पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचारियों और रिश्वरखोरों के लिए मानहानि कानूनए ब्रह्मास्त्र की तरह उन्हें सुरक्षित बना रहा है। विशेष रूप से राजनेताओं को मानहानि कानून का जो कवच मिला है। उससे वह पूरी तरह सुरक्षित हो गए हैं। मानहानि के प्रकरण दायर कर अथवा मानहानि का नोटिस भेजकर अपने खिलाफ उठ रही आवाजों को बंद कराने मैं मानहानि कानून बड़ा सहायक हो गया है। जिस राजनीतिक दल और संगठन के देशभर में कार्यकर्ता और समर्थक हैं। उनके लिए तो यह कानून अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शस्त्र बन गया है। करोड़ों रुपए का मानहानि का प्रकरण दायर कर दो | न्यायालय में इसके लिए कोई फीस नहीं लगती है। न्यायालय में जिसके खिलाफप्रकरण दर्ज होता है। उसे उपस्थित होकर सबसे पहले जमानत करानी पड़ती है। उसके बाद हर पेशी में उपस्थित रहना, उसकी बाध्यता होती है। हर माह पेशियां पड़ती हैं। राजनेताओं , अभिनेताओं , बड़े बड़े अधिकारी के भ्रष्टाचार और रिश्ररखोरी के खिलाफबोलना, अब सबसे बड़ा अपराध हो गया है। हर कोई अपनी सफई देने के स्थान पर मानहानि का नोटिस भेजकर अपने आरोपों को दबाने का काम करता है। उल्टे उसे धमकाना शुरू कर देता है। न्यायालय से जमानत पर आरोपी को अपराधी और मुलजिमो की तरह पेश किया जाता है। पिछले वर्षो में एक ही आरोप पर देश के कई राज्यों की कई न्यायालयों में मानहानि का मुकदमा दर्ज हो जाता है। जिस व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा होता है। न्यायालय में जो पेशी पड़ती है, उसमें उपस्थित हो पाना उसके लिए संभव ही नहीं होता है। जिसके कारण गिरफ्तारी वारंट निकलते हैं। अपनी बात बोलने की इतनी बड़ी सजा आरोप लगाने वालों को मिल जाती है। जिससे वह मामले का फैसला आने का इंतजार भी नहीं कर पाते हैं। प्रताड॒ति होकर माफी मांगने के लिए विवश हो जाते हैं। सत्तारूढ़ दल के राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफतत9थ्यों के होते हुए भी इस कानून के कारण अब आम आदमी बोलने से डरने लगा है। जिसके कारण भ्रष्टाचार अथवा रिश्ववखोरी के काम में बिना किसी भय के और भ्रष्टाचार करते पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच में तुम डाल-डाल, हम पात-पात की तर्ज पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना के खिलाफ नोटबंदी के दौरान 400 करोड़ रुपए बदलने का आरोप लगाया है। आम आदमी पार्टी के नेता ईडी और सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब घोटाले का आरोप लगाया है। जिसकी सीबीआई जांच कर रही है। हाल ही में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात कही है। उन्होंने आरोपों के संबंध में कोई सफई नहीं दी है। केन्द्र सरकार ने आम आदमी पार्टी की मांग अनसुनी कर दी है। वहीं आम आदमी पार्टी ने सीबीआई से जाँच करने की मांग को लेकर सीबीआई मुख्यालय पर धरना दे दिया। मानहानि का मुकदमा दायर करने के पश्चात जिसके खिलाफमुकदमा दायर हुआ है। उसे हर पेसी में न्यायालय में उपस्थित होना अनिवार्य होता है। एक भी पेशी में उपस्थित नहीं होने पर उसके खिलाफवारंट निकल जाता है। एक ही व्यक्ति के खिलाफएक ही मामले में कई स्थानों पर मानहानि के मुकदमे दायर हो जाते हैं। वकील की नियुक्ति करनी पड़ती है। सैकड़ों और हजारों किलोमीटर की यात्रा करके न्यायालय में उपस्थित होना पड़ता है। कई मामलों में संगठन के कार्यकर्ता मानहानि की पेशी में शामिल होने वाले व्यक्ति के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, धमकी देते हैं। ऐसी स्थिति में अब आम आदमी अथवा कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार एवं रिश्ववखोरी के खिलाफअपनी बात कहने से डरता है। कई मामलों में न्यायालयों ने सरकारी कार्यालयों में उपलब्ध रिकॉर्ड को आरोपी को बचाब में पेश करने के लिए अनुमति नहीं दी। जिसके कारण उसे अपनी बात प्रमाणित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मानहानि कानून अब भ्रष्टाचारियों और रिश्वरखोरी के लिए सुरक्षा कवच बन के सामने आया है। आरोप प्रमाणित हो भी जाए तो आरोपी के खिलाफमुकदमा खारिज हो जाता है। आरोपी के खिलाफकोई कार्यवाही नहीं होती है।
भ्रष्टाचारियों और रिश्वरखोरों का ब्रह्मात्न बना मानहानि कानून ?
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