अजमेर न्यूज़- अजमेर दरगाह को लेकर चल रहे विवाद ने सियासी गर्मी बढ़ा दी है। कांग्रेस पार्टी के नेता निसार अहमद ने एक विवादित बयान देते हुए कहा कि अजमेर दरगाह सिर्फ आग नहीं बल्कि एक तूफान है। उन्होंने आगाह किया कि दरगाह पर सवाल उठाने वाले नादान लोग इससे टकराकर खत्म हो जाएंगे।
पूरे मामले पर एक नजर
यह बयान तब आया है जब हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह को लेकर मंदिर होने का दावा किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए निसार अहमद ने कहा,
“ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह एक विशाल दरख्त है, जिसकी जड़ें पूरे विश्व में फैली हुई हैं। इसे हाथ लगाने की कोशिश करने वाले गिरकर खत्म हो जाएंगे।”
ख्वाजा साहब की दरगाह: आस्था और कौमी एकता का केंद्र
निसार अहमद ने ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को कौमी एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह दरगाह न केवल हिंदू-मुस्लिम आस्था का केंद्र है, बल्कि राजा-महाराजाओं, मुगल बादशाहों और मराठों ने भी यहां मत्था टेककर आशीर्वाद लिया है।
उन्होंने कहा कि दरगाह पर विवादित बयान देना यह दर्शाता है कि कुछ लोग देश में धार्मिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार से कार्रवाई की मांग
निसार अहमद ने भारत सरकार से अपील की कि वह ऐसे विवादित बयानों और कार्यों पर रोक लगाए। उन्होंने कहा कि ऐसे नादान लोगों को ख्वाजा साहब की दरगाह और उसकी पवित्रता को ठेस पहुंचाने से पहले संभल जाना चाहिए, वरना उनके कर्मों का परिणाम उन्हें भुगतना पड़ेगा।
दरगाह का ऐतिहासिक महत्व
ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह, अजमेर, एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां हर धर्म और जाति के लोग अपनी आस्था लेकर आते हैं। यह न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर कौमी एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
विवाद पर बढ़ती सियासत
यह विवाद इस बात को उजागर करता है कि देश में धार्मिक स्थलों और आस्थाओं को लेकर राजनीति कैसे गहराती जा रही है। निसार अहमद का यह बयान सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, और इससे अजमेर दरगाह विवाद और गहराने की संभावना है।
निष्कर्ष:
ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति से बचते हुए धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। ख्वाजा साहब की दरगाह केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि देश के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने की अद्वितीय मिसाल है।