पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भारत संबंधी स्वीकारोक्ति सुखद और स्वागतयोग्य है। उन्होंने स्पष्ट कर / ाा….. दिया है कि पाकिस्तान के दुखों के पीछे अमेरिका या भारत नहीं हैं, पाकिस्तान ने अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी है। गौर करने की बात है कि पाकिस्तान «इन दिनों गहरे आर्थिक संकट से गुजर ही | रहा है और वहां नकदी का बहुत अभाव हो गया है। अभी जो माहौल पाकिस्तान 2 में बन रहा है, उससे तो ऐसा लगता है कि नवाज शरीफ अपनी पाकिस्तान वापसी के बाद देश का नेतृत्व संभालने को तैयार हैं। अत स्वयं पाकिस्तान की खामी को स्वीकार करना एक तरह से जरूरी भी है। अक्सर पाकिस्तान में हर तरह की कमी के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। पाकिस्तानी सत्ताधीशों के लिए यह कोई नया बहाना नहीं है। वास्तव में , ऐसे बहाने बनाकर या भारत का भय दिखाकर वहां की सेना भी अपनी चौधराहट से बाज नहीं आ रही है। अब कोई आश्चर्य नहीं कि नवाज शरीफ ने परोक्ष रूप से देश के संकटों के लिए अपनी ही ताकतवर सेना की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा है कि सेना ने धांधली करके एक सरकार साल 2078 में देश पर थोप दी थी, जिससे लोगों को परेशानी हुई और पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था भी खराब हो गई। नवाज शरीफ अच्छे से जानते हैं कि पाकिस्तान में फौज का शिकंजा कैसा है? ऐसा नहीं है कि इस बात को इमरान खान नहीं जानते थे, मगर उन्होंने फौज की पकड़ को कमजोर करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया और पता नहीं, नवाज शरीफ को इसमें कितनी कामयाबी मिलेगी? इसमें कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान को एक ऐसे प्रधानमंत्री की जरूरत है, जो देश के हालात को ईमानदारी से समझता हो और फौज को लोकतांत्रिक परिधि में अनुशासित कर सके । पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज का नेतृत्व कर रहे नवाज शरीफ के ईमानदार बयानों से अच्छे संकेत मिलते हैं, पर बड़ा सवाल है कि क्या वह चौथी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन पाएंगे? अफसोस , वह विगत तीन दशक में तीन बार प्रधानमंत्री रहे हैं, पर फौज में सुधार के बजाय बिगाड़ ही ज्यादा हुआ है। नतीजा सामने है, पाकिस्तान समस्याओं की गर्त में धंसता चला जा रहा है। 73 वर्षीय शरीफ ने तो सैन्य तानाशाहों को वैध ठहराने के लिए अपने देश के न्यायाधीशों की भी आलोचना की है, पर क्या चुनाव जीतने के बाद भी उनके ऐसे ही विचार बने रहेंगे? पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान वास्तव में खुद अपना ही दुश्मन बना हुआ है। उसी की वजह से जेल की सजा से बचने के लिए नवाज शरीफ को चार साल निर्वासित रहना पड़ा। अब वह लौटे हैं, तो उन्हें सत्ता में आने पर देश की सच्ची सेवा का मौका नहीं गंवाना चाहिए। पाकिस्तान को आगे बढ़ाने के लिए वहां की अर्थव्यवस्था को सुधारना सबसे जरूरी है। यह नवाज शरीफ का सौभाग्य है कि उनका देश उन्हें चौथी बार मौका दे सकता है, जबकि उधर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने एक ही बार राष्ट्रपति रहते ऐसी-ऐसी गलतियां की हैं कि उनका आगे चुनाव लड़ना भी मुश्किल नजर आ रहा है। टूंप को बड़ा झटका देते हुए, कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी , 2024 कैपिटल हमले में शामिल होने के चलते उन्हें मतदान से हटा दिया है। मतलब, कोई भी देश आपको जब शासन का मौका देता है, तो उसकी सेवा संविधान के तहत ईमानदारी और पूरी शालीनता के साथ होनी चाहिए, ताकि आगे भी सेवा के मौके आसानी से मिलते रहें।
पैर पर कुल्हाड़ी
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