चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम रहा है जो अपनी सादगीईमानदारी और किसानों के मसीहा के रूप में जाना गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से उठकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचना वह भी एक मामूली किसान के लिए कोई कम बड़ी बात नही है। हालांकि वे बहुत कम समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे लेकिन जब तक रहे सिद्धांत के साथ थे । गाजियाबाद में जब वह वकालत करते थे तो एंबेसडर कार में चलाकर कचहरी जाते थे। वह जहाज़ पर उड़ने के खलाफ़ थे और प्रधानमंत्री होने के बावजूद लखनऊ रेल से ही आया जाया करते थे। उनके सामने घर में अगर कोई अनावश्यक बल्ब जलता हुआ मिलता तो वह डांटते थे कि इसे तुरंत बंद करो । चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति के ऐसे विराट व्यक्तित्व थे जिन्होंने देश से न्यूनतम लिया और देश को अधिकतम दिया। चौधरी चरण सिंह का जन्म सन902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने सन १923 में बीएससी की और आगरा विश्वविद्यालय से सन 4925 में एमएससी की उपाधि प्राप्त की । इसके बाद एलएलबी की और गाजियाबाद से वकालत की शुरुआत की। बाद में वे मेरठ आ गये और कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने अपना राजनीतिक सफ को शुरू किया। सन 937 छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए वह पहली बार चुने गए। इसके बाद सन 946सन 952 सन १962 एवं सन।967 में उन्होंने विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे सन 946में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य न्याय सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून सन 95 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और न्याय तथा सूचना विभाग प्रभार दिया गया। बाद में सन १952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल सन 959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था। मुख्यमंत्री सी.बी. गुप्ता के शासनकाल में वे गृह एवं कृषि मंत्री थे।सुचेता कृपलानी की सरकार में वे कृषि एवं वन मंत्री रहे। उन्होंने सन 965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं सन 4966में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया। कांग्रेस विभाजन के बाद ‘फरवरी सन 970 में वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। गया था। चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सेवा की। उनकी ख्याति एक कड़क व ईमानदार नेता के रूप में हो गई थी । प्रशासन में अक्षमता भाई भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को वे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है | ग्रामीण देनदारों को राहत प्रदान करने वाला विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक 939 को तैयार करने एवं इसे अंतिम रूप देने में उनकी महत्तवपूर्ण भूमिका थी। उनके द्वारा की गई पहल का ही परिणाम था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के वेतन एवं उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों को काफी कम कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम 960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह अधिनियम खेती की जमीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करने के उद्देश्य से लाया गया था ताकि राज्य भर में इसे एक समान बनाया जा सके । देश में कुछही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की। एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले चौधरी चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच हालांकि बाद में राज्य में 2 अक्टूबर सन १970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से कापी बल