20 वर्षों तक सीरिया पर शासन करने वाले बशर अल-असद का शासन विद्रोही बलों के तगड़े अभियान के बाद समाप्त हो गया। राजधानी दमिश्क और प्रमुख शहरों पर कब्जा जमाने के बाद विद्रोही संगठनों ने असद परिवार की सत्ता को उखाड़ फेंका। इसके बाद सवाल उठा कि बशर अल-असद ने ईरान की जगह रूस में शरण क्यों ली और महाशक्तियों की सीरिया में दिलचस्पी का कारण क्या है? आइए जानते हैं विस्तार से।
1. रूस ने असद को गुपचुप तरीके से कैसे निकाला?
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, बशर अल-असद विद्रोहियों के दमिश्क पहुंचने से पहले ही रूस भाग गए। फ्लाइट ट्रैकिंग साइट्स के अनुसार, दमिश्क एयरपोर्ट से एक इल्युशिन एयरक्राफ्ट ने विद्रोहियों के शहर पर कब्जा शुरू करते ही उड़ान भरी। इसके बाद यह विमान उत्तर-पश्चिम दिशा में गया और ट्रैकिंग बंद कर दी गई।
रूस ने बाद में पुष्टि की कि असद और उनका परिवार उनके संरक्षण में है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि असद को गुप्त तरीके से निकाला गया था ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
2. रूस, न कि ईरान, क्यों बना असद का ठिकाना?
रूस ने असद को मानवीय आधार पर शरण देने की घोषणा की।
- ईरान की असुरक्षा: ईरान में इस्राइल के खुफिया अभियानों और हमलों की वजह से असद के लिए वहां रहना खतरनाक हो सकता था। इस्राइल पहले ही ईरान में कई दुश्मनों और वैज्ञानिकों को मार चुका है।
- रूस का समर्थन: असद के शासनकाल में रूस उनके सबसे बड़े समर्थकों में से एक रहा। पुतिन ने 2011 से शुरू हुए सीरियाई गृहयुद्ध में असद को सैन्य और राजनीतिक सहायता दी।
3. रूस का असद को समर्थन क्यों?
रूस ने पश्चिम एशिया में अमेरिका और यूरोप के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए असद का समर्थन किया।
- 2011 के बाद गृहयुद्ध: असद की सरकार के खिलाफ पश्चिमी देशों ने विद्रोही गुटों को समर्थन दिया। लेकिन रूस ने असद को समर्थन देकर पश्चिम एशिया में अपनी स्थिति मजबूत की।
- सैन्य ठिकाना: सीरिया रूस का पश्चिम एशिया में इकलौता सैन्य बेस है। यह अमेरिका के सैन्य प्रभाव का संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- राजनीतिक साझेदारी: असद के सहयोग से रूस ने मिस्र, सऊदी अरब, और यूएई जैसे देशों के साथ अपने संबंध बेहतर किए।
4. सीरिया में महाशक्तियों की दिलचस्पी का कारण
भौगोलिक स्थिति:
सीरिया पश्चिम एशिया में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह तुर्किये, इराक, लेबनान, इस्राइल, और जॉर्डन के बीच स्थित है और भूमध्य सागर तक पहुंच प्रदान करता है।
धार्मिक और राजनीतिक संतुलन:
सीरिया में बहुसंख्यक सुन्नी मुस्लिम हैं, लेकिन असद अलावाइट (शिया संप्रदाय) समुदाय से आते हैं।
- पड़ोसी देशों का बंटवारा: ईरान और इराक ने शिया होने के कारण असद का समर्थन किया, जबकि सऊदी अरब और तुर्किये ने सुन्नी विद्रोहियों का साथ दिया।
अमेरिका और रूस के बीच संघर्ष:
पश्चिम एशिया में प्रभाव बढ़ाने की होड़ ने अमेरिका और रूस को सीरिया में खींचा।
- अमेरिका ने विद्रोही गुटों को समर्थन दिया।
- रूस ने असद को सत्ता में बनाए रखने के लिए सैन्य अभियान चलाया।
5. असद के लिए रूस और ईरान का महत्व
- रूस के लिए: असद का समर्थन रूस को पश्चिम एशिया में अपना प्रभाव बनाए रखने और अमेरिका का मुकाबला करने में मदद करता है।
- ईरान के लिए: असद की सरकार ने ईरान को अपनी सीमा के बाहर प्रभाव बढ़ाने में मदद की। असद का पतन ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव को कमजोर कर सकता है।
निष्कर्ष:
बशर अल-असद का रूस में शरण लेना उनकी सुरक्षा और रूस के साथ उनके गहरे संबंधों को दर्शाता है। सीरिया की रणनीतिक स्थिति, धार्मिक विविधता, और अंतरराष्ट्रीय राजनीति इसे महाशक्तियों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र बनाए रखती है।