20 देशों के शीर्ष नेता जी-20 की बैठक में शामिल होने के लिए
भारत पहुंच रहे हैं। भारत सरकार इस सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो वाईडेन, जापान के फुमियों किसीदा और
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डॉक्टर सिल्वा ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनक सहित
20 देश के राष्ट्र प्रमुख अथवा उनके प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेने के
लिए भारत पहुंच रहे हैं। भारत सरकार द्वारा विदेशी मेहमानों के आवभगत,स्वागत सत्कार, खाने-पीने के विशेष इंतजाम किए हैं। सोने चांदी
के बर्तनों में शाही खाना खिलाने की व्यवस्था की गई है। रूस के राष्ट्रपति
पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बैठक में भाग लेने नहीं आ रहे
हैं।इन दोनों देशों से भारत के व्यापारिक रिश्ते बहुत मजबूत हैं। दोनों देशों
के राष्ट्रपति के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध भी बहुत
मजबूत हैं। भारत सरकार द्वारा पिछले । साल में इस सम्मेलन को लेकर
कई बड़े आयोजन किए गए हैं। यह माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा
परिषद् की स्थाई सदस्यता के लिए भारत का दावाइस सम्मेलन से मजबूत
होगा। सभी जी-20 के देश भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन करेंगे।
विशेष रूप से चीन को लेकर भारत को आशा है, कि चीन इसका विरोध नहीं
करेगा। चीन संयुक्त राष्ट्रसुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए भारत का
समर्थन करेगा। पिछले एक दशक में चीन के साथ भारत का व्यापार बहुत
तेजी के साथ बढा है। चीन से बहुत आयात हो रहा है, उस तुलना में भारत से
निर्यात कम हो रहा है। भारत का निर्यात और आयात संतुलन चीन के साथ
लगातार बढ़ने के बाद भी,भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ
दोस्ती को कम नहीं होने दिया। जी 20 का सम्मेलन भारत में हो रहा है। भारत
इसकी अध्यक्षता कर रहा है। ऐसी दशा में चीन की जिम्मेदारी यह बनती है, कि
वह भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता दिलाने के प्रस्ताव को समर्थन
दे।रूस ओर चीन के राष्ट्रपति जी 20 के सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत नहीं
आ रहे हैं। इसके बाद भी यह आशा की जा रही है, भारत संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा
परिषद में स्थाई रूप से शामिल होगा , तो विश्व बंधुत्व की भावना विश्व और गुरु के
रूप में भारत सारी दुनिया के देशों को एक नई दिशा देगा चीन के राष्ट्रपति के साथ
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत अच्छे संबंध हैं। इसका दावा समय-समय
पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते रहे हैं।जी 20 के इस सम्मेलन में उस दावे को रिश्तो
की कसौटी में परखा जाएगा। भारत को चीन औररूस से बड़ी आशा है। दोनों ही
राष्ट्रपति जी-20 के सम्मेलन में नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं अमेरिका भारत की
मेजबानी को सफल बनाने के लिए पुरजोर समर्थन दे रहा है। यूरोपीय देशों का
समर्थन भारत कोअमेरिका के कारण हासिल है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव
एंटोनियो गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाए
जाने केबड़े पैरोकार हैं। दुनिया के अन्य देश भी स्थाई सदस्यता के लिए भारत
का समर्थन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर जो ख्याति
अर्जित की है। उसके बाद यह आशा की जा रही है, कि भारत को संयुक्त राष्ट्र
संघ की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता दिए जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से
पास होगा। यदि ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओर जी 20 के शिखर
सम्मेलन में भारत की राजनीति और कूटनीति सफलता होगी प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी का कद सारी दुनिया में बढ़ेगा ।
G-20 मे भारत को सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदायता ?
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