, कि गुंडे का अस्तित्व उसकी आक्रामकता के कारण होता है। कुछ इसी तरीके की स्थिति अब काग्रेस ने भी बिना हानि लाभ के भाजपा को उसी तरह से जवाब देना सीख लिया है।जिस तरह से भाजपा के नेता वार करते हैं। कहा जाता है सत्ता, स्त्री और धन उन्हीं हाथों में सुरक्षित रहता है, जहां आक्रमकता बनी रहती है। भीरु और डरपोक लोगों के हाथ में ना तो सत्ता सुरक्षित रहती है।नाही स्त्री और ना ही धन । ऐसी स्थिति में कांग्रेस का यह आक्रमक स्वरूप जनता को विश्वास दिला पाने में कामयाब हो रहा है। कांग्रेस आम जनता की लड़ाई लड़ने में सक्षम है। कांग्रेस उनकी लड़ाई अच्छी तरीके से लड़कर जीत भी सकती है। इसी कारण कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला बराबरी पर आ गया है। भाजपा एक सुनाती है, कांग्रेस के नेता उसे दो सुना देते हैं। धीरे-धीरे यह आक्रामकता सभी विपक्षी दलों में भी देखने को मिलने लगी है। सीबीआई , ईडी एवं राज्यपालों के मामले में भी विपक्ष की सरकारें आक्रमक होकर सामने रही आ हैं। केन्द्रीय सत्ता पक्ष के लिए यह बहुत अच्छे शुभ संकेत नहीं है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि वर्तमान सरकार अपनी कार्यप्रणाली को सही साबित करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार के कार्यों का समर्थन करती हुई नजर आ रही है। न्यायपालिका के संदर्भ में जो कहा जा रहा है, उसके बाद आपातकाल को सही मान लिया जाएगा। आपातकाल का निर्णय भी सरकार ओर संसद ने बहुमत से लिया था। पूर्ववर्ती सरकार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णय को मानती थी। वर्तमान केन्द्र सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को जनादेश के बल पर अपने अधीन मान रही है। जिसके कारण अराजकता की स्थिति बन रही है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश की स्वतंत्र अधिकारता, वर्तमान सरकार स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।