जयपुर में एम पॉक्स की दस्तक: विदेश से लौटे मरीज में मिले लक्षण इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक मरीज में एम पॉक्स (मंकी पॉक्स) के लक्षण देखे गए हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग में चिंता बढ़ गई है। मरीज को तुरंत एयरपोर्ट से आरयूएचएस अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उसकी जांच की जाएगी। फिलहाल, मरीज को एम पॉक्स संदिग्ध माना गया है, और जांच के बाद ही इस संक्रमण की पुष्टि हो सकेगी।

अस्पताल की तैयारी
डॉक्टर अजीत सिंह, आरयूएचएस अस्पताल के अधीक्षक, ने बताया कि एम पॉक्स के मामलों को देखते हुए अस्पताल में विशेष इंतजाम किए गए हैं। अस्पताल के एक पूरे फ्लोर को सिर्फ एम पॉक्स से ग्रसित मरीजों के इलाज के लिए तैयार किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एम पॉक्स के बढ़ते मामलों के चलते इसे ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है, जिसके परिणामस्वरूप राजस्थान में चिकित्सा विभाग ने भी इस बीमारी के प्रति चेतावनी जारी की है।
एम पॉक्स क्या है?
एम पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, जो मंकी पॉक्स वायरस के कारण होती है। इसके लक्षण चिकन पॉक्स और हरपीज की तरह होते हैं। एम पॉक्स के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
- दर्दनाक दाने: मरीज के शरीर पर मटर के दाने जितने बड़े दाने निकल आते हैं।
- तेज बुखार: संक्रमित व्यक्ति में बुखार की समस्या होती है।
- मांसपेशियों में दर्द: यह बीमारी मांसपेशियों में भी दर्द का कारण बनती है।
- लिम्फ नोड्स में सूजन: संक्रमण के कारण लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं।
- जान का खतरा: कुछ मामलों में यह बीमारी गंभीर हो सकती है और जान जाने का खतरा रहता है।
वायरस की चपेट में आने के लगभग 3 सप्ताह बाद लक्षण प्रकट होते हैं, इसलिए सावधानी आवश्यक है।
जयपुर में एम पॉक्स की दस्तक विदेश से लौटे मरीज में मिले लक्षण फैलने के तरीके और बचाव
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, एम पॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इसके अलावा, संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने या उनके मांस को पकाने के दौरान भी यह बीमारी फैल सकती है। इसके संक्रमण से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी: वायरस से ग्रसित लोगों से दूर रहना चाहिए।
- आरटीपीसीआर टेस्ट: बीमारी की पहचान आमतौर पर आरटीपीसीआर टेस्ट के माध्यम से की जाती है।
- आइसोलेशन: यदि कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो उसे आइसोलेट करना आवश्यक है।
- त्वचा की देखभाल: त्वचा को सूखा और खुला रखा जाए और जितनी जल्दी हो चिकित्सकीय सलाह ली जाए।
भारत में एम पॉक्स की स्थिति
भारत में भी मंकी पॉक्स के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। हाल ही में एक मरीज भारत आया था, जो ऐसे देश से लौटा था जहां मंकी पॉक्स के मामले फैले हुए हैं। इस मरीज में मंकी पॉक्स जैसे लक्षण पाए जाने के कारण उसे आइसोलेशन में रखा गया था। यह संक्रमण क्लेड-2 का है, जो ज्यादा खतरनाक नहीं है। हालांकि, WHO ने क्लेड-1 को लेकर स्वास्थ्य आपातकाल का ऐलान किया है। मरीज को डेसिग्नटेड अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया है और वर्तमान में उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
संक्रमण की ट्रेसिंग
मामले को स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार संभाला जा रहा है। संपर्क ट्रेसिंग की प्रक्रिया जारी है ताकि संभावित स्रोतों की पहचान की जा सके। हालांकि, मरीज किस राज्य से है और उसने किन देशों का दौरा किया, यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
मंकी पॉक्स का वैश्विक संकट
मंकी पॉक्स, जिसे एम पॉक्स भी कहा जाता है, अफ्रीका से शुरू होकर अब 70 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। इस बीमारी से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। WHO ने मंकी पॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। इस वायरस का पहला मामला 1958 में देखा गया था जब रिसर्च के लिए बंदरों को एक कॉलोनी में रखा गया था। 1970 में कांगो में पहली बार इंसानों में मंकी पॉक्स के लक्षण देखे गए थे।
अफ्रीका के बाहर भी, जैसे अमेरिका, इज़राइल और सिंगापुर में मामलों की पुष्टि हुई है, और यूके में 2018 में पहली बार मंकी पॉक्स का मामला सामने आया था।
निष्कर्ष
जयपुर में एम पॉक्स के संदिग्ध मामले ने स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। इस स्थिति में, सभी को सतर्क रहना और आवश्यक सावधानियां बरतना चाहिए ताकि इस संभावित महामारी के प्रसार को रोका जा सके। भारत में एम पॉक्स के मामलों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए, यह जरूरी है कि हम अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
