मनुष्य मन, बुद्धि के कारण अपने आपको श्रेष्ठ मानता हैं। आज मनुष्य धर्म या मूल आदर्शों को भूलकर भौतिकवादी बनने के कारण अत्यंत सम्पन्न होने के कारण हताशा का सामना कर रहा हैं और कोई आभाव के कारण दुखी रहता हैं। जबकि इस क्षण भंगुर संसार में कोई स्थायी नहीं हैं और न कोई अपने साथ धन सम्पत्ति ले जा सकता हैं, जीवन में उतार चढ़ाव अनिवार्यता हैं, और इसी क्षण हमें अपने आपको संतुलित रखकर या रहकर प्रतिकूल समय को ईश्वर के सम्मुख समर्पित कर आत्मबल बढ़ाना चाहिए। आत्महत्या कायरों का काम होता हैं। मन के हारे, हार हैं, मन के जीते, जीत-भारत समेत पूरी दुनिया में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में 700000 लोग सुसाइड (आत्महत्या) करते हैं। आत्महत्या तब मानी जाती है, जब कोई व्यक्ति अपना जीवन समाप्त करने के उद्देश्य खुद को नुकसान पहुंचाता है और परिणाम स्वरूप उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जबकि आत्महत्या का प्रयास ऐसा कृत्य है, जिसमें व्यक्ति खुद का जीवन समाप्त करने के उद्देश्य कोई गलत कदम उठाता है मगर सहयोग से उसकी मृत्यु नहीं होती है। अगर भारत में आत्महत्या के आंकड़ों की बात करें तो वह काफी डरावने हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में कुल 4,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। एनसीआरबी ने आत्महत्या को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर यह दिखाने की कोशिश की है कि देश में किस वर्ग के लोग ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं। इनमें दिहाड़ी मजदूर, घरेलू महिलाएं, बेरोजगार, छात्र और किसान समेत अलग-अलग वर्ग के लोगों ने किसी न किसी कारण से आत्महत्या की। आत्महत्या के आंकड़े साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में आत्महत्या के कारणों के समझना बहुत जरूरी है। साथ ही हमें यह भी देखना होगा कि आत्महत्या के आंकड़ों को कैसे कम किया जा सकता है? जब व्यक्ति आत्महत्या करने के बारे में सोचता है तो उसे मुक्ति पाने का यही एक आखिरी विकल्प दिखता है. किसी की जिंदगी बचाना सबसे बड़ा कर्म होता है। व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन कौ उठापटक में इंसान खुद को ढालने की कोशिश तो करता है लेकिन जब उसे लगता है कि अब चीजें उसके हाथ से जा रही हैं तो वह धीरे-धीरे मानसिक रोगों की ओर बढ़ता जाता है। जब व्यक्ति अपने दिमाग में कुछ चीजों या किसी विषय पर सोचता रहता है और किसी से उस बारे में जिक्र नहीं करता तो वह सबसे पहले एंग्जाइटी का शिकार होता है जो उसे आगे चलकर डिप्रेशन का शिकार बना देती है। जब व्यक्ति पूरी तरह से डिप्रेशन में चला जाता है तो उसके सोचने-समझने का तरीका बहुत अलग हो जाता है। वह जहां खुद को पूरी इतिहास रिश्तों में कड़वाहट नौकरी का छूटना आत्मसम्मान को ठेस पहुंचना असहनीय भावनात्मक या शारीरिक पीड़ा बचाव करना अतिआवश्यक हैं —- इलाज के लिए प्रोत्साहित करें यदि आत्महत्या के बारे में सोचने वाला व्यक्ति किसी बीमारी से जूझ रहा है तो उसे इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि उस व्यक्ति को कोई शारीरिक बीमारी नहीं बल्कि मानसिक रोग है तो उसे किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से मिलने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि ऐसा तरह से अकेला, असहाय और कमजोर समझने लगता है वहीं उसके दिमाग में आत्महत्या के ख्याल भी आने लगते हैं। जब व्यक्ति आत्महत्या करने के बारे में सोचता है तो उसे मुक्ति पाने का यही एक आखिरी विकल्प दिखता है । इसलिए कहते हैं कि कभी भी अंदर ही अंदर घुटने के बजाय किसी भरोसेमंद व्यक्ति, दोस्त या काउंसलर से खुलकर बात करनी चाहिए। किसी की जिंदगी बचाना सबसे बड़ा कर्म होता है। कुछ प्रमुख कारण कुछ मानसिक रोग जैसे-अवसाद बाइपोलर डिसऑर्डर सिजोफेनिया आदि मूड डिसऑर्डर शामिल है। मादक द्रव्यों का अत्यधिक सेवन आत्महत्या का पारिवारिक व्यक्ति किसी डॉक्टर या एक्सपर्ट से नहीं मिलना चाहता है तो उसे किसी सपोर्ट ग्रुप, किसी भरोसेमंद कम्युनिटी या एनजीओ से संपर्क कराने में मदद करें। उसकी समस्या का बहुत छोटा दिखाएं-यदि आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति बात करने के लिए आया है जो आत्महत्या के बारे में सोच रहा है या सोच सकता है तो उसे एकदम नॉर्मल सामान्य और आरामदायक स्थिति में लाये. उसे इस बात का एहसास कराएं कि जिस चीज को लेकर वह आत्महत्या जैसा और यह एहसास हो कि उसकी समस्या वाकई बहुत छोटी है और यह जिंदगी में चलता रहता है। उसे एहसास कराएं कि आप उसके साथ हैं-इंसान आत्महत्या जैसी चीज के बारे में तभी सोचता है जब उसे लगने लगता है कि वह जिंदगी में पूरी तरह से अकेला पड़ गया है और कोई उसके साथ नहीं है। ऐसे लोगों को अपने अंदर हजार तरह की कमियां और बुराईयां दिखने लगती हैं। यदि आप किसी ऐसे इंसान से टकराते हैं तो उसे यह एहसास दिलाएं कि आप हर घड़ी में उसके साथ हैं | उसे दिन या रात कभी भी जरूरत पड़ी तो आप उसके एक बार कहने पर हाजिर हो जाएंगे। इससे उस व्यक्ति को यह लगेगा कि अभी उसकी जिंदगी में लोगों का साथ और प्यार है। अभी भी ऐसे लोग हैं जिन्हें उसकी फिक्र है। यकीन मानिए आपके कुछ शब्द या वाकया किसी की जिंदगी बचा सकते हैं । चिन्हित होने पर उसे अकेला न छोड़े और पीड़ित व्यक्ति कुछ रचनात्मक कार्यों में अपना समय बिताये और हमेशा विचार अपने अंदर ला रहा है वह असल में बहुत छोटी बात है। ऐसे व्यक्ति को अपनी या किसी और की जिंदगी के ऐसे अनुभव बताएं जिससे उसे प्रेरणा मिले सकारात्मक, रचनात्मक, ऊर्जावान बातों पर अपना ध्यान केंद्रित करे। जिंदगी जिंदादिली का नाम हैं, मुर्दा दिल खाक जिया करते हैं।